अक्टूबर 2022 के चर्चित व्यक्ति एवं प्रमुख जयंती | Person in News October 2022 in Hindi

अक्टूबर 2022 के चर्चित व्यक्ति एवं प्रमुख जयंती  

(Person in News October 2022 in Hindi)

अक्टूबर 2022 के चर्चित व्यक्ति एवं प्रमुख जयंती | Person in News October 2022 in Hindi


अक्टूबर 2022 के चर्चित व्यक्ति एवं प्रमुख जयंती 


ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक

ऋषि सुनक ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री होंगे। उन्हें कंज़र्वेटिव पार्टी का नेता चुन लिया गया है। वह ब्रिटेन के पहले एशियाई मूल के प्रधानमंत्री होंगे। सर ग्राहम ब्रैडी ने इसकी औपचारिक घोषणा कर दी है। ऋषि सुनक ने वर्ष 2015 में 35 वर्ष की उम्र में पहली बार संसद का चुनाव जीता। मात्र सात वर्षों के राजनैतिक कॅरियर में वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। वे भारत के विख्यात उद्योगपति और इंफोसिस कंपनी के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति के दामाद हैं। उन्होंने अक्षता मूर्ति से वर्ष 2009 में शादी की थी। वह बोरिस जॉनसन की कैबिनेट में वित्त मंत्री रहे। वर्ष 2015 से सुनक यॉर्कशर के रिचमंड से कंज़र्वेटिव पार्टी से सांसद चुने गए थे। भारतीय मूल के उनके परिजन पूर्वी अफ्रीका से ब्रिटेन आए थे। वर्ष 1980 में सुनक का जन्म हैंपशर के साउथहैम्टन में हुआ था और उनकी पढ़ाई प्राइवेट स्कूल विंचेस्टर कॉलेज में हुई। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एमबीए की पढ़ाई भी की।


श्री विजय वल्लभ सूरीश्वर जी की 150वीं जयंती

आचार्य विजय वल्‍लभ श्‍वेतांबर धारा के संत थे।.उनका जन्‍म गुजरात के बड़ोदा में संवत 1870 में हुआ मगर वे  अधिकांश समय पंजाब में रहे। वे खादी वस्त्र पहनते थे और आज़ादी के समय हुए खादी स्‍वदेशी आंदोलन से भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे। देश के विभाजन के समय पाकिस्‍तान के गुजरावाला में उनका चर्तुमास था, लेकिन वे सितंबर 1947 में पैदल ही भारत लौट आए, साथ ही उन्होंने अपने अनुयायियों का भी पुर्नवास सुनिश्चित किया। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा की अपनी शिक्षा के साथ दृढ बने रहे। स्वतंत्रता पश्चात वर्ष 1954 में बंबई में उनका देहांत हो गया। उनके अंतिम दर्शन के लिये 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हुई थी।  उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, सौराष्ट्र और महाराष्ट्र आदि प्रांतों में उन्होंने 67 वर्षो के दौरान अनेकों पैदल यात्राएँ कीं। इस दौरान उन्‍होंने आचार्य महावीर जैन विश्‍वविद्यालय समेत अनेक शैक्षणिक संस्‍थानों की स्‍थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उन्‍होंने अनेक ग्रंथों के साथ-साथ छंद कविताओं की भी रचना की। जैन संप्रदाय के उत्‍थान और उसकी शिक्षाओं को फैलाने के अपने कार्यों के लिये उन्‍हें 'युग प्रधान' भी कहा जाने लगा।


वैज्ञानिक स्वंते पाबो  मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार

वैज्ञानिक स्वंते पाबो (Svante Paabo) ने वर्ष 2022 के लिये Medicine के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। उन्होंने वर्तमान इंसानों में लुप्त हो चुके इंसान के पूर्वजों से जीन्स (Genes) के प्रसार को जानने और पहचानने में काफी मदद की है।  यह पुरस्कार उनकी खोज "कंसर्निंग द जीनोम ऑफ एक्सटिंक्ट होमिनिंस एंड ह्यूमन इवॉल्यूशन" (concerning the genomes of extinct hominins and human evolution) के लिये दिया गया है। यह पुरस्कार स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट की नोबेल असेंबली द्वारा दिया जाता है। यह पुरस्कार वर्ष 1901 से विज्ञान, लेखन और शांति के क्षेत्र में दिया जाता है। नोबेल प्राइज़ ऑर्गनाइज़ेशन के अनुसार, स्वंते पाबो ने लगभग असंभव काम किया है. उन्होंने लुप्त हो चुकी आज के इंसानों की पूर्वज प्रजाति निएंडरथल (Neanderthal) के जीनोम सीक्वेंसिंग की. इतना ही नहीं, उन्होंने इंसानों के एक ऐसे पूर्वज को खोज निकाला जिससे हम परिचित नहीं थे। इसका नाम है डेनीसोवा (Denisova)। खास तौर से पाबो ने यह भी पाया कि अफ्रीका से 70,000 साल पहले हुए प्रवास के कारण आज के मानव या होमो सेपिएंस (Homo sapiens) में लुप्त हो चुके पूर्वजों से जीन ट्रांसफर हुए, अतः इंसानों में जीन्स के प्रसार की काफी अहमियत है, इससे निर्धारित होता है कि हमारा इम्यून सिस्टम कैसे संक्रमणों पर प्रतिक्रिया देता है।  

 

उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 9 अक्तूबर, 2022 को उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास की 145वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उत्कलमणि गोपबंधु दास ओडिशा में नवजागरण के अग्रदूत, चिंतक, साहित्यकार, पत्रकार, भाषा-शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक थे। 9 अक्तूबर, 1877 को ओडिशा के पुरी ज़िले में जन्मे गोपबंधु दास अपने जीवन काल में हमेशा उड़िया भाषा, साहित्य व संस्कृति को सशक्त बनाने के साथ-साथ असहायों की सेवा में तत्पर रहे। वे गांधीजी के प्रिय और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विश्वस्त थे। गोपबंधु दास भाषा प्रेमी, समाजसेवी, लेखक के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे। स्वतंत्रता-संग्राम के दौरान वे अनेक बार जेल गए। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण गोपबंधु वर्ष 1922-24 के दौरान देश के ऐतिहासिक हजारीबाग जेल में कैद रहे। ओडिशा में उनका असर यह रहा कि उनके कालखंड को ‘सत्यवादी युग’ के नाम से जाना जाता है। उनकी आत्मकथा ‘बंदिर आत्मकथा’ उड़िया की क्लासिक कृतियों में शामिल है। साझा प्रशासन के तहत बंगाल, मध्य प्रांत, मद्रास और बिहार-ओडिशा के उड़िया भाषी इलाकों को एकीकृत करने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ओडिशा में बाढ़ एवं अकाल के उन्मूलन के लिये प्रभावी उपाय करने हेतु उन्होंने सशक्त आवाज़ उठाई। उत्पाद शुल्क से मुक्त नमक के निर्माण के लिये ओड़िशा के लोगों के अधिकार की बहाली की पैरोकारी की थी।

 

लोकनायक जयप्रकाश नारायण

लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्तूबर, 1902 को सिताबदियारा, बिहार में हुआ था। वे त्याग एवं बलिदान की प्रतिमूर्ति थे। जयप्रकाश जी का समाजवाद का नारा आज भी गूँजता है। समाजवाद का संबंध न केवल उनके राजनीतिक जीवन से था, अपितु यह उनके जीवन में समाया हुआ था। उनका मानना था कि कोई भी आंदोलन बिना मध्यमवर्गीय लोगों के सहयोग के सफल नहीं होता। मार्क्सवादी दर्शन से प्रभावित हो उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। समाजवाद की अवधारणा को और सुदृढ़ करने तथा उसका जनमानस में संचार करने के लिये उनकी विचारधारा आज भी प्रासंगिक है जिसे संपूर्ण क्रांति कहा जाता था। संपूर्ण क्रांति में राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक सात क्रांतियाँ शामिल हैं। उनका एक और प्रसिद्ध नारा था जिसका उदघोष उन्होंने पटना के गाँघी मैदान में किया था-"जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो, समाज के प्रवाह को नई दिशा में मोड़ दो”। समाजवादी और राष्ट्रप्रेम की भावना से परिपूर्ण जयप्रकाश नारायण सदैव ही अविस्मणीय रहेंगे।


न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ नवंबर 2022 में भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनेंगे। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित 8 नवंबर, 2022 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़  9 नवंबर, 2022 को दो साल की अवधि के लिये भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे। वह भारत के 16वें और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति वाई. वी. चंद्रचूड़ के पुत्र हैं। 11 नवंबर, 1959 को जन्‍मे जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ का पूरा नाम 'धनंजय यशवंत चंद्रचूड़' है। इनके पिता वाई. वी. चंद्रचूड़ भी सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 13 मई, 2016 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए। 31 अक्तूबर, 2013 से सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति तक वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे। 29 मार्च, 2000 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति तक बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे और महाराष्ट्र न्यायिक अकादमी के निदेशक रहे। वर्ष 1998 से न्यायाधीश पद पर नियुक्त्ति होने तक भारत सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रहे। जून 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किये गए। उन्होंने देश के सर्वोच्च न्यायालय और बॉम्बे उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में भी काम किया है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के सबसे महत्त्वपूर्ण केसों में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून, HIV+ मरीज़ो के अधिकार, धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यक अधिकार तथा श्रम एवं औद्योगिक कानून शामिल हैं।

 

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को पद्म विभूषण

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। दिवंगत शिंजो आबे की पत्नी श्रीमती अकी आबे ने  11 अक्तूबर को जापान में भारतीय राजदूत संजय कुमार वर्मा से यह पुरस्कार ग्रहण किया। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे, जो सबसे लंबे समय तक जापान के प्रधानमंत्री पद पर रहे, लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (Libral Democratic Party) से जुड़े हुए थे। वे वर्ष 2006 में पहली बार जापान के प्रधानमंत्री पद के लिये चुने गए थे। पद्म विभूषण वर्ष 1954 में स्थापित भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है। पद्म भूषण और पद्म श्री के बाद पद्म पुरस्कारों के पदानुक्रम में पद्म विभूषण सर्वोच्च है। पद्म पुरस्कार कार्य में विशिष्टता के आधार पर दिये जाते हैं। कला, साहित्य, शिक्षा, समाजिक कार्य, खेल, चिकित्सा, विज्ञान, इंजीनियरिंग, सार्वजनिक मामलों, सिविल सेवा, व्यापार और उद्योग समेत कई क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धि हासिल करने वाले लोगों को पद्म पुरस्कार दिये जाते हैं। स्पष्टतः इन पुरस्कारों के लिये चयन का आधार विशिष्टता है। इस पुरस्कार हेतु शिंजो आबे के चयन का कारण जनसेवा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य हैं। जापान में आर्थिक सुधार लागू करने के लिये उनके काम को खूब सराहा जाता है। जापान को भारत का विश्वसनीय दोस्त एवं आर्थिक सहयोगी बनाने में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की अहम भूमिका रही है। आबे के कार्यकाल में ही भारत के साथ फ्री और ओपन इंडो-पैसिफिक बनाने के लिये समझौता हुआ। 


डॉ. दिलीप महालनोबिस

12 नवंबर, 1934 को पश्चिम बंगाल में जन्मे डॉ महालनोबिस ने कोलकाता और लंदन में अध्ययन किया तथा वर्ष 1960 के दशक में कोलकाता में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी इंटरनेशनल सेंटर फॉर मेडिकल रिसर्च एंड ट्रेनिंग का हिस्सा बने, जहाँ उन्होंने ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी में शोध किया।

डॉ. महालनोबिस वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान शरणार्थी शिविरों में काम करने के दौरान ORS का प्रयोग किया गया।

वर्ष 1975 से 1979 तक डॉ महालनोबिस ने अफगानिस्तान, मिस्र और यमन में WHO के लिये हैजा नियंत्रण में काम किया।

वर्ष 1980 के दशक के मध्य और वर्ष 1990 के दशक की शुरुआत में वह WHO के डायरिया रोग नियंत्रण कार्यक्रम में चिकित्सा अधिकारी थे।

वर्ष 1994 में उन्हें रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज़ का एक विदेशी सदस्य चुना गया।

वर्ष 2002 में डॉ. महालनोबिस को ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी की खोज और कार्यान्वयन में उनके योगदान के लिये बाल चिकित्सा अनुसंधान में प्रथम पोलिन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

वर्ष 2006 में ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी के विकास और अनुप्रयोग में उनकी भूमिका के लिये उन्हें प्रिंस महिदोल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

 

लेखक शेहान  करुणातिलका (Shehan Karunatilaka) को प्रतिष्ठित ‘बुकर पुरस्‍कार’, 2022 

17 अक्तूबर, 2022 को लंदन में एक समारोह के दौरान श्रीलंका के लेखक शेहान करुणातिलका (Shehan Karunatilaka) को प्रतिष्ठित ‘बुकर पुरस्‍कार’, 2022 से सम्मानित किया गया। उन्‍हें यह पुरस्‍कार उनके उपन्‍यास ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ (The Seven Moons of Maali Almeida) के लिये प्रदान किया गया है। 47 वर्षीय करुणातिलका श्रीलंका के दूसरे उपन्‍यासकार हैं, जिन्‍हें बुकर पुरस्‍कार से सम्मानित किया गया है। इससे पूर्व वर्ष 1992 में माइकल ओन्‍डाट्से को यह पुरस्कार उनके उपन्यास ‘द इंग्लिश पेशेंट’ के लिये मिला था। बुकर पुरस्कार, 2022 के जूरी के अध्यक्ष नील मैकग्रेगर ने कहा कि ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ में लेखक की महत्वाकाँक्षा का दायरा और इसके कथानक को प्रस्तुत करने का तरीका प्रशंसनीय है। ‘सॉर्ट ऑफ बुक्स’ द्वारा प्रकाशित ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’, गृहयुद्ध से घिरे श्रीलंका की जानलेवा तबाही की जाँच के बीच में मृत्यु के बाद के जीवन की पड़ताल करती है। बुकर पुरस्‍कार विश्‍व के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्‍कारों में से एक है। यह पुरस्‍कार प्रत्येक वर्ष ब्रिटेन और आयरलैंड में प्रकाशित अंग्रेज़ी भाषा के साहित्य हेतु प्रदान किया जाता है। लेखक को पुरस्कार स्वरुप 50 हज़ार पाउंड की धनराशि प्राप्त होती है।

 

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस तीन दिन (19-21 अक्तूबर) की भारत  यात्रा पर 19 अक्तूबर, 2022 को मुंबई पहुँचे। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव गुतेरस ने मुंबई के ताज पैलेस होटल में 26/11 के आतंकी हमले के मृतकों को श्रद्धाजंलि अर्पित किया। गुतेरस 20 अक्तूबर को गुजरात के एकता नगर में प्रधानमंत्री के साथ मिशन लाइफ पुस्तिका, लोगो और टैगलाइन का शुभारंभ करेंगे। इसके अलावा भारतीय विदेश मंत्री, संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव गुतेरस के साथ द्विपक्षीय चर्चा में वैश्विक मुद्दों, जी-20 देशों के सम्‍मेलन में भारत की अध्‍यक्षता सहित संयुक्‍त राष्‍ट्र के साथ भारत के सहयोग पर चर्चा करेंगे। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव भारत के पहले सौर ऊर्जा गाँव मोढेरा का दौरा भी करेंगे। वे मोढेरा के सूर्य मंदिर भी जाएंगे। गुतेरस की जनवरी 2022 में दूसरी बार अपना पदभार संभालने के बाद यह पहली भारत यात्रा है। इससे पहले वे अक्‍तूबर 2018 में भारत की यात्रा पर आए थे।


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