सामान्य प्रशासन, पारितोषिक एवं अलंकरण,पुलिस व्यवस्था { MP General Administration }

MP SAMANYA PRASASHAN
सामान्य प्रशासन, पारितोषिक एवं अलंकरण,पुलिस व्यवस्था { MP General Administration }
सामान्य प्रशासन 
  • राज्य शासन का महत्वपूर्ण विभाग है। इसके मुख्य कार्यों में राज्य में नीति संबंधी विषयों, शासकीय सेवाओं से संबंधित नियम निर्देश, प्रशासनिक अधिकारियों का पद-स्थापना एवं सेवाएँ तथा जाँच एजेंसी से संबंधित कार्य शामिल हैं। विभाग के सामान्य कार्यों में राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रीय गीत से संबंधित विषय, राज्य चिन्ह, राष्ट्रीय त्यौहार, राज्य के उत्सव और समारोह का आयोजन, शासकीय प्रयोजनों के लिए राष्ट्रीय कैलेंडर का प्रकाशन, शासकीय पोशाक, पूर्वता-अधिपत्र संबंधी कार्य विभाग करता है। विभाग अनेक नियुक्तियाँ भी करता है। इनमें भारतीय सिविल सेवा, भारतीय प्रशासनिक सेवा और राज्य सिविल सेवा/प्रशासनिक सेवा संबंधित समस्त विषय (वित्त विभाग को आवंटित किए गए विषयों को छोड़कर) विभाग की जिम्मेदारी में आते हैं। 

विभाग के अधीन संस्थाएँ व उनकी गतिविधियाँः 
  • 1. म.प्र. लोक सेवा आयोग -आयोग का दायित्व राज्य शासन के महत्वपूर्ण पदों के लिए चयन और पदोन्नति करना है। म.प्र. लोक सेवा आयोग की स्थापना राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 118(3) के तहत किया गया।
  • 2. आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी राज्य में वर्ष 1966 में म.प्र. प्रशासन अकादमी की स्थापना की गई। 
  • 3. म.प्र. राज्य सूचना आयोग आयोग का गठन अगस्त 2005 में किया गया तथा आयोग का मुख्य दायित्व द्वितीय अपील की सुनवाई करना है। इसके साथ ही हर साल के अंत में वर्ष के दौरान अधिनियम के उपबंधों के क्रियान्वयन के संबंध के रिपोर्ट तैयार करना है। 

4. म.प्र. मानव अधिकार आयोग 
  • धारा21. राज्य मानव अधिकार आयोग का गठन
1) एक राज्य सरकार, राज्य का नाम मानव अधिकार आयोग के रुप में की जाने वाल एक संस्था का इस अध्याय के अधीन उसे प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में तथा राज्य आयोग को समनुदेशित कार्यों को निष्पादित करने के लिये, गठन करेगी।

1[2राज्य आयोग, ऐसी तारीख से जो राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे, निम्न से मिलकर बनेगा-

क. एक अध्यक्ष, जो उच्च न्यायालय का एक मुख्य न्यायाधिश रहा है;
ख. एक सदस्य, जो राज्य में उच्च न्यायालय का एक न्यायाधीश अथवा जिला न्यायाधीश के रुप में न्यूनतम सात वर्षों के अनुभव के साथ जिला न्यायाधीशहै, या रहा है;
1.- 2006 के अधिनियम 43 की धारा 12 द्वारा उपधारा 2 के स्थान पर प्रतिस्थापित। अन्त:स्थापित।
ग. एक सदस्य, जिसकी नियुक्ति उन व्यक्तियों में से की जाएगी जिन्हें मानव अधिकारों से संबंधित मामलो का ज्ञान हो या उसमें व्यावहारिक अनुभव हो।
3 एक सचिव होगा जो राज्य आयोग का मुख्य कार्यापालक अधिकरी होगा तथा राज्य आयोग की ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा एवं ऐसे कार्यों का निर्वहन करेगा जो उसे प्रत्यायोजित किये जाएंगे।
4. राज्य आयोग का मुख्य कार्यालय ऐसे स्थान पर होगा जो राज्य सरकार, अधूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करेगी।
5. राज्य आयोग संविधान की सातवी अनुसूची में सूची 2 एवं सूची एवं सूची 3 में उल्लेखित प्रविष्टियों में किसी से संबंधित मामलों के बारे में ही मानव अधिकारों के उल्लँघन की जांच करेगा:
परन्तु यह कि यदि ऐसे किस मामले पर पहले से ही आयोग या ततस्मय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन विधिवत गठित किसी अन्य आयोग द्वारा जांच की जा रही हो तो राज्य आयोग उक्त मामले में जांच नही करेगा:
परन्तु यह और कि जम्मू एवं कश्मीर मानव अधिकार आयोग के संध में, यह उपधारा इस प्रकार प्रभाव रखेगी जैसी की मानो संविधान की सातवी अनुसूची में सुची 2 , 3 ” के शब्दों एवं अंकों के लिए संविधान की सातवीं अनुसूची में सूची 3 जो जम्मू कश्मीर राज्य पर तथा उन मामलों के सॣबंध में प्रयोज्य है, जिके संबंध में उस राज्य के विधान मण्डल को नियम बनाने की शक्ति हैशब्द एवं अंकों को प्रतिस्थापित किया गया है।
16. दो या अधिक राज्य सरकारें, राज्य आयोग के अध्यक्ष या सदसय की सम्मति से, ऐसे अध्यक्ष या यथास्थिति ऐसे सदस्य को एक ही समय में अन्य राज्य आयोग के लिये नियुक्त कर सकती है यदि ऐसा अध्यक्ष या सदस्य ऐसी नियुक्ति केलिए सम्मति दे:
परन्तु यह की इस उपधारा के अधीन की गई प्रत्येक नियुक्ति, उस राज्य के संबंध में जिसके लिये शामिलाती अध्यक्ष या सदस्य, या दोंनों , यथास्थिति, नियुक्त किये जाने है, धारा 22 की उपधारा 1 में निर्दिष्ट समिति की अनुशंसाए प्राप्त होने के पश्चात की जाएगी। ]

  • 5. म.प्र. राज्य निर्वाचन आयोग -पंचायत एवं नगरपालिका के निर्वाचन के लिए नामावलियाँ तैयार करता है। आयोग की जिम्मेदारियों में निर्वाचन के संचालन का अधीक्षण, निदेशन तथा नियंत्रण भी शामिल है।
  • 6. लोक आयुक्त संगठन - राज्य शासन द्वारा राज्य भ्रष्टाचार तथा अधिकारों के दुरूपयोग पर अंकुश लगाने के लिए वर्ष 1964 में राज्य सतर्कता आयोग का गठन किया गया था। वर्ष 1982 में इसे समाप्त कर लोक आयुक्त संगठन स्थापित किया गया। संगठन द्वारा लोक आयुक्त एवं उपलोक आयुक्त द्वारा हर साल प्रतिपादित कार्यों का वार्षिक प्रतिवेदन महामहिम राज्यपाल को प्रस्तुत किया जाता है। 
  • 7. राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो- राज्य में विशेष प्रकार के आर्थिक के आर्थिक अपराधों, सांप्रदायिक व विघटनकारी गतिविधियों पर लगाम लगाने व अपराधों के अन्वेषण करने के लिए राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो का गठन किया गया। ब्यूरो का गठन गृह विभाग, म.प्र. शासन द्वारा 20 नवंबर, 1976 को पुलिस मुख्यालय म.प्र. में किया गया।
  • 8. मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) संगठन  मुख्यालय भोपाल
  • 9. विभागीय जाँच आयुक्त  भोपाल 
  • 10. मध्य प्रदेश भवन, नई दिल्ली- म.प्र. के विभाजन के पूर्व दिल्ली में म.प्र. भवन तथा मध्यावर्त दो राज्य अतिगृह थे। विभाजन के बाद मध्यावर्त छत्तीसगढ़ राज्य में चला गया। 
  
पारितोषिक एवं अलंकरण 

  • 1. अशोक चक्र श्रंृखला पुरस्कार - भारत सरकार द्वारा अशोक चक्र में श्रंृखला पुरस्कार के तहत अशोक च्रक, कीर्तिचक्र शौर्य प्रदान किए जाते हैं। 
  • 2. राज्य स्तरीय वीरतापूर्ण कार्य पुरस्कार 
  • 3. राज्य स्तरीय महाराणा प्रताप शौर्य वीरता पुरस्कार -राज्य के स्थाई निवासी को वीरतापूर्ण कार्यों के लिए वीरता पुरस्कार दिया जाता है। पुरस्कारस्वरूप एक लाख रूपये नकद प्रदान किए जाते हैं। 
  • 4. संत महापुरूषों के नाम पर पुरस्कार - संत महापुरूषों के नाम पर 50 हजार के 5 पुरस्कार स्थापित किए गए हैं, जिनमें कबीर सम्मान, शंकराचार्य सम्मान, गुरू नानक सम्मान, गौतम बुद्ध सम्मान तथा रही सम्मान हैं। 
  • 5. इंदिरा गाँधी सांप्रदायिक उपद्रव रोकथाम एवं सौहाई पुरस्कार 
  • 6. भैया श्री मिश्रीलाल गंगवाल सद्भावना पुरस्कार 

पुलिस व्यवस्था MP Police Vavastha


·        राज्य में पुलिस प्रशासन गृह विभाग के तहत कार्य करता है। राज्य में जिला पुलिस बल के 11 रेंज हैं। इनमें 11 पुलिस महानिरीक्षक, 15 उप-पुलिस महानिरीक्षक तथा 50 जिला पुलिस अधीक्षक पदस्थ हैं। राज्य में विशेष सशस्त्र बल की 21 वाहिनियाँ हैं। 

म.प्र. होमगार्ड एवं नागरिक एवं नागरिक सुरक्षा  MP Homeguard

  • यह एक स्वयंसेवी संगठन है, जिसका उद्देश्य राज्य में आपातकालीन स्थिति में शांति स्थापित करने के लिए पुलिस बल को सहयोग, लोक कल्याणकारी कार्यों में सहायता तथा नागरिक सुरक्षा में संबंधित कार्यों को करना है। राज्य में इसकी स्थापना 1947 में की गई थी। 

अपराध 
  • मध्य प्रदेश में अपराध क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या नक्सलवाद और दस्यु हैं। राज्य में बालाघाट, मंडला, डिण्डोरी, सिंगरौली, अनूपपुर नक्सल प्रभावित व ग्वालियर तथ शिवपुरी दस्यु समस्या बाहुल्य क्षेत्र है। 

न्याय एवं न्यायालय  MP Judicial court History


  • वर्तमान मध्य प्रदेश के गठन से पहले का प्रांत नागपुर उच्च न्यायालय के क्षेत्र में आता था। नागपुर उच्च न्यायालय की स्थापना दो जनवरी, 1936 को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1915 की धारा 108 के अंतर्गत जॉर्ज पंचम के आदेश से मध्य प्रांत के लिए की गई थी। जबलपुर स्थित उच्च न्यायालय के मुख्यालय सहित इंदौर और ग्वालियर में स्थापित खण्डपीठें मध्य प्रदेश की स्थापना के दिन से ही अस्वित्व में आई। एक नवंबर, 2000 के छत्तीसगढ़ राज्य के लिये बिलासपुर में पृथक् उच्च न्यायालय स्थापित किया गया। मध्य प्रदेश राज्य के गठन के पश्चात् स्थापित उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति हिदातुल्ला थे। म.प्र. ने सर्वोच्च न्यायालय को तीन मुख्य न्यायाधीश दिए आर.सी. लाहोटी, न्यायमूर्ति, एम.हिदायतुल्ला तथा न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा शामिल हैं।
  • प्रदेश का पहला ग्राम न्यायालय 2 अक्टूबर, 2009 को बैरसिया (भोपाल) में स्थापित किया गया था। 

कुटुम्ब न्यायालय  MP Family Court
  • प्रदेश में कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम के अंतर्गत 7 संभागीय मुख्यालयों में 7 परिवार न्यायालय स्थापित किये गए थे। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के भव्य भवन के डिजाइन लोक निर्माण विभाग के अधिकारी हेनरी इरविन ने बनाए थे। यह विशाल भवन 1899 में कुल तीन लाख रूपए में बना था। 
  • म.प्र. उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश सैयद रफत आलम हैं। 

जेल Jail in MP

  • मध्य प्रदेश के कुल 118 जेलें हैं। इनमें 8 केन्द्रीय जेल, 22 जिला जेल तथा 88 उप-जेलें हैं। इनके अलावा एक-एक क्षेत्रीय प्रबंधन एवं शोध संस्थान भोपाल तथा जेल प्रतिक्षण केन्द्र सागर है। केन्द्रीय जेल में एक प्रथम श्रेणी अधिकारी होता है। 

श्रम, श्रमिक और कानून  Labour and Labour Law in MP

  • वर्ष 2001  की जनगणना के अनुसार राज्य में कुल 257.94 लाख लोग कार्यशील है। राज्य में श्रम कानूनों के क्रियान्वयन का दायित्व श्रम विभाग का है। 
  • श्रमायुक्त संगठन  संगठन का मुख्यालय इंदौर में है। 
  • राज्य में वर्तमान में 25 श्रम न्यायालय है। 
  • म.प्र. श्रम कल्याण मण्डल, भोपाल 
  • श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा और कल्याण हेतु वर्ष 1987 में म.प्र. श्रम कल्याण मण्डल का गठन किया गया। इसका कार्यालय भोपाल में है। 
  • म.प्र. स्लेट, पैंसिल कर्मकार मण्डल, मंदसौर 
  • मंदसौर जिले में स्थापित स्लेट, पेंसिल उद्योग में लगे कर्मकारों व उनके परिवार के हित को देखते हुए म.प्र. स्लेट, पैंसिल कर्मकार मण्डल का गठन किया गया। मंदसौर जिले में 50 स्लेट पैंसिल कारखाने है।



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