आर्थिक विकास में केन्द्रीय बैंक की भूमिका |Role of central bank in economic development

आर्थिक विकास में केन्द्रीय बैंक की भूमिका

आर्थिक विकास में केन्द्रीय बैंक की भूमिका |Role of central bank in economic development



 

आर्थिक विकास में केन्द्रीय बैंक की भूमिका 

  • विकासशील देशों में केन्द्रीय बैंक की व्यापारिक बैंकिंग प्रणाली तथा मुद्रा एवं पूंजी बाजार विकसित करने में अधिक गतिशील भूमिका होती है। विकसित देशों में व्यापारिक बैंक का रूप से विकास हुआ रहता है एवं उनके मुद्रा एवं पूंजी बाजार भी सुगठित रहते हैं अतः इन देशों में इनकी भूमिका भिन्न होती है।


  • सेयर्स का मानना है कि अर्द्धविकसित देशों में केन्द्रीय बैंक को व्यापारिक बैंकों के कुछ कार्य भी करने चाहिए परन्तु यह ऐसे विवाद का विवाद विषय है। निम्न बिन्दुओं द्वारा यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि विकासशील देशों में व्यापारिक बैकिंग प्रणाली को विकसित करने में केन्द्रीय बैंक एक अहम् भूमिका निभाता है।

 

1. प्रभावपूर्ण मौद्रिक नीति

  • अर्द्धविकसिक देशों में असंगठित बैंकिंग प्रणाली नियोजित आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न करती है। लोगों में बैकिंग आदत का अभाव होना बैंकों की संख्या कम होना अर्थव्यवस्था में विकास को रोकती है। ऐसे में केन्द्रीय बैंक द्वारा एक सुदृढ़ मौद्रिक नीति को अपनाना अहम् हो जाता है।

 

2. पूँजी निर्माण में सहायक

  • केन्द्रीय बैंक को अर्द्धविकसित देशों में पूंजी के निर्माण में एक अहम भूमिका निभानी चाहिए। बचत को गतिशील बनाने हेतु केन्द्रीय बैंक उचित कदम उठा सकता है और इस बचत को उत्पादक कार्यों में निवेश करने के लिये बैकिंग प्रणाली को विकसित किया जाना चाहिए।

 

3. साख की सुविधा में वृद्धि

  • अर्द्धविकसित देशों की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर निर्भर होती है। परन्तु इन क्षेत्रों में प्रचारित सुविधा न होने के कारण ये देश अर्द्धविकास के नियम चक्र में फंसे रहते हैं अतः केन्द्रीय बैंक को चाहिये कि वह ऐसी व्यवस्था करें कि ग्रामीण क्षेत्रों के कृषकों के माध्यम एवं  दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध हो सके। कृषि साख संस्थाओं का विकास होना चाहिए। उदाहरण के लिये भारत में नाबार्ड के माध्यम से रिजर्व बैंक यह सुविधा उपलब्ध कराता है।

 

4. औद्योगिक क्षेत्र विकास

  • विशिष्ट औद्योगिक वित संस्थाओं की स्थापना करके औद्योगिक क्षेत्र का विकास केन्द्रीय बैंक द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जैसे भारत में औद्योगिक विकास बैंक भारतीय औद्योगिक विकास बैंक की स्थापना में केन्द्रीय बैंक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन संस्थाओं से देश की औद्योगिक वित की आवश्यकता की पूर्ति हो पा रही है।

 

5. विदेशी विनिमय रिजर्व का प्रबन्ध

  • केन्द्रीय बैंक विदेशी कोषों का संरक्षक होता है अतः उसे बहुत सोच समझाकर इन विदेशी विनिमय का प्रयोग करना चाहिए ताकि देश में कच्चा मालमशीनें आदि आयातों की आवश्यकता की पूर्ति की जा सके जिससे कि देश की भुगतान संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़ सके।

 

6. सार्वजनिक ऋण का प्रबन्ध

  • प्रत्येक देश में केन्द्रीय बैंक सार्वजनिक ऋण प्रबन्ध करता है। केन्द्रीय बैंक की एक महत्वपूर्ण भूमिका अर्थव्यवस्था के आर्थिक नियोजन के लिये वित्तीय व्यवस्था करना है। केन्द्रीय बैंक सार्वजनिक ऋण का समुचित प्रबन्ध करता है जिससे देश को विदेशी ऋण पर आश्रित न रहना पड़े।

 

7. व्यापरिक बैंकों के लिये प्रशिक्षित अधिकारियों एवं कर्मचारियों की व्यवस्था 

  • यह केन्द्रीय बैंक का कार्य है कि वह व्यापारिक बैंक के कुशल कार्य प्रणाली हेतु प्रशिक्षित कर्मचारियों की उचित व्यवस्था करे । सभी कर्मचारियों का उच्च प्रषिक्षण हेतु प्रबन्ध की जिम्मेदारी केन्द्रीय बैंक की होती है क्योंकि व्यापारिक बैंक इसके उचित व्यवस्था कराने में असक्षम होते हैं। साथ ही व्यापारिक बैंकों की शाखाओं का विस्तार और उनका सन्तुलित विकास केन्द्रीय बैंक को करना चाहिए।

 

8. सरकार की सलाहकार की भूमिका

  • सरकार को मौद्रिक वित्तीय एवं तकनीकी सलाह देना केन्द्रीय बैंक के कार्यों में शामिल है किन्तु एक अर्द्धविकसिक दश यह भूमिका और भी अहम हो जाती है। सरकार को आर्थिकसामाजिक तथा तकनीकी सर्वेक्षण करके रिपोर्ट प्रस्तुत करना केन्द्रीय बैंक की जिम्मेदारी है जिससे कि सरकार उनका अवलोकन करके उचित नीतियां बना सके।

 

ऊपर दिये बिन्दुओ से यह स्पष्ट होता है कि अर्द्धविकसित देश की आर्थिक विकास को गति प्रदान करने में केन्द्रीय भूमिका एक अहम् भूमिका अदा करता है।


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