राजीव गांधी सरकार के समय - पंचायती राज का संवैधानिकरण
एल. एम. सिंघवी समिति की उपरान्त अनुशंसाओं की प्रतिक्रिया | राजीव गांधी सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के संवैधानीकरण और उन्हें ज्यादा शक्तिशाली और व्यापक बनाने हेतु जुलाई 1989 में 64वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया । यद्यपि अगस्त 1989 में लोकसभा ने यह विधेयक पारित किया, किंतु राज्यसभा द्वारा इसे पारित नहीं किया गया । इस विधेयक का विपक्ष द्वारा जोरदार विरोध किया गया क्योंकि इसके द्वारा संघीय व्यवस्था में केंद्र को मजबूत बनाने का प्रावधान था ।
वी.पी. सिंह सरकार - पंचायती राज का संवैधानिकरण
नवंबर 1989 में वी. पी. सिंह के प्रधानमंत्रित्व में राष्ट्रीय मोर्चा सरकार ने कार्यालय संभाला और शीघ्र ही घोषणा की कि वहे पंचायती राज संस्थाओं को मजबूती प्रदान करेगी । जून 1990 में पंचायती राज संस्थाओं के मजबूत करने संबंधी मामलों पर विचार करने के लिए वी. पी. सिंह की अध्यक्षता में राज्यों के मुख्यमंत्रियों का 2 दिन का सम्मेलन हुआ। सम्मेलन में एक नए संविधान संशोधन विधेयक को पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई । परिणामस्वरूप, सितंबर 1990 में लोकसभा में एक संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया। लेकिन सरकार के गिरने के साथ ही यह विधेयक भी समाप्त हो गया।
नरसिम्हा राव सरकार : - पंचायती राज का संवैधानिकरण
पी. वी. नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्वमें कांग्रेस सरकार ने एक बार फिर पंचायती राज के संवैधानिकरण के मामले पर विचार किया। इसने प्रारंभ के विवादस्पद प्रावधानों को हटाकर नया प्रस्ताव रखा और सितंबर, 1991 को लोकसभा में एक संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया। अंतत: यह विधेयक 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के रूप में पारित हुआ और 24 अप्रैल, 1993 को प्रभाव में आया.
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