मध्य प्रदेश के प्राकृतिक विभाग {Natural Region Of MP}

मध्य प्रदेश के प्राकृतिक विभाग

Natural Region Of MP

भौतिक संरचना की दृष्टि से मध्य प्रदेश को निम्न प्रदेशों व उप-प्रदेशों में बॉटा जा सकता है-

01  मध्य उच्च प्रदेश Madhya Uchh Pradesh 

  • बुदेलखण्ड पठार BundelKhand ka Pathar
  • मालवा पठार Malwa Ka Pathar
  • रीवा पन्ना पठार Rewa Ka Pathar
  •  नर्मदा सोन घाटी Narmada Sone Ghati

02  सतपुड़ा मैकल श्रेणी  (वर्धापूर्णाताप्तीतवादेनवावेनगंगापेंच,अदि नदियाँ)
03 पूर्वी पठार (बघेलखण्ड पठार) Baghel Khand ka pathar

मध्य प्रदेश के प्राकृतिक विभागों का विवरण MP Ke Prakratik Vibhago Ka vivran

विन्ध्यन कगारी प्रदेश  Vindhyan Kagari Pradesh

  • म.प्र के मध्य उत्तर में 23°10’ उत्तरी अक्षांश तथा 78°4’ से 82°18’ पूर्वी देशांतर तक यह पठार फैला हुआ है इसकी ऊँचाई 300-600 मी. है। 
  • क्षेत्रफल - 31954.8वर्ग कि.मी. (म.प्र का 10.37प्रतिशत) 
ऐतिहासिकता 
  • प्रांरभिक ज्ञात वंश हयवंश है जिसने कालिजंर (249ई.) को राजधानी बनाया। तत्पश्चात गुप्त वंशियों का शासन रहा। 
  • हैहयवंशियों को यशोवर्मन चन्देल (खजुराहो) ने हराया था (925-955ई.) किन्तु 12वीं शताब्दी तक हैहय बने रहें। 
  • 14वीं शताब्दी में कालिंजर को बुन्देलों ने जीता व छत्रसाल बुन्देला पन्ना रियासत के प्रतापी राजा रहे। 
  • 1948 में विध्य प्रदेश अस्तित्व में आया, जिसे 1956 में मध्य प्रदेश में मिलाया गया। 
  • जिले - रीवा, सतना, पन्ना, दमोह व सागर की रहली तथा बण्डा तहसीलें। 
  • नदियाँ- केन, सोनार, टोन्स, बीहड़, ब्योरमा, सतना आदि। 
  • तापमान- 42°से, (अधिकतम) से,(न्यूनतम) 
  • मिट्ठी- लाल, लाल-काली, मिश्रित लाल पीली। 
  • उद्योग- सीमेन्ट सतना, लाख-रीवा 
  • खनिज-सतना चूना उत्खनन व बॉक्साइट। 
  • कोरंडम- रीवा 
  • जिप्सम - रीवा 
  • हीरा- पन्ना जिले की मझगवॉ व रमखेडि़या खदान में। 
  • पर्यटन- वचाई, बहुटी केवटी प्रपात, भरहुत स्तूप सतना तथा चित्रकूट व मैहर पवित्र नगर है।

मालवा का पठार Malwa Ka Pathar
प्रदेश के पश्चिमी भाग में लावा मिट्ठी (दक्क्न ट्रेप चट्टानों) से निर्मित। नर्मदा घाटी के उत्तर में विंध्याचल श्रेणी से पूर्व में अशोकनगर से पश्चिम मेंमन्दसौर तक 74°17’ से 79°20’ पूर्वी देशांतर व 20°17’ से 25°8’ उत्तरी अक्षांश के मध्य स्थित है।

ऐतिहासिकता
  •  मौर्य युग में  मालवा का पश्चिमी भाग अवन्तिका (राजधानी-ujjain) कहलाता था तथा पूर्वी भाग अकरा (राजधानी-विदिशा)।
  •  मालवा का नामकरण अत्यंत पुराऐतिहासिक जाति मालवजिसका मूल निवास पंजाब में चिनाव तथा रावी नदियों के बीच रेचना दोआब में थाके नाम पर मालव‘ पड़ा। इन्हीं मालव जाति के लोगों ने छठी शताब्दी में यहाँ सत्ता स्थापित की। बाद में परमारमुस्लिमसूरी एवं खिलजी तथा मुगल शासकों ने यहाँ राज किया। 18वीं शदी में पेशवाओं ने फिर पेशवओं को हराकर अंग्रेजों ने 1818 में सत्ता स्थापित की। यहाँ की रियासतों को मध्य भारत के नाम से जाना जाता था जो 1956 (राज्य पुनर्गठन) में म.प्र में सम्मिलित हुआ।
  • क्षेत्रफल - 88222.2 वर्ग किमी (मध्यप्रदेश का 28.62 प्रतिशत)
  • जिले- 17 जिलों का पूर्ण/आंशिक भाग आता है मंदसौरराजगढ़उज्जैनइन्दौरभोपालधारगुनारतलामझाबुआदेवासशाजापुरसीहोरअशोकनगरविदिशारायसेन सागर व अलीराजपुर।
  •  नदियाँ- काली सिन्धुक्षिप्रापार्वतीचम्बलबेतवा।
  •  तापमान- अधिकतम 40° से न्यूनतम 10-12° से,
  •  वर्षा- 125 से 75 से.मी.
  •  वनभूमि- 39 से 40 प्रतिशत तक
  •   उद्योग- नागदा-कृत्रिम रेशा। इन्दौररतलामदेवासउज्जैनव भोपाल में सूती कपड़ा।
  • भारत  हैवी इलैक्ट्रीकल्स लि. भोपाल। पीथमपुर- ऑटोमोबाइल उद्योग।
  •  पर्वत- महू की जानापाव पहाड़ी (854 मी.) से चम्बल नदी का उदगम। (बान्वू पाइंट) मालवा के पठार की सबसे ऊँची चोटी सिगार चोटी हैइसकी ऊँचाई 881 मीटर है।

BundelKhand Ka Pathar बुन्देलखण्ड का पठार  
  • उत्तरी अक्षांश- 24°06’ से 26°22’ तक
  • पूर्वी देशान्तर- 77°51’ से 80°20’ तक 
  • यह पठार आर्कियन युग की ग्रेनाइट चट्ठानों व नीस से निर्मित है। 
  • नदियाँ- बेतवा, धसान, केन। 
  • जिला- दतिया, छतरपुर, टीकमगढ़, पिछोर, एवं करेरा तहसीलें (शिवपुरी) डबरा, भाण्डेर (ग्वालियर) लहार तहसील (भिण्ड)। 
  • क्षेत्रफल-23733 वर्ग किमी (प्रदेश का 7.70 प्रतिशत) 
  • तापमान-अधिकतम 40-41° से., न्यूनतम से 12° से. 
  • ऐतिहासिकता- प्रांरभ में गोडों तत्पश्चात् गुर्जर प्रतिहार व फिर चन्देल वंश के शासन में रहा। कालिंजर व अजयगढ़(पन्ना) के मजबूत किले, खजुराहो व महोबा के प्रसिद्ध मंदिर चन्देलों ने बनवाये। 
  • चन्देलों ने महमूद गजवनी का फिर, चौहानों का सामना किया पर पृथ्वीराज चौहान से वे हारे(1183 ई.) तत्पश्चात् बुन्देलों का वर्चस्व हुआ। 
  • 1531 में राजा रूद्र प्रताप सिंह ने ओरछा (टीकमगढ़) को राजधानी बनाया।छत्रसाल बुन्देला ने 1/3 हिस्सा पेशवा बाजीराव को दिया था। 
  • पेशवा ने झॉसी में एक सूबेदार रखा, जिसकी संततियों में गंगाधर राव हुए। इनकी पत्नी रानी लक्ष्मीबाई थीं। 
  • शिवपुरी कछवाहों के काल में नरवर नाम से जाना जाता था। नल-दमयंती की कहानी यहीं से जुड़ी हुई है। 
  • मिट्ठी- काली, लाल बलुई व दोमट 
  • दर्शनीय- ओरछा-बुन्देला राजाओं के किले, दतिया-सतखंडा महल, खजुराहो में शैव, वैष्णव, जैन मंदिर, चन्देरी किला (प्रतिहार कीर्तिपाल-11वीं सदी में निर्मित), हवामहल, जौहर कुण्ड, खूनी दरवाजा नौखंडा महल। 
  • पर्वत- सिद्ध बाबा 1172 मीटर (सर्वोच्च चोटी) 
मध्य भारत का पठार Madhya Bharat Ka Pathar
  •  यह 24° से 26°48’ उत्तरी अक्षांश व 74°50’ से 79°10’ पूर्वी देशांतर तक विस्तृत है।
  •   नदियॉ- चम्बलसिंधपार्वतीक्वारीकूनो आदि।
  •    क्षेत्रफल- 32896 वर्ग किमी (प्रदेश का 10.7 प्रतिशत)
  •   जिले- भिण्डमुरैनाश्योपुरग्वालियरशिवपुरीगुनानीमच व मंदसौर
  •   तापमान-अधितम-40° से. 44° से.
  •   न्यूनतम- 15° से. 18° से.
  •   वर्षा- 75 से.मी. से कम
  •    वन- 20 से 27 प्रतिशत वन (शीशमखैरबबूल)
  •    मिट्ठी- जलोढ़ तथा काली
  •   उद्योग- कैलारस (सहकारी शक्कर) डबरागुना (चीनी कारखाना)शिवपुरी व बानसौर (खैर उद्योग)बानमौर सीमेन्ट व ग्वालियर में कृत्रिम रेशाबिस्कुटचीनी मिट्ठी बर्तन।
  •  दर्शनीय- ग्वालियर दुर्ग (सूरजसेन निर्मित 525 ई.) में गूजरी महलहाथी फोड़ द्वारहिण्डौला द्वारमोती महलसास-बहू मंदिरतेली मंदिरजैन मूर्तियॉ आदि।
  •   ऐतिहासिकता- गुप्तेश्वर उत्खनन (ग्वालियर) से 40 से 50 हजार वर्ष पूर्व प्रागैतिहासिक मानव समुदायों की बसाहट का ज्ञान होता है।
  •   पद्मावती (पवाया) नागवंशियों की राजधानी थी। इस क्षेत्र में गुप्त शासकों का भी राज्य रहा है।
  •   ग्वालियर शिलालेख के अनुसार हूण राजा मिहिरकुल ने भी यहॉ शासन किया।
  •    आठवीं शताब्दी में ग्वालियर में गुर्जर प्रतिहारों ने सत्ता स्थापित की।
  •   राष्ट्रटों ने गुर्जर प्रतिहारों को परास्त किया था व तेली मंदिर के निर्माणकर्ता सम्भवतः राष्ट्रकूट ही थे। (अठवीं शताब्दी)।
  • ग्यारहवीं शताब्दी में चन्देलों ने ग्वालियर पर शासन किया। चन्देलों ने कच्छपों को अपना शासक बनायाजिन्होंने ग्वालियर किले में सहस्त्रबाहु का मंदिर तथा सिंहोनिया में ककन मठ मंदिर बनाया। तोमर वंश 1394 में शुरू हुआजब ग्वालियर को वीर सिंह तोमर ने जीता।
  •    मानसिंह तोमर(1486) ने ललित कला का विकास किया, 1517 में इब्राहीम लोधी ने विक्रमाजीत तोमर से ग्वालियर को जीता बाद में 1754 तक मुगलों के अधीन रहा।
  •   मराठा वंश के माधवराव सिंधिया ने यहॉ शासन सत्ता स्थापित की तत्पश्चात् दौलत राव सिंधिया ने अपनी राजधानी उज्जैन से लश्कर स्थानांतरित की।
  •    सन् 1951 में मध्यभारत पठार व मालवा को मिलाकर मध्य भारत प्रान्त‘ बनाया गया व जीवाजीराव सिन्धिया यहॉ के राजप्रमुख नियुक्त हुए। सन् 1956 में इस प्रान्त का विलय मध्य प्रदेश में हुआ।
  •    नर्मदा सोन घाटी- यह प्रदेश का सर्वाधिक नीचा भाग हैजिसकी ऊँचाई 300-400 मीटर है। यह 22°30’ से 23°45’ उत्तरी अक्षांश तक तथा 74° पूर्वी देशांतर से 81°30’ के मध्य स्थित है।


नदियाँ- नर्मदासोन व जोहिला (उद्गम अमरकंटक)Narmada Sone Johila ka Udgam Amarkantak

  •  प्रमुख नदी नर्मदा बेसिन का 89.9 प्रतिशत भाग म.प्र.(लंबाई 1078 किमी), 8.5 प्रतिशत भाग गुजरात तथा 2.7 प्रतिशत भाग महाराष्ट्र में है। (म.प्र. महाराष्ट्र सीमा पर 32 किमी. तथा महाराष्ट्रगुजरात सीमा पर 40 किमी. बहती है)।
  •  नर्मदा को ग्रीक विद्वान टॉलेमी ने नामादोस कहा था। इसके अन्य नाम है- म.प्र. की जीवन रेखारेवामैकलसुतासौमोदेवी।
  •  नर्मदा उद्गम से 8  10 किमी. पश्चात् कपिलधारा व दुग्धधारा प्रपात बनाती है। जबलपुर के भेड़ाघाट में धुआँधार प्रपात (15 मीटर) है।
  •  नर्मदा बड़वाह के पास 12 मीटर ऊँचे दो प्रपात मान्धाता तथा दरदी बनाती है। महेश्वर के निकट सहस्त्रधारा प्रपात (8 मीटर) है।

नर्मदा की सहायक नदियॉ Narmada Ki Sahyak Nadiyan


दायें तट में- हिरणतिन्दोनीबारनाचन्द्रकेशरमानएवं हथनी।
बाए तट- बंजरशेरशक्करदूधीतवा गंजालछोटा तवाकुन्टी देवगोई।

 क्षेत्रफल- नर्मदा बेसिन का क्षेत्रफल म.प्र में 86000 वर्ग किमी. है ( प्रदेश का 26 प्रतिशत हिस्सा)

 जिले- अनुपपुरमण्डलाडिण्डोरीजबलपुरनरसिंहपुरहोशंगाबादरायसेनहरदाखण्डवाखरगौरधारसीहोर, (बुधनी)देवासबड़वानी,व अलीराजपुर जिलों से होकर नर्मदा नदी गुजरती है। (16जिले)
  तापमान- अधिकतम 40° से. न्यूनतम 10° से.।
 वर्षा- 70 से 140 से.मी.
  वन- 25 प्रतिशत भूमि में
 मिट्ठी- कालीगहरी कालीकंकरीली मिट्ठी (मण्डला)।
 उद्योग- सीमेंटकॉचचूना मिट्ठीचीनी मिट्ठी संगमरमर।
  दर्शनीय स्थल- तिगवॉ मंदिर (जबलपुर)रूपनाथ (जबलपुरअशोक का शिलालेख) भेड़ाघाट    प्रपात (नर्मदा नदी)।

सतपुड़ा मैकल श्रेणी- नर्मदा व ताप्ती के मध्य का क्षेत्रSatpura Mekal Shrani

  •  प्रदेश का लगभग 11प्रतिशत भाग है। इसका विस्तार लगभग 34000 वर्ग कि.मी. है। इस क्षेत्र में प्रदेश की सबसे ऊँची चोटी धूपगढ़ (1350 मीटर) हैजो महादेव श्रेणी में स्थित है। इस श्रेणी के विस्तृत भाग 600 मीटर ऊँचे है।
  •  नदियॉ- ताप्तीवेनगंगातवाशक्करवर्धागार आदि।
  • जिले            खंडवाखरगौनबड़वानीबैतूलबालाघाटछिन्दवाड़ासिवनीबालाघाटमण्डला,  बुरहानपुर ।
  • तापमान- अधिकतम 30° से.न्यूनतम 18° से.
  •  मिट्ठी- छिछली कालीकालीसाधारण गहरी काली (खरगौन)लाल व पीली (बालाघाट सिवनी)
  • खनिज पदार्थ- मैग्नीज-भरवेली खदानें (बालाघाट) व छिन्दवाड़ा में।
  •  ताम्र- बालाघाट (बैहर तह. के मलाजखण्ड में)
  •  बाक्साइट- बालाघाट की बैहर तहसील।
  •  चीनी मिट्ठी- छिन्दवाड़ा।
  • फेल्सपार- छिन्दवाड़ा
  •  संगमरमर- बैतूलसिवनीछिन्दवाड़ा।
  •  कोयला- नरसिंहपुरहोशंगाबादबैतूलछिन्दवाड़ाशाहपुर-तवा क्षेत्र (बैतूल होशंगाबाद)कान्हन व पेंच घाटी।
  •   वन- सागौनबॉससाल।
  •  उद्योग- सूती वस्त्र उद्योगकागज कारखाना (नेपानगर)खनन उद्योग।
  •  दर्शनीय- पचमढ़ी हिल स्टेशनअसीरगढ़ किला (बुरहानपुर) बादशाही किला व बीबी की मस्जिद (बुरहानपुर)।

बघेलखंड का पठार Baghel Khand Ka Pathar

  •  सोन नदी के पूर्व तथा सोन घाटी के दक्षिण का क्षेत्रजो कि 15500 मीटर से अधिक ऊँचा नीचा तथा कटा-फटा क्षेत्र है। इसके विस्तृत क्षेत्र में आद्य महाकल्प तथा जुरैसिक काल के शैल समूह मिलते है।
  •   जिले- सिगरौंलीसीधीशहडोलअनूपपुर उमरियामुडवारा तहसील कटनी।
  •   क्षेत्रफल- लगभग 26000 वर्ग किमी.
  •  नदियॉ- सोनटोंसबीहड़जेहिला
  •   मिट्ठी-लाल बलुई मिट्ठी
  •  वन- उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णवाती वन (सालसागौनहर्रातेन्दू)
  •  सीमा- सिंगरौंलीसीधीशहडोलअनूपपुरबालाघाट छत्तीसगढ़ से स्पर्श होते हैं।
  •  दर्शनीय स्थल- बॉधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यागअमरकंटक सोननर्मदा व जोहिला का उदृगम स्थल है।
  •   स्थिति- 23°40’ से 24°35’ उत्तरी अक्षांश 80°05’ से 82°48’ पूर्वी देशांतर।
  •  ऐतिहासिकता- श्री नीलकंठ शास्त्री ने सिंगरौली को भारत की उपकरण परंपराओं सोहन तथा चेन्नई का मिलन बिन्दु कहा है।
  •  सोन नदी को हिरण्य बाहु व महाभारत युग में महानद सोन कहा गया है।
  •  सोलहवीं सदी में गुजरात में व्याघ्रदेव के अधीन यह क्षेत्र आया तभी से इसका नाम बघेलखण्ड पड़ा।

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