राजाजी टाइगर रिज़र्व उत्तराखंड की जानकारी |Rajaji Tiger Reserve Details in Hindi

राजाजी टाइगर रिज़र्व उत्तराखंड की जानकारी 

(Rajaji Tiger Reserve Details in Hindi)

राजाजी टाइगर रिज़र्व उत्तराखंड की जानकारी |Rajaji Tiger Reserve Details in Hindi


राजाजी टाइगर रिज़र्व उत्तराखंड की जानकारी (Rajaji Tiger Reserve Details in Hindi)


 राजाजी टाइगर रिज़र्व  अवस्थिति: 

  • हरिद्वार (उत्तराखंड)शिवालिक श्रेणी की तलहटी में। यह राजाजी नेशनल पार्क का हिस्सा है।

राजाजी टाइगर रिज़र्व का इतिहास : 

  • राजाजी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1983 में उत्तराखंड में तीन अभयारण्यों यानी राजाजीमोतीचूर और चीला को मिलाकर की गई थी।
  • इसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया थाजो कि "राजाजी" के नाम से प्रसिद्ध थे।
  • वर्ष 2015 में इसे टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया तथा यह देश का 48वाँ टाइगर रिज़र्व बना।


 राजाजी टाइगर रिज़र्व की प्रमुख विशेषताएँ:

वनस्पति: 

  • चौड़ी पत्ती वाले पर्णपाती वननदी तटीय वनस्पतिझाड़ियाँघास के मैदान और देवदार के वन इस पार्क में वनस्पतियों की एक श्रेणी बनाते हैं।
  • साल (Shorea robusta) यहाँ पाई जाने वाली प्रमुख वृक्ष प्रजाति है।


जीवजगत: 

  • यह रिज़र्व बाघहाथीतेंदुआहिमालयी काला भालूसुस्त भालू/स्लॉथ बियरसियारलकड़बग्घाचित्तीदार हिरणसांभरबार्किंग डिअरनीलगायबंदर और पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियों सहित स्तनधारियों की 50 से अधिक प्रजातियों का निवास स्थान है।


नदियाँ: 

  • गंगा और सोंग नदियाँ इससे होकर गुज़रती हैं।


उत्तराखंड के संरक्षित क्षेत्र:

  • जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान)
  • फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान और नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान जो एक साथ यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं।
  • गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान तथा अभयारण्य
  • गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान
  • नंधौर वन्यजीव अभयारण्य


टाइगर रिज़र्व का कोर तथा बफर क्षेत्र:

  • वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2006 के  के अनुसार, एक बाघ अभयारण्य में एक कोर या महत्त्वपूर्ण आवास क्षेत्र तथा इसके परिधीय क्षेत्र में एक बफर ज़ोन अवश्य होना चाहिये।


  • जहाँ संरक्षण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण आवास (Critical Habitat) को संरक्षित रखा जाना आवश्यक है वहीं बाघों के प्रसार के लिये पर्याप्त स्थान के साथ आवास की अखंडता सुनिश्चित करने हेतु एक बफर ज़ोन का होना भी आवश्यक है। इसका उद्देश्य वन्य जीवन और मानव गतिविधि के बीच सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना है।


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