बादशाह जहांगीर Emperor Jahangir

 बादशाह जहांगीर Emperor Jahangir

 

बादशाह जहांगीर Emperor Jahangir

जहांगीर द्वारा अकबर की नीतियों का अनुगमन 

एक शहज़ादे के रूप में सलीम ने अपने पिता के विरुद्ध कई बार बगावत की थी जहांगीर के रूप में बादशाह बनने पर उसने सामान्यतः अकबर महान की नीतियों का अनुगमन कर अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय दिया था।

 

  • अपने राज्यारोहण के समय जहांगीर ने 12 अध्यादेश (दस्तूर-उल-अमल) निर्गत किए थे जो कि मूलतः अकबर की लोक-कल्याण की भावना तथा उसकी उदार नीतियों पर आधारित थे। व्यावहारिक दृष्टि से उसने अपने पिता की धार्मिक नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया। गैर-मुस्लिम जज़िया से पूर्ववत मुक्त रहे और सभी धर्मावलम्बियों को आमतौर पर अपने-अपने धर्म का स्वतन्त्रतापूर्वक पालन करने का अधिकार मिला रहा। जहांगीर ने अकबर की भू-राजस्व व्यवस्था, मनसबदारी व्यवस्था, उद्योग एव व्यापार को प्रोत्साहन देने की नीति, धर्म निर्पेक्ष न्याय व्यवस्था आदि का भी निष्ठापूर्वक अनुगमन किया।

 

  • राजपूत पहले की ही तरह मुगलों के अधीनस्थ मित्र व सहयोगी बने रहे।

 

  • जहांगीर के शासनकाल में भी अकबर के शासनकाल की ही भांति साहित्य, कला और संगीत को राज्य की ओर से प्रोत्साहन मिलता रहा।

 

जहांगीर के शासन में नूरजहां का प्रभाव Nur Jahan's influence in Jahangir's rule 

  • अपने समय की विख्यात सुन्दरी मेहरुन्निसा के पति शेर अफ़गन की सन् 1607 में हत्या में जहांगीर का हाथ था। सन् 1611 में जहांगीर ने उसके साथ विवाह किया और तभी से उसने राज्य की नीतियों में हस्तक्षेप करना प्रारम्भ कर दिया। 'नूर महल' और बाद में 'नूरजहां' की उपाधि प्राप्त कर वह और भी अधिक प्रभावशाली हो गई। 
  • सन् 1611 से 1622 तक मुगल राजनीति पर 'नूरजहां जुन्टा' ( मुख्य रूप से नूरजहां, उसका पिता उत्मात् उद्- दौला, उसका भाई आसफ़ खाँ तथा शहज़ादा तक व्यावहारिक दृष्टि से अकेली नूरजहां, जहांगीर के शासनकाल की संचालिका बनी रही। 
  • जहांगीर के शासनकाल की सांस्कृतिक गतिविधियों में नूरजहां का योगदान प्रशंसनीय था। नूरजहां अपने काल की सबसे सुसंस्कृत महिला थी। उसके निर्देशन में तैयार किए गए वस्त्र पूरे साम्राज्य के आभिजात्य वर्ग में लोकप्रिय हुए। गुलाब के इत्र का आविष्कारक नूरजहां को माना जाता है। जहांगीर के काल की दोनों प्रसिद्ध इमारतों एत्मात्-उद्-दौला का मकबरा तथा जहांगीर का मक़बरा का निर्माण नूरजहां की देखरेख में हुआ था। 
  • जहांगीर ने अपने सिक्कों में अपने साथ नूरजहां का नाम भी अंकित कराया। 
  • जहांगीर ने नूरजहां के पिता गियासुद्दीन बेग को अपने साम्राज्य का वज़ीर बनाया और उसे एत्मात्-उद्-दौला की उपाधि प्रदान की। नूरजहां के भाई आसफ़ खाँ को उच्च मनसब प्रदान किया गया तथा उसकी पुत्री अर्जुमन्द बानो से शहज़ादे खुर्रम का विवाह किया गया। 
  • नूरजहां की मदद से बागी शहज़ादे खुसरो को शहज़ादे खुर्रम को सौंप दिया गया जिसने उसकी हत्या करवा दी। खुर्रम को शाहजहां का खिताब दिलाने के पीछे नूरजहां का हाथ था। 
  • नूरजहां-शेर अफ़गन की पुत्री लाडली बेगम का विवाह शहज़ादे शहरयार से कर दिया गया। इसके बाद नूरजहां का झुकाव शाहजहां के स्थान पर शहरयार की ओर हो गया। सन् 1622 में एत्मात्-उद् दौला की मृत्यु के बाद नूरजहां का अपने भाई आसफ़ खाँ से भी मनमुटाव हो गया। जहांगीर स्वास्थ्य का लाभ उठाकर नूरजहां ने अकेले ही शासन पर अपनी पकड़ मज़बूत कर ली। शहरयार को आवश्यकता से अधिक महत्व देकर उसने शाहजहां और आसफ़ खाँ को अपना विरोधी बना लिया। शाहजहां के विद्रोह का भी मुख्यतः यही कारण था। 
  • प्रसिद्ध सेनानायक महाबत खाँ ने जहांगीर द्वारा एक महिला को इतने अधिक अधिकार दिए जाने की उसके मुहँ पर आलोचना की थी। नूरजहां के राजनीतिक उत्पीड़न से क्रुद्ध महाबत खाँ ने जहांगीर के विरुद्ध विद्रोह कर उसे कुछ समय के लिए नज़रबन्द भी कर दिया था। 
  •  नूरजहां द्वारा राजनीतिक तनाव एव अविश्वास की स्थिति उत्पन्न किए जाने के कारण दक्षिण भारत में मुगलों की पकड़ कमज़ोर हो गई और उत्तर-पश्चिम में कान्धार मुगलों के हाथ से निकल गया। 
  • नूरजहां ने प्रशासनिक भ्रष्टाचार और भेंट व नज़राने की प्रथा को बढ़ावा दिया शक्ति संतुलन के 
  • समीकरणों में उसके द्वारा निरन्तर बदलाव किए जाने की उसकी प्रवृत्ति के कारण अमीरों में अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता रहती थी। इस राजनीतिक अनिश्चितता का साम्राज्य की प्रतिष्ठा पर तथा उसकी प्रशासनिक सक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
Also Read...
















No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.