पंचायती राज दिवस 2022 : इतिहास उद्देश्य महत्व | National Panchayati Raj Day History and Details in Hindi

पंचायती राज दिवस 2022 :  इतिहास उद्देश्य महत्व
National Panchayati Raj Day History and Details in Hindi 

पंचायती राज दिवस 2022 :  इतिहास उद्देश्य महत्व | National Panchayati Raj Day History and Details in Hindi

पंचायती राज दिवस 2022 :  इतिहास उद्देश्य महत्व 


  • 24 अप्रैल 2022 को 13वाँ राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (National Panchayati Raj Day) के रूप में मनाया जा रहा है ।
  • इस वर्ष राष्ट्रीय पंचायत दिवस 2022 का राष्ट्रीय कार्यक्रम ग्राम पंचायत पल्ली, जिला सांबा, जम्मु कश्मीर में आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। उक्त पंचायत में ग्राम सभा के आयोजन के दौरान भी उपस्थित रहेंगे व पुरस्कृत पंचायतों को पुरस्कार राशि का अंतरण करेगे, साथ ही देश की समस्त पंचायत राज संस्थाओं को संबोधित करेंगे।


राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का इतिहास 

 

  • पहला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस वर्ष 2010 में मनाया गया था। तब से भारत में प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है।


पंचायती राज दिवस पर दिये जाने वाले पुरस्कार:


  • इस अवसर पर पंचायती राज मंत्रालय देश भर में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली पंचायतों/राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को पुरस्कृत करता है।
  • यह पुरस्कार विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत दिये जाते हैं,
  • दीन दयाल उपाध्याय पंचायत शक्तीकरण पुरस्कार।
  • नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार।
  • बाल सुलभ ग्राम पंचायत पुरस्कार।
  • ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार।
  • ई-पंचायत पुरस्कार (केवल राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को दिया गया)।
  • ऐसा पहली बार हुआ है कि आयोजन के समय ही पुरस्कृत राशि पंचायतों के खाते में सीधे भेजी गई हो।


पंचायती राज क्या है :

 

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में पंचायतों का उल्लेख किया गया है और अनुच्छेद 246 में राज्य विधानमंडल को स्थानीय स्वशासन से संबंधित किसी भी विषय के संबंध में कानून बनाने का अधिकार दिया।
  • स्थानीय स्तर पर लोकतंत्र की स्थापना करने के लिये 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थान (Panchayati Raj Institution) को संवैधानिक स्थिति प्रदान की गई और उन्हें देश में ग्रामीण विकास का कार्य सौंपा गया।
  • पंचायती राज संस्थान भारत में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन (Rural Local Self-government) की एक प्रणाली है।
  • स्थानीय स्वशासन का अर्थ है स्थानीय लोगों द्वारा निर्वाचित निकायों द्वारा स्थानीय मामलों का प्रबंधन।
  • देश भर के पंचायती राज संस्थानों (PRI) में ई-गवर्नेंस को मज़बूत करने के लिये पंचायती राज मंत्रालय (MoPR) ने एक वेब-आधारित  पोर्टल  ई-ग्राम स्वराज (e-Gram Swaraj) लॉन्च किया है।
  • यह पोर्टल सभी ग्राम पंचायतों को ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (Gram Panchayat Development Plans) को तैयार करने एवं क्रियांवयन के लिये एकल इंटरफेस प्रदान करने के साथ-साथ रियल टाइम निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा।



73वें संवैधानिक संशोधन की मुख्य विशेषताएँ

  • इस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में भाग-9 जोड़ा गया था। 
  • लोकतांत्रिक प्रणाली की बुनियादी इकाइयों के रूप में ग्राम सभाओं (ग्राम) को रखा गया जिसमें मतदाता के रूप में पंजीकृत सभी वयस्क सदस्य शामिल होते हैं।
  • उन राज्यों को छोड़कर जिनकी जनसंख्या 20 लाख से कम हो ग्राम, मध्यवर्ती (प्रखंड/तालुका/मंडल) और ज़िला स्तरों पर पंचायतों की त्रि-स्तरीय प्रणाली लागू की गई है (अनुच्छेद 243B)
  • सभी स्तरों पर सीटों को प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरा जाना है [अनुच्छेद 243C(2)]

सीटों का आरक्षण:

  • अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिये सीटों का आरक्षण किया गया है तथा सभी स्तरों पर पंचायतों के अध्यक्ष के पद भी जनसंख्या में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अनुपात के आधार पर आरक्षित किये गए हैं।
  • उपलब्ध सीटों की कुल संख्या में से एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिये आरक्षित हैं।
  • सभी स्तरों पर अध्यक्षों के एक तिहाई पद भी महिलाओं के लिये आरक्षित हैं (अनुच्छेद 243D)


कार्यकाल:

  • पंचायतों का कार्यकाल पाँच वर्ष निर्धारित है लेकिन कार्यकाल से पहले भी इसे भंग किया जा सकता है।
  • पंचायतों के नए चुनाव कार्यकाल की अवधि की समाप्ति या पंचायत भंग होने की तिथि से 6 महीने के भीतर ही करा लिये जाने चाहिये (अनुच्छेद 243E)
  • मतदाता सूची के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के लिये प्रत्येक राज्य में स्वतंत्र चुनाव आयोग होंगे (अनुच्छेद 243K)


पंचायतों की शक्ति:  

  • पंचायतों को ग्यारहवीं अनुसूची में वर्णित विषयों के संबंध में आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की योजना तैयार करने के लिये अधिकृत किया गया है (अनुच्छेद 243G)


राजस्व का स्रोत (अनुच्छेद 243H): राज्य विधायिका पंचायतों को अधिकृत कर सकती है-

  • राज्य के राजस्व से बजटीय आवंटन।
  • कुछ करों के राजस्व का हिस्सा।
  • राजस्व का संग्रह और प्रतिधारण।


प्रत्येक राज्य में एक वित्त आयोग का गठन करना ताकि उन सिद्धांतों का निर्धारण किया जा सके जिनके आधार पर पंचायतों और नगरपालिकाओं के लिये पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी (अनुच्छेद 243I)


छूट:

यह अधिनियम सामाजिक-सांस्कृतिक और प्रशासनिक कारणों से नगालैंड, मेघालय तथा मिज़ोरम एवं कुछ अन्य क्षेत्रों में लागू नहीं होता है। इन क्षेत्रों में शामिल हैं:

आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और राजस्थान राज्यों में पाँचवीं अनुसूची के तहत सूचीबद्ध अनुसूचित क्षेत्र।

मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्र जिसके लिये जिला परिषदें मौजूद हैं।

पश्चिम बंगाल राज्य में दार्जिलिंग ज़िले के पहाड़ी क्षेत्र जिनके लिये दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल मौजूद है।

संसद ने पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 [The Provisions of the Panchayats (Extension to the Scheduled Areas) Act-PESA] के माध्यम से भाग 9 और 5वीं अनुसूची क्षेत्रों के प्रावधानों को बढ़ाया है।

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पंचायती राज का विकास , पंचायती राज  से संबन्धित समितियां

 पंचायती राज का संवैधानिकरण

73वां संविधान संशोधन अधिनियम 1992

73वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनिवार्य एवं स्वैच्छिक प्रावधान 

1996 का पेसा अधिनियम ( विस्तार अधिनियम )

पंचायती राज के वित्तीय स्त्रोत

पंचायती राज व्यवस्था की असफलता के कारण

पंचायतों से संबंधित अनुच्छेद 

 भारत के राज्यों में पंचायतों के नाम

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