सूर्याभिताप | सूर्यातप क्या होता है |Insolation in Hindi

 सूर्याभिताप | सूर्यातप क्या होता है 
(INSOLATION)
सूर्याभिताप | सूर्यातप क्या होता है |Insolation  in Hindi


 

सूर्याभिताप क्या होता है 

  • सूर्य से प्राप्त ताप को सूर्याभिताप कहा जाता है. पृथ्वी के लिए ताप का प्रधान स्रोत सूर्य ही है जो पृथ्वी से लगभग 14-96 करोड़ किमी दूर है. सूर्य की सतह पर 6000°C तापमान है जो विकिरण होकर चारों ओर फैलता है, परन्तु सूर्य से प्रसारित इस शक्ति का कुछ अंश ही धरातल को प्राप्त है और उस न्यून ऊर्जा के कारण ही भूतल पर सभी प्रकार के जीवों का अस्तित्व सम्भव हो सका है. 
  • इसी कारण धरातल पर पवन संचार, सागरीय धाराओं का प्रवाह तथा मौसम और जलवायु का आविर्भाव होता है. प्रत्येक ऊष्मा युक्त वस्तु विकिरण करती है और जो वस्तु जितनी गर्म होती है उससे उतनी अधिक ऊर्जा विकीर्ण होती है. 
  • सूर्याभिताप पृथ्वी के प्रत्येक भाग पर समान नहीं है. इसका सर्वाधिक वितरण विषुवत् रेखा के निकट होता है, क्योंकि यहाँ पर दिन-रात की लम्बाई बराबर होती है तथा सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं. विषुवत् रेखा से सूर्याताप ध्रुवों की ओर कम हो जाता है और ध्रुवीय क्षेत्र न्यूनतम सूर्याताप प्राप्त करते हैं.

 

सूर्याताप को प्रभावित करने वाले कारक 

 

(1) सूर्य की किरणों का तिरछापन

(2) सौर विकिरण की अवधि अथवा दिन की अवधि 

(3) पृथ्वी से सूर्य की दूरी

4) वायुमण्डल की अवस्था

(5) वायुमण्डल की मोटाई 

(6) सौर कलंकों की संख्या 

(7) धरातल का स्वरूप

 

ऊष्मा बजट (HEAT BUDGET)

 ऊष्मा बजट क्या होता है 

  • यह बात स्पष्ट है कि सूर्य से विकरित ऊर्जा का कुछ भाग ही पृथ्वी पर आ पाता है, क्योंकि वायुमण्डल द्वारा प्रकीर्णन, परावर्तन तथा अवशोषण के कारण कुछ भाग वापस लौटा दिया जाता है तथा कुछ भाग वायुमण्डल में बिखेर दिया जाता है. सौर विकिरण का 35% शून्य में वापस लौटा दिया जाता है, इस 35% सौर विकिरण में 27% वायुमण्डल के बादलों द्वारा परावर्तित कर दिया जाता है. 6% वायुमण्डल में प्रकीर्ण हो जाता है और शेष 2% पृथ्वी की सतह से परावर्तन द्वारा शून्य में वापस लौट जाता है. शेष 65% भाग में से 14% वायु मण्डल द्वारा जलवाष्प धूलिकण तथा गैसों द्वारा शोषण कर लिया जाता है, इस प्रकार 51% ऊर्जा ही पृथ्वी को प्राप्त हो पाती है. इसमें से 34% भाग प्रत्यक्ष सूर्य प्रकाश से प्राप्त होता है तथा शेष 17% विकरित दिवा प्रकाश (Diffuse day light) से प्राप्त होता है. सूर्य से प्राप्त यही 51% ऊष्मा ही पृथ्वी का वास्तविक बजट है.

 

  • वायुमण्डल का ऊष्मा बजट सौर्यिक ऊर्जा का 48% होता है. इसमें से वायुमण्डल सौर विकिरण से 14% ऊर्जा का प्रत्यक्ष अवशोषण कर लेता है. शेष 34% पृथ्वी से होने वाला 'दीर्घ तरंग' विकिरण से प्राप्त करता है.


विश्व में तापमान का वितरण

तापमान-

  • एक जलवायवी तत्व जैसे ऊष्मा या शीत, जो थर्मामीटर द्वारा सुगमता से नापा जा सकता है तथा सेंटीग्रेड अथवा फारेनहाइट मापक्रम पर अंशों में प्रदर्शित किया जा सकता है.

 

तापमान का प्रादेशीय वितरण

 

(1) प्राचीन ग्रीक विचारकों के अनुसार

  • इनके अनुसार ग्लोब को तापक्रम की दृष्टि से कुछ ऐसे खास प्रदेशों में बाँट लेते हैं. जिनमें तापक्रम का वितरण तथा उनकी विशेषताएँ लगभग समान होती हैं. इन प्रदेशों का सीमांकन अक्षांशों के आधार पर किया जाता है. 

इसी के आधार पर प्राचीन ग्रीक विद्वानों ने ग्लोब को तीन प्रमुख कटिबन्धों में विभाजित किया था :

ग्लोब के  तीन प्रमुख कटिबन्ध

(i) उष्ण कटिबन्ध

  • भूमध्यरेखा के दोनों ओर 23.30अक्षांशों तक विस्तृत भाग को उष्ण कटिबन्ध कहते हैं. भूमध्यरेखा के आसपास वाले भाग में वर्ष भर ऊँचा तापक्रम रहने के कारण शीत ऋतु नहीं होती है. 

(ii) शीतोष्ण कटिबन्ध-इसका विस्तार 

  • दोनों गोलार्डों में 23.30 अंश से 66.30 अक्षांशों के बीच पाया जाता है. सूर्य के उत्तरायण तथा दक्षिणायन की स्थितियों के कारण ऋतुओं के तापक्रम में अत्यधिक अन्तर पाया जाता है. 

(iii) शीत कटिबन्ध-

  • दोनों गोलाद्धधों में 66.30 अंश से ध्रुवीय केन्द्रों तक इस कटिबन्ध का विस्तार है. इस कटिबन्ध में सूर्य की किरणों के अत्यधिक तिरछेपन के कारण तापक्रम नीचा ही रहता है. यहाँ पर सूर्य कभी भी लम्बवत् नहीं हो पाता है.

 सूपन के अनुसार-तापक्रम के वितरण

  • सूपन के अनुसार-तापक्रम के वितरण पर स्थल तथा जल के विषम स्वभाव, प्रचलित पवन, सागरीय धाराओं आदि का भी अधिक प्रभाव पड़ता है. सूपन महोदय ने इन कारकों को ध्यान में रखकर तापक्रम के कटिबन्धों का निर्धारण समताप रेखाओं के आधार पर किया है. उष्ण कटिबन्ध की सीमा का निर्धारण 20° से. की वार्षिक समताप रेखा द्वारा किया जाना चाहिए. उत्तरी गोलार्द्ध में शीतोष्ण तथा शीत कटिबन्धों का निर्धारण जुलाई की 10° से. की समताप रेखा तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में जनवरी की 10° से. की समताप रेखा द्वारा निर्धारण किया जाता है. 
  • कालान्तर में सूपन की विधि में भी संशोधन किया गया तथा ग्लोब की चार विभिन्न तापक्रम के कटिबन्धों में विभाजित किया गया.

 (i) उष्ण कटिबन्ध

(ii) उपोष्ण कटिबन्ध

(iii) शीतोष्ण कटिबन्ध और 

(iv) शीत कटिबन्ध.

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