पर्वतों का वर्गीकरण | Classification of mountains

पर्वतों का वर्गीकरण 
Classification of Mountains 

पर्वतों का वर्गीकरण  Classification of Mountains


स्थिति के आधार पर पर्वत का वर्गीकरण  

स्थिति के आधार पर पर्वत दो प्रकार के होते हैं

 (1) स्थल स्थित पर्वत (Continental Mountain)

सागर तल से ऊँचाई पर स्थलीय क्षेत्र में पाये जाने वाले पर्वत इस वर्ग में शामिल किये जाते हैं, जैसे- आल्पस , हिमालय आदि. इन पर्वतों को अग्रांकित दो उप विभागों में बाँटा जा सकता है - 

(अ) तटीय पर्वत (Coastal Mountain)

(ब) आन्तरिक पर्वत (Interior Moun tain)


(अ) तटीय पर्वत-

  • महाद्वीपों के किनारे महासागरों के समानान्तर विस्तृत पर्वतों को इस श्रेणी में रखा जाता है, जैसे एटलस पर्वत, रॉकी पर्वत, पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट और एण्डीज पर्वत.

 

(ब) आन्तरिक पर्वत-

  • महासागरीय तटों से दूर महाद्वीपों के आन्तरिक भाग में पाये जाने वाले पर्वत इस वर्ग में सम्मिलित हैं, जैसे-यूराल पर्वत, ब्लैक फॉरेस्ट, हिमालय, अल्टाई थ्यानशान, क्यूनलुन आदि.

 

(2) सागर स्थित पर्वत (Oceanic Mountains)-

  • अनेक पर्वत सागर द्रोणियों तथा महाद्वीपीय निमग्न तटों में विस्तृत हैं. इन्हें सागर स्थित पर्वत कहते हैं, जैसे मोनाकी ज्वालामुखी पर्वत, एण्टीलियन पर्वत आदि.

 

आयु के आधार पर पर्वतों का वर्गीकरण

आयु के आधार पर पर्वतों को, विभिन्न कालों के आधार पर चार वर्गों में बाँटा जा सकता है |

  1. चर्नियन हलचल के पर्वत,
  2. कैलीडोनियन हलचल के पर्वत
  3. हरसीनियन हलचल के पर्वत
  4. अल्पाइन हलचल के पर्वत

 

(i) चर्नियन हलचल के पर्वत-

  • आज से लगभग 40 करोड़ वर्ष पूर्व कैम्ब्रियन तथा पूर्व कैम्ब्रियन युग में पर्वत निर्माणकारी हलचलें हुई थीं जिन्हें चर्नियन हलचल कहते हैं. इनके अन्तर्गत अरावली, धारवाड़, छोटा नागपुर, कुडप्पा आदि पर्वतों का उद्भव हुआ था.

 

(ii) कैलीडोनियन हलचल के पर्वत

  •  आज से लगभग 32 करोड़ वर्ष पूर्व सिलूरियन और डेवोनियन युगों के मध्य कैलीडोनियन हलचलें हुई थीं. इन हलचलों में अप्लेशियन पर्वत, यूरीगियन-वागलैण्ड पर्वत, सहराई मोड और नारी मुण्डा नामक पर्वतों का उद्भव हुआ था.

 

(iii) हरसीनियन हलचल के पर्वत 

  • आज से लगभग 22 करोड़ वर्ष पूर्व कार्बन और परमियन युगों के मध्य हरसीनियन हलचलें हुई थीं जिनमें पेनाइन, हार्ज, वास्जेस, ब्लैक फारसेट (यूरोप) थ्यानशान, अल्टाई, खिंगन, जुगेरिया, तारिम बेसिन, (एशिया) पूर्वी काडिलेरा (आस्ट्रेलिया) आदि पर्वतों का निर्माण हुआ.

 

(iv) अल्पाइन हलचल के पर्वत 

  • आज से लगभग 3 करोड़ वर्ष पूर्व अल्पाइन हलचलें हुई. जिनके अन्तर्गत रॉकी, एण्डीज, पौन्टस, एल्बुर्ज, जैग्रास, हिन्दुकुश, हिमालय, कराकोरम, अराकान आदि पर्वतों का उद्भव हुआ था.

 

उत्पत्ति के आधार पर पर्वतों का वर्गीकरण 

उत्पत्ति के आधार पर पर्वतों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है 

(अ) मौलिक अथवा विवर्तनिक पर्वत (Original or Tectonic Mountain)

 (ब) अवशिष्ट अथवा घर्षित पर्वत (Resid- ual or Circum-Erosional Mountain)

 

मौलिक अथवा विवर्तनिक पर्वतों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है 

(1) वलित या मोड़दार पर्वत (Folded Mountain) 

(2) अवरोधी या ब्लाक पर्वत (Block Mountain)

(3) गुम्बदाकार पर्वत (Dome Mountain ) 

(4) संग्रहित पर्वत (Accumulation Mountain) 

(5) अवशिष्ट पर्वत

 

1. वलित या मोड़दार पर्वत-

  • वलित पर्वतों का निर्माण पृथ्वी की आन्तरिक शक्तियों के प्रभाव से धरातल की शैलों में वलय पड़ने से होता है इन पर्वतों के धरातल पर अभिनतियों (Synclines) तथा अपनतियों (Anticlines) का एक क्रम बन जाता है. भूगर्भिक हलचलों की तीव्रता के साथ-साथ ये मोड़ इतने ऊँचे हो जाते हैं कि इन्हें वलित पर्वत की संज्ञा दी जाती है. हिमालय, आल्पस, रॉकी, एण्डीज और यूराल आदि इसी श्रेणी के पर्वत हैं.

 

2. अवरोधी या ब्लाक पर्वत-

  • इन्हें भ्रंशोत्थ पर्वत भी कहते हैं. इन पर्वतों का निर्माण तनाव व खिंचाव के परिणामस्वरूप होता है. धरातल पर भ्रंश या दरार पड़ने से कुछ भाग नीचे धंस जाता है और कुछ भाग ऊपर उठ जाता है. ऊँचे उठे हुए भाग को ब्लाक या भ्रंशोत्थ पर्वत कहते हैं. यूरोप में वास्जेस तथा ब्लैक फॉरेस्ट पर्वत, हास्स्ट पर्वत तथा यू. एस. ए. में वासाचरेन्ज इसके प्रमुख उदाहरण हैं.

3. गुम्बदाकार पर्वत-

  • पृथ्वी के आन्त रिक भाग का मेग्मा बाहर निकलने की चेष्टा में धरातल की ऊपरी परतों पर भी दबाव डालता है जिसके फलस्वरूप चट्टानों की ऊपरी परतों में फोड़े की भाँति (लैकोलिथ) उभार बन जाता है. इन्हें ही गुम्बदाकार पर्वत कहते हैं. यू.एस.ए. का हेनरी और यूण्टा और ब्लैक हिल्स तथा बिग हार्न्स पर्वत इसी के प्रमुख उदाहरण हैं.

 

4. संग्रहित पर्वत-

  • धरातल के ऊपर मिट्टी, कंकड़, बालू (मलवा), लावा इत्यादि के निरन्तर एक ही स्थान पर जमा होने से एक बड़ा ढेर (टीला- Mound) बन जाता है. इनमें ज्वालामुखी पर्वत और मरुस्थलीय टीले शामिल किये जा सकते हैं. यू.एस.ए. में शस्ता, हूड तथा रेनियर जापान में फ्यूजीयामा और फिलीपाइन्स में मैयान इसी प्रकार के पर्वत हैं.

 

5. अवशिष्ट पर्वत-

पृथ्वी पर अपरदन की क्रिया के फलस्वरूप पर्वत कटकर नीचे हो जाते हैं. इन्हें अवशिष्ट पर्वत कहते हैं. भारत में विन्ध्याचल, अरावली, सतपुड़ा, महादेव आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं.

 

पर्वतों की उत्पत्ति से सम्बन्धित अनेक परिकल्पनाएँ 


( 1 ) जैफ्रीज का तापीय संकुचन सिद्धान्त (The Thermal Contraction Theory), 

(2) डेली का महाद्वीपीय फिसलन सिद्धान्त (Sliding Continent Theory of Daly), 

(3) आर्थर होम्स का संवाहन तरंग सिद्धान्त (Con- vection Current Theory of Holmes), 

(4) जोली का रेडियोएक्टिवता सिद्धान्त (Radioactivity Theory of Jolly), 

(5) कोबर का पर्वत निर्माणक भूसन्नति सिद्धान्त (Geosynclinal Origin Theory of Ko- ber) आदि प्रमुख हैं.


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