73वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनिवार्य एवं स्वैच्छिक प्रावधान |Compulsory and voluntary provisions of the 73rd Constitutional Amendment Act

73वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनिवार्य एवं स्वैच्छिक प्रावधान

73वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनिवार्य एवं स्वैच्छिक प्रावधान |Compulsory and voluntary provisions of the 73rd Constitutional Amendment Act

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वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनिवार्य (बाध्यकारी) एवं स्वैच्छिक (विवेकाधीन या वैकल्पिक) उपबंधों प्रावधानों  अबहम संविधान के भाग 11 या 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनिवार्य (बाध्यकारी) एवं स्वैच्छिक (विवेकाधीन या वैकल्पिक) उपबंधों प्रावधानों का पृथक्-पृथक् विवेचन करेंगे:

 

73वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनिवार्य प्रावधान

 

1. एक गांव या गांवों के समूह में ग्राम सभा का गठन । 

2. गांव स्तर पर पंचायतोंमाध्यमिक स्तर एवं जिला स्तर पर पंचायतों की स्थापना । 

3. तीनों स्तरों पर सभी सीटों के लिये प्रत्यक्ष चुनाव | 

4. माध्यमिक और जिला स्तर के प्रमुखों के लिये अप्रत्यक्ष चुनाव 

5. पंचायतों में चुनाव लड़ने के लिये न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिये । 

6. सभी स्तरों पर अनुसूचित जाति एवं जनजातियों (सदस्य) एवं प्रमुख दोनों के लिये) के लिये आरक्षण | 

7. सभी स्तरों पर ( सदस्य एवं प्रमुख दोनों के लिये) एक तिहाई पद महिलाओं के लिये आरक्षित | 

8. पंचायतों के साथ ही मध्यवर्ती एवं जिला निकायों का कार्यकाल पांच वर्ष होना चाहिये तथा किसी पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के छह माह की अवधि के भीतर नये चुनाव हो जाने चाहिये । 

9. पंचायती राज संस्थानों में चुनाव कराने के लिये राज्य निर्वाचन आयोग की स्थापना. 

10. पंचायतों की वित्तीय स्थिति का समीक्षा करने के लिये 3 प्रत्येक पांच वर्ष बाद एक राज्य वित्त आयोग की स्थापना की जानी चाहिये ।

 

73वें संविधान संशोधन अधिनियम के  स्वैच्छिक प्रावधान 


 1. विधानसभाओं एवं संसदीय के निर्वाचन क्षेत्र विशेष के अंतर्गत आने वाली सभी पंचायती राज संस्थाओं में संसद और विधानमण्डल (दोनों सदन) के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाना।

2. पंचायत के किसी भी स्तर पर पिछड़े वर्ग के लिये (सदस्य) एवं प्रमुख दोनों के लिये) स्थानों का आरक्षण | 

3. पंचायतें स्थानीय सरकार रूप में कार्य कर सकेंइस हेतु उन्हें अधिकार एवं शक्तियां देना (संक्षेप मेंइन्हें स्वायत्त निकाय बनाने के लिये ) | 

4. पंचायतों को सामाजिक न्याय एवं आर्थिक विकास के लिये योजनाएं तैयार करने के लिए शक्तियों और दायित्वों का प्रत्यायन और संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची के 29 कार्यों में से सभी अथवा कुछ को संपन्न करना. 

5. पंचायतों को वित्तीय अधिकार देनाअर्थात् उन्हें उचित करपथकर और शुल्क आदि के आरोपण और संग्रहण के लिए प्राधिकृत करना।


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1996 का पेसा अधिनियम ( विस्तार अधिनियम )

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