MP Ke Pramukh Abhilekh {मध्य प्रदेश के प्रमुख अभिलेख}
मन्दसौर अभिलेखः Mandsor Abhilekh यह भू-भाग प्राचीन पश्चिमी मालवा का
हिस्सा था जिसका नाम दशपुर भी मिलता है। इसमें विक्रम संवत् 529 (473ई.) की तिथि दी गई
है। यह लेख प्रशस्ति के रूप में है, जिसकी रचना संस्कृत विद्वान वत्सभट्ठि
ने की थी। इस लेख में इस राजा के राज्यपाल बन्धुवर्मा का उल्लेख मिलता है जो वहाँ
शासन करता था। इस लेख में सूर्य मंदिर के निर्माण का भी उल्लेख किया गया है।
साँची अभिलेख- Sanchi Abhilekh यहाँ से प्राप्त लेख गुप्त संवत् 131-450 ई0 का है। इसमें हरिस्वामिनी द्वारा यहाँ के आर्यसंघ को धन दान में दिये जाने का जिक्र है।
साँची अभिलेख- Sanchi Abhilekh यहाँ से प्राप्त लेख गुप्त संवत् 131-450 ई0 का है। इसमें हरिस्वामिनी द्वारा यहाँ के आर्यसंघ को धन दान में दिये जाने का जिक्र है।
उदयगिरि गुहालेख Udaygiri Guhalekh- गुप्त संवत् 106 या 425 ई. का एक जैन अभिलेख मिला है। इसमें शंकर नामक व्यक्ति द्वारा इस स्थान में पार्श्वनाथ की मूर्ति स्थापित किये जाने का विवरण है।
तुमैन अभिलेख Tumain Abhilkeh- यह अभिलेख गुना जिले में है। यहाँ से गुप्त वंश 116 या 435 ई. का लेख मिलता है। इसमें राजा को ‘शरद कालीन सूर्य की भाँति‘ बताया गया है। कुमार गुप्त का शासन काल केे समय पुष्यमित्र जाति के लोगों को शासन नर्मदा नदी के मुहाने के समीप मैकल में था। इस राज्य (म.प्र.) के एरण प्रदेश (पूर्वी मालवा) पर भी कुमारगुप्त प्रथम का शासन स्थापित था क्योंकि अभिलेखों से प्राप्त प्रान्तीय पदाधिकारियों की सूची में इस एरण प्रदेश के शासक घटोत्कच गुप्त का नाम भी ज्ञात होता है। कुमारगुप्त प्रथम की मृत्यु के बाद गुप्त साम्राज्य की बागडोर उसके पुत्र स्कन्दगुप्त के हाथों में आ गई।
सुपिया का लेख Supiya ka Lekh - रीवा जिलें में स्थित सुपिया नामक स्थान का यह लेख मिला है, जिसमें गुप्त संवत् 141-460 ई. की तिथि लिखी है। इसमें गुप्तों की वंशावली घटोत्कच के समय से मिलती है तथा गुप्त वंश को घटोत्कच कहा गया है।
ऐरण Eran Abhilekh - तोरमाण का वराह प्रतिमा एरण अभिलेख व मिहिरकुल का ग्वालियर अभिलेख हूणों की उपस्थिति दर्शाता है।
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