मध्य प्रदेश के प्रमुख जिले एवं उनकी विशेषताएँ | District of MP and their Features
MP One Liner Gk Major District of MP |
रीवा जिला
- सफेद शेरों की भूमि व पूर्व विंध्यप्रदेश की राजधानी।
- म.प्र. का सबसे ऊँचा जल प्रपात चचाई बीहड़ नदी में है।
- यहाँ महामृत्युंजय का मेला लगता है।
- जिप्सम, हरसौठ, चूना-पत्थर एवं बॉक्साइट उत्खनित किया जाता है।
- बीहड़ नदी में केवटी, बहूटी जलप्रपात हैं।
- मध्य्र प्रदेश का एक मात्र सैनिक स्कूल यहां पर है।
- अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय रीवा जिले में हैं
- आम अनुसंधान केन्द्र रीवा के गोविन्दगढ़ में है।
- सुपारी के खिलौने बनते हैं।
- पुलिस वाहन प्रशिक्षण शाला गोविन्दगढ़ में तथा पुलिस मोटर वर्कशॉप रीवा में है।
- टोंस जल विद्युत सिरमौर में है।
- त्यौंथर पुरातात्विक स्थल है।
- उद्योगों में सीमेंट तथा कत्था उद्योग हैं।
- डोलोमाइट व गेरू खनिज मिलता हैं
- कोरण्डम मिलता है।
- बाणसागर परियोजना का मुख्यालय रीवा में है।
- जिले की पहचान सफेद शेरों (बाघों) की जन्म स्थली के रूप में है। चचाई प्रपात, विलौही जल प्रपाल तथा क्योटी जल प्रपात रीवा जिले के नैसर्गिक मनोरम स्थल है। जिले में कई बड़े उद्योग स्थापित है। इनमें जे.पी. सीमेंट फैक्ट्री, विंध्य टेली आदि प्रमुख हैं।
सीधी जिला
- संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान यहाँ है।
- सीधी जिला -प्रदेश का पूर्वोत्तर हिस्सा है। जिले को तीन प्राकृतिक भागों में विभक्त किया गया है।
- उत्तर की कैमोर श्रेणी
- सोन नदी की घाटी
- मझौली एवं मड़वास का पठार
- सीधी जिला 6वीं शताब्दी में प्रतिहारों के प्रभुत्व है। 7वीं शताब्दी के अंत में कल्चुरियों का प्रभाव स्थापित हुआ। इसी वंश के युवराज देश प्रथम के शासन काल में ग्राम चन्दरेह में शिव मंदिर तथा शैव मठ का निर्माण कराया गया। सोलहवीं शताब्दी में यह क्षेत्र बघेलों के आधिपत्य में चला गया जो स्वतंत्रता तक अंतिम बघेल शासक महाराज मार्तण्ड सिंह जूदेव के अधीन रहा।
सिंगरौली जिला
- मध्यप्रदेश की कोयला राजधानी कहलाता हैं
- इसमें तीन तहसीलें सिंगरौली, देवसर और चितरंगी शामिल हैं।
- इस जिले का मुख्यालय बैढ़न है।
- जिले की पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर लंबाई 70 कि.मी. तथा उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर 100 कि.मी. है।
- इसकी सीमा छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले से व उत्तरप्रदेश के सोनभद्र जिले से लगती है।
- इस जिले में ऐतिहासिक गुफा माड़ा भी है।
- ऐतिहासिक गुफा मारा भी स्थित है। जिले को दो प्राकृतिक भागों में बाँटा जा सकता है।
- देवसर की पहाडि़याँ सिंगरौली का मैदान-यह गोंडवाना लैण्ड का अपशिष्ट भाग है।
सतना जिला
- चित्रकूट, मैहर इसी जिले में है। इन्हें शासन ने पवित्र नगर घोषित किया है। चित्रकूट में गधा मेला विख्यात है।
- सतना में सीमेंट व बीड़ी उद्योग प्रचलित हैं।
- चित्रकूट महात्मा गाँधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय यहीं है। जिसकी स्थापना नानाजी देशमुख ने की थी।
- स्फाटिक शिला चित्रकूट में राम के पद चिन्ह हैं।
- भरहुत स्तूूप की खोज अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी।
- भूमरा एवं खोह में गुप्तकालीन मंदिर है।
- सती अनुसईया व अत्रि ऋषि का आश्रम तथा चित्रकुट में ब्रम्हा, विष्णु, महेश ने बाल अवतार लिया था। यहां मंदाकिनी नदी व गुप्त गोदावरी हैं
- मैहर में शारदा देवी का मंदिर हैं
- चित्रकूट में भगवान राम ने वनवास का समय बिताया था।
- चूना गेरू में शीर्ष उत्पाद जिला है।
- मैहर उस्ताद अलाउद्दीन खॉ की कर्म स्थली है।
शहडोल जिला
- ओरियंट पेपर मिल अमलई में है।
- सोहगपुर कायेला क्षेत्र प्रदेश का सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र हैं
- देश की पहली किन्नर विधायक शबनम मौसी सोहागपुर से निर्वचित हुई थी।
- अमरकंटक ताप विद्युत केन्द्र शहडोल में है।
- बाण सागर परियोजना देवलोंद नामक स्थान पर है।
- सोन नदी पर सोन घडि़याल अभ्यारण सीधी एवं शहडोल सीमा पर है।
- इसका नाम (सहस्त्र$डोल) से बना है। महाभारतग्रंथ में पाण्डवों के अज्ञातवास के दौरान जिस विराट नगर का वर्णन है, वह शहडोल जिला मुख्यालय ही है, जिसके सम्राट राजा विराट थे। बाणगंगा में पाताल तोड़ अर्जुन कुण्ड स्थित है। बुढ़ार नगर स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख केन्द्र रहा है।
डिंडोरी जिला
- इसे मंडला से 1998 में पृथक् कर जिला बनाया गया है।
- बैगा और गोंड जनजाति पाई जाती है।
- रानी अवंतीबाई के कारण जिले की एक पहचान है। अमरकंटक और डिण्डोरी के बीच नर्मदा के ऊपरी संभाग में 12 स्थानों में पाँच में मध्य पाषाण कालीन तथा शेष उत्तर पाषाण कालीन औजार प्राप्त हुए हैं। ये औजार चर्ट पत्थर के बने होते हैं। शहपुरा स्थित घुघवा जीवाश्म उद्यान है। 25 मई, 1998 को डिण्डोरी जिले का गठन हुआ।
अनूपपुर जिला
- 15 अगस्त 2003 को जिला बनाया गया।
- इस जिले में अनूपपुर, पुष्पराजगढ़, कोतमा, जैतहारी तहसीलें हैं।
- अमरकंटक को पवित्र नगर घोषित किया गया है। यहाँ से तीन नदियाँ- नर्मदा, सोन, जोहिला, का उद्गम होता है।
- माई की बगिया, माई का हाथी, सोनमुडा, नवगह मंदिर, कबीर चौरा, जलेश्वर महादेव मंदिर है।
- चचाई थर्मल पॉवर स्टेशन है।
- जैन धर्म का महाकुंभ अमरंकटक में आयोजित किया गया था, यहां पर आदिनाथ जैन तीर्थंकर की सबसे बड़ी अष्टधातु की प्रतिमा लगाई गई है।
- जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में हैं
उमरिया जिला
- इस जिले का गठन 1998 में हुआ।
- उमरिया में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान है।
- हर्रा से भिलाला निकाला जाता है।
- लाख से चपड़ा बनाने का सरकारी कारखाना है।
- बांधवगढ़ का किला बघेल वंश के शासक विक्रमादित्य ने 14वीं शताब्दी में बनवाया यहाँ शेषशाही तालाब और विष्णु मंदिर है।
जबलपुर जिला
- महात्मा गांधी सामुदायिक विकास प्रशिक्षण केन्द्र है।
- देश का प्रथम विकलांग पुनर्वास केन्द्र है।
- मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय यहीं पर है।
- प्रदेश का एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय यहीं पर हैं
- मदनमहल, चौसठ योगिनियों का मंदिर, भेड़ाघाट, पिसनहारी की मढि़या, जैन तीर्थ आदि यहां के पर्यटन केन्द्र हैं।
- पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ वर्कशॉप है।
- त्रिपुरी ऐतिहासिक नगरी यहीं है जो कल्चुरियों की राजधानी रही है।
- रूपनाथ में अशोक का अभिलेख मिला है।
- जाबालि ऋषि की तपोभूमि के नाम पर जिले का नाम जबलपुर पड़ा बरेला के पास रानी दुर्गावती की समाधि है।
- मदनगिरि पहाड़ी पर स्थित मदन महल का किला प्राचीन वास्तुकला का अनुपम नमूना है। रूपनाथ में सम्राट अशोक का एक लघु शिलालेख स्थित है।
- जबलपुर नगर में पिसनहारी की मढि़या और भेड़ाघाट में चौसठ योगिनी मंदिर अन्य दर्शनीय स्थल है। कलचुरी कला (ईशा की दसवीं- ग्याहरवीं सदी) में कला तथा संस्कृति का केन्द्र जबलपुर शहर अपने संपूर्ण वैभव पर था।
- सोलहवीं शताब्दी में महान गोंड सामा्रज्ञी दुर्गावती ने जबलपुर को नई गरिमा दी। अंग्रेजों के विरूद्ध आजादी की लड़ाई में हिरदेन शाह और शंकरशाह के बलिदानों ने नई चेतना दी।
- जिले में उच्च न्यायालय गन कैरिज फैक्ट्री, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, वन अनुसांधन केन्द्र राष्ट्रीय खरपतवार नियंत्रण केन्द्र आदि महत्वपूर्ण संस्थाएँ स्थित हैं। देश की आजादी के आंदोलन के रास बिहारी, दादा साहब खापर्डे, शैलन्द्र नाथ घोष, प्र्रकुल्ल कुमार घोष, मदन मोहन मालवीय, सेठ गोविन्द दास, विष्णु दत्त शुक्ल, महात्मा गाँधी, सुभाष चंद्र बोस, हकीम अजमल खाँ, पं. जवाहरलाल नेहरू, खान अब्दुल गफ्फार खाँ, मौलाना अबुल कलाम, जयप्रकाश नारायण, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसी महान विभूतियों को योदान सर्वज्ञात है। महात्मा गाँधी का पाँच बार आगमन हुआ। नेताजी सुभाष चंद्र बोस दो बार यहाँ केन्द्रीय जेल में रहे।
- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रसिद्ध झंडा सत्याग्रह जबलपुर से प्रारंभ हुआ। जबलपुर से अनेक उत्कृष्ट दर्जे के अखबार चेतना जाग्रत करने में लगे हैं।
- यहाँ की पत्रकारिता को माधव राव सप्रे, माखनलाल चतुर्वेदी, नर्मदा प्रसाद द्विवेदी, नरसिंह दास अग्रवाल, द्वारका प्रसाद मिश्र मनोहर कृष्ण गोलवलकर, लक्ष्मण सिंह चौहान, मायाराम सुरजन, गजानन माधव मुक्तिबोध, रामेश्वर प्रसाद गुरू जैसे अनेक मनीषियों का सानिध्य मिला।
कटनी जिला
- जबलपुर से पृथक कर सन् 1998 में बनाया गया जिला है।
- कटनी जिले को चूना नगरी कहते हैं।
- यहां ए.सी.सी. सीमेंट फैक्ट्री कैमूर में है।
- देश की पहली किन्नर महापौर (कमला जॉन) यहीं से थी।
- कर्नल स्लीमन (ठगी प्रथा का खात्मा) के नाम पर स्लीमनाबाद नगर कटनी जिले में है।
- इसका पुराना नाम मुड़वारा है।
- बिलहारी को पुष्पावती नगरी कहा जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो वहाँ कलचुरी काल की पुरासंपदा महल, बावड़ी, विष्णुवाराह, तामसी मठ सहित कामकंदला जैसे अनेक स्थल आज भी मौजूद हैं।
- कटनी वर्ष 1998 में स्वतंत्र जिला बना। जिले में चूना-पत्थर, डोलोमाइट, बाक्साइट मार्बल, फायरक्ले एवं लेटराइट के भंडार पाये जाते हैं। कटनी का चूना उद्योग न केवल प्रदेश बल्कि सारे देश में पहचाना जाता है।
- कटनी औद्योगिक दृष्टि से प्रदेश का विकसित जिला है। एसोसिएशन सीमेन्ट कैम्प कैमोर, एररनिट एम्बेटेड लिमिटेड कैमोर, एसीसी मेहगाँव, एसीसी पॉवर प्लांट कैमोर, एसीसी रिफरेक्टरी कटनी, ऑर्डिनेंस फैक्टरी कटनी, डाबर इण्डिया लिमिटेड, वर्न स्टैण्डर्ड कंपनी, निवार में ओजस्वी मार्बल इत्यादि ने जिले को औद्योगिक पहचान दी है। जिले के बहोरीबंद विकास खण्ड में अशोक के समय (332 ईसा पूर्व) का प्राचीनतम शिलालेख है।
सिवनी जिला
- इसे म.प्र. का लखनऊ कहा जाता है। यहां भैरोथान का मेला लगता है। यहां से एन.एच. 7 गुजरता है।
- भीमगढ़ बॉध यहीं पर हैं
- कालीमूँछ का चावल एवं मावा वाटी के लिए लखनादौन प्रसिद्ध है।
- पेंच राष्ट्रीय उद्यान में मोगली लैण्ड बनाया गया है।
बालाघाट जिला
- धान उत्पादक जिला है।
- नक्सलाइड प्रभावित जिला है।
- मैगनीज का उत्पादन होता है।
- मलाजखण्ड तहसील से तांबा निकलता है।
- यहाँ बैगा जनजाति पाई जाती है।
- एशिया की सबसे बड़ी भूमिगत मैंगनीज खान भरवेली खान यहाँ पर है।
- बाँस सर्वाधिक पाया जाता है।
- वन महाविद्यालय है।
- यह प्रदेश का सर्वाधिक लिंगानपुपात जिला है।
- बालाघाट को मैगनीज नगरी कहा जाता है।
- गांगुल पारा प्रपात इसी जिले में है।
मंडला जिला
- कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान यहां पर है।
- मोतीमहल , बघेलिन का महल है।
- बैगा चाक क्षेत्र यहीं पर है।
- नरसिंहपुर जिला
- बरमान का मेला यहां पर लगता हैं
- सोयाबीन उत्पादक जिला है।
- नरसिंहपुर का किला बरमानघाट व डमरू घाटी दर्शनीय है।
- जिले में जल स्त्रोतों के तौर पर नर्मदा एवं उसकी सहायक नदियाँ शेर, सीतारेवा, शक्कर ऊमर एवं दुधी हैं।
छिंदवाड़ा जिला
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला है। (11815 वर्ग किमी.)
- पाताल कोट की भारिया जनजाति यहीं पाई जाती है।
- पेंच राष्ट्रीय उद्यान का कुछ भाग भी इसी जिले में है।
- हिन्दुस्तान लीवर लि. का कारखाना यहाँ है।
- पांढूरना में गोटमार प्रथा प्रचलित है।
- आदिवासी कला संग्रहालय छिंदवाड़ा में स्थापित किया गया है।
- कोरकू जनजाति पाई जाती है।
- एग्रो कॉम्पलेक्स छिंदवाड़ा में है।
- पेंच राष्ट्रीय उद्यान में मोगली लैण्ड बनाया जा रहा हैं
- कोयला, तांबा, मैगनीज उत्पादन होता हैं
भिण्ड जिला
- भिंड जिले को बागियों का गढ़ कहा जाता हैं
- म.प्र. का सबसे कम वर्षा वाला स्थान हैं।
- अनुसूचित जनजाति के लोग सबसे कम हैं।
- प्रदेश का दूसरा सूखा बंदरगाह मालनपुर भिण्ड जिले में है।
- सरसों उत्पादित जिला है।
- जमधारा का रेणुका माता मंदिर यहीं पर है।
- औसम वर्षा 55 सेमी होती है।
- पश्चिम-उत्तर एवं पूर्व दिशा से पाँच नदियाँ चंबल, क्वारी, वैसली, सिंध एवं पहुज नदियाँ प्रवाहित होती हैं। जिले में प्रवाहित प्रमुख व उसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित बीहड़ 40,517 हेक्टेयर है।
मुरैना जिला
- मुरैना में सिहोनिया में ककनमठ मंदिर है।
- सरसो उत्पादक जिला है। यहां का गजक प्रसिद्ध है।
- चंबल नदीं के किनारे चंबल घडियाल परियोजना जहां डाल्फिनों का संरक्षण भी किया जा रहा है।
- बटेश्वर में 6-7वीं शताब्दी का मंदिर है।
- बीहड़ की समस्या इस जिले में भी है।
- पदावली व मिलावली ऐतिहासिक स्थल हैं।
- औद्योगिक विकास केन्द्र बानमौर में है।
श्योपुर जिला
- सन् 1998 में मुरैना से पृथक् कर जिला बनाया गया है।
- इसमें श्योपुर, विजयपुर, कराहल तहसीले हैं।
- पालपुर कुनो अभ्यारण में चीतों का संरक्षण किया जा रहा हैं
- चंबल नहर से सिंचित जिला है।
- सरसो उत्पादित जिला हैं
- यह जिला अपनी काष्ठ कला के लिए ख्यात है।
सागर जिला
- यहाँ प्रदेश का सबसे पुराना विश्विद्यालय, सागर विश्वविद्यालय 1946 में स्थापित है।
- जवाहरलाल नेहरू राज्य पुलिस अकादमी है।
- वनस्पति विज्ञान का सबसे बड़ा उद्यान यहां पर है।
- सागर में धमोनी का उर्स लगता है।
- प्रदेश का सबसे बड़ा अभ्यारण नौरादेही अभ्यारण है।
- बीना तहसील के आगासोद में ओमान के सहायोग से रिफाइनरी लगाई जा रही है।
- महार रेजीमेंट का मुख्यालय सागर है।
- फोरंेसिक साइंस प्रयोगशाला सागर में है।
- ऐरण (सागर) में सती प्रथा का अभिलेख मिलता है।
- राहतगढ़ का किला दर्शनीय है।
- सघन और पर्वतीय गुफाओं तथा सोनार, धसान, बीना, बेतवा आदि नदियों से सिंचित यह भू-भाग प्रौद्योतिहासिक कालीन मानव की क्रीड़ा स्थली रहा है।
- इस जिले का भू-भाग रामायण व महाभारत काल में विदिशा और दशार्ण जनपदों में सन्निहित था।
- ईसा पूर्व छठी शती में यह चेदि जनपद का भाग बना। सम्राट समुद्रगुप्त के समय में ऐरण, जिसे अभिलेखों में स्वभोग नगर कहा जाता है, राजकीय तथा सैनिक गतिविधियों के साथ ही वास्तुकला का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा।
- 13वीं-14वीं शती में यह क्षेत्र मुगलों के अधीन रहा। बाद में धामोनी, गढ़ाकोटा और खिमलासा में मुगल सेना को परास्त कर महाराज छत्रसाल ने अपना राज्य स्थापित किया।
- सन्1818 के पश्चात् यह क्षेत्र ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन था। 1861 में प्रशासनिक व्यवस्था के लिए इस क्षेत्र को नागपुर से मिला लिया गया तथा यह व्यवस्था सन् 1956 तक नए मध्य प्रदेश राज्य के पुनर्गठन तक बनी रही।
छतरपुर
- चंदेल शासकों की राजधानी होने के कारण छतरपुर को जेजाक भुक्ति कहा जाता था।
- मध्य प्रदेश के प्रथम यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर में शामिल खजुराहो मंदिर छतरपुर जिले में है।
- आदिवासी कला संग्रहालय खजुराहों में है।
- खजुराहो नृत्य समारोह प्रतिवर्ष यहां आयोजित होता है।
- जटकारा में पुरातात्विक स्थल है।
- पर्यटन में खजुराहो, धुबेला संग्रहालय, पांडव प्रपात, रंगभ झील बेनीसागर बांध हैं
- हीरे के भंडार ज्ञात हैं।
- केन-बेतवा संपर्क के तहत दोधन बांध निर्माणाधीन है।
- छतरपुर जिले की अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति है। जिले के पूर्व और पश्चिम में केन और धसान नदियाँ प्रवाहित हैं।
- यमुना नदी के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित इस जिले में इन दो प्रमुख नदियों के अलावा उर्मिल, कुटनी, बारना, श्यामरी और केन भी अपनी जलधारा प्रवाहित करती हैं।
- खजुराहों के मंदिरो को 9वीं सदी से लेकर 11वीं सदी तक धंग, गंड व विद्याधर जैसे चंदेल राजाओं ने प्राचीन भारतीय शिल्पकला से सँवारा।
- लक्ष्मण मंदिर, चौंसठ योगिनी मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर तथा कंदरिया महादेव मंदिर सहित सभी मंदिर इस प्राचीन गाथा के वाचक हैं।
टीकमगढ़ जिला
- मध्यप्रदेश की प्रथम महिला मुख्यमंत्री इसी जिले से हैं।
- हरदौल की मनौती यहीं मांगी जाती हैं
निवाड़ी जिला
दमोह जिला
- प्रदेश में सर्वाधिक बाल श्रमिक हैं।
- पीतल के सामान हेतु प्रसिद्ध हैं
- कुण्डलपुर में जैनियों का तीर्थस्थ्ल हैं
- दमोह जिले के बांदकपुर में शिव मंदिर प्रसिद्ध है।
- डायमंड सीमेंट का कारखाना हैं
- बातीगढ़ का किला पर्शियन वास्तुकला का सर्वोत्तम उदाहरण है।
- चंदेलों की राजधानी नोहटा यहीं है।
पन्ना जिला
- जून 2009 से एनएमडीसी ने हीरा खनन पुनः शुरू किया है।
- पन्ना जिले की अजयगढ़ तहसील क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश की सबसे बड़ी तहसील है।
- अजयगढ़ की किला प्रसिद्ध है।
- पन्ना में ट्री हाउस व पांडव प्रपात है।
- पुरैना में सीमेंट औद्योगिक केन्द्र है।
- यह महामति श्री प्राणनाथ जी के दर्शनीय मंदिर तथा प्रमामी सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थ के लिए विख्यात है। पन्ना जिला ऐतिहासिक धरोहर एवं सुरम्य प्राकृतिक स्थलों से समृद्ध है।
- यहाँ अजयगढ़ का किला, नांदचांद मंदिर, किशोरजी मंदिर, बलदाऊजी मंदिर, राम जानकी मंदिर जैसी ऐतिहासिक धरोहर हैं। केन, व्योरमा, मिढासन, पतने एवं गल्को नदियाँ जिले के मध्य क्षेत्र में बहती हैं।
- केन नदी जिले के दक्षिण भाग से संपूर्ण जिले को पार कर बहती हुई उत्तरप्रदेश में प्रवेश करती है। इस नदी में पन्ना, छतरपुर पर बरियापुर, गंगऊ सिंचाई बाँध उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा निर्मित कराए नए हैं।
- पाण्डव जल-प्रपात एवं गुफाएँ - जिला मुख्यालय से लगभग 15 किमी. दूर पन्ना-छतरपुर मार्ग पर स्थित है। इस स्थान में महाभारत काल में वनवास के समय पाण्डवों ने कुछ समय बिताया था इसलिए इसका नाम पांडव जल-प्रपात हो गया। यहाँ पर गुफाएँ हैं जो वर्तमान में खंडहर में परिवर्तित हो गई हैं। सन् 1930 में विख्यात क्रांतिकारी श्री चन्द्रशेखर आजाद ने गुप्त रूप से इस स्थान पर कुछ समय बिताया था।
- अजयगढ़ किला - पन्ना मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर।
- विष्णु वराह मंदिर (पुराना)- पन्ना नगर से लगभग 110 किलोमीटर दूर।
- राष्ट्रीय उद्यान- पन्ना मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर दूर है।
- पन्ना जिला में मझगंवा की हीरा खदानें - यहाँ केन्द्र सरकार के उपक्रम द्वारा हीरा उत्खनन का कार्य किया जाता है।
होशंगाबाद जिला
- स्टील संयत्र डोलरिया में प्रस्तावित है।
- नव-पाषाणकालीन स्थल आदमगढ़ में है।
- सिविल न्यायल ऑनलाइन करने वाला पहला जिला है।
- नर्मदा नदी के तट पर स्थित जिसे होशंगशाल ने बसाया था।
- मध्यप्रदेश की सबसे ऊँची चोटी धूपगढ़ इसी जिले में पचमढ़ी में है।
- प्रदेश में सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान पचमढ़ी है।
- आर्मी एजुकेशन कोर पचमढ़ी में है।
- सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में बाघ संरक्षण परियोजना प्रारंभ की गई हैं
- म.प्र. का एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी में है।
- म.प्र. का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन इटारसी इसी जिले में है।
- इटारसी में आयुध डिपो है।
- सिक्योरिटी पेपर मिल होशंगाबाद जिले में हैं
- म.प्र. का सबसे बड़ा कृषि फार्म बाबई में है।
- बाबई माखनलाल चतुर्वेदी की जन्म स्थली है।
- सबसे लंबा नदी पुल(सड़क) तवा नदी पर है।
- पचमढ़ी, सतपुड़ा, राष्ट्रीय उद्यान, तवा जलाशय, सेठानी घाट, सन सेट प्वाइंट, पांडव गुफाएँ आदि पर्यटन स्थल हैं।
हरदा जिला
- हरदा, खिरकिया, टिमरानी तहसील को मिलाकर 1998 में जिला बनाया गया था
- हण्डिया ऐतिहासिक स्थल हैं
- कान्हा बाबा का मेला सोडलपुर में लगता है।
- सर्वाधिक औसत जोत वाला जिला है।
बैतूल जिला
- कोरकू जनजाति में सडोली प्रथा व चटकोटा नृत्य प्रसिद्ध है।
- मुक्तागिरी जैन तीर्थ स्थल है, यहाँ जैन धर्म के 56 मंदिर हैं।
- सारणी ताप विद्युत केन्द्र बैतूल में है।
- आमला में वायु सेना की सैनिक छावनी है।
- ताप्ती नदी का उद्गम स्थल मुल्ताई में है।
- कालीभीत अभ्यारण में भालुओं का संरक्षण किया जा रहा हैं
- कोरकू जनजाति पाई जाती है।
- ग्रेफाइट खनिज पाया जाता हैं
- सेमवर्मा द्वारा बालाजी का मंदिर बनवाया गया है।
ग्वालियर जिला
- राजा मानसिंह तोमर संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना 2008 में की गई।
- प्रदेश का सबसे बड़ा व्यापारिक मेला लगता हैं
- एन.सी.सी. का महिला प्रशिक्षण कॉलेज है।
- भांडेर में गैस आधारित प्रथम विद्युत संयत्र है।
- म.प्र. का राजस्व मुख्यालय ग्वालियर में है।
- महालेखाकार का कार्यालय यहीं पर है।
- केन्द्रीय आरक्षित पुलिस बल सी.आर.पी.एफ. का प्रशिक्षण केन्द्र है।
- घाटीगांव अभ्यारण है। इसमें सोन चिडि़या का संरक्षण किया जाता है।
- ग्वालियर में सूचना तकनीकी विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है।
- महारानी लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय, जिसे समकक्ष विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है।
- संगीत सम्राट तानसेन का मकबरा है। यहीं पर तानसेन समारोह का आयोजन होता है।
- सरोद घर के नाम से स्थापित संग्रहालय यहीं पर है।
- ग्वालियर का किला किलों का रत्न या जिब्राल्टर कहलाता है।
- ग्वालियर के किलों का निर्माता सूरज सेन हैं
- छतरी बाग, ग्वालियर का किला, मान मंदिर, बाड़ा, मोतीमहल, जयविलास महल, रूपसिंह स्टेडियम, गौस मुहम्मद का मकबरा, लक्ष्मीबाई की समाधि, गुर्जरी महल, तानसेन का मकबरा, गोपाचल की दिगम्बर जैन मूर्तियां दर्शनीय हैं।
- तेली का मंदिर द्रविड़ शैली में निर्मित हैं
शिवपुरी
- तात्या टोपे की समाधि हैं
- शिवपुरी को म.प्र. का पहला पर्यटन शहर घोषित किया गया है।
- माधव राष्ट्रीय उद्यान में जार्ज कैसल का भवन है।
- करैरा अभ्यारण है। सोन चिडि़या का संरक्षण किया जाता है।
- पीर बुधान का मेला लगता है।
- शिवपुरी जिला कभी सिपरी के नाम से जाना जाता था।
- प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे को 1851 में अंग्रेजों द्वारा फाँसी पर यहीं लटकाया गया था।
- शिवपुरी का माधव राष्ट्रीय उद्यान, नरवर का किला, टाइगर सफारी, माधव विलास महल और बोट क्लब महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं।
गुना जिला
- भू-उपग्रह दूरसंचार अन्वेषण केन्द्र है।
- हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइप लाइन यहां से निकलती है।
- नेशनल-फर्टीलाइजर्स विजयपरु यहीं पर है।
- यहाँ पर तेजाजी का मेला लगता है।
- जिले को मालवा और चंबल का प्रवेश द्वार कहा जाता है। प्राचीन में गुना अवंती साम्राज्य का हिस्सा था। 15 अगस्त, 2003 को गुना जिले को विभाजित कर अशोक नगर निर्माण कर दिया गया।
अशोक नगर जिला
- 15 अगस्त 2003 को गुना से अलग करके बनाया गया था।
- चंदेरी में बैजू बावरा की समाधि है।
- अशोकनगर, ईसागढ़, चंदेरी वे मुंगावली तहसीलें इस जिले में हैं।
- मुंगावली में खुली जेल हैं
- आनंदपुर आश्रम (सिख समुदाय) यहीं पर हैं
- चंदेरी का किला देखने योग्य है।
- चंदेरी साडि़यों के लिए प्रसिद्ध है।
दतिया जिला
- प्रदेश का सर्वाधिक सिंचित जिला है।
- गुर्जरा अशोक के अभिलेख प्राप्त हुए हैं। जहाँ अशोक का नाम अशोक मिलता है।
- यहां पीताम्बरा पीठ हैं
- इसका नाम दिलीप नगर था।
- जैन तीर्थस्थल सोनगिरी यहीं है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा जिला है।
- यहां के किले में लिखा है कि न्याय मुकुट का हीरा है।
- कुदउ सिंह संगीत महाविद्यालय दतिया में हैं
उज्जैन जिला
- 600 ई.पू. में भारत के 16 महाजनपदों में शामिल अवंत की राजधानी उज्जयिनी थी।
- कुल जनसंख्या की दृष्टि से सर्वाधिक अनुसूचित जातियां इसी जिले में है।
- उज्जैन को मंदिर मूर्तियों का नगर कहा जाता है।
- उज्जैन का प्राचीन नाम आवंतिका है।
- प्रत्येक 12 वर्ष के पश्चात उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर सिंहस्थ का मेला लगता है।
- इस नगर का राजा विक्रमादित्य ने अपनी राजधानी बनाया था।
- उज्जैन को महाकाल की नगरी भी कहते हैं।
- नागदा में कृत्रिम रेशा बनाने का कारखाना है।
- यहाँ एशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन संयत्र स्थापित है।
- कायथा और नागदा पुरातात्वि स्थल यहीं पर हैं।
- कॉटर सीड्स सालवेण्ट प्लाण्ट है।
- भृर्तहरि क गुफाएँ, महाकाल मंदिर, संदीपनी आश्रम, बड़े गणेश मंदिर, काल भैरव मंदिर, कालियादेह महल, जंतर-मंतर मंदिर, चंपा की बावड़ी, हर सिद्धि मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, वेश्य टेकरी स्तूप आदि दर्शनीय स्थल हैं।
नीमच जिला
- 1857 का स्वतंत्रता संग्राम मध्यप्रदेश में 3 जून को नीमच से प्रारंभ हुआ।
- नीमच, जावद, मनासा, तहसीलों को मिलाकर 1998 में जिला बनाया गया।
- अफीम उत्पादक जिला हैं
- केन्द्रीय आरक्षित पुलिस बल सीआरपीएफ का ट्रेनिंग सेंटर है।
- एल्केलाइड फैक्ट्री है।
- शहाबुद्दीन औलिया का उर्स लगता हैं
- झांतला ग्राम में पहला ग्राम न्यायालय स्थापित किया गया था।
- यह भारत भर में सी.आर.पी.एफ. एवं अफीम फैक्ट्री के लिए प्रख्यात है। सीमेंट उत्पादन व इमारती पत्थर के उत्पादन की दिशा में भी इसकी अपनी पहचान है।
मंदसौर
- यशोवर्मन का मंदसौर अभिलेख प्रसिद्ध है।
- मंदसौर का प्राचीन नाम दशपुर है।
- पशुपति नाथ का मदिर है।
- स्लेट पेंसिल बनाने का कारखाना है।
- यह शहर शिवना नदी के किनारे है।
- इन्द्रगढ़ में पुरातात्विक स्थल है।
- भानपुरा तहसली के सुनेलटप्पा गांव को राजस्थान को दे दिया गया था।
- गांधी सागर बांध चंबल नदी पर है।
- गांधी सागर अभ्यारण है।
- दशपुर (मंदसौर) मालवा का सिंहद्वार तथा राजस्थान का सीमांत प्रहरी कहलाता है। मंदसौर क्षेत्र में अरावली तथा विन्ध्य की पर्वत श्रृखंलाएं क्रमशः उत्तर-पश्चिम तथा दक्षिण-पूर्व में फैली है। चंबल और शिवना दो प्रमुख नदियाँ बहती हैं। भानपुर क्षेत्र में हिंगलाजगढ़ एवं गाँधी सागर अभ्यारण्य क्षेत्र में वन्य अभ्यारण्य है।
देवास जिला
- आई.एस.ओ. प्रमाणन पाने वाला पहला थाना देवास है।
- नोट छापने का कारखाना है।
- मांगलिया में गैस बाटलिंग प्लाण्ट है।
- आयसर की फैक्ट्री एवं चमड़ा संयत्र है।
- एस.कुमार शूटिंग एवं सटिंग है।
- टाटा का असेम्बली सेंटर है।
- चामुण्डा देवी का मंदिर है।
- जामगोदरानी में पवन ऊर्जा संयत्र है।
- यह जिला चित्रकला में मालवा तथा राष्ट्रीय धारा का महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है।
- संगीत सम्राट स्वर्गीय पंडित कुमार गंधर्व इसके राष्ट्रीय गौरव हैं।
- ब्रिटिश काल में देवास में प्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यासकर ई.एम. फास्टर का निवास सागर महल में था। उन्होंने विश्व प्रसिद्ध रचनाएं ‘ए पेसेज टू इंडिया‘ ‘हिल ऑफ गॉडेस‘ लिखीं।
- नागदा में पुरातत्वीय अवशेष, सतवास में शेरशाह सूरी कालीन मस्जिद, फतेहगढ़ का किला, नेमावर में नर्मदा के तट पर स्थित सिद्धेश्वर महादेव का मंदिर विशेष महत्व रखते हैं।
- जिले की बागली में बरझारी ग्राम से निकलने वाली कालीसिंध नदी जिसे ग्रेटर काली सिंध भी कहा जाता है। शिप्रा नदी देवास जिले की पश्चिमी सीमा का निर्माण करती है।
रतलाम जिला
- रतलाम जिले को सेव नगरी कहा जाता है।
- सैलाना फ्लोरिकन अभ्यारण है।
- सेलखेड़ी उद्योग है।
- जावरा में शुगर मिल है।
- सैलाना फ्लोरिकन अभ्यारण में खरमौर का संरक्षण किया जाता है।
शाजापुर
- मोमन बड़ोदिया में मेला लगता है।
- मुल्ला शमशुद्दीन का मकबरा है।
- मक्सी में डाबर का संयंत्र है।
इंदौर जिला
- म.प्र. की औद्योगिक राजधानी है।
- म.प्र. वित्त निगम एवं म.प्र. शेयर मार्केट यहीं पर है।
- पुलिस शस्त्र प्रशिक्षण केन्द्र है।
- प्रदेश की मौसम वेधशाला यहीं पर है।
- म.प्र. लोकसेवा आयोग का कार्यालय है।
- चंबल नदी का उद्गम महू एवं क्षिप्रा नदी का उद्गम काकरीबाड़ी से होता है।
- डॉ. अंबेडकर सोश इंस्टीट्यूट महू में है।
- इंदौर एयरपोर्ट (देवी अहिल्याबाई हवाई अड्डा) को अंतर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया है।
- जेम्स एवं ज्वैलरी पार्क स्थापित है।
- इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पलेक्स है।
- देवी अहिल्या विश्वविद्यालय यहीं पर है।
- इस शहर की नींव सत्रहवीं शताब्दी के प्रारंभ में खान और सरस्वती नदी के किनारे पर रखी गई थी।
- अहित्याबाई होल्कर का यशस्वी नाम भी इंदौर के इतिहास के साथ जुड़ा है। इंदौर के अलावा महेश्वर के निर्माण कार्य भी उनके नाम जुड़े हैं।
- इंदौर का नाम सांस्कृतिक कला और खेल जगत की कई विख्यात हस्तियों के साथ जुड़ा है। सी.के. नायडू, मुश्ताक अली जैसे क्रिकेट के दिग्गज इंदौर से संबंधित थे। तो वहीं एम.एफ. हुसैन और एन.के.बेन्द्र जैसे विख्यात चित्रकारों ने अपना काफी समय इंदौर में कला गुरू विष्णु देवलालीकर के सानिध्य में गुजारा।
खंडवा जिला
- किशोर कुमार की समाधि व माखनलाल चतुर्वेदी तथा सुभद्राकुमारी चौहान की कर्मस्थली है।
- गांजा उत्पादक जिला है।
- हरसूद जो इंदिरा गांधी सागर परियोजना के डूब क्षेत्र में आ गया था। पुनासा ग्रमा में इंदिरा सागर परियोजना स्थापित है।
- सिंगाजी की समाधि यहीं पर है।
- ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग यहीं पर है।
- छनेरा ग्राम (नया हरसूद) इसी जिले में है।
- खण्डवा जिला (पूर्वी निमाड़)- प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। 15 अगस्त, 2003 को खण्डवा को विभाजित कर बुरहानपुर नामक अलग जिला बनाया गया। यह जिला नर्मदा और ताप्ती नदियों के बीच स्थित है।
- पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ने पूर्वी निमाड़ जिले को अपने कर्मस्थली बनाकर स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जनजागृति में योगदान किया दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कर्मवीर नामक साप्ताहिक समाचार-पत्र का भी प्रकाशन यहीं से किया। जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से एक और पद्मभूषण पंडित भगवंतराम मण्डलाई ने स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग दिया वे मशहूर सिने अभिनेता अशोक कुमार एवं पार्श्व गायक एवं अभिनेता किशोर कुमार भी जिले के थे।
बड़वानी जिला
- 72 फीट ऊँची आदिनाथ जी की जैन मूर्ति यहीं पर हैं
- चावल अनुसंधान केन्द्र बड़वानी में है।
- 1998 में जिला बना।
- इसमें बड़वानी, ठीकरी, राजपुर, पानसेमल, सेंधवा, निवाली तहसीलें आती हैं।
बुरहानुपर
- बुरहानपुर जिले में- बुरहानपुर, खकनार एवं नेपानगर तहसीलें आती हैं।
- नेपानगर में नेशनल न्यूजप्रिंट कारखाना व चांदनी ताप विद्युत केन्द्र है।
- प्रदेश का पहला यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय है।
- असीरगढ़ का किला यहीं पर है जिसे अकबर ने 1601 में जीता था।
- इस जिले में अनेक ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों के साथ-साथ अनूठी मुगलकालीन प्राचीन भूमिगत जल वितरण प्रणाली (साइफन) खूनी भण्डरा आदि स्थित हैं। जामा मस्जिद, आहूखाना, बीवी का मकबरा, राजा की छतरी और असीरगढ़ किला आदि प्रमुख हैं।
धार जिला
- ज्ञानदूत परियोजना की शुरूआत यहीं से हुई थी।
- यह परमार वंश की राजधानी हैं
- सरदारपुर अभ्यारण, में खरमौरों का संरक्षण किया जाता है।
- मांडू को सिटी ऑफ ज्वाय कहा जाता है।
- पीथमपुर का म.प्र. का डेट्राइट कहा जाता है।
- राजा भोज निर्मित भोजशाला (सरस्वती का मंदिर) यहीं पर है।
- पीथमपुर में निर्यात संवर्धन पार्क है।
- धार का किला, मांडू का महल, हुशंगशाह का मकबरा, एवं बाघ की गुफाएं दर्शनीय हैं।
- डायनासोर जीवाश्म पार्क यहीं पर है।
- फाल्के स्टूडियों धार जिले में ही स्थित है।
खरगौन (पश्चिमी निमाड़) जिला
- महेश्वर, मंडलेश्वर ऐतिहासिक स्थल हैं व कसरावद स्तूप प्रसिद्ध है।
- अहिल्या बाई होल्कर की राजधानी महेश्वर थी।
- नर्मदा नदी पर सबसे बड़ा घाट महेश्वर में है।
- रंगीन कपास का उत्पादन होता हैं
- सिंगाजी का मेला लगता है।
- केन्द्रीय औद्योगिकी सुरक्षा बल सीआईएसएफ का प्रशिक्षण केन्द खरगौन के बड़वाह में स्थित है।
झाबुआ जिला
- अनुसूचित जनजाति बाहुल्य जिला हैं
- भील जनजाति पाई जाती है।
- मेघनगर औद्योगिक केन्द्र है।
- आदिवासी शोध संचार केन्द्र है।
- भगोरिया हाट का मेला लगता हैं
- सबसे कम साक्षरता वाला जिला है।
अलीराजपुर जिला
- 17 मई 2008 को झाबुआ जिले से अलग कर अलीराजपुर जिला बनाया गया है।
- अलीराजपुर, जोबट और भाबरा तहसीले हैं।
- सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति आबादी वाला जिला है, आदिवासी खेल विद्यालय हैं
भोपाल जिला
- राजा भोज द्वारा बसाया गया भोजपाल वर्तमान भोपाल है।
- 26 जनवरी 1972 को जिला बनाया गया पहले यह सीहोर की तहसील थी।
- प्रदेश का सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व भोपाल में है।
- इसरों का उपग्रह नियंत्रण केन्द्र यहीं पर है।
- नवास हसन सिद्दकी का मकबरा यहीं पर है।
- सबसे बड़ी मस्जिद ताजुल एवं सबसे छोटी मस्जिद ढाई सीढ़ी की मस्जिद यहीं पर है।
- भारत भवन, इंदिरा गांधी विधान सभा भवन, पर्यावास भवन भोपाल में है जिनके वास्तुकार चार्ल्स कोरिया हैं।
- गांधी मेंडिकल कॉलेज भोपाल में है।
- राज्य का भोपाल जिला प्रशासनिक तौर पर 2 तहसीलों हुजूर और बैरसिया में विभक्त हैं। भोपाल जिले की 2001 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 18 लाख 43 हजार 510 है। 11वीं शताब्दी में राजा भोज ने इस शहर को बसाया था। 1 मई, 1949 को भोपाल रियासत का भारत में विलय हो गया।
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सीहोर जिला
- यहां पर सलकनपुर का मेला लगता है।
- आष्ट तहसील से पार्वती नदी निकलती है।
- पान गुडारिया बुधनी से अशोक के अभिलेख प्राप्त हुए हैं।
- बुधनी मंे रेलवे स्लीपर बनाये जाते हैं।
- भोपाल शुगर मिल्स सीहोर में है।
- देश का पहला आवासीय खेल विद्यालय स्थापित किया गया है।
- कोलार नदी का उद्गम व कोलार जलाशय परियोजना है।
- ट्रैक्टर प्रशिक्षण केन्द्र बुधनी में है।
- ऐतिहासिक एवं कृषि प्रधान जिला है। 1972 से पूर्व राजधानी भोपाल, इसी जिले के अंतर्गत आती थी। सीहोर अंग्रेजों का छावनी रहा है। प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख सिद्धपुर के रूप में मिलताहै।
विदिशा जिला
- विदिशा का प्राचीन नाम भिलसा, (भेलसा), महामलिस्तान या बेसनगर था।
- उदयगिरी की गुफाएँ गुप्तकालीन हैं। यहां वरीसेन साव का अभिलेख है।
- भागवत धर्म से संबंधित हेलियोडोरस का गरूड़ स्तंभ बेसनगर में है।
- राजस्थान से प्राप्त सिरांेज तहसील यहीं सम्मिलत है।
- सम्राट अशोक सागर परियोजना हलालीडेम यहीं पर है।
- चना उत्पादक जिला है।
- सम्राट अशोक की पत्नी महादेवी यहीं की थी।
- उदयपुर का नीलकंठेश्वर मंदिर (बासौदा) परमार वंश कालीन है।
- ग्यारसपुर का मालादेवी मंदिर उदयगिरी की बारह आवतार की प्रतिमा ख्यात है।
- जैन तीर्थंकर शीतनाथ की जन्म स्थली विदिशा में है।
रायसेन जिला
- प्रदेश का तितली पार्क यहां पर स्थित है।
- मृगेन्द्रनाथ गुफा पाटनी प्रागैतिहासिक कालीन है।
- बनगंवा में प्रागैतिहासिक शैल चित्र है।
- मंडीदीप औद्योगिक केन्द्र है।
- सांची में बौद्ध स्तूप है। सांची बौद्ध जगत की पवित्र नगरी कहा जाता है।
- विश्व का सबसे बड़ा शैलाश्रय समूूह भीमबेटका अबदुल्लागंज में है। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित किया जा चुका है। भीमबेट से आदि मानव के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग भोजपुर में है।
- रायसने जिले के कुचवाड़ा ग्राम में आचार्य रजनीश (ओशो) का जन्म हुआ।
- रायसेन का किला, रातापानी अभ्यारण, फरीदउल्ला की दरगाह यहां पर है।
- हिन्दुस्तान इलेक्ट्रो ग्रेफाइट, ग्रेफाइट की एशिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री है।
राजगढ़ जिला
- ब्यावरा में राष्ट्रीय राजमार्गों का चौराहा है।
- नरसिंगढ़ अभ्यारण है, नरसिंहगढ़ का किला एवं गिन्नौरगढ़ किले के तोते प्रसिद्ध हैं।
- राजगढ़ देश का पहला ऐसा जिला है, जिसने पृथक से मानव विकास प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है।
नर्मदापुरम संभाग Narmadapuram Sambhag
- नर्मदापुरम संभाग का नामकरण 27 अगस्त, 2008 को किया गया। इसके तहत होशंगाबाद, हरदा और बैतूल जिले आते हैं।
- होशंगाबाद शहर की स्थापना माण्डू (मालवा) के द्वितीय राजा सुल्तान हुशंगशाह गौरी द्वारा पन्द्रहवीं शताब्दी के आरंभ की गई थी।
- जिले का लगभग 44 प्रतिशत भू-भाग वनाच्छादित है। विकास खण्ड टिमरनी, खिरिकिया तथा हरदा में सागौन एवं बाँस के बहुमूल्य वन हैं। वन ग्रामों में मुख्य रूप से कोरकू एवं गौंड जनजाति के लोग निवास करते हैं।
- जिले में कृषि जोत का औसत आकार 5.4 है।
- जिले में नर्मदा नदी के नाभि कुण्ड, हंडिया में तेली की सराय, जोगा का किला, बीवर की गुफाएँ, गंगेसरी मठ, गुप्तेश्वर महादेव, चारूवा मंदिर एवं मकड़ाई का किला जैस पुरातात्विक महत्व के स्थान हैं। ताप्ती, माचना, पूर्णा और बेल नदी का उद्गम है।
- ताप्ती नदी देश की पवित्र नदियों में एक है। जैन तीर्थ मुक्तागिरि, ताप्तीकुण्ड, भैंसदेही का शिव मंदिर, सलाजपुर के गुरू साहब की सामधि। खेड़ला, भंवरगढ़, सांवलीगढ़ आदि किले अपने-अपने ऐतिहासिकता का बखान करते हैं।
- बैतूल जिले में सतपुड़ा की सबसे ऊँची चोटी खामला है। इसे कुकरू खामला के नाम से भी जाना जाता है। कुकरू कॉफी उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है।
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