मध्य प्रदेश में महिला स्वास्थ्य |मध्यप्रदेश में आंगनवाड़ी केन्द्र | पूरक पोषण आहार |Women And Child Health in MP

मध्य प्रदेश में महिला स्वास्थ्य, मध्यप्रदेश में आंगनवाड़ी केन्द्र

मध्य प्रदेश में महिला स्वास्थ्य |मध्यप्रदेश में आंगनवाड़ी केन्द्र |  पूरक पोषण आहार |Women And Child Health in MP


 

मध्य प्रदेश में महिला बाल विकास एवं आंगनवाड़ी

 

  • मध्यप्रदेश में 15 अगस्त 1986 को महिला एवं बाल विकास संचालनालय का गठन किया गया तथा महिलाओं एवं बच्चों ने संबंधित समस्त योजनायें आदिम जाति कल्याण विभाग और पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग से इस संचालनालय को हस्तान्तरित की गई। प्रारंभ में यह संचालनालय पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रशासकीय नियंत्रण में रहा तथा वर्ष 988 में पृथक से महिला एवं बाल विकास विभाग का गठन किया गया। वर्ष 2012 में विभाग अन्तर्गत दो संचालनालय एकीकृत बाल विकास सेवा संचालनलाय एवं महिला सशक्तिकरण संचालनलाय का गठन किया गया. 

 

मध्यप्रदेश में महिला एवं बाल विकास - महिला स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएँ

 

मध्यप्रदेश में महिला स्वास्थ्य एक गम्भीर समस्या बनी हुई है। हालांकि सरकार ने इस समस्या के निदान हेतु कई महत्वपूर्ण प्रयास गये है। इनके बाबजूद भी महिला स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएँ बनी हुई है जो निम्न है:

 

1. उच्च मातृ मृत्यु दर 

2. कुपोषण व एनीमिया

3. निम्न लिंगानुपात 

4. संस्थागत प्रसव का अभाव

5. टीकाकरण का अभाव 

6. चिकित्सकीय देखभाल कमी

7. गर्भधारण काल में देखभाल का अभाव 

8. मासिक धर्म से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं

9. स्तन कैंसर 

10. समय से पहले प्रसव

11. कन्याभ्रूण हत्या।

 

महिला स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक 


 

1. विवाह के प्रति दृष्टिकोण

2. विवाह की उम्र 

3. प्रजनन क्षमता के साथ साथ इस बात को महत्व देना कि लड़का चाहिए या लड़की 4. सामाजिक परंपरानुसार महिला द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका 

5. कुपोषण व एनीमिया 

6. महिला स्वच्छता के प्रति जागरूकता की कमी 

7. गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल का अभाव 

8. पितृसत्तात्मक समाज 

9. शिक्षा व जागरूकता का अभाव 

10. व्यक्तिगत व्यवहार जैसे खानपान व्यायाम

 

महिलाओं हेतु उपचारात्मक व निरोधात्मक स्वास्थ्य कार्यक्रम :

 

उपचारात्क स्वास्थ्य कार्यक्रम :

 

  • पूरक आयरन व फौलिक एसिड़ कार्यक्रम
  •  दीन दयाल अन्त्योदय उपचार योजना 
  • कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग नियंत्रण कार्यक्रम 
  • एड्स नियंत्रण कार्यक्रम 
  • राष्ट्रीय आयोडीन न्यूनता नियंत्रण कार्यक्रम 
  •  दीन दयाल चलित अस्पताल 
  • टी.बी. नियंत्रण कार्यक्रम 
  • राष्ट्रीय उन्मूलन कार्यक्रम 


निरोधात्मक स्वास्थ्य कार्यक्रम

 

  • जननी सुरक्षा योजना 
  • जननी एक्सप्रेस योजना 
  • लक्ष्य कार्यक्रम 
  • प्रसूति सहायता योजना 
  • मातृत्व स्वास्थ्य कार्यक्रम 
  • मंगल दिवस योजना 
  • जननी कल्याण बीमा योजना 
  • आयुष्मति योजना 
  • प्रोजेक्ट शक्तिमान 
  • ममता अभियान 
  • अन्तरा योजना 
  • जननी शिशु सुरक्षा योजना 
  • जननी सहयोगी योजना 
  • प्रसव सहयोग योजना 
  • इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना 
  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान 
  • प्रसव हेतु परिवहन एवं उपचार योजना
  • जीवन भारतीय महिला सुरक्षा योजना
  • प्रोजेक्ट मुस्कान 
  • अनमोल एप 
  • लालिमा अभियान 
  • रोशनी क्लीनिक

 

मध्य प्रदेश सरकार के महिलाओं के स्वास्थ्य हेतु विशेष कार्यक्रम :

 

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के स्वास्थ्य हेतु केन्द्र सरकार को योजनाओं के क्रियांवन के अतिरिक्त निम्न योजनाएं एंव कार्यक्रम चला रही है।

 

  • प्रोजेक्ट मुस्कान 
  • ममता अभियान 
  • अति निर्धन महिलाओं को प्रसव पूर्व सहायता राशि 
  • अंतरा योजना 
  • महिला श्रमिकों को प्रसूति की स्थिति में सहायता 
  • संजीवनी अभियान एप 
  • लाड़ो अभियान

 

महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाएं

 

  • महिला एवं बाल विकास विभाग के हितग्राही समाज के कमजोर वर्ग महिलाएं और बच्चे हैं जिनके विकास व कल्याण का कार्य आसान एवं अल्प अवधि में पूरा होने वाला नहीं है। विभाग की कई योजनाओं का विस्तार हुआ हैं। वहीं लाडली लक्ष्मी योजना, अटल बाल मिशन, समेकित बाल संरक्षण योजना जैसी नई योजनाएं भी संचालित की जा रही है। गतिशील रहते हुए विभाग ने विकास के लिए प्रत्येक चुनौती को स्वीकार किया है। उपलब्धि के आंकड़े बड़े नहीं है किन्तु समाज में महिलाओं की स्थिति में निरंतर सुधार हुआ है। महिलाओं में अपने अधिकारों व हितों के प्रति जागरुकता आई है बच्चों के कुपोषण में कमी आई है।

 

  • इन सूचकांकों में शिशु मृत्यु दर पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर मातृ मृत्यु दर जन्म के समय जीवन प्रत्याशा लाईफ एक्सपैक्टेन्सी एट बर्थ साक्षरता दर और बच्चों का पोषण स्तर प्रमुख हैं। मध्यप्रदेश शासन भी इन कसौटियों पर खरा उतरने के लिए महिलाओं और बच्चों के विकास और कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है जो कि प्रदेश की आबादी का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा है।

 

  • अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन, लाड़ली लक्ष्मी योजनाए आंगन बाड़ियों में मंगल दिवस कार्यक्रमों का आयोजन आदि इस दिशा में किए जा रहे उल्लेखनीय प्रयास हैं। महिलाओं और बच्चों के विकास के क्षेत्र में प्रदेश शासन द्वारा किए गये प्रयासों को भारत सरकार द्वारा सराहा गया है। साथ ही अन्य राज्यों द्वारा इन प्रयासों को अपनाया भी गया है। इन प्रयासों से ही प्रदेश में भी मानव विकास सूचकांकों में सुधार दर्ज हो रहा है।

 

  • महिला एवं बाल विकास विभाग वित्तीय एवं भौतिक आकार में तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 313 विकासखण्डों तथा 73 शहरी बाल विकास पारियोजनाओ सहित प्रदेश में कुल 453 समेकित बाल विकास परियोजनाएं संचालित हों

 

मध्यप्रदेश में आंगनवाड़ी केन्द्र

 

453 बाल विकास परियोजनाओं में कुल 84465 आंगनवाड़ी केन्द्र एवं 12670 मिनी आंगनवाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं। इन आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से लगभग 80.00 लाख हितग्राहियों को आई सी डी एस की सेवाओं से लाभान्वित किया जा रहा है। 

 

महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाएं

 

  • महिला एवं बाल विकास विभाग के हितग्राही समाज के कमजोर वर्ग महिलाएं और बच्चे हैं जिनके विकास व कल्याण का कार्य आसान एवं अल्प अवधि में पूरा होने वाला नहीं है। विभाग की कई योजनाओं का विस्तार हुआ हैं। वहीं लाडली लक्ष्मी योजना, अटल बाल मिशन, समेकित बाल संरक्षण योजना जैसी नई योजनाएं भी संचालित की जा रही है। गतिशील रहते हुए विभाग ने विकास के लिए प्रत्येक चुनौती को स्वीकार किया है। उपलब्धि के आंकड़े बड़े नहीं है किन्तु समाज में महिलाओं की स्थिति में निरंतर सुधार हुआ है। महिलाओं में अपने अधिकारों व हितों के प्रति जागरुकता आई है बच्चों के कुपोषण में कमी आई है।

 

  • इन सूचकांकों में शिशु मृत्यु दर पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर मातृ मृत्यु दर जन्म के समय जीवन प्रत्याशा लाईफ एक्सपैक्टेन्सी एट बर्थ साक्षरता दर और बच्चों का पोषण स्तर प्रमुख हैं। मध्यप्रदेश शासन भी इन कसौटियों पर खरा उतरने के लिए महिलाओं और बच्चों के विकास और कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है जो कि प्रदेश की आबादी का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा है।

 

  • अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन, लाड़ली लक्ष्मी योजनाए आंगन बाड़ियों में मंगल दिवस कार्यक्रमों का आयोजन आदि इस दिशा में किए जा रहे उल्लेखनीय प्रयास हैं। महिलाओं और बच्चों के विकास के क्षेत्र में प्रदेश शासन द्वारा किए गये प्रयासों को भारत सरकार द्वारा सराहा गया है। साथ ही अन्य राज्यों द्वारा इन प्रयासों को अपनाया भी गया है। इन प्रयासों से ही प्रदेश में भी मानव विकास सूचकांकों में सुधार दर्ज हो रहा है।

 

  • महिला एवं बाल विकास विभाग वित्तीय एवं भौतिक आकार में तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 313 विकासखण्डों तथा 73 शहरी बाल विकास पारियोजनाओ सहित प्रदेश में कुल 453 समेकित बाल विकास परियोजनाएं संचालित हों। 

 

मध्यप्रदेश में आंगनवाड़ी केन्द्र

 

  • 453 बाल विकास परियोजनाओं में कुल 84465 आंगनवाड़ी केन्द्र एवं 12670 मिनी आंगनवाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं। इन आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से लगभग 80.00 लाख हितग्राहियों को आई सी डी एस की सेवाओं से लाभान्वित किया जा रहा है

 

आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने के मापदण्ड

भारत सरकार द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्र मिनि आंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत करने हेतु जनसंख्या के निम्नानुसार मापदण्ड निर्धारित किये गये है

 

(आंगनवाड़ी केन्द्र) :

 

1. ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र हेतु 

  • 400 800 (एक केन्द्र)
  • 800 1600 (दो केन्द्र)
  • 1600 2400 (तीन केन्द्र)


 2. आदिवासी क्षेत्र हेतु -300 800 (एक केन्द्र)


 (मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र) :


 

1. ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र हेतु -150 400 (एक मिनी केन्द्र) 

2. आदिवासी क्षेत्र हेतु -150 300 ( एक मिनी केन्द्र)


  • वर्तमान में प्रदेश में कुल 453 बाल विकास परियोजनायें स्वीकृत हैं तथा बाल विकास परियोजना का प्रदेश में सर्वव्यापीकरण किया जा चुका है। आंगनवाड़ी केन्द्रों के युक्तियुक्त करण के माध्यम से ऐसे क्षेत्रों में भी आंगनवाड़ी केन्द्र प्रतिस्थापित किये है गये जहां पर पूर्व से केन्द्र स्वीकृत नहीं थे जिससे आई सी डी एस की सेवाओं का अधिकतम हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया।

 

  • पहुँच विहीन क्षेत्रों में आंगनवाड़ी की सेवाऐं उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश में कुल 12670 उप आंगनवाड़ी केन्द्र भी संचालित किये जा रहे है। समेकित बाल विकास सेवा योजना के सर्वव्यापीकरण के बाद मध्यप्रदेश की लगभग 67 प्रतिशत जनसंख्या को आई सी डी एस की सेवाएं दी जा रही है। 

प्रदेश में संचालित 453 परियोजनाओं का श्रेणीवार वर्गीकरण निम्नानुसार है:

 

परियोजनाओं का प्रकार -परियोजनाओं की संख्या

ग्रामीण -278

आदिवासी -102

शहरी -73

कुल-453

 

मध्य प्रदेश में स्वीकृत आगंनवाड़ी केन्द्र

  • 51572 
  • 24000 
  • 8893

 कुल 84465

 

आंगनवाड़ी केन्द्रों के कार्य 

 

1. पूरक पोषण आहार :

 

  • 6 वर्ष से कम उम्र के गरीब बच्चों, गर्भवती व दूध पिलाने वाली माताओं तथा किशोरियों की पहचान हेतु समुदाय के सभी परिवारों का सर्वेक्षण किया जाता है तथा साल में तीन सौ दिन पूरक पोषण आहार दिया जाता हैं।
  • मध्यप्रदेश में वर्तमान में 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों को हलुवा प्रीमिक्स बाल आहार एवं खिचड़ी तथा गर्भवती माताओं एवं किशोरी बालिकाओं को गेंहू सोया बर्फी प्रीमिक्स आटा एवं बेसन लड्डू एवं खिचड़ी एम पी एग्रो के माध्यम से निर्धारित मात्रा में अलग अलग दिवसों में पूरक पोषण आहार दिया जाने का प्रावधान है। 
  • शहरी क्षेत्र के परियोजनाओं में 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को स्व सहायता समूह, महिला मण्डल मातृ सहयोगिनी समिति के द्वारा लोकल फूड मॉडल के आधार पर सुबह का नाश्ता एवं दोपहर का भोजन पृथक-पृथक मीनू अनुसार पूरक पोषण आहार के रूप में दिये जाने का प्रावधान है। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों की बाल विकास परियोजनाओ में 03 वर्ष से 06 वर्ष तक के बच्चों को सांझा चूल्हा के माध्यम से सुबह का नाश्ता एवं दोपहर का भोजन पृथक-पृथक मीनू अनुसार पूरक पोषण आहार के रूप में दिये जाने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक मगलवार को समस्त हितग्राहियों को खीर पूड़ी दिये जाने का प्रावधान है।
  • 06 माह से 06 वर्ष तक के गंभीर कुपोषित बच्चों हेतु तीसरे मील के रूप में चावल, सोया का लड्डू, मीठी मठरी, मूंगफली, चना, चिक्की दिये जाने का प्रावधान है। उक्त पोषण आहार में 12 से 15 ग्राम प्रोटीन तथा 500 कैलोरी उर्जा होना आवश्यक है। कुपोषित बच्चों को 20 से 25 ग्राम प्रोटीन एवं 800 कैलोरी एवं गर्भवती माताओं को 18 से 20 ग्राम प्रोटीन एवं 600 कैलोरी उर्जा मात्रा में पोषण आहार दिया जाता है।

 

2. स्वास्थ्य जाँच :

 

  • प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्र में प्रत्येक माह टीकाकरण के दिन ए एन एम तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा महिलाओं तथा बच्चों की स्वास्थ्य जाँच की जाती है। स्वास्थ्य जाँच के आधार पर स्वास्थ्य में सुधार हेतु आवश्यक सलाह हितग्राहियों को दी जाती है।

 

3. संदर्भ सेवाए :

 

  • स्वास्थ्य जाँच के आधार पर आवश्यक होने पर महिलाओं एवं बच्चों को खण्ड चिकित्सा अधिकारी अथवा विकासखण्ड जिला स्तरीय चिकित्सालयों में रेफर किया जाता है।

 

4-टीकाकरण :

 

  • प्रति आंगनवाड़ी प्रतिमाह किसी एक सप्ताह के कोई एक दिन टीकाकरण के लिये निर्धारित रहता है। उक्त दिवस में ए एन एम द्वारा आंगनवाडी केन्द्र पर बच्चों, गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जाता है। टीकाकरण के दौरान हितग्राहियों की स्वास्थ्य जाँच भी की जाती है।

 

5. पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा :

 

  • आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं ए एन एम द्वारा उनके कार्यक्षेत्र में गृह भेंट करने का प्रावधान है। गृह भेंट के दौरान महिलाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य की देखभाल तथा संतुलित भोजन के बारे में सलाह दी जाती है।

 

6. स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा :

 

  • आंगनवाड़ी केन्द्रों का मुख्य उद्देश्य बच्चों का मानसिक विकास करना भी है जिससे वह प्राथमिक स्कूल में ओर बेहतर तरीके से शिक्षा प्राप्त कर सकें। इसके लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को खेल खेल में शिक्षा दी जाती हैं। बच्चों को प्राकृतिक संसाधनों जैस- जल, जंगल, जानवर इत्यादि के बारे में प्रारंभिक ज्ञान कराया जाता । बच्चों के खेलने हेतु खिलौनों का क्रय करने के लिए प्रति आंगनवाड़ी प्रतिवर्ष 1000 रूपये की राशि का प्रावधान है। जिसके द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों को प्रतिवर्ष 1 फ्री स्कूल किट उपलब्ध कराई जाती हैं।

 

7. स्वास्थ्य सेवाए : 

  • विभाग द्वारा स्वास्थ्य से संबंधित सेवाएं पृथक से नहीं दी जाती है बल्कि स्वास्थ्य विभाग के अमले को स्वास्थ्य संम्बन्धी सेवाएं देने के लिए आंगनवाड़ी केन्द्र के रूप में एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जाता हैं। आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से दी जाने वाली 6 सेवाओं में से 4 सेवाएं स्वास्थ्य विभाग के अमले के सहयोग से दी जाती है। विभाग द्वारा प्रति आंगनवाड़ी प्रतिवर्ष एक मेडिसिन किट उपलब्ध कराया जाता है। जिसमें सामान्य बिमारीयों के प्राथमिक उपचार के लिए दवाईयां दी जाती हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा उक्त दवाईयों का उपयोग ए एन एम की मदद एवं मार्गदर्शन से किया जाता है। मेडिसिन किट्स के लिए प्रति आंगनवाड़ी केन्द्र के लिये अधिकतम राशि रूपये 1000 रु प्रतिवर्ष तथा उप आंगनवाड़ी केन्द्र के लिये राशि 500 रु प्रतिवर्ष का प्रावधान है।

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