हिन्दी व्याकरण प्रश्न उत्तर | Hindi Grammar 3 Marker Question With Answer

 हिन्दी व्याकरण प्रश्न उत्तर | 
Hindi Grammar 3 Marker Question With Answer
हिन्दी व्याकरण प्रश्न उत्तर | Hindi Grammar 3 Marker Question With Answer



प्रश्न 1. गति ( लय) किसे कहते हैं? 

उत्तर- गति का अर्थ लय या प्रवाह होता है। छन्द की संगीतात्मक नियमित धारावाहिकता को गति कहते हैं। 


प्रश्न 2. छन्द के कितने भेद होते हैं नाम उल्लेख कीजिए। 

उत्तर- छन्द के दो भेद होते हैं। 

(1) मात्रिक छन्द 

(2) वर्णिक छन्द

 

प्रश्न 3. मात्रिक छन्द किसे कहते हैं? 

उत्तर- जिस छन्द की गणना मात्रा के आधार पर होती है वहाँ 'मात्रिक छन्द' कहलाता है।

 

प्रश्न 4. वर्णिक छन्द किसे कहते हैं

उत्तर- जिस छन्द में वर्णों की संख्या और नियम का ध्यान रखा जाता है, उसे वर्णिक छन्द कहते हैं।

 

प्रश्न 5. सम किसे कहते हैं? 

उत्तर- जिस छन्द के चारों चरणों में मात्राओं और वर्णों की संख्या बराबर होती है। उसे सम कहते हैं।

 

प्रश्न 6. अर्द्ध-सम किसे कहते हैं?

उत्तर- जब छन्द के प्रथम और तृतीय तथा द्वितीय और चतुर्थ चरणों में मात्राओं अथवा वर्णो की संख्या बराबर होती है। उसे अर्द्ध-सम कहते हैं।

 

प्रश्न 7. विषम किसे कहते हैं? 

उत्तर- जब छन्द में 4 से अधिक 6 चरण हो और प्रत्येक चरण में मात्राएँ और वर्णों की संख्या भी अलग अलग हो उसे विषम छन्द कहते हैं।

 

प्रश्न 8. चौपाई किसे कहते हैं? 

उत्तर- चौपाई के प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती है । और अन्त में लघु-गुरु नहीं होते हैं। चौपाई समछन्द है । पहले चरण की तुक दूसरे से तथा तीसरे चरण की चौथे चरण से मिलती है। 

उदाहरण- प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदय सखि कोसलपुर राजा। 

गरल सुधा रिपु अमिय मिताई। गोपद सिन्धु अनल सितलाई।।

 

प्रश्न 9. रोला किसे कहते हैं? 

उत्तर- रोला मात्रिक छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती है। प्रत्येक चरण में 11 तथा 13 मात्राएँ होती हैं। अन्त में 2 गुरू होना सुन्दर माना गया है। परन्तु सदा ऐसा नहीं होती है। 

उदा. जो जगहित पर प्राण निछावर है, कर पाता। जिसका तन है किसी लोकहित में लग जाता।


प्रश्न 10. हरिगीतिका छन्द में कितनी मात्राएँ होती ? 

उत्तर- हरिगीतिका छन्द में प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ होती हैं?

 

प्रश्न 11. एहि भाँति गौरि असीस सुनि, सिय सहित हिय हरणी अली। 

तुलसी भवानिह पूजि पुनि-पुनि, मुदित मन मन्दिर चली॥ 

उपरोक्त छन्द किसका उदाहरण है।

उत्तर- उपरोक्त छन्द हरिगीतिका छन्द का उदाहरण है।


प्रश्न 12. दोहा कौन-सा छन्द हैं?

उत्तर- दोहा मात्रिक अर्द्धसम छन्द हैं। 


प्रश्न 13. सोरठा किसे कहते हैं?

उत्तर- सोरठा दोहे का उल्टा होता है। इस छन्द के विषम चरणों में 11 मात्राएँ तथा सम चरणों में 13 मात्राएँ होती है।

 

प्रश्न 14. सवैया किसे कहते हैं?

उत्तर- यह एक वर्णिक समवृत छन्द है। इसके चरण में 22 से लेकर 26 तक अक्षर होते हैं। 

प्रश्न 15. कवित्त किसे कहते हैं? 

उत्तर- यह वार्णिक समवृत्त छन्द है। इसमें 31 वर्ण होते हैं।

 

प्रश्न 16. द्रुतविलम्बित छन्द किसे कहते हैं

उत्तर- द्रुतविलम्बित वार्णिक छन्द है जिसके प्रत्येक चरण में 12 वर्ण होते हैं ।

 

प्रश्न 17. शब्दालंकार किसे कहते हैं? 

उत्तर- जहाँ शब्दों के कारण वाक्य में सुन्दरता आती है वहाँ शब्दालंकार होता है। यहाँ अर्थ का चमत्कार अधिक महत्वपूर्ण नहीं होता।

 

प्रश्न 18. अनुप्रास, यमक, पुनरुक्ति, वीप्सा, वक्रोक्ति, श्लेष कौन से अलंकार हैं? 

उत्तर- अनुप्रास, यमक, पुनरुक्ति, वीप्सा, वक्रोक्तिश्लेष शब्दालंकार है।

 

प्रश्न 19. अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं

उत्तर- जिस वाक्य, काव्य या काव्यांश में वर्णों की आवृत्ति हो, उसे अनुप्रास अलंकार होता है। 

प्रश्न 20. अनुप्रास अलंकार के मुख्य भेद उल्लेख कौन से हैं।  

उत्तर- अनुप्रास अलंकार के पाँच भेद हैं (1) छेकानुप्रास (2) श्रुत्यनुप्रास (3) वृत्यानुप्रास (4) अन्त्यानुप्रास (5) लाटानुप्रास

 

प्रश्न 21. छेकानुप्रास, श्रुत्यनुप्रास से क्या आशय हैं?

 

उत्तर- जहाँ एक वर्ण अथवा अनेक वर्ण केवल दो बार आयें, वहाँ छेकानुप्रास होता है। 

जहाँ बहुत से ऐसे वर्णों का प्रयोग मिले, जिनका उच्चारण स्थान एक हो, वहाँ 'श्रुत्यनुप्रास' होता है। 


प्रश्न 22. यमक अलंकार किसे कहते हैं? 

उत्तर- जहाँ एक शब्द की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार होती है लेकिन उनके अर्थ में भिन्नता होती हैवहाँ यमक अलंकार होता है। 

उदाहरण- काली घटा का घमण्ड घटा।

यहाँ 'घटा' शब्द दोनों बार भिन्न-भिन्न अर्थ में प्रयुक्त हुआ हैं। पहली बार 'बादलों के जमघट के लिए और दूसरी बार 'कम हुआ' के लिए। अत: यहाँ यमक अलंकार हैं।


प्रश्न 23. श्लेष अलंकार किसे कहते हैं? 

उत्तर- श्लेष का शाब्दिक अर्थ हैं, चिपकना अथवा चिपका हुआ। जहाँ एक शब्द के एक से अधिक अर्थ निकलें, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

 

प्रश्न 24. श्लेष अलंकार के भेद लिखो 

उत्तर- श्लेष अलंकार के दो भेद होते हैं। 

(1) अभङ्ग श्लेष 

(2) सभङ्ग श्लेष

 

प्रश्न 25. अभङ्ग श्लेष अलंकार को समझाइए।

उत्तर- जहाँ शब्दों के बिना तोड़े दो या दो से अधिक अर्थ निकले वहाँ अभङ्ग श्लेष होता है।

 

प्रश्न 26. सभङ्ग श्लेष अलंकार समझाइए। 

उत्तर- जहाँ शब्दों को अलग-अलग तरीके से तोड़ने पर अलग-अलग अर्थ हों वहाँ सभङ्ग श्लेष अलंकार होता है।

 

प्रश्न 27. चिर जीवों जोरी जुरै, क्यों न सनेह गम्भीर। को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के बीर॥ में कौन-सा अलंकार है। 

उत्तर- उपरोक्त में सभङ्ग श्लेष अलंकार है । 


प्रश्न 28. वक्रोक्ति अलंकार किसे कहते हैं

उत्तर- जहाँ किसी कथन का सुननेवाला श्लेष ( दो अथवा दो से अधिक अर्थ) के कारण व्यंग्य द्वारा इच्छित अर्थ से अन्य अर्थ लगाये, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।


प्रश्न 29. को तुम हो दूत आये कहाँ? घनश्याम हैं तो कितहूँ बरसौ।' 

इन पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ।

उत्तर- उपरोक्त पंक्तियों में वक्रोक्ति अलंकार है। यहाँ राधिका कृष्ण से पूछती हैं।

"आप कौन हैं और यहाँ कहाँ आये?" कृष्ण कहते हैं "हम घनश्याम (कृष्ण) है।" राधिका घनश्याम शब्द का अर्थ (जल से भरा हुआ) काला बादल लगाती है और कहती हैं, "तो आप कहीं ओर जाकर जल बरसाइए।" इस प्रकार यहाँ वक्रोक्ति अलंकार है। 


प्रश्न 30. उल्लेख अलंकार किसे कहते हैं ? 

उत्तर- जहाँ एक वस्तु का अलग- अलग प्रकार से री उल्लेख किया जाता है वहाँ उल्लेख अलंकार होता है। 

 

प्रश्न 31. उल्लेख अलंकार के भेद लिखो

 उत्तर- (1) प्रथम उल्लेख (2) द्वितीय उल्लेख 


प्रश्न 32. भ्रान्तिमान अलंकार किसे कहते हैं? 

उत्तर- जहाँ सादृश्य के आधार पर किसी वस्तु को कुछ और समझकर उसका चमत्कारपूर्ण वर्णन किया जाए, वहाँ 'भ्रान्तिमान अलंकार' होता है।

 

प्रश्न 33. कपि कर हृदय विचार, दीन मुद्रिका डारि तब। जानि असोक अँगार, सीय हरषि उठिकर गहौ में कौन-सा अलंकार है।

उत्तर- यहाँ सीताजी को मुद्रिका देखकर यह भ्रम हो जाता है, कि वह अंगारा है। यहाँ भ्रान्तिमान अलंकार है।


प्रश्न 34. सन्देह अलंकार किसे कहते हैं? 

उत्तर- किसी वस्तु को देखकर अन्य वस्तु के संशय होने को संदेह अलंकार कहते हैं।

 

प्रश्न 35. भ्रान्तिमान और सन्देह अलंकार में अन्तर लिखो। 

उत्तर- भ्रान्तिमान में मूल में भ्रम रहता है जबकि सन्देह के मूल में संशय।

 

प्रश्न 36. अतिशयोक्ति अलंकार किसे कहते हैं

उत्तर- जहाँ किसी वस्तु का वर्णन इतना बढ़ा चढ़ाकर किया जाए कि वह लोक-मर्यादा का ध्यान ना रखा जाए या उल्लंघन कर दिया जाए वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।  

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