विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) | WTO GK in Hindi

विश्व व्यापार संगठन सामान्य ज्ञान 

विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) | WTO GK in Hindi


 विश्व व्यापार संगठन का हम चार  भागों में अध्ययन करेंगे -



विश्व व्यापार संगठन की स्थापना 

1 जनवरी, 1995 ई. में GAIT के स्थान पर WTO की विधिवत शुरुआत हो गई। इसका एक डायरेक्टर जनरल होता हैजिसका कार्यकाल 4 वर्ष का होता है। वर्तमान में इसके 164 सदस्य देश हैं। यह सीमा शुल्क कम करते हुए बातचीत द्वारा व्यापारिक मतभेद को दूर करने के लिए कार्य करती है। यह एक बहुउद्देशीय व्यापारिक संगठन हैजो उदारीकरण एवं निजीकरण को बढ़ावा देता है। इसमें प्रत्येक देश को एक ही वोट प्राप्त है।

 

विश्व व्यापार संगठन के  उद्देश्य

 

  • जीवनस्तर में वृद्धि करना। 
  • पूर्ण रोजगार व प्रभावपूर्ण मांग में वृहद स्तरीयपरन्तु ठोस वृद्धि करना। 
  • वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन व व्यापार का प्रसार करना। 
  • अविरत विकास (Sustainable Development ) की अवधारणा को स्वीकार करना। पर्यावरण संरक्षण व उसकी सुरक्षा करना हैं।


 

विश्व व्यापार संगठन के प्रमुख कार्य

 

  • विश्व व्यापार समझौता एवं बहुपक्षीय व बहुवचनीय समझौतों के कार्यान्वयनप्रशासन व परिचालन हेतु सुविधाएं प्रदान करना। 
  • व्यापार व प्रशुल्क से संबंधित किसी भी भावी मसले पर सदस्यों के मध्य विचार-विमर्श हेतु एक मंच के रूप में कार्य करना। 
  • विवादों के निपटारे से संबंधित नियमों व प्रक्रियाओं को प्रशासित करना। 
  • व्यापार नीति समीक्षा प्रक्रिया से संबंधित नियमों एवं प्रावधानों को लागू करना। 
  • वैश्विक आर्थिक नीति निर्माण में अधिक सामन्जस्य भाव लाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय कोष एवं विश्व बैंक से सहयोग करना। विश्व संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग करना हैं।

 

विश्व व्यापार संगठन की संरचना 

 

मंत्री स्तरीय सम्मेलन (Ministerial Conference ) 

  • यह निर्णय लेने वाली मुख्य संस्था है। इसकी बैठक 2 वर्षों में 1 बार होती हैजिसमें प्रत्येक सदस्य देशों के उद्योग मंत्री शामिल होते हैं।

 

जनरल काउंसिल 

  • यह संस्था मिनिसटिरियल कॉन्फ्रेंस में लिए गए निर्णयों को क्रियान्वित करती है। यह जेनेवा में स्थित है। इसका प्रमुख डायरेक्टर जनरल होता है। 

 

विवाद निपटान निकाय ( Dispute Settlement Body) 

  • सदस्य प्रत्येक सदस्य देशों से लिए जाते हैं। इस निकाय का कार्य विभिन्न राष्ट्रों के विरुद्ध विश्व व्यापार संगठनों के व्यापार नियमों के उल्लंघन की शिकायतों पर विचार करना है। किसी शिकायत विशेष के गहन अध्ययन के लिए यह विशेषज्ञों की समिति गठित कर सकती है। इसमें विवादों का निपटारा आपसी समझ और परस्पर सहमति से किया जाता है।

 

व्यापार नीति समीक्षा प्रक्रिया निकाय (Trade Policy Review Body)

  • यह मुख्यतः व्यापार से जुड़े नियमों को बनाती है एवं गरीब व अल्प विकसित राष्ट्रों को विशेष महत्व देती है। इसका कार्य सदस्य राष्ट्रों की व्यापार नीति की समीक्षा करना है। सभी बड़ी व्यापारिक शक्तियों की व्यापार नीति की दो वर्ष में एक बार समीक्षा की जाती है।

 

वस्तु व्यापार महापरिषद (वस्तु परिषद)

  • प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौता (GATT) में अंतर्राष्ट्रीय माल व्यापार शामिल होता है।
  • GATT समझौते के कामकाज की ज़िम्मेदारी माल व्यापार महापरिषद (माल परिषद) की होती है जिसमें सभी WTO सदस्य देशों के प्रतिनिधि होते हैं।
  • माल व्यापार परिषद की विशिष्ट विषयों से संबंधित समितियाँ होती हैं: (1) कृषि, (2) बाज़ार पहुँच, (3) स्वच्छता एवं पादप संबंधी स्वच्छता (विशेषकर कृषि में पौधों की बीमारियों के नियंत्रण के उपाय) उपाय, (4) व्यापार में तकनीकी बाधाएँ, (5) सब्सिडी जैसे उपाय, (6) मूल के नियम, (7) बाज़ार अवमूल्यन रोधी उपाय, (8) आयात लाइसेंस, (9) व्यापार से संबंधित निवेश के उपाय, (10) सुरक्षा उपाय, (11) व्यापार सुविधा, (12) सीमा शुल्क मूल्यांकन।
  • इन समितियों में सभी सदस्य देश होते हैं।

सेवा व्यापार महापरिषद (सेवा परिषद)

  • यह महापरिषद के मार्गदर्शन में संचालित होती है एवं सेवा व्यापार में सामान्य समझौते (General Agreement on Trade in Services- GATS) के कार्यों के संचालन तथा अपने अन्य उद्देश्यों प्रति ज़िम्मेदार होती है।
  • यह सभी WTO सदस्यों के लिये खुली होती है एवं आवश्यकतानुसार सहायक निकाय बना सकती है।
  • वर्तमान में परिषद ऐसे चार सहायक निकायों के कामकाज की देखरेख करती है:
  • वित्तीय सेवाओं के व्यापार पर समिति
  • यह वित्तीय सेवाओं में व्यापार से संबंधित मामलों पर चर्चा करती है एवं परिषद द्वारा विचार करने हेतु प्रस्ताव या सिफारिशें तैयार करती है।
  • विशिष्ट प्रतिबद्धताओं पर समिति।
  • घरेलू विनियमन पर काम करने वाला पक्ष।
  • GATS नियमों पर काम करने वाला पक्ष।


बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार-संबंधित पहलुओं के लिये परिषद  (ट्रिप्स परिषद)


  • यह बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर समझौते (ट्रिप्स समझौते) के कार्यान्वयन की निगरानी करती है।
  • यह एक ऐसा मंच प्रदान करता है जिसमें विश्व व्यापार संगठन के सदस्य बौद्धिक संपदा मामलों पर परामर्श कर सकते हैं एवं ट्रिप्स समझौते में परिषद को सौंपी गई विशिष्ट उत्तरदायित्वों का वहन करते हैं।


ट्रिप्स समझौता

  • कॉपीराइट एवं संबंधित अधिकारों, ट्रेडमार्क, भौगोलिक संकेतों (Geographical Indications- GI), औद्योगिक डिजाइन, पेटेंट, एकीकृत सर्किट ले आउट डिज़ाइन तथा अप्रकाशित जानकारी सुरक्षा हेतु न्यूनतम मानक निर्धारित करता है।
  • बौद्धिक संपदा अधिकारों (Intellectual Property Rights- IPR) के प्रवर्तन हेतु इनके उल्लंघन होने पर नागरिक कार्यों के माध्यम से सीमा पर कार्रवाई, न्यूनतम मानक स्थापित करता है।
  • और कॉपीराइट चोरी एवं ट्रेडमार्क चोरी के संबंध में आपराधिक कार्रवाई।


WTO के सदस्य एवं पर्यवेक्षक (WTO Members & Observers)

 

  • वर्तमान में WTO के 164 सदस्य देश हैं (164वां अफगानिस्तान 26 जुलाई, 2016 ) । इसके अलावा लगभग 22 देश पर्यवेक्षक का दर्जा रखते हैं (यूरोपीयन यूनियन WTO का सदस्य है)। 


  • WTO का सदस्य बनने के लिए सदस्यों को एक सम्प्रभु राष्ट्र होना कोई बाध्यता नहीं है। केवल बाहरी व्यापार की स्वतंत्रता ही सदस्यता पाने के लिए पर्याप्त है। उदाहरणार्थ हांगकांगताइवान आदि। ईरान एक ऐसा देश हैजो बड़ी अर्थव्यवस्था के होते हुए भी WTO का सदस्य नहीं है।


WTO का विश्व के लिये योगदान

विश्व व्यापार संगठन उन तीन अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में से एक है (अन्य दो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक समूह हैं) जो विश्व आर्थिक नीति का निर्माण एवं समन्वय करते हैं। यह निम्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है:

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार,

वैश्विक अर्थव्यवस्था,

एवं वैश्वीकरण के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उत्पन्न होने वाले राजनीतिक और कानूनी मुद्दे।


  • यह देशों के मध्य व्यापार संबंधी बाधाओं को कम करने एवं नए बाज़ार खोलने के लिये विश्व की सबसे शक्तिशाली संस्था के रूप में उभरा है।
  • यह वैश्विक आर्थिक नीतियों को बनाने में सामंजस्य स्थापित करने हेतु IMF एवं विश्व बैंक के साथ सहयोग करता है।
  • व्यापार संबंधी विवादों को सुलझाने के माध्यम से विश्व व्यापार संगठन को अपने सदस्य देशों के मध्य बातचीतपरामर्श एवं मध्यस्थता के ज़रिये विश्व शांति तथा द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने की क्षमता हासिल हुई है।
  • वैश्विक व्यापार नियम: विश्व व्यापार संगठन में निर्णय सामान्यतः सभी सदस्यों के बीच आम सहमति से लिया जाते हैं और उनकी सदस्यों की सभा द्वारा पुष्टि की जाती है। इससे एक अधिक समृद्धशांतिपूर्ण एवं जवाबदेह आर्थिक विश्व का निर्माण होता है।
  • व्यापार वार्ता: GATT और WTO ने अभूतपूर्व वृद्धि में योगदान देने वाली एक मज़बूत एवं समृद्ध व्यापार प्रणाली बनाने में मदद की है।
  • इस प्रणाली को GATT के तहत आयोजित व्यापार वार्ता या राउंड्स की एक शृंखला के माध्यम से विकसित किया गया था। 1986-94 राउंड - उरुग्वे राउंड से विश्व व्यापार संगठन का निर्माण हुआ।
  • वर्ष 1997 मेंदूरसंचार सेवाओं पर एक समझौता हुआ जिसमें 69 सरकारें व्यापक उदारीकरण उपायों पर सहमत हुईं यह उरुग्वे राउंड में सहमत होने वाली सरकारों के अतिरिक्त थीं।
  • इसके अतिरिक्त वर्ष 1997 में 40 सरकारों ने सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों में प्रशुल्क मुक्त व्यापार के लिये सफलतापूर्वक वार्ताएँ संपन्न की और 70 सदस्यों ने वित्तीय सेवाओं का समझौता संपन्न किया जिसमें बैंकिंगबीमाप्रतिभूतियों और वित्तीय जानकारी में 95% से अधिक व्यापार शामिल था।
  • वर्ष 2000 मेंकृषि और सेवाओं पर नई वार्ताएँ शुरू हुईं। इन्हें व्यापक कार्य कार्यक्रम दोहा विकास एजेंडा में शामिल किया गया था जो नवंबर 2001 में दोहाकतर में चौथे विश्व व्यापार संगठन मंत्रालयिक सम्मेलन (MC4) में शुरू किया गया।
  • वर्ष 2013 में बाली में 9वें मंत्रलायिक सम्मेलन (MC9) मेंविश्व व्यापार संगठन के सदस्यों ने व्यापार सुगमता समझौते को प्रारंभ किया जिसका उद्देश्य लालफीताशाही को कम करके सीमा विलंब को कम करना है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी समझौते का विस्तार वर्ष 2015 में नैरोबी में 10 वें मंत्रलायिक सम्मेलन (MC10) में संपन्न हुआइसने 200 अतिरिक्त IT उत्पादों पर प्रति वर्ष 1.3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के शुल्क को समाप्त कर दिया।
  • हाल ही में, WTO के बौद्धिक संपदा समझौते में एक संशोधन वर्ष 2017 में लागू हुआजिससे कमज़ोर अर्थव्यवस्थाओं की किफायती दवाओं तक पहुँच आसान हो गई।
  • इसी वर्ष व्यापार सुगमता समझौता लागू हुआ।


विश्व व्यापार संगठन के समझौते

विश्व व्यापार संगठन के नियमसमझौते सदस्यों के मध्य वार्ताओं का परिणाम हैं।

वर्तमान संग्रह काफी हद तक 1986- 94 के उरुग्वे राउंड की वार्ता का परिणाम हैजिसमें मूल प्रशुल्क एवं व्यापार सामान्य समझौते (GATT) का पुनरीक्षण शामिल था।

  • वस्तु: वर्ष 1947 से वर्ष 1994 तकगैट निम्न प्रशुल्क एवं अन्य व्यापार बाधाओं पर बातचीत करने के लिये एक मंच था; GATT ने महत्त्वपूर्ण नियमों की व्याख्या की विशेष रूप से गैर-भेदभाव वाले नियमों की। वर्ष 1994 के बाद WTO ने GATT 1994 के रूप में नएव्यापकएकीकृत GATT की पुष्टि की।


विश्व व्यापार संगठन एवं भारत

  • भारत प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) 1947 और इसकी जगह लेने वाले संगठनडब्ल्यूटीओ का एक संस्थापक सदस्य है।
  • नियम के आधार पर भारत की बढ़ती भागीदारी से व्यापार एवं समृद्धि में वृद्धि होगी।
  • सेवाओं का निर्यात भारत में वस्तु एवं सेवाओं के कुल निर्यात का 40% है। भारत की GDP में सेवाओं का योगदान 55% से अधिक है।
  • यह क्षेत्र (घरेलू एवं निर्यात) लगभग 142 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करता हैजिसमें देश का 28% श्रमबल शामिल है।
  • भारत के निर्यात मुख्य रूप से IT और IT सक्षम क्षेत्रोंयात्रा एवं परिवहन तथा वित्तीय क्षेत्र में हैं।
  • इन सेवाओं के मुख्य उपभोक्ताओं में अमेरिका (33%)यूरोपीय संघ (15%) और अन्य विकसित देश हैं।
  • सेवाओं के व्यापार के उदारीकरण में भारत की स्पष्ट रुचि है और भारत चाहता है कि विकसित देशों द्वारा व्यावसायिक रूप से सार्थक पहुँच प्रदान की जाए।
  • उरुग्वे राउंड के बाद सेभारत ने स्वायत्त रूप से अपनी सेवा व्यापार प्रणाली को उदार बनाया है।
  • खाद्य एवं आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण हैविशेषकर भारत जैसी बड़ी कृषि अर्थव्यवस्था के लिये।
  • भारत विश्व व्यापार संगठन में सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग सब्सिडी पर स्थायी समाधान की माँग कर रहा है।
  • वर्ष 2013 बाली मंत्रालयिक सम्मेलन (MC9) में सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग’ पर एक अंतरिम समझौता (एक शांति उपनियम) किया गया था इस अपवाद के साथ जो विकासशील देशों को खाद्य पदार्थों की कमी से बचाने के लिये कृषि उत्पादों का भंडार करने की अनुमति प्रदान करता है।
  • भारत बासमती चावलदार्जिलिंग चाय एवं अल्फांसो आम जैसे उत्पादों के लिये भौगोलिक संकेतों के संरक्षण के उच्च स्तर पर विस्तार का पक्षधर हैजो कि बौद्धिक संपदा अधिकार (TRIPS) समझौते के अंतर्गत वाइन तथा स्प्रिट को प्रदान किये गए हैं।
  • विश्व व्यापार संगठन के समझौतों में श्रम मानकोंपर्यावरण संरक्षणमानवाधिकारोंनिवेश के नियमोंप्रतिस्पर्द्धा नीति जैसे गैर-व्यापार मुद्दों को शामिल करने पर विकसित देश दबाव डाल रहे हैं।
  • भारत गैर-व्यापार मुद्दों को शामिल करने के विरुद्ध है जो लंबे समय से संरक्षणवादी उपायों को लागू करने के लिये निर्देशित हैं (गैर-व्यापार मुद्दों के आधार पर संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे विकसित देश कुछ वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर रहे हैंजैसे वस्त्रप्रसंस्कृत भोजन आदि)विशेष रूप से विकासशील देशों से।


विश्व व्यापार संगठन की चुनौतियाँ

  • वर्ष 2001 में WTO सदस्यों ने दोहा विकास एजेंडा शुरू किया जो व्यापारिक नियमों के अद्यतन के लिये एक बड़ा प्रयास था। इसमें भाग लेने वाले देशों ने एक समझौते पर पहुँचने के लिये कई वर्ष बिता दिये तथा असफल रहे।
  • वार्ता में एक मुख्य समस्या एक आम सहमति तक पहुँचने के लिये 150 से अधिक देशों में सहमति होने की कठिनाई थी।
  • पिछले वार्ता दौर (वर्ष 1987 से वर्ष 1994 तक आयोजित उरुग्वे राउंड) में संभावित प्रतिरोधक देशों को नव निर्मित विश्व व्यापार संगठन से निष्कासित करने की चुनौती दी जा सकती थी।
  • एक बार सदस्य बन जाने के पश्चात् इस युक्ति को दोहराया नहीं जा सकता था।
  • वर्ष 2017 विश्व व्यापार संगठन मंत्रालायिक सम्मेलन (MC11) ब्यूनस आयर्स किसी भी सारभूत परिणाम के बिना समाप्त हो गया क्योंकि 164 सदस्यीय निकाय आम सहमति बनाने में विफल रही।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिये सरकारी स्टॉकहोल्डिंग पर एक स्थायी समाधान अवरुद्ध कर दिया जिसके परिणामस्वरूप ई-कॉमर्स एवं निवेश सुविधा सहित नए मुद्दों पर भारत ने सख्त रुख अपनाया है।
  • अमेरिका और यूरोपीय संघ के नेतृत्व में विकसित देशों ने डब्ल्यूटीओ में बड़े पैमाने पर दबाव समूह बनाकर WTO में गतिरोध का रास्ता तलाशने का प्रयास किया, जिसमें WTO में प्रत्येक फॉर्मूलेशन में 70 से अधिक सदस्यों के साथ MSME शामिल हैं।
  • यद्यपि WTO सर्वसम्मति से संचालित होता है यहाँ तक कि एक बहुपक्षीय समझौते के लिये सभी सदस्यों के अनुमोदन की आवश्यकता होती है, इन समूहों का गठन WTO को बहुपक्षवाद पर अपना ध्यान केंद्रित करने से दूर करने के प्रयास के रूप में है।
  • इसके व्यापार से संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकारों (TRIP) के पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क का संरक्षण क्रूर एवं अमानवीय है जो स्वास्थ्य एवं मानव जीवन के मूल्य की अवहेलना करता है।
  • WTO ने फार्मास्युटिकल कंपनियों के लिये लाभ के अधिकार का संरक्षण किया  है, जो उप-सहारा अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में जहाँ एचआईवी/एड्स से प्रतिदिन हज़ारों लोगों की मृत्यु हो जाती है। यह उन देशों के अपने लोगों के स्वास्थ्य के लिये जीवन रक्षक दवाईयाँ प्राप्त करने हेतु प्रयासों के विरुद्ध  हैं।
  • यू.एस.ए. ने जानबूझ कर (अथवा नहीं) अत्यधिक माँगों से जिन्हें पूरा करने के लिये कोई भी देश तैयार नहीं था, व्यापार वार्ता प्रक्रिया के दोहा राउंड को नष्ट कर दिया।
  • ओबामा प्रशासन की प्राथमिकता एक कमज़ोर होते हुए विश्व व्यापार संगठन की वार्ता को पुनर्जीवित करना नहीं बल्कि अपने प्रतिद्वंद्वियों यूरोप और चीन को नियंत्रित करने के लिये अपने नए बनाए गए विकल्प, TPP (ट्रांस-पैसिफिक-पार्टनरशिप) पर ध्यान केंद्रित करना था।
  • कई वर्षों से व्यापार विवाद के निपटारे के लिये बहुपक्षीय प्रणाली गहन जाँच एवं निरंतर आलोचना के अधीन है।
  • अमेरिका ने नए अपीलीय निकाय सदस्यों (न्यायाधीशों) की नियुक्ति को व्यवस्थित रूप से अवरुद्ध कर दिया है और इसने डब्ल्यूटीओ अपील तंत्र के काम में बाधा डाली है।
  • चीनी व्यापारवाद (व्यापार को प्रभावित करने की कोशिश करता है विशेष रूप से निर्यात को प्रोत्साहित करने और आयात पर सीमाएँ लगाकर)। संयुक्त राज्य अमेरिका के एकतरफा प्रशुल्क उपायों का आक्रामक उपयोग और विश्व व्यापार संगठन के अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण आधुनिक क्षेत्रों में अपने विनियमों का विस्तार करने पर आम सहमति प्राप्त होने में असमर्थता विश्व व्यापार संगठन की आलोचना को सुदृढ़ करती है।

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