भारत में आचरण संहिता | आचरण संहिता के प्रमुख नियम | Aachran Sanhita Ke Niyam

भारत में आचरण संहिता | आचरण संहिता के प्रमुख नियम 

भारत में आचरण संहिता | आचरण संहिता के प्रमुख नियम  | Aachran Sanhita Ke Niyam



भारत में आचरण संहिता

 

  • आचरण संहिता के संदर्भ में भारतीय परिस्थितियों में 1930 में संकुचित परिप्रेक्ष्य में ब्रिटिश शासन के द्वारा प्रयास किया गया है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पूरी दुनिया में जब कल्याणकारी राज्य की संकल्पना को अपनाया गया एवं नौकरशाही के द्वारा 'नागरिकों को वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करने में नौकरशाही के द्वारा बड़ी भूमिकाओं को अदा किया जाने लगा। शिक्षास्वास्थ्यपरिवहन आदि। विषयवस्तु पर प्रशासन द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करने की वजह से भ्रष्टाचार में वृद्धि देखने को मिलती है। 50 के दशक में पूरी दुनिया में आचरण संहिता को अपनाने के प्रयास किए गए।


  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 309 के अन्तर्गत राष्ट्रपति को लोक सेवकों के लिए आवश्यक नियम बनाने का अधिकार प्राप्त है। लोक सेवकों में सच्चरित्रता और प्रशासकीय नैतिकता को सुनिश्चित करने के लिए अखिल भारतीय सेवाओं (I.A.S., I.P.S. व I.F.S.) के लिए आचरण नियम, 1954 में बनाए गए। 


  • अन्य केन्द्रीय सेवाओं के लिए 1955 में तथा रेलवे सेवाओं के लिए 1956 में आचरण का नियम बनाया गया है परंतु 1962 में गठित के. संथानम समिति (भ्रष्टाचार निवारण पर) के अनुसार देश में युवकों में देशभक्ति और नैतिक उत्साह में कमी आयी नैतिक उत्साह में कमी एकमात्र ऐसा घटक है। जिससे लोकसेवाओं में सत्यनिष्ठा का विकास नहीं हो पा रहा है। इस वजह से इस समिति में यह सुझाव दिया किलोक सेवा में आचरण के नियमों को और कठोर बनाया जाए। 


  • संथानम समिति (भ्रष्टाचार निवारण पर) समिति के सुझाव पर 1964 में केन्द्रीय स्तर पर उपर्युक्त सभी नियमों का अवलोकन करते हुए एक समग्र व बहुआयामी आचरण नियम को अपनाया गया जिसमें अधिकारियों को क्या करना है एवं क्या नहीं करना हैइसे स्पष्टतापूर्वक परिभाषित किया गया। इसमें सामान्यतः रिश्वत न लेनेमहंगे उपहार न लेनेचंदा न देने आदि पहलुओं को शामिल किया गया है .


भारतीय लोक सेवकों से संबंधित आचरण संहिता के प्रमुख नियम 

 

1. पूर्ण निष्ठा से कर्त्तव्य पालन

  • आचरण संहिता नियमों के अनुसार प्रत्येक लोक सेवक को अपने कर्तव्यों का पालन पूर्ण निष्ठासच्चरित्रता और ईमानदारी से करना चाहिए।

 

2. राजनीतिक तटस्थता और निष्पक्षता

भारत में लोक सेवकों को राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेनेचंदा देनेकिसी भी दल की सदस्यता ग्रहण करने तथा किसी भी दल का प्रचार-प्रसार करने संबंधी कार्यों पर प्रतिबंध है। अतः लोक सेवकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने कार्यकरण में राजनीतिक और सामाजिक रूप से तटस्थता और निष्पक्षता का परिचय दें।

 

सार्वजनिक आलोचनाओं पर प्रतिबंध

  • आचरण संहिता नियमों के अनुसार लोक सेवक सरकारी कार्यक्रमों और नीतियों की सार्वजनिक रूप से आलोचना नहीं कर सकते। उन्हें प्रेस या मीडिया को केवल औपचारिक वयक्तव्य देने का अधिकार है। 

 

4. चंदा देने पर प्रतिबंध

  • लोक सेवक किसी भी राजनीतिक दल को किसी भी प्रकार का चंदा नहीं दे सकतेना ही वे किसी भी राजनीतिक दल के प्रचार-प्रसार हेतु धन व्यय कर सकते हैं।

 

5. उपहार लेने संबंधी नियम

  •  आचार संहिता नियमों के अनुसार कोई भी लोक सेवक विवाहोत्सवजन्म दिवस तथा अन्य कार्यक्रमों में निर्धारित सीमा से अधिक भेंट या उपहार ग्रहण नहीं कर बकता। यदि निर्धारित सीमा से अधिक कोई भेंट या उपहार किसी लोक सेवक द्वारा लिया जाता है तो ऐसे उपहार का विवरण सरकार को तुरंत दिया जाना चाहिए। 

 

6. संपत्ति संबंधी नियम

  • संपत्ति संबंधी नियमों के अन्तर्गत प्रावधान है कि प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को सरकारी सेवा में आने से पूर्व अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण सरकार को देना चाहिए। प्रत्येक वर्ष अर्जित संपत्ति का व्योरा दिया जाना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त निर्धारित सीमा से अधिक संपत्ति का लेन-देन सरकार की पूर्व स्वीकृति से ही किया जा सकता है।

 

7. निजी व्यापार पर निषेध

  • लोक सेवकों को निजी व्यापार करने की मनाही है। कोई भी लोक सेवक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी भी प्रकार का व्यापार नहीं कर सकता। केवल साहित्यिककलात्मक गतिविधियों में अवैतनिक रूप से सरकार की पूर्व स्वीकृति से इस शर्त पर कार्य कर सकता है कि उसकी सरकारी सेवा/दायित्व निर्वहन में कोई बाधा नहीं आयेगी।

 

8. निजी माल या व्यापार को बढ़ावा देने का निषेध

  • कोई भी लोक सेवक निजी कंपनी या संस्थाओं द्वारा आयोजित किसी प्रतियोगिता कार्यक्रम में भाग नहीं ले सकता जिसका मुख्य उद्देश्य उनके माल या व्यापार को बढ़ावा देना है।

 

9. सट्टेबाजी पर निषेध

  • लोक सेवक एवं उसके परिवार के अन्य सदस्य किसी भी प्रकार की सट्टेबाजी नहीं कर सकते।

 

10. निकट संबंधी की नियुक्ति का प्रतिबंध

  • आचरण संहिता नियमों में अनुसार कोई भी लोक सेवक अपने विभाग में अपने परिवार एवं निकट संबंधी को नियुक्त नहीं कर सकता है।

 

11. पंथनिरपेक्ष आचरण

सरकारी कर्मचारी अपने व्यक्तिगत जीवन में किसी भी धर्म का अनुसरण या पालन कर सकता है। लेकिन सार्वजनिक पद पर कार्य करते हुए कोई भी लोक सेवक धार्मिक भावना से ऐसा कोई भी कृत्य नहीं कर सकता जिससे राज्य के पंथनिरपेक्ष स्वरूप को आघात पहुँचे।

 

12. राजनीतिक तटस्थता का निर्वहन। 

13. पूर्ण निष्ठा से कर्तव्य पालन। 

14. राजनीतिक दल की सदस्यता न लेना। 

15. राजनीतिक दलों को चंदा न देना। 

16. सरकार की आलोचना न करना। 

17. सरकार की आलोचना न करना। 

18. राजनीतिक प्रचार से बचना । 

19. निष्पक्ष बने रहकर कर्तव्यों का पालन करना। 

20. सरकार की स्वीकृति के बाद ही दूसरा विवाह करना। 

21. गलत प्रभाव डालने वाले उपहार स्वीकार न करना। 

22. सरकारी स्वीकृति के बिना कोई व्यापार व्यवसाय न करना।

23. संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप व्यवहार करना। 

24. राज्य के प्रति निष्ठा का निर्वाह करना।

 

इस प्रकार आचार संहिता लोकसेवकों को अनुशासन में बनाए रखनेपद का दुरुपयोग रोकनेवैधानिक रूप से उन्हें अपने कर्तव्यों के प्रति जवाबदेह ठहराने और कर्तव्यनिष्ठ बनाए रखने का एक साधन है।


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