जैव विविधता संरक्षण |जैव विविधता संरक्षण की विधियां

जैव विविधता संरक्षण


 जैव विविधता संरक्षण 
जैव विविधता संरक्षण की विधियां

जैव विविधता संरक्षण का आशय,प्रकृति में उपस्थित विविध जीव-जंतु, प्रजातियों एवं अन्य जैव संसाधनों को संरक्षण प्रदान करना है। पारिस्थितिक संतुलन एवं मानव जीवन की आवश्यकतओं की आबाध आपूर्ति के लिए जैव विविधता का होना आवश्यक है।

परितंत्र एवं प्रजातियों के सत्त उपयोग को बनाए रखने के लिए विश्व एवं स्थानिक स्तर पर संरक्षण के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।

जैव विविधता संरक्षण की प्रमुख रूप से दो विधियां हैं-

स्व-स्थाने सरंक्षण In-Situ Conservation 

स्वस्थाने सरंक्षण के अंतर्गत विभिन्न जीव जातियों को उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षण प्रदान किया जाता है। स्व स्थाने संरक्षण के अंतर्गत निम्न विधियां हैं-

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बाह्य स्थाने संरक्षण Ex-Situ Conservation

इसके अंतर्गत, संकटग्रस्त पादपों व जंतुओं को उनके प्राकृतिक आवास से अलग विशेष स्थान पर सावधानीपर्वूक संरक्षित किया जाता है। इसके अंतर्गत निम्न विधियां शामिल हैं-

  • चिड़ियाघर
  • वनस्पति उद्यान
  • जीन बैंक
  • बीज बैंक
  • निम्नतापीय संरक्षण

विश्व संरक्षण रणनीति  के जैव विविधता संरक्षण के संबंध में सुझाव 

1. उन प्रजातियों के संरक्षण का प्रयास होना चाहिए जो कि संकटग्रस्त हैं।

2. विलुप्ति पर रोक के लिये उचित योजना तथा प्रबंधन की आवश्यकता।

3. खाद्य फसलों, चारा पौधों, मवेशियों, जानवरों तथा उनके जंगली रिश्तेदारों को संरक्षित किया जाना चाहिए।

4. प्रत्येक देश की वन्य प्रजातियों के आवास को चिंहित कर उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए।

5. उन आवासों को सुरक्षा प्रदान करना चाहिए जहाँ प्रजातियाँ भोजन, प्रजनन तथा बच्चों का पालन-पोषण करती हैं।

6. जंगली पौधों तथा जन्तुओं के अन्तरराष्ट्रीय व्यापार पर नियंत्रण होना चाहिए।

 

जैव विविधताः संपूर्ण अध्ययन सामग्री

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