ज्वालामुखी उद्भेदन के प्रकार |ज्वालामुखी से बने भू-स्थल

ज्वालामुखी से बने भू-स्थल

ज्वालामुखी

भूपटल को फोड़कर धुआँ, राख, वाष्प एवं गैसों के बाहर निकलने की क्रिया को ज्वालामुखी कहते हैं। ज्वालामुखी एक शंक्वाकार पर्वत है जिसमें भूगर्भ से नली द्वारा उष्ण, वाष्प, गैसें, लावा तथा अन्य चट्टानी पदार्थों का प्रवाह धरातल पर होता है।
ज्वालामुखी से तात्पर्य उस छिद्र या दरार से है जिसके द्वारा भूगर्भ से लावा, गैसें, वाष्प एवं  राख आदि पदार्थ समय समय पर बाहर निकलते रहते हैं। ज्वालामुखी उद्गार की नली को को ज्वालामुखी नली और छिद्र या मुख को ज्वालामुखीया क्रेटर कहते हैं।
ज्वालामुखी से बने भू-स्थल

ज्वालामुखी क्रिया के कारण

  • भूतापीय एवं रासायनिक प्रतिक्रियाओं एवं विघटनात्मकता के कारण पृथ्वी के गर्भ में ऊष्मा की उत्पत्ति होती है जिससे भूगर्भ के पदार्थों का आयतन बढ़ जाता है और वे बाहर निकलने को सतत् प्रयत्नशील रहते हैं।
  • भूगर्भ की गैसें तीव्र ताप के कारण तरल हो जाती हैं, तरल होने के साथ ही उनका आयतन बढ़ जाता है और वे बाहर निकलने का प्रयास करती हैं जिसके परिणाम स्वरूप ज्वालमुखी उत्पन्न हो जाता है।
  • पृथ्वी के आंतरिक भाग में मौजूद गैंसे, तरल, लावा, पृथ्वी की हलचल और मैग्मा पर गैसों एवं वाष्प का दबाव पड़ने से फैलती हैं और लावा को ऊपर फेंकती हैं जो उद्गार के साथ जल वाष्प और राख के साथ निकलता है।
  • भूमिगत जल से वाष्प बनती है जिससे गैंसे फैलती हैं गैसों के कारण ज्वालामुखी का उद्भेदन होता है।

ज्वालामुखी उद्भेदन के प्रकार

  • विस्फोटक अथवा केन्द्रीय उद्भेदन
  • अपस्थायी या शांत उद्भेदन
  • दरारी उद्भेदन

विस्फोटक अथवा केन्द्रीय उद्भेदन

  • ज्वालामुखी उद्गार भारी धमाके के साथ जब केन्द्रीय मुख से उद्भेदित होता है तो उसे विस्फोटक अथवा केन्द्रीय उद्भेदन कहते हैं। इस प्रकार के उद्भेदन से भयानक भूकम्प आते हैं। सिसली का एटना, जापान का फ्यूजीयामा तथा इटली का विस्वियस विस्फोट उद्भेदन के उत्तम उदाहरण हैं। 1883 में क्राकाटाओं द्वीप इस प्रकार के उद्भेदन से पूर्णतः उड़ गए हैं।

अपस्थायी या शांत उद्भेदन

  • भूगर्भिक हलचलों से भूपपर्टी की शैलों मे दरारें पड़ जाती हैं। इन्हीं दरारों से जब लावा बाहर निकलकर धरातल पर प्रवाहित होने लगता है तो ऐसे उद्भेदन को अपस्थायी या विदरी या शांत उद्भेदन कहते हैं। दक्षिण भारत का लावा प्रदेश, संयुक्त राज्य अमरीका का स्नेक नदी का प्रदेश ऐसे उद्भेदन से बने हैं।

निस्तृत या दरारी उद्भेदन

  • यह उद्भेदन पृथ्वी के ठंडे होने की द्वितीय दशा से संबंधित है। जब पृथ्वी की पपड़ी इतनी मोटी हो गयी कि मैग्मा किसी स्थान पर पपड़ी को तोड़कर नहीं निकल सकता था तो यह उद्गार कतिपय निर्बल तथा दरार वाले क्षेत्रों में होता रहा। इन उद्भेदनों में भीषणता नहीं थी अतः इन्हें शांत उद्भेदन भी कहते हैं। समोआ हवाई तथा आइसलैण्ड के ज्वालामुखी इस वर्ग के हैं।

ज्वालामुखी उद्भेदन के अन्य प्रकार

  1. हवाई
  2. विसूवियस
  3. पीलियन
  4. स्ट्राम्बोली
  5. वाल्केनो

हवाई प्रकार के ज्वालामुखी

  • उद्भेदन बिना किसी विस्फोट के शांतिपूर्वक होता है. इसमें लावा पतला एवं तरल होता है जो विस्तृत क्षेत्र में फैल जाता है. लावा बिंदुओं से निर्मित लाल धागों के रूप में पतले लावा पिण्डों को वायु उड़ा ले जाती है और वहाँ के निवासी इसे पीली देवी के सिर के बालों की उपमा देते हैं। इन ज्वालामुख्यिों में गैस कम मात्रा में शनैः शनैः निकलती है। हवाई द्वीप के प्रमुख ज्वालामुखी मोेनालोआ और कलुआ से लावा की जो फुहार निकलती है अतः इन्हें हवाई प्रकार के ज्वालामुखी कहते हैं।

विसूवियस प्रकार के ज्वालामुखी

  • इनका उद्गार भयानक विस्फोट के साथ होता है. इनमें लावा के साथ गैसों का सम्मिश्रण अधिक होता है। और आकृति गोभी के फूल के समान हो जाती है। विसूवियस का प्रमुख उदाहरण माउण्ट सोमा का ज्वालामुखी है। इनमें अतिविस्फोटीय उद्भेदनों को लिनियन तुल्य उद्भेदन भी कहते हैं।

पीलियन प्रकार के ज्वालामुखी

  • विश्व में सर्वाधिक शक्तिशाली विस्फोट ऐसे ही ज्वालामुखी उद्गार से होता है। मैग्मा बड़ा गाढ़ा और अति लसदार होता है जो डाट के रूप में जम जाता है। मैग्मा बड़े दाब से ऊपर उठता है तो इस डाट को बड़े भयंकर ढंग से फोड़ देता है। 1902 में सेंट पियरे नामक नगर ऐसे ही विस्फोट से बर्बाद हो गया था। पश्चिमी द्वीप में माउण्ट पीली और फिलीपाइन्स के हिबक-हिबक ऐसे ही ज्वालामुखी हैं।

स्ट्रोम्बोली ज्वालामुखी

  • इस ज्वालामुखी में उद्भेदन समय-समय पर होता रहता है। इसमें लावा के कण हवा में उड़कर बम तथा विखंडित पदार्थ बन जाते हैं। भूमध्य सागर में सिसली द्वीप के उत्तर मेें स्थिर लिपारी द्वीप के स्ट्रोम्बोली ज्वालामुखी उद्भेदन से निरंतर लावा और गैस निकलते रहने के कारण इसे भूमध्य सागर का प्रकाश गृह कहते हैं।

वाल्केनो प्रकार के ज्वालामुखी

  • इसमें बहुत लसदार लावा बाहर निकलता है और उद्भेदनों के मध्य लावा के थक्के (क्लॉट) बन जाते हैं। इस प्रकार के उद्भेदन में शैल पिण्डों की ढेरी बाहर फेंकी जाती है। गैसें भी बाहर निकलती है, परन्तु स्ट्रोम्बोली जैसी प्रकाश पुंज प्रज्वलित नहीं होती ये भी गोभी के फूल जैसी आकृति ग्रहण करते हैं।

ज्वालामुखी से बने भू-स्थल

ज्वालामुखी उद्गार के समय जो पदार्थ बाहर निकलता है उससे अनेक स्थलाकृतियाँ निर्मित हो जाती हैं। उनमें शंकु मुख्य है। विभिन्न स्थिति एवं आकृति के आधार पे निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

लावा शंकु

ज्वालामुखी उद्भेदन पर भूगर्भ से निकलने वाले केवल लावा से बने शंकु को लावा शंकु कहते हैं। अगर लावा रासायनिक संरचना की दृष्टि से अम्लिक लावा में सिलिका तत्व की प्रधानता है तो शंकु को अम्लिक लावा शंकु और लावा में बैसाल्ट तत्वों की प्रधानता है और सिलिका तत्वों की कमी है और वह अति तरल है तो शंकु की रचना मंद ढाल की होगी, इन्हें पैठिक लावा शंकु कहते हैं।

सिन्डर शंकु

ज्वालामुखी उद्भेदन के साथ शिलाखंडो और राख की प्रधानता से शंकु बनते हैं, उनके किनारे उत्तल ढाल वाले होते है। इन्हें सिलन्डर शंकु कहते हैं। सिसली एवं हवाई द्वीप पर बने सिलन्डर शंकु इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

मिश्रित शंकु

शांत ज्वालामुखी उद्भेदनों से राख, शिलाखण्डों तथा लावा की एक के बाद एक तह बन जाने से इन्हें मिश्रित या स्तरित शंकु कहते हैं।

लावालव शंकु

केन्द्रीय अथवा दरारी उद्गार से लावा के निकलते समय उसमें गैस रह जाने से बुलबुले बन जाते है और अनेक बुलबुले एकत्रित होकर फूटने से लावालव शंकु बन जाते हैं। इडाहों राज्य में ऐसे ही शंकु हैं।

शील्ड शंकु

बैसाल्ट लावा के निक्षेप से शील्ड शंकु बनते हैं। मुख के चतुर्दिक लावा की समांतर तहों के जम जाने से ही ऐसे शंकु बनते हैं। लावा के तीव्रगामी प्रवाह से शंकु का क्षेत्र विस्तृत हो जाता है। हवाई द्वीप में ऐसे अनेक शंकु हैं।

परजीवी या आश्रित शंकु

मिश्रित शंकु की दीवार बहुधा विस्फोट में टूट जाती है और इनके पार्श्वों से अनेक छिद्र बन जाते हैं। इन छिद्रों से निकलने वाले पदार्थ के निक्षेप से एक छोटा शंकु बन जाता है। इस आश्रित शंकु कहते हैं, अमरीका में माउण्ट शास्ता का शास्तिनों शंकु आश्रित शंकु का प्रकार का सर्वोत्तम उदाहरण है।

डाट या गुम्बद शंकु

ज्वालामुख के निकट लसदार अधिसिलिक मैग्मा के एकत्र होने से यह शंकु बनता है। इसमें मैग्मा पहले से एकत्रित मैग्मा पर चढ़ जाता है और गुम्बद बढ़ता जाता है, तो ऐसे शंकु को गुम्बद शंकु कहते हैं। अमरीका के लेसेन ज्वालामुखी तथा मरटीनीक द्वीप के पेली पर्वत इसके उदाहरण हैं।

काल्डेरा शंकु

भयानक विस्फोट के द्वारा शंकु के ऊपरी भाग के उड़ जाने पर शेष भाग काल्डेरा शंकु कहलाता है। जर्मनी में एफिल के ज्वालामुखी शंकु इसी प्रकार के हैं।

ज्वालामुखी का वितरण

विश्व में ज्वालामुखी के प्रमुख 7 क्षेत्र हैं

1-परि प्रशांत पेटी

यह पेटी प्रशांत महासागर के चतुर्दिक विस्तृत है। यह दक्षिणी अमरीका की एण्डीज पर्वत श्रृंखला से प्रारंभ होकर मध्य अमेरिका, मैक्सीको, पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका, अलास्का से होती हुई एलुशियन द्वीप तक पहुँचती है। यहाँ से यह पेटी एशिया महाद्वीप के कमचटका प्रायद्वीप तथा क्यूराइल द्वीपसमूह से होती हुई जापान, फिलीपीन्स, सेलीबीज, न्यूगिनी, सोलोमनद्वीप और अंत में न्यूजीलैण्ड पहुँचकर समाप्त हो जाती है। इस पेटी में विश्व के लगभग 2/3 ज्वालामुखी पाए जाते हैं।

2- प्रशांत महासागर में विस्तृत ज्वालामुखी क्षेत्र

इसके अंतर्गत हवाई द्वीप-समूह, ज्वान फनेने डीज द्वीप आदि शामिल हैं। ये क्षेत्र प्रशांत महासागर के मध्य में स्थित हैं जो प्लेटो के भीतरी भाग हैं।

3- हिन्द महासागरीय पेटी

इसपेटी में जावा, सुमात्रा, तथा बाली द्वीप सम्मिलत हैं।

4- अरब-अफ्रीका पेटी

इस पेटी के अंतर्गत अरब, मालागासी तथा अफ्रीका की भ्रंशघाटियों के ज्वालामुखी सम्मिलत हैं।

5- भूमध्यसागरीय पेटी

इस पेटी में भूमध्यसागर के तटीय क्षेत्र शामिल हैं। यूरेशिया में अरारत पर्वत, इटली, सिसली तथा एटलाण्टिक महासागरके अजोर्स तथा कनारी द्वीप के ज्वालामुखी इस पेटी में सम्मिलत हैं।

6-पश्चिमी द्वीपसमुह की पेटी

इस पेटी में पश्चिमी द्वीपसमूह में होने वाली ज्वालामुखी क्रियाएं सबंधित हैं।

7- अन्य बिखरे हुए ज्वालामुखी क्षेत्र

इसके अंतर्गत आइसलैण्ड अंटार्कटिक महासागर द्वीप, जर्मनी का एफिल क्षेत्र तथा फैरोद्वीप आदि शामिल हैं।

ज्वालामुखी का मानव पर प्रभाव

ज्वालामुखी एक प्रलयकारी व दर्दनाक घटना है जिससे लाखों मानव याकायक काल के गाल में समा जाते हैं। अप्रैल 1815 में तंबोरा, सुम्बावा (इण्डानेशिया) में विश्व के सर्वाधिक विनाशकारी ज्वालामुखी विस्फोट में 92,000 लोग मारे गए। 1833 ई. इंडोनेशिया के क्राकटाओ द्वीप के ज्वालामुखी उद्गार से द्वीप का दो तिहाई भाग ही उड़ गया और 160 किमी दूर स्थित बटेविया नगर के भवनों की खिड़किया टूट गई थीं। इससे 36 हजार लोगों की मृत्यु हो गई थी।
ज्वालामुखी से मानव को कुछ लाभ भी हैं। इससे भूतापीय ऊर्जा, उपजाऊ मिट्टी, खनिज पदार्थ आदि प्राप्त होते हैं व प्राकृतिक दृश्यों के उद्भव से पर्यटन के विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। लाभों की तुलना में ज्वालामुखी का प्रलयकारी रूप अति भयवाह है।

Part 02
ज्वालामुखी
  • ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह(भूपटल) पर उपस्थित ऐसी दरार या मुख होता है जिससे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, राख आदि बाहर आते हैं।
  • पृथ्वी के सतह के अंदर पिघले हुए पदार्थ को मैग्मा कहते हैं वही जब यह मैग्मा पृथ्वी से बाहर आता है तो इसे लावा कहा जाता है। ज्वालामुखी विस्फोट के समय पृथ्वी से यही मैग्मा बाहर निकलता है एवं इसके साथ भारी मात्रा में जलवाष्प, राख एवं विभिन्न प्रकार के गैस इत्यादि बाहर निकलते हैं।

ज्वालामुखी के प्रकार

ज्वालामुखी तीन प्रकार होते हैं-
  1. सक्रिय ज्वालामुखी
  2. सुषुप्त ज्वालामुखी
  3. मृत ज्वालामुखी

सक्रिय ज्वालामुखी
  • उन ज्वालामुखीयों को कहा जाता है जिन पर समय- समय पर विस्फोट होता रहता है। संसार के कुछ सक्रिय ज्वालामुखी में हवाई द्वीप का मौना लोआ, सिसली का एटना और स्ट्राम्बोली, इटली का विसुवियस , इक्वेडोर का कोटोपैक्सी, अंडमान और निकोबार का बैरन द्वीप ज्वालामुखी एवं फिलीपींस का ताल ज्वालामुखी इत्यादि शामिल है।

सुषुप्त ज्वालामुखी
  • उन ज्वालामुखीयों को कहा जाता है जो वर्षों से शांत पड़े होते हैं लेकिन उनमें कभी भी ज्वालामुखी विस्फोट होने की संभावना बनी रहती है संसार के निष्क्रिय ज्वालामुखीयों में इटली का विसूवियस, जापान का फ्यूजीयामा, इंडोनेशिया का क्राकाटोआ एवं अंडमान और निकोबार का नारकोंडम ज्वालामुखी इत्यादि शामिल है।

मृत ज्वालामुखी
  • ऐसे ज्वालामुखीयों को कहा जाता है जो कई युगो से शांत है एवं उनमें विस्फोट होना बंद हो गया है। संसार की कुछ मृत ज्वालामुखीयों में म्यांमार का पोपा, अफ्रीका का किलिमंजारो, दक्षिण अमेरिका का चिम्बराजो, हवाई द्वीप का मोंनाको, ईरान का कोह सुल्तान इत्यादि शामिल है।


ज्वालामुखी विस्फोट से व्यापक पैमाने पर धन-जन की व्यापक हानि होती है। इतिहास में कई ऐसी घटनाएं घटी जब पूरे के पूरे शहर ज्वालामुखी से होने वाले विस्फोट के कारण काल के ग्रास में समा गए। उदाहरण के लिए इटली के दो प्रसिद्ध शहर पम्पियाई और हरक्युलैनियम ज्वालामुखी विस्फोट से बर्बाद हो गए। हालांकि ज्वालामुखी विस्फोट कई तरीके से लाभकारी भी होते है। इससे ना केवल नवीन संरचनाओं का निर्माण होता है जैसे की क्रेटर झील, लैकोलिथ, फैकोलिथ इत्यादि बल्कि कई खनिजों समेत काली मिट्टी के स्रोत भी ज्वालामुखी के लावा होते हैं।

रिंग ऑफ फायर'(Ring of Fire)

  • रिंग ऑफ फायर’, प्रशांत महासागर के चारों-ओर स्थित एक ऐसा विस्तृत क्षेत्र है जहाँ विवर्तनिक प्लेटें आकर आपस में मिलती हैं। यहाँ विवर्तनिक प्लेटों के आपस में मिलने से ज्वालामुखी विस्फोट या उद्गार तथा भूकंपीय घटनाओं की निरंतरता रहती है।
  • रिंग ऑफ फायरको परिप्रशांत महासागरीय मेखला (Circum-Pacific Belt) के नाम से भी जाना जाता है।
  • विश्व के लगभग 75% ज्वालामुखी रिंग ऑफ फायरक्षेत्र में ही पाए जाते हैं।
  • क्राकाटोआ(इंडोनेशिया),माउंट फ्यूजी(जापान) और सेंट हेलेना(संयुक्त राज्य अमेरिका) जैसे विश्व प्रमुख ज्वालामुखी इसी क्षेत्र में पाए जाते हैं|
  • पोपोकैटेपिटल (मेक्सिको) रिंग ऑफ़ फायर’ (Ring of Fire) में स्थित सबसे अधिक विनाशक ज्वालामुखी है|
  • विश्व का सबसे गहरा महासागरीय स्थान मैरियाना खाई’ (35,827 फीट) पश्चिमी प्रशांत महासागर में मैरियाना द्वीप के पूर्व में स्थित है|
  • द्वीपीय देश जापान,जो विवर्तनिकी (Tectonic) दृष्टि से पृथ्वी के सबसे सक्रिय स्थानों में से एक है,’रिंग ऑफ़ फायर’ (Ring of Fire) के पश्चिमी किनारे पर स्थित है|
  • रिंग ऑफ़ फायर’ (Ring of Fire) के सहारे महासागरीय खाईयाँ, वलित पर्वत और भूकम्पीय कंपन पाए जाते हैं|
  • ईफुकू ज्वालामुखी के उत्तर-पूर्व में शैम्पेन छिद्रजल के अन्दर स्थित एकमात्र ऐसा ज्ञात क्षेत्र है जहाँ तरल कार्बन डाई ऑक्साईड (Carbon Dioxide ) पाई जाती है|

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