भारत में नागरिक चार्टर ,नागरिक चार्टर के घटक| Citizen's Charter in India in Hindi

भारत में नागरिक चार्टर Citizen's Charter in India

भारत में नागरिक चार्टर ,नागरिक चार्टर के घटक| Citizen's Charter in India in Hindi


 

भारत में जनता की सेवा करने वाली संस्थाओं की कार्य क्षमता में निरंतर गिरावट से सरकार का निराश एवं असंतुष्ट होना स्वभाविक है। 

भारतीय जनता लोक सेवा की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं है। साथ ही राजनीतिज्ञलोक सेवक एवं अपराधियों के अपवित्र गठबंधन चिन्ता का विषय बन गया है। 


प्रभावी एवं उत्तरदायी प्रशासन24 मई 1997

प्रशासन के सभी स्तरों पर अक्षमता व अलोकप्रियता के मद्देनजर 1996 में नई दिल्ली आयोजित राज्यों के मुख्य सचिवों के सम्मेलन में प्रभावी एवं उत्तरदायी प्रशासनविषय पर गंभीरता से विचार विमर्श हुआ। एक वर्ष पश्चात 24 मई 1997 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की अध्यक्षता में प्रभावी एवं उत्तरदायी प्रशासन” विषय पर मुख्य मंत्रियों का सम्मेलन बुलाया। 


प्रभावी एवं उत्तरदायी प्रशासन सम्मेलन में जो कार्य योजना बनाई गई वो निम्नवत थी -

 

1. सेवा का विकेन्द्रीकरण । 

2. लोक सेवकों हेतु आचार संहिता । 

3. सरकारी कार्यों में लोक सूचना का अधिकार। 

4. प्रभावी एवं त्वरित लोक सेवा निवारण। 

5. प्रशासन में पारदर्शिता । 

6. ग्रामीण एवं शहरी निकायों को अधिक अधिकार | 

7. नागरिकों के लिए अधिकार पत्र । 

8. नागरिकों के लिए उत्तरदायी प्रशासन |

 

इसके पश्चात् भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं संगठनों ने नागरिक चार्टर निर्मित कर आम जनता के लिए जारी किए (2010) तक केन्द्र सरकार के 131 तथा अन्य सरकारों और संघशासित प्रशासन के 729 नागरिक अधिकार पत्र सरकार के अभिकरणों द्वारा जारी हो चुके थे।

 

भारतीय परिप्रेक्ष्य में नागरिक चार्टर के घटक- निम्न लिखित हैं-

 

1. संगठन का दूरगामी एवं मिशन वक्तव्य 

2. संगठन द्वारा किये जाने वाले व्यापार / कार्य का विस्तृत विवरण। 

3. नागरिकों या उपभोक्ताओं का विस्तृत विवरण | 

4. मानकगुणवत्तासमय सीमा सहित सेवाओं का वक्तव्य जो कि प्रत्येक नागरिक/उपभोक्ता समूह को पृथक रूप से उपलब्ध कराया जाता है और उसमें यह उल्लेख होता है कि सेवाओं की प्राप्ति कहाँ और कैसे करें। 

5. शिकायत निवारण तंत्र का विस्तृत विवरण और उस तक पहुंचाने का तरीका।6. नागरिकों अथवा उपभोक्ताओं की अपेक्षायें

 

नागरिक चार्टर की भूमिका

 

1. प्रशासन की छवि ठीक करने में 

  • दसवीं योजना आयोग पैनल (2001) भी इस बात को स्वीकार करता है कि लगभग सभी राज्यों में नौकरशाही को भाव शून्य तथा लोक कल्याण का अनिच्छुक समझा जाता है। नागरिक चार्टर आने से नौकरशाही की इन आदतों में सुधार आयेगा।

 

2. उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने में 

  • आधुनिक लोक प्रशासन में प्रशासन की लोक उत्तरदायित्व बहस का केन्द्र बिन्दु रहा है। इसके तहत किसी निश्चित कार्य के लिए किसी निश्चित अधिकारी की जवाबदेही तय कर दी जाती है तथा मानकों के अनुसार कार्य न करने पर उसमें हरजाने वसूले जाते हैं और बेहतर कार्य करने पर पुरस्कृति किया जाता है।

 

3. पारदर्शिता सुनिश्चित करने में 

  • प्रशासन के कार्यो हेतु भागी बढ़ाने हेतु सबसे आवश्यक उपाय यह है कि इसकी कार्य प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करना। नागरिक चार्टरों में प्रशासनिक कार्यो की प्रक्रियायें उल्लेखित करके पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है। इससे प्रशासन का जनता से अलगाव कम होगा और जनता से सीधे संवाद की गुंजाइस बढ़ेगी।

 

4. जन सहभागिता सुनिश्चित करने में

  • नागरिक चार्टर सेवाओं के लोगों की आवश्यकताओं की तरफ मोड़ने में सहायता प्रदान करते हैं तथा जनभागीदारों के माध्यम से उनका मूल्यांकन करते हैं। नागरिक स्वयं अपनी आवश्यकताओं का निर्धारण नियोजन और सेवाओं के वित का प्रबंधन करने में भूमिका निभाते हैं।

 

नागरिक चार्टर अभियान के सफलता हेतु सुझाव

 

  • नागरिक चार्टर की अवधारणा के अनुसार नागरिकप्रशासन का केन्द्र बिन्दु हैलेकिन अगर ध्यान से देखा जाय तो अभी बहुत सारी ऐसी समस्याएं हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

 

बेहर समन्वय एवं निरंतरता

  • नागरिक चार्टर के निर्धारण में इसके मूलभूत सिद्धान्तों के साथ समन्वयन की आवश्यकता है। किसी भी नागरिक चार्टर का लक्ष्यम न्यूनतम समयलागत व असुविधा के बगैर जनता को अधिकतम संतुष्टि पर केन्द्रित होना चाहिए।

 

मानकों को लागू करना

  • किसी भी गतिविधि का मानक तय करना हो तो बड़ा आसान होता है लेकिन उसके लागू करना उतना ही कठिन होता है। संगठनों के चार्टरों में मानक तो तय किये जाते हैंलेकिन व्यवहार में उन मानकों के अनुरूप कार्य नहीं होता है। आज इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि नागरिक चार्टर के मानकों के अनुरूप कार्यों का निष्पादन भी होना चाहिए।

 

शिकायत निस्तारण प्रणाली को मजबूत बनाना

  •  किसी भी नागरिक चार्टर की सफलता के लिए उसकी शिकायत निस्तारण मशीनरी को ज्यादा सक्रिय करना एवं पुर्वपेक्षा होती हैलेकिन अधिक मामलों में देखा जाता है कि चार्टर उन अधिकारियों के नाम एवं टेलीफोन नम्बरों का उल्लेख नहीं करते हैंजिनसे उत्पीड़न की दशा में सम्पर्क करना होता है |

 

राजनीतिज्ञ एवं नौकरशाहों के प्रभाव से मुक्ति

  • आज लोक सेवा के हर कार्य में राजनीति एवं नौकरशाही का बोलबाला है। नागरिक चार्टर की सफलता के लिए यह अति आवश्यक है कि इनके प्रभाव से वह दूर रहे |

 

अच्छे कार्यों हेतु पुरस्कार की व्यवस्था 

  • नागरिक चार्टर की सफलता यह भी आवश्यक है कि लोक सेवा के क्षेत्र में कार्य कर रहे संगठनों में जो अच्छा कार्य करते हैं उन्हें पुरस्कृत करना चाहिए और अच्छा काम नहीं कर रहे है उन्हें दण्ड देना चाहिए। जबकि विदेशी चार्टरों में ऐसी व्यवस्था होती है।


इस प्रकार हम कह सकते हैं भारत में नागरिक चार्टर की सफलता के लिए इसकी प्रक्रियागत व्यवस्थाओं में सुधार की आवश्यकता हैताकि लोक सेवा से जुड़े प्रत्येक विभाग अपने आन्तरिक गतिविधियों का मूल्यांकन ही करने करके नागरिक चार्टर को सही तर से करने का प्रयास कर सकें।

 


भारत में नागरिक घोषणापत्र

  • गौरतलब है कि ब्रिटेन में लोक सेवाओं में दक्षता लाने के लिये 1991 में नागरिक घोषणापत्र लागू किया गया।
  • भारत में 1997 में भारतीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन आयोजित किया गया।
  • इस सम्मेलन में प्रभावी एवं जिम्मेदार प्रशासन हेतु एजेंडा पर सिफारिश की गई कि सभी लोक संगठनों के लिये नागरिक घोषणापत्र लाने के प्रयास किये जाएँ।
  • इसके तहत चिन्हित मंत्रालयों एवं विभागों में नागरिक घोषणापत्र के निर्माण की निगरानी हेतु एक समिति का गठन किया गया।
  • 2004 में प्रशासनिक सुधार एवं शिकायत निवारण विभाग ने नागरिक घोषणापत्र पर एक प्रपत्र प्रस्तुत किया जिसमें आदर्श नागरिक घोषणापत्र के मार्गदर्शक सिद्धांत बताए गए।


2004 में प्रशासनिक सुधार एवं शिकायत निवारण विभाग के अनुसार घोषणापत्र में निम्नलिखित बिंदु सम्मिलित होने चाहिये:

  • विज़न एवं मिशन का विवरण।
  • संगठन द्वारा संपादित कार्यों का विवरण।
  • संगठन से जुड़े ग्राहक समूहों का विवरण।
  • ग्राहकों को प्रदत्त सेवाओं का विवरण।
  • जन शिकायत निवारण से संबंधित जानकारी।
  • चार्टर का सरल होना आवश्यक।
  • सेवा प्रदायगी में नागरिक घोषणापत्र की भूमिका
  • सेवा प्रदायगी को बेहतर करना अर्थात् सार्वजनिक सेवाओं की समय पर गुणवत्तापूर्ण उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहायक होता है।
  • नागरिकों के प्रति अधिकारियों की ज़‌िम्मेदारी एवं जबावदेही को सुनिश्चित करता है।
  • पारदर्शिता, उत्तरदायित्व एवं जबावदेही को सुनिश्चित कर प्रशासन में जनता की भागीदारी बढ़ाने में सहायक होता है ।
  • नागरिकों को जन सेवाओं की प्राप्ति संबंधी अधिकारों के प्रति जागरूक करने में सहायक होता है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि शिकायत के संबंध में कहाँ संपर्क करना है।
  • कर्मचारियों में अपने कार्य के प्रति सकारात्मक दबाव एवं प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने में सहायक होता है  जिसका सीधा लाभ नागरिकों को प्राप्त होता है।
  • नागरिकों एवं प्रशासन के मध्य अंतराल को कम करने में सहायक होता है।

नागरिक घोषणापत्र को प्रभावी बनाने के उपाय

  • आदर्श नागरिक घोषणापत्र संहिता का पालन किया जाए।
  • नागरिक घोषणापत्र बनाते समय शोध और अनुसंधान पर विशेष बल दिया जाना चाहिये।
  • नागरिक घोषणापत्र के निर्माण की प्रक्रिया को पारदर्शी व परामर्शी बनाने के लिये नागरिक समाज एवं मीडिया की प्रभावी भूमिका को सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
  • नागरिक घोषणापत्र का समय-समय पर पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिये।
  • जन प्रतिक्रियाओं के आधार पर नागरिक घोषणापत्र में सुधार किया जाना चाहिये।
  • नागरिक घोषणापत्र को वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिये।
  • ग्राहकों की अपेक्षाओं का उल्लेख किया जाना चाहिये।


नागरिक घोषणापत्र का मूल्यांकन

वर्ष 2002-03 में प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत निवारण विभाग ने एक निजी एजेंसी द्वारा तथा वर्ष 2008 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा विभागीय नागरिक घोषणापत्रों का मूल्यांकन  और निम्नलिखित कमियों का उल्लेख किया गया-

 

  • अधिकांश नागरिक घोषणापत्रों का प्रारूप ठीक नहीं होता तथा उसमें महत्त्वपूर्ण सूचनाओं का अभाव होता है।
  • अधिकांश घोषणापत्रों के निर्माण में पारदर्शिता एवं परामर्शी प्रक्रिया का अभाव होता है।
  • नागरिक घोषणापत्रों में नवोन्मेष एवं अद्यतन जानकारियों का अभाव होता  है।
  • समय-समय पर पुनर्मूल्यांकन नहीं किया जाता।
  • जागरूकता एवं जागरूकता प्रसार के प्रयास का अभाव पाया गया।
  • लोक संगठनों में नागरिक घोषणापत्र के प्रति रुचि का अभाव देखा गया।



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