मई 2021 के चर्चित व्यक्ति May 2021 Person in News Hindi

 

 मई 2021 के चर्चित व्यक्ति

 May 2021 Person in News Hindi

मई 2021 के चर्चित व्यक्ति  May 2021 Person in News Hindi



सत्यजीत रे

  • 02 मई, 2021 को विश्व प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे’ की जन्म शताब्दी मनाई गई। सत्यजीत रे का जन्म 2 मई, 1921 को कलकत्ता (भारत) के एक संपन्न परिवार में हुआ था। 20वीं सदी के सबसे महान निर्देशकों में से एक के रूप में चर्चित सत्यजीत रे’ को भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी काफी ख्याति प्राप्त हुई। 
  • सत्यजीत रे’ ने अपने कॅॅरियर की शुरुआत एक ग्राफिक डिज़ाइनर के तौर पर की थी। इसके बाद सत्यजीत रे’ लंदन गए और इस दौरान उन्होंने विटोरियो डी सिका’ के निर्देशन में बनी इटली की नव-यथार्थवादी (न्यू-रीयलिस्टिक) फिल्म बाइसिकल थीव्ज़’ (1948) देखीजिससे वे स्वतंत्र फिल्म निर्माण और खासतौर पर इटली के नव-यथार्थवादी आंदोलन से काफी प्रेरित हुएजो कि उनकी फिल्मों में भी स्पष्ट नज़र आता है।
  • सत्यजीत रे’ ने अपने संपूर्ण फिल्मी कॅॅरियर में लगभग 36 फिल्मों का निर्देशन कियाजिनमें फीचर फिल्मडॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्म शामिल हैं। इसके अलावा वह एक बेहतरीन फिक्शन लेखकप्रकाशकचित्रकारसंगीतकारग्राफिक डिज़ाइनर और फिल्म समीक्षक भी थे। उन्होंने बच्चों और किशोरों को केंद्र में रखते हुए कई लघु कथाएँ और उपन्यास लिखे। 
  • वह भारत के पहले और एकमात्र ऑस्कर विजेता निर्देशक थेसाथ ही उन्हें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। 
  • सत्यजीत रे’ की पहली फिल्म पाथेर पांचाली’ (1955) ने वर्ष 1956 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में कुल ग्यारह अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे। भारत सरकार ने सिनेमा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 1992 में भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया था।


टी. रबी शंकर

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर पद के लिये टी. रबी शंकर के नाम की पुष्टि कर दी है। टी. रबी शंकर वर्तमान में रिज़र्व बैंक में कार्यकारी निदेशक (भुगतान और निपटान) के रूप में कार्यरत हैं। इस संबंध में जारी अधिसूचना के मुताबिकटी. रबी शंकर को डिप्टी गवर्नर के पद पर कुल तीन वर्ष की अवधि के लिये नियुक्त किया गया है। ध्यातव्य है कि टी. रबी शंकर डिप्टी गवर्नर के रूप में एस.पी. कानूनगो का स्थान लेंगेजो कि 02 अप्रैल को सेवानिवृत्त हुए थे। टी. रबी शंकर के अतिरिक्त वर्तमान में रिज़र्व बैंक में तीन अन्य डिप्टी गवर्नर हैंजिनमें माइकल पात्रामहेश कुमार जैन और एम. राजेश्वर राव शामिल हैं। डिप्टी गवर्नर के पद पर रहते हुए टी. रबी शंकर भुगतान और निपटान के अलावा फिनटेकसूचना प्रौद्योगिकी विभागजोखिम निगरानी और RTI (सूचना का अधिकार) आदि विभागों का भी प्रबंधन करेंगे। टी. शंकर को केंद्रीय बैंक संबंधी विभिन्न कार्यों में कई दशकों लंबा अनुभव है। वह सितंबर 1990 में एक अनुसंधान अधिकारी के रूप में रिज़र्व बैंक में शामिल हुए थे।


थिसारा परेरा

  • श्रीलंका के ऑलराउंडर और पूर्व कप्तान थिसारा परेरा ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की है। 3 अप्रैल, 1989 को जन्मे 32 वर्षीय थिसारा परेरा ने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कॅॅरियर में श्रीलंका की ओर से कुल छह टेस्ट, 166 वनडे और 84 टी-20 मैच खेले। अपने संपूर्ण कॅॅरियर में थिसारा परेरा ने टेस्ट क्रिकेट में 203 रनवनडे में 2338 रन और टी20 में 1204 रन बनाएइसके अलावा वह एक बेहतरीन गेंदबाज भी थे और उन्होंने टेस्ट क्रिकेटवनडे तथा टी20 में क्रमशः 11, 175 और 51 विकेट प्राप्त किये। थिसारा परेरा ने अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच भारत के विरुद्ध ईडन गार्डन (कोलकाता) में 24 दिसंबर, 2009 को खेला था।


रवींद्रनाथ टैगोर

  • 07 मई, 2021 को देशभर में विश्व प्रसिद्ध कविसाहित्यकार और दार्शनिक रवींद्रनाथ टैगोर की 160वीं जयंती मनाई गई। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई, 1861 को ब्रिटिश भारत में बंगाल प्रेसीडेंसी के कलकत्ता (अब कोलकाता) को हुआ था। उनके बचपन का नाम रोबिंद्रोनाथ ठाकुर था। बहुमुखी प्रतिभा के धनी रवींद्रनाथ टैगोर ने बंगाली साहित्य और संगीत को काफी महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया। इसके अलावा उन्होंने 19वीं सदी के अंत एवं 20वीं शताब्दी की शुरुआत में प्रासंगिक आधुनिकतावाद के साथ भारतीय कला का पुनरुत्थान किया। रवींद्रनाथ टैगोर एक नीतिज्ञकविसंगीतकारकलाकार एवं आयुर्वेद-शोधकर्त्ता भी थे। उन्होंने मात्र 8 वर्ष की आयु में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था और 16 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संग्रह प्रकाशित किया था। रवींद्रनाथ टैगोर का मानना था कि उचित शिक्षा तथ्यों की व्याख्या नहीं करती हैबल्कि जिज्ञासा को बढ़ाती है। रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी काव्यरचना गीतांजलि’ के लिये वर्ष 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था और इस तरह वह नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय थे। गीतांजलि’ को मूल रूप से बंगाली भाषा में लिखा गया था और बाद में इसका अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया। भारतीय राष्ट्रगान (जन गण मन) के बांग्लादेश का राष्ट्रगान (आमार सोनार बांग्ला) भी उनके द्वारा ही रचित है। श्रीलंका के राष्ट्रगान को भी उनकी रचनाओं से प्रेरित माना जाता है। ज्ञात हो कि रवींद्रनाथ टैगोर ने ही महात्मा गांधी को महात्मा’ की उपाधि दी थी।

 

वी. कल्याणम

  • महात्मा गांधी के पूर्व निजी सचिव वी. कल्याणम का हाल ही में 99 वर्ष की आयु में चेन्नई में निधन हो गया है। वी. कल्याणम वर्ष 1943 से वर्ष 1948 तक महात्मा गांधी की मृत्यु तक उनके निजी सचिव थे। ज्ञात हो कि 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के दौरान वी. कल्याणम महात्मा गांधी के साथ ही थे। वी. कल्याणम का जन्म 15 अगस्त, 1922 को शिमला में हुआ था। गांधी के निधन के बाद कल्याणम ने पंडित नेहरूएडविना माउंटबेटन और रेड क्रॉस आदि के साथ भी कार्य कियाइसके अलावा वे एक सद्भावना मिशन पर चीन भी गए।

 

मनोज दास अंतर्राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार

  • हाल ही में ओडिशा सरकार ने राज्य के प्रख्यात साहित्यकार मनोज दास की स्मृति में 'मनोज दास अंतर्राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कारप्रदान करने की घोषणा की है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष अंग्रेज़ी साहित्य में रचनात्मक योगदान देने वाले ओडिशा के साहित्यकारों को प्रदान किया जाएगा। इसके तहत पुरस्कार के तौर पर 10 लाख रुपए का नकद इनाम दिया जाएगा। ओडिशा के प्रख्यात शिक्षाविद और जाने-माने द्विभाषी साहित्यकार मनोज दास का हाल ही में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। वर्ष 1934 में ओडिशा में जन्में मनोज दास ने ओडिया और अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं में महत्त्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएँ कीं। मनोज दास को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये वर्ष 2001 में पद्मश्री और वर्ष 2020 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा राज्य सरकार ने हाई स्कूल के छात्रों को उनके रचनात्मक कार्यों हेतु मनोज-किशोर साहित्य प्रतिभा पुरस्कार’ प्रदान करने की भी घोषणा की हैताकि ओडिया और अंग्रेज़ी साहित्य दोनों में युवाओं के बीच रुचि विकसित की जा सके।

सआदत हसन मंटो

  • 11 मई, 2021 को प्रसिद्ध साहित्यकार सआदत हसन मंटो की 109वीं जयंती मनाई गई। सआदत हसन मंटो को सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला और उर्दू में सबसे विवादास्पद लघु कथाकार माना जाता है। 11 मई, 1912 को पंजाब के लुधियाना ज़िले के समबरला में एक कश्मीरी परिवार में जन्मे मंटो ने लघु कहानियों के बाईस संग्रहएक उपन्यासरेडियो नाटक के पाँच संग्रह और फिल्मों के लिये कई स्क्रिप्ट लिखीं। मंटो ने अपनी कहानियों और रचनाओं के माध्यम से विभाजन और उसके दर्द को लिखा। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1935 में मंटो बॉम्बे चले गए और वहाँ उन्होंने साप्ताहिक पत्रिका पारस’ में काम किया। उनके उपन्यासों और रचनाओं ने साहित्य जगत में उथल-पुथल मचा दिया और इसी कारण उन्हें अश्लील साहित्यकार भी कहा गया। इसी वजह से उन पर कई बार मुकदमे चलाए गए और पाकिस्तान में उन्हें 3 महीने के कारावास और 300 रुपए का जुर्माना भी देना पड़ा। बाद में उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'निशान-ए-इम्तियाज़से भी सम्मानित किया गया। 18 जनवरी, 1955 को पाकिस्तान में मंटो का निधन हो गया।

 

 

जोस जे. कट्टूर

  • हाल ही में जोस जे. कट्टूर को भारतीय रिज़र्व बैंक का कार्यकारी निदेशक (ED) नियुक्त किया गया है। कार्यकारी निदेशक के रूप में पदोन्नत होने से पहलेजोस जे. कट्टूर कर्नाटक के क्षेत्रीय निदेशक के रूप में रिज़र्व बैंक के बंंगलूरू क्षेत्रीय कार्यालय प्रमुख के रूप में कार्य कर रहे थे। जोस कट्टूरबीते लगभग तीन दशकों से भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ जुड़े हुए हैं और अपने इस लंबे अनुभव में उन्होंने केंद्रीय बैंक में संचारमानव संसाधन प्रबंधनवित्तीय समावेशनपर्यवेक्षणमुद्रा प्रबंधन और अन्य क्षेत्रों में काम किया है। कार्यकारी निदेशक के रूप में जोस कट्टूर मानव संसाधन प्रबंधन विभागकॉर्पोरेट रणनीति तथा बजट विभाग और राजभाषा विभाग का नेतृत्त्व करेंगे।


पद्मकुमार माधवन नायर

  • पद्मकुमार माधवन नायर को नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड’ (NARCL) के प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया गया है। पद्मकुमार नायर वर्तमान में भारतीय स्टेट बैंक के स्ट्रेस्ड एसेट्स रिज़ॉल्यूशन ग्रुप के मुख्य महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं। ज्ञात हो कि भारतीय बैंक संघ (IBA) वित्त मंत्रालय और भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड’ के गठन की अगुवाई कर रहा है। 500 करोड़ रुपए और उससे अधिक की मूल बकाया राशि वाली दबावग्रस्त परिसंपत्तियोंजिनका समग्र मूल्य तकरीबन 1.50 लाख करोड़ रुपए हैनेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड को हस्तांतरित किये जाने की उम्मीद है।


मृणाल सेन

  • 14 मई, 2021 को देश के मशहूर फिल्म निर्माता मृणाल सेन की 98वीं जयंती मनाई गई। मृणाल सेन का जन्म 14 मई, 1923 को अविभाजित भारत के फरीदपुर शहर (वर्तमान बांग्लादेश) में हुआ था। मृणाल सेन ने कलकत्ता के एक फिल्म स्टूडियो में ऑडियो टेक्नीशियन के रूप में की थी। मृणाल सेन ने अपनी पहली फीचर फिल्म वर्ष 1953 में बनाई थी। वर्ष 1958 में निर्मित उनकी फिल्म नील आकाशेर नीचे’ (अंडर द ब्लू स्काई) स्वतंत्र भारत में प्रतिबंधित पहली भारतीय फिल्म थी। उन्होंने अधिकांशतः बंगाली और हिंदी में फिल्मों का निर्देशन किया। कला और फिल्म के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मभूषण सेफ्रांँस की सरकार द्वारा ऑर्ड्रे डेस आर्ट्स एट डेस लेटर्स’ से और रूस की सरकार द्वारा उन्हें ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप’ से सम्मानित किया गया। उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाज़ा गया था। भारतीय सिनेमा में न्यू सिनेमा’ आंदोलन को शुरू करने वाले मृणाल सेन स्वयं को निजी मार्क्सवादी’ के रूप में परिभाषित करते थे। 30 दिसंबर, 2018 को हृदय आघात के चलते 95 वर्ष की आयु में कोलकाता में उनका निधन हो गया। उनकी प्रमुख फिल्मों में- भुवन शोमएक दिन प्रतिदिनमृगया और आकाश कुसुम आदि शामिल हैं।

 

शहीद सुखदेव

  • 15 मई, 2021 को देश भर में प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी शहीद सुखदेव की जयंती मनाई गई। सुखदेव (1907-1931) उन प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारियों में से एक थेजिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ;महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुखदेव का जन्म 15 मई, 1907 को पंजाब के लुधियाना में हुआ था। अपने बचपन के दिनों में ही सुखदेव ने भारत पर ब्रिटिश राज द्वारा किये गए क्रूर अत्याचारों को देखा थाजिसने उन्हें क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिये प्रेरित किया। सुखदेवहिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य थे। उन्होंने अन्य प्रसिद्ध क्रांतिकारियों के साथ लाहौर में 'नौजवान भारत सभाकी भी शुरुआत कीजिसका प्राथमिक लक्ष्य युवाओं के बीच सांप्रदायिकता को समाप्त कर उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिये प्रेरित करना था। सुखदेवभगत सिंह और शिवराम राजगुरु के सहयोगी थेजो कि वर्ष 1928 में पुलिस उपाधीक्षकजॉन सॉन्डर्स की हत्या में शामिल थे। नई दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल बम विस्फोट (8 अप्रैल, 1929) के बादसुखदेव और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया गया तथा उनके अपराध के लिये उन्हें दोषी ठहराया गया एवं मौत की सज़ा सुनाई गई। 23 मार्च, 1931 को तीन बहादुर क्रांतिकारियों- भगत सिंहसुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश सरकार द्वारा फांँसी दे दी गई। हालाँकि उनके जीवन ने अनगिनत युवाओं को प्रेरित किया और उनकी मृत्यु ने इन्हें एक मिसाल के रूप में कायम किया।

 


नीरा टंडन

  • भारतीय मूल की अमेरिकी राजनीतिज्ञ नीरा टंडन को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया गया है। नीरा टंडन वर्तमान में अमेरिका के प्रगतिशील थिंक-टैंकसेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस (CAP) की अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के रूप में कार्यरत हैं। नीरा टंडन इससे पूर्व अमेरिकी स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग में स्वास्थ्य सुधारों हेतु वरिष्ठ सलाहकार के रूप में भी कार्य कर चुकी हैं। नीरा टंडन ने अपने राजनीतिक कॅॅरियर की शुरुआत पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल में व्हाइट हाउस में घरेलू नीति के लिये एक सहयोगी निदेशक और अमेरिका की फर्स्ट लेडी’ की वरिष्ठ नीति सलाहकार के रूप में की थी। नीरा टंडन ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक और येल लॉ स्कूल से कानून की पढाई की है।


 

नीलम संजीव रेड्डी

  • 19 मई, 2021 को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने पूर्व राष्ट्रलपति नीलम संजीव रेड्डी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई, 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुरम ज़िले के इलूर गाँव में हुआ था। वे महात्मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थे। वर्ष 1937 में वे आंध्र प्रांतीय काॅॅन्ग्रेस समिति (APCC) के सबसे कम उम्र के सचिव बने। वर्ष 1940-45 के दौरान उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के लिये कई बार कारावास भेजा गया। रेड्डी का विधायी कॅॅरियर वर्ष 1946 में तब शुरू हुआ जब वे मद्रास विधानसभा के लिये चुने गए और मद्रास काॅॅन्ग्रेस विधायक दल के सचिव बने। उन्होंने वर्ष 1956–60 और 1962–64 में नवगठित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। 25 जुलाई, 1977 को नीलम संजीव रेड्डी को निर्विरोध रूप से देश का छठा राष्ट्रपति चुन लिया गयाऔर इसी के साथ वे देश के सबसे कम आयु (64 वर्ष) के राष्ट्रपति भी बने। वर्ष 1996 में 83 वर्ष की आयु में डॉ. नीलम संजीव रेड्डी का उनके पैतृक स्थान पर निधन हो गया।

 


एम. एस. नरसिम्हन

  • हाल ही में प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और गणितज्ञ मुदुंबई शेषचुलु नरसिम्हन’ का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वे एक विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ थेजिन्होंने विविध गणितीय क्षेत्रों जैसे- बीजगणितीय ज्यामितिडिफरेंशियल ज्यामितिरिप्रजेंटेशन थ्योरी और पार्शियल डिफरेंशियल समीकरणों में मौलिक योगदान दिया। 07 जून, 1932 में उत्तरी तमिलनाडु के तंदराई गाँव में जन्मे एम. एस. नरसिम्हन को अपने स्कूल के दिनों से ही गणित में गहरी दिलचस्पी थी। प्रोफेसर एम. एस. नरसिम्हन को नरसिम्हन-शेषाद्री थ्योरम के प्रमाण के लिये जाना जाता था।  एम. एस. नरसिम्हन ने वर्ष 1953 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ (TIFR) से गणित में पी.एच.डी की और वे अपने कॅॅरियर में लंबे समय तक टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ के गणित विभाग से जुड़े रहे। इसके पश्चात् वे वर्ष 1992-1999 तक इटली के इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिज़िक्स’ में गणित समूह के प्रमुख थे और फिर वे बंगलुरू चले गए। उन्होंने वर्ष 1975 में एस.एस. भटनागर पुरस्कारवर्ष 1987 में गणित के लिये थर्ड वर्ड अकादमी’ पुरस्कारवर्ष 1990 में पद्म भूषणवर्ष 2006 में रॉयल सोसाइटी के फेलो और विज्ञान के लिये किंग फैसल अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार’ जीता था।

 

पंडित रेवा प्रसाद द्विवेदी

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाने-माने संस्कृत विद्वान महामहोपाध्याय पंडित रेवा प्रसाद द्विवेदी के निधन पर शोक व्यधक्तं किया है। संस्कृत के विद्वान और कवि पंडित रेवा प्रसाद द्विवेदी का जन्म 22 अगस्त, 1935 को मध्य प्रदेश में हुआ था और संस्कृत के क्षेत्र में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उन्होंने वाराणसी से पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा प्रणालियों दोनों में संस्कृत भाषा और साहित्य का अध्ययन किया तथा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से साहित्याचार्य की उपाधि एवं संस्कृत में मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके पश्चात् उन्होंने वर्ष 1965 में रविशंकर विश्वविद्यालय (रायपुर) से पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की। उनकी प्रमुख रचनाओं में दो संस्कृत महाकाव्य- सीताचरितम एवं स्वातंत्र्यसंभवम् शामिल हैं। उन्हें उनके दूसरे महाकाव्य स्वातंत्र्यसंभवम्’ के लिये वर्ष 1991 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह महाकाव्य झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के समय से लेकर स्वतंत्रता के बाद की घटनाओं तक भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन को चित्रित करता है। संस्कृत भाषा और साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें भारतीय राष्ट्रपति से सम्मान प्रमाण पत्रभारतीय भाषा परिषद द्वारा कल्पावली पुरस्कार (1993), के.के. बिरला फाउंडेशन द्वारा वाचस्पति पुरस्कार (1997) और आर.जे. डालमिया श्रीवेणी ट्रस्ट द्वारा श्रीवेणी पुरस्कार’ (1999) से सम्मानित किया गया।

 

नरिंदर बत्रा

  • हॉकी की वैश्विक संस्था अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ’ (FIH) की 47वीं काॅन्ग्रेस के दौरान भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) प्रमुख नरिंदर बत्रा को लगातार दूसरी बार अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ’ के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। नरिंदर बत्रा वर्तमान में भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के सदस्य भी हैं। नरिंदर बत्रा वर्ष 2024 तक अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ’ के अध्यक्ष का पदभार संभालेंगे। ज्ञात हो कि वर्ष 2016 में महासंघ की 45वीं काॅन्ग्रेस के दौरान शीर्ष पद के लिये चुने जाने के बाद नरिंदर बत्रा अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ’ के पहले गैर-यूरोपीय अध्यक्ष बने थे। अनुभवी भारतीय खेल प्रशासक नरिंदर बत्रा इस वैश्विक महासंघ के 92 वर्ष पुराने इतिहास में शीर्ष पद हासिल करने वाले एकमात्र एशियाई बने हुए हैं। अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ’ (FIH) की स्थापना 07 जनवरी, 1924 को पेरिस में हुई थी। यह महासंघ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी को विनियमित करने वाला अंतर्राष्ट्रीय निकाय है।

 

रास बिहारी बोस

  • 25 मई, 2021 को उपराष्ट्र पति ने क्रांतिकारी नेता रास बिहारी बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। 25 मई, 1886 को बंगाल प्रांत के सुबलदाहा गाँव में जन्मे रास बिहारी बोस ने गदर आंदोलन का नेतृत्वस करने से लेकर भारतीय राष्ट्रीय सेना की स्थापना तक स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। रास बिहारी बोस वर्ष 1789 की फ्राँँसीसी क्रांति से खासा प्रभावित थे। वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन और उसके बाद की घटनाओं ने रास बिहारी बोस को क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने प्रख्यात क्रांतिकारी नेता जतिन बनर्जी के मार्गदर्शन में अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों का संचालन किया। गदर आंदोलन में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका तो निभाई किंतु यह अल्पकालिक थीक्योंकि जल्द ही ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह की उनकी योजना का खुलासा हो गया थाजिसने अंततः उन्हें जापान जाने के लिये मजबूर कर दियाजहाँ उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों का नया अध्याय उनकी प्रतीक्षा कर रहा था। वर्ष 1942 में जापान के टोक्यो में रासबिहारी बोस ने 'आज़ाद हिंद फौज़की स्थापना की। 'आजाद हिंद फौजकी स्थापना का उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेज़ोंं के खिलाफ लड़ना था। जापान ने 'आज़ाद हिंद फौज़के गठन में सहयोग दिया था। बाद में 'आज़ाद हिंद फौज़की कमान सुभाषचंद्र बोस के हाथों में सौंप दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए जापान की सरकार ने उन्हें 'सेकंड ऑर्डर ऑफ मेरिट ऑफ द राइजिंग सनसे सम्मानित किया था।


पंडित जवाहरलाल नेहरू

  • 27 मई, 2021 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 57वीं पुण्यतिथि मनाई गई। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। भारत से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे इंग्लैंड चले गए और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 1912 में वे भारत लौटे और राजनीति से जुड़ गए। वर्ष 1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं वर्ष 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने। पंडित नेहरू सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस कमेटी के महासचिव बने। वर्ष 1929 में वे भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के लाहौर सत्र के अध्यक्ष चुने गए जिसका मुख्य लक्ष्य देश के लिये पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था। उन्हें वर्ष 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कई अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। नेहरू जी सर्वप्रथम वर्ष 1916 के लखनऊ अधिवेशन में महात्मा गांधी के संपर्क में आए और गांधी जी से काफी अधिक प्रभावित हुए। नेहरू जी बच्चों से काफी अधिक प्रेम करते थेजिसके कारण देश भर में प्रत्येक वर्ष नेहरू जी के जन्म दिवस (14 नवंबर) को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित नेहरू को कॉन्ग्रेस द्वारा स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में पद संभालने के लिये चुना गया। चीन से युद्ध के बाद नेहरू जी के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगी और 27 मई, 1964 को उनकी मृत्यु हो गई।

 

एरिक कार्ले

  • हाल ही में विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी बाल साहित्यकारचित्रकार और डिज़ाइनर एरिक कार्ले’ का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। 25 जून, 1929 को अमेरिका के न्यूयॉर्क में जन्मे एरिक कार्ले ने कई प्रसिद्ध बाल पुस्तकें प्रकाशित कींजिसमें उनकी सबसे प्रमुख पुस्तक द वैरी हंगरी कैटरपिलर’ (1969) भी शामिल हैजिसकी वर्ष 2018 तक लगभग 50 मिलियन प्रतियाँ बिक चुकी थीं और 60 से अधिक भाषाओं में उसका अनुवाद किया गया है। एरिक कार्ले ने जर्मनी से ग्राफिक आर्ट की पढाई की और वे वर्ष 1950 में ग्रेजुएट हुएजिसके बाद एरिक कार्ले वर्ष 1952 में पुनः न्यूयॉर्क (अमेरिका) आ गए। यहाँ उन्होंने द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में एक ग्राफिक डिज़ाइनर के रूप में काम किया और बाद में उन्हें कोरियाई युद्ध के दौरान सेना में शामिल कर लिया गया। सेना से लौटने पर वे द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में पुनः शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध बाल साहित्यकार बिल मार्टिन जूनियर के साथ कार्य किया और वर्ष 1967 में उन्होंने ब्राउन बियरब्राउन बियरव्हाट डू यू सी?’ नामक पुस्तक प्रकाशित कीजो उस समय की सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक बनी और जिसने कई पुरस्कार भी जीते। एरिक कार्ले ने अपने कॅॅरियर में 75 से अधिक पुस्तकें लिखी और/या उनमें चित्रकारी की। 

 

पेन्पा त्सेरिंग

  • 53 वर्षीय पेन्पा त्सेरिंग को धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार यानी केंद्रीय तिब्बती प्रशासन’ का अध्यक्ष चुना गया हैजिसे आधिकारिक तौर पर सिक्योंग’ कहा जाता है। ज्ञात हो कि पेन्पा त्सेरिंग तिब्बत की निर्वासित संसद के पूर्व अध्यक्ष हैं। वर्ष 1967 में कर्नाटक के बाइलाकुप्पे रिफ्यूजी कैंप में जन्मे त्सेरिंग ने बाइलाकुप्पे में तिब्बती केंद्रीय स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त कीजिसके बाद उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेजचेन्नई से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की। पेन्पा त्सेरिंग ने अपने कॉलेज के दौरान तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन और नाइजीरियाई-तिब्बत मैत्री संघ के महासचिव के रूप में कार्य किया तथा बाद में वर्ष 2001-08 तक दिल्ली में तिब्बती संसदीय एवं अनुसंधान केंद्र में कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य किया। नियमों के मुताबिकदुनिया भर के किसी भी देश में रह रहे 18 वर्ष से अधिक आयु के तिब्बती शरणार्थी मतदान में हिस्सा ले सकते हैं। ज्ञात हो कि भारत समेत विश्व भर के तमाम देशों में 1.3 लाख से अधिक शरणार्थी मौजूद हैं। निर्वासित तिब्बती सरकार या केंद्रीय तिब्बती प्रशासन’ को भारत सहित विश्व स्तर पर किसी भी देश द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्रदान नहीं की गई है।

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