History Three Marker Question with Answer Notes in Hindi। भारतीय इतिहास के चर्चित व्यक्ति

History Three Marker  Question  with Answer  Notes  in Hindi 

History Three Marker Question  with Answer Notes in Hindi। (भारतीय इतिहास के चर्चित व्यक्ति)

History Three Marker  Question  with Answer  Notes  in Hindi 

अब्दुल गफ्फार खान

  • 'सीमांत गांधी' के नाम से लोकप्रिय, ये उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत के प्रमुख राष्ट्रवादी थे। इन्होंने' खुदाई खिदमतगार' (ईश्वर के सेवक) नामक राष्ट्रवादी संस्था की स्थापना की जो' लाल कमीज' के नाम से लोकप्रिय थी। इन्होंने स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान में 'पख्तूनिस्तान' के लिए आंदोलन प्रारंभ किया जिसके लिए इन्हें पाकिस्तान सरकार ने बंदी बना लिया। भारत सरकार ने मरणोपरांत इन्हें 'भारत रत्न' की उपाधि प्रदान की।

 

अब्दुल हामीद लाहौरी - 

  • शाहजहां का आधिकारिक इतिहासकार तथा पादशाहनामा का लेखक।

 

अब्दुल्लाह सैयद – 

  • ये प्रसिद्ध सैयद बंधुओं में बड़ा भाई था, जबकि छोटा हुसैन था। इन्होंने मुगल शासन में 1713 से 1722 के बीच राजा बनाने की भूमिका निभाई थी।

 

अब्दुर रहीम खान-ए-खाना- 

  • बैरम खान का पुत्र जो बाद में अकबर का सेनापति बना। इसने बाबर की आत्मकथा का फारसी में अनुवाद किया तथा साहित्य में अन्य योगदान किए।

 

अब्दुर रज्जाक लारी- 

  • गोलकुंडा के अंतिम कुतुबशाही शासक (अबुल हसन) का सेनापति जिसने औरंगजेब के आक्रमण के समय अत्यंत बहादुरी के साथ किले की सुरक्षा की। बाद में औरंगजेब ने इसे अपने अधीन नियुक्त कर लिया।

 

अबुल फजल

  • शेख मुबारक का पुत्र तथा फैजी (कवि) का भाई, अबुल फजल अकबर का आधिकारिक इतिहासकार तथा निकट सहायक था। इसने आइने अकबरी (अकबर के साम्राज्य का सांख्यिकीय विवरण) तथा अकबर नामा (अकबर के शासनकाल का इतिहास) का लेखन किया। शहजादा सलीम (बाद में जहांगीर) के उकसाए जाने पर वीरसिंह बुंदेला ने 1602 में अबुल फजल की हत्या कर दी।

 

आधम खान- 

  • माहम अनगा (अकबर की धाय माँ) का पुत्र, जो बैरम खान के पतन के बाद दो वर्षों (1560-62) के लिए अत्यंत शक्तिशाली हो गया था। तत्कालीन वजीर, शम्सुद्दीन अतगा खान (1562) की हत्या के कारण अकबर ने उसे मृत्युदंड दे दिया।

 

अफजल खान – 

  • बीजापुर का सेनापति जिसे शिवाजी के दमन के लिए भेजा गया था, पर जब दोनों बातचीत के लिए मिले (1659) तो शिवाजी ने बाघ नख से उसकी हत्या कर दी।

 

आगा खान – 

  • भारत में रहने वाले बोरा इस्लामिया मुस्लिम संप्रदाय के धार्मिक प्रमुख की उपाधि। यह उपाधि सर्वप्रथम हसन अलीशाह को प्रदान की गई जो कि पैगंबर के वंशज होने का दावा करते थे।

 

अहिल्याबाई - 

  • इंदौर के मल्हार राव होल्कर की विधवा बहू जिसने इंदौर पर 1764 से 1795 के बीच शासन किया। यह बनारस के अन्नपूर्णा मंदिर तथा गया के विष्णु मंदिर तथा कलकत्ता से बनारस के बीच ग्रांड ट्रंक सड़क के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। उसके उत्तराधिकारी तुकोजी होल्कर थे।

 

अहमदशाह अब्दाली - 

  • यह अफगानिस्तान के दुर्रानी वंश का था तथा शुरू  में इसने नादिरशाह के अधीन काम किया था। अफगानिस्तान के अपने स्वतंत्र शासन - के दौरान (1747-1773) इसने भारत पर आठ बार आक्रमण किया तथा पानीपत के तृतीय युद्ध (1761) में इसने मराठों को पराजित किया।

 

अहमदशाह वली - 

  • बहमनी राज्य का नौवां सुल्तान जो अपने भाई फिरोज शाह बहमनी की हत्या कर सुल्तान बना। यह अपनी राजधानी गुलबर्गा से बीदर ले गया।

 

अहमदशाह- 

  • गुजरात सल्तनत का महानतम शासक (1411-41) जिसने प्राचीन हिंदू नगर सावल के निकट अहमदाबाद का शहर बसाया तथा इसे अपनी राजधानी बनाया ।

 

अहमद निजामशाह बाहरी - 

  • निजामशाही वंश का संस्थापक जिसने अहमदनगर शहर को बसाया तथा इसे अपनी राजधानी बनाया। जलालुद्दीन अहसानशाह - मुहम्मद बिन तुगलक के सेनापतियों में से एक था जिसने विद्रोह कर 1335 में मदुरै सल्तनत की स्थापना की, हालांकि 1377 में विजयनगर के शासक ने इसे विजयनगर में मिला लिया।

 

अजातशत्रु – 

  • बिंबिसार का पुत्र, जो मगध के हर्यक वंश का दूसरा शासक (516-480 ई०पू०) था। उसने लिच्छवि राज्य को जीता, कोसल के राजा (प्रसेनजित) को पराजित किया तथा उसकी पुत्री से विवाह किया। उसके शासनकाल में राजगृह में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ।

 

अजीतसिंह-

  • मारवाड़ के शासक राजा जसवंतसिंह की मृत्यु के बाद पैदा होने वाला पुत्र जिसे औरंगजेब ने कैद कर लिया था लेकिन बाद में दुर्गादास के अधीन राठौरों ने उसे दिल्ली से छुड़ा लिया। मेवाड़ के राणाओं की सहायता से राठौरों ने अजीतसिंह के लिए मुगलों से 1709 तक युद्ध किया जब बहादुरशाह प्रथम ने अंततः उन्हें मेवाड़ का शासक स्वीकार किया।

 

अकबर (शहजादा) – 

  • दिलरस बानो बेगम से उत्पन्न औरंगजेब का तृतीय पुत्र जिसने 1681 में अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया, किंतु उसे पराजित कर दिया गया तथा उसे संभाजी के द्वारा शरण प्रदान की गई। दक्कन में बादशाह की निजी उपस्थिति के कारण इसे कुछ भी प्राप्त करने में असफलता मिली तथा अंतत: फारस चला गया।

 

अलाउद्दीन हसन बहमन शाह

  • बहमनी राज्य का संस्थापक जिसने गुलबर्गा को अपनी राजधानी बनाया। मूलत: वह दक्कन में मुहम्मद बिन तुगलक का एक अधिकारी था। अपने शासनकाल (1347-58) के दौरान उसने अपना अधिकार उत्तर में वेनगंगा से दक्षिण में कृष्णा तक स्थापित किया। उसका राज्य चार तराफ (प्रांतों) में विभाजित था - गुलबर्गा, दौलताबाद, बरार तथा बीदर। इसके शासनकाल की जानकारी हमें समकालीन ग्रंथ बुरहान-बाशिर से प्राप्त होती है।

 

अलाउद्दीन हुसैनशाह- 

  • बंगाल के हुसैनशाही वंश का संस्थापक जिसने गौड़ को अपनी राजधानी बनाया। इसने 24 वर्षों (1493-1518) तक शासन किया। 


आलम खान – 

  • बहलोल लोदी का तृतीय पुत्र तथा इब्राहीम लोदी का चाचा जिसने दौलत खान लोदी से मिलकर भारत पर आक्रमण करने के लिए बाबर को आमंत्रित किया।

 

आलमगीर द्वितीय- 

  • जहांदारशाह (आठवां मुगल बादशाह) का पुत्र जिसे शक्तिशाली वजीर गाजीउद्दीन इमादुलमुल्क ने सोलहवां मुगल बादशाह (1754 59 ) बनाया। 


अलबरूनी-

  • मूलतः मध्य एशिया में खीवा का निवासी, जो पहले गजनी आया तथा बाद में महमूद के आक्रमण के साथ भारत आया। इसका वास्तविक नाम अबु रिहान मुहम्मद था लेकिन बाद में अलवरूनी ' के नाम से लोकप्रिय हो गया जिसका अर्थ होता है 'मालिक'। यह स्वयं एक बड़ा विद्वान था तथा इसने संस्कृत सीखकर भारतीय विज्ञान तथा दर्शन का गहन अध्ययन किया। इसकी प्रसिद्ध पुस्तक तारीखे हिंद अथवा किताबे हिंदमें भारत पर तुर्की आक्रमण से पूर्व की स्थिति का वास्तविक विवरण मिलता है।

 

अल-हज्जाज – 

  • वालिद के खलीफा के काल में ईराक का अरब गवर्नर जिसने सिंध जीतने के लिए तीन अभियान दल भेजे। अंतिम अभियान में उसका अधीनस्थ तथा दामाद मुहम्मद बिन कासिम राओर के युद्ध (712 ई०) में राजा दाहिर को पराजित कर सिंध में अरब शासन स्थापित करने में सफल हुआ।

 

अल-मसूदी– 

  • प्रतिहार शासक महीपाल प्रथम के शासनकाल में प्रतिहार राज्य में 915 ई० में आने वाला अरब यात्री जिसने प्रतिहार घुड़सवार सेना की योग्यता की प्रशंसा की।

 

एपिरस का एलेक्जेंडर- 

  • अशोक के वृहत शिलालेख XIII में इसका 'अलिकसुन्दर' के नाम से उल्लेख मिलता है।

 

अली आदलशाह प्रथम- 

  • बीजापुर का पांचवां शासक जिसने विजयनगर के शासक रामराय से मिलकर अहमदनगर पर आक्रमण (1558) किया लेकिन बाद में विजयनगर पर आक्रमण के समय अन्य मुस्लिम शासकों से मिल गया तथा रामराय को बन्नीहट्टी अथवा तालीकोटा के युद्ध (1565) में पराजित किया। उसका विवाह अहमदनगर की चांदबीबी से हुआ था।

 

अली बारीद- 

  • बीदर (बहमनी राज्य से उत्पन्न) के बरीदशाही वंश का संस्थापक |

 

मुहम्मद अली – 

  • प्रमुख राष्ट्रवादी नेता तथा शौकत अली के भाई जो ये खिलाफत तथा असहयोग आंदोलन के नेता थे। वे 1923 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने।

 

मुहम्मद अली रुहेला - 

  • अवध से उत्तर पश्चिम, (हिमालय के नीचे), रुहेलखंड में रुहेला शक्ति के संस्थापक। इन्हें 1774 में पराजित कर दिया गया तथा इनके अंतिम नवाब, हाफिज रहमत खान की हत्या अवध के नवाब ने अंग्रेजों की सहायता से की।

 

अमरसिंह - 

  • मेवाड़ के राणा प्रताप के पुत्र एवं उत्तराधिकारी। इन्होंने अकबर तथा बाद में जहांगीर के काल में मुगलों के विरुद्ध संघर्ष जारी रखा। लेकिन बाद में शाही दरबार में इनकी व्यक्तिगत उपस्थिति की जिद छोड़ देने के बाद 1614 में इन्होंने मुगलों के साथ शांति स्थापित कर ली।

 

मलिक अंबर- 

  • एक अबीसीनियाई दास जो अहमदनगर में बसा तथा निजामशाही शासकों का प्रधानमंत्री बना। इसने कई कर सुधार लागू किए, निजामशाही सेना को गुरिल्ला युद्ध कला में प्रशिक्षित किया, सेना में कई मराठों को भर्ती किया तथा निजामशाही राज्य को मुगल साम्राज्य में मिलाने के जहांगीर के प्रयत्न को विफल कर दिया। लेकिन 1616 में शहजादा (बाद में शाहजहां) ने उसे अहमदनगर का किला मुगलों को सौंप देने पर मजबूर कर दिया।

 

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