उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 के प्रमुख प्रावधान |Consumer protection act 2019 Summary in Hindi

 

उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 के प्रमुख प्रावधान

उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 के प्रमुख प्रावधान |consumer protection act 2019 Summary in Hindi



उपभोक्ता की परिभाषा

  • उपभोक्ता वह व्यक्ति  है जो अपने इस्तेमाल के लिये कोई वस्तु खरीदता है या सेवा प्राप्त करता है। इसमें वह व्यक्ति शामिल नहीं है जो दोबारा बेचने के लिये किसी वस्तु को हासिल करता है या कमर्शियल उद्देश्य के लिये किसी वस्तु या सेवा को प्राप्त करता है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके, टेलीशॉपिंग, मल्टी लेवल मार्केटिंग या सीधे खरीद के जरिये किया जाने वाला सभी तरह का ऑफलाइन या ऑनलाइन लेन-देन शामिल है।


उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019  में उपभोक्ताओं के  निम्नलिखित अधिकारों को स्पष्ट किया गया है-

  • ऐसी वस्तुओं और सेवाओं की मार्केटिंग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना जो जीवन और संपत्ति के लिये जोखिमपूर्ण है।
  • वस्तुओं या सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, मानक और मूल्य की जानकारी प्राप्त होना।
  • प्रतिस्पर्द्धी मूल्य पर वस्तु और सेवा उपलब्ध कराने का आश्वासन प्राप्त होना।
  • अनुचित या प्रतिबंधित व्यापार की स्थिति में मुआवजे की मांग करना।


ई-कॉमर्स एवं अनुचित व्यापार अभ्यासों पर नियम

सरकार इस अधिनियम के तहत उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 को अधिसूचित करेगी जो निम्नलिखित हैं-


  • ई-कॉमर्स संस्थाओं को उपभोक्ताओं को रिटर्न, रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी, गांरटी, डिलीवरी, शिपमेंट और भुगतान के तरीके, शिकायत निवारण तंत्र, भुगतान संबंधी विधियों की सुरक्षा और उत्पत्ति के स्थान से संबंधित जानकारी देना आवश्यक है।
  • इन प्लेटफॉर्मों को 48 घंटे के अंदर किसी भी उपभोक्ता की शिकायत को सुनना होगा और शिकायत प्राप्त करने के एक महीने के भीतर शिकायत का निवारण करना होगा तथा इस हेतु शिकायत अधिकारी की भी नियुक्त करनी होगी।
  • उपभोक्ता संरक्षण (ई.कॉमर्स) नियम, 2020 अनिवार्य है, सलाहकारी नहीं।
  • ये नियम ई-कॉमर्स कंपनियों को अनुचित मूल्य के माध्यम से अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से किये जाने वाले वस्तु या सेवाओं की कीमत में हेरफेर करने से भी रोकते हैं।


भ्रामक विज्ञापनों के लिये जुर्माना

  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) झूठे या भ्रामक विज्ञापन के लिये मैन्युफैक्चरर या एन्डोर्सर पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है। दोबारा अपराध की स्थिति में यह जुर्माना 50 लाख रुपए तक बढ़ सकता है। मैन्युफैक्चरर को दो वर्ष तक की कैद की सजा भी हो सकती है जो हर बार अपराध करने पर पाँच वर्ष तक बढ़ सकती है।


उत्पाद की ज़िम्मेदारी (Product Libility)

  • उत्पाद की जिम्मेदारी का अर्थ है- उत्पाद के मैन्युफैक्चरर, सर्विस प्रोवाइडर या विक्रेता की जिम्मेदारी। यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह किसी खराब वस्तु या सेवा के कारण होने वाले नुकसान या क्षति के लिये उपभोक्ता को मुआवज़ा दे। मुआवज़े का दावा करने के लिये उपभोक्ता को विधेयक में उल्लिखित खराबी या दोष से जुड़ी कम-से-कम एक शर्त को साबित करना होगा।


केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) का गठन

  • केंद्र सरकार उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने, संरक्षण और उन्हें लागू करने के लिये केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority- CCPA) का गठन करेगी। यह अथॉरिटी उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार और भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित करेगी। महानिदेशक की अध्यक्षता में CCPA की एक अन्वेषण शाखा (इन्वेस्टिगेशन विंग) होगी, जो ऐसे उल्लंघनों की जाँच या इन्वेस्टिगेशन कर सकती है।


उपभोक्ता विवाद निवारण कमीशन (CDRCs) का गठन

जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों (Consumer Disputes Redressal Commissions- CDRCs) का गठन किया जाएगा। एक उपभोक्ता निम्नलिखित के संबंध में आयोग में शिकायत दर्ज करा सकता है:

  • अनुचित और प्रतिबंधित तरीके से व्यापार।
  • दोषपूर्ण वस्तु या सेवाएँ।
  • अधिक कीमत वसूलना या गलत तरीके से कीमत वसूलना।
  • ऐसी वस्तुओं या सेवाओं को बिक्री के लिये पेश करना जो जीवन और सुरक्षा के लिये जोखिमपूर्ण हो सकती हैं।
  • अनुचित कॉन्ट्रैक्ट के खिलाफ शिकायत केवल राज्य और राष्ट्रीय CDRCs में फाइल की जा सकती है। जिला CDRC के आदेश के खिलाफ राज्य CDRC में सुनवाई की जाएगी। राज्य CDRC के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय CDRC में सुनवाई की जाएगी। अंतिम अपील का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को होगा।

 

उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 से उपभोक्ताओं को लाभ

  • वर्तमान में शिकायतों के निवारण के लिये उपभोक्ताओं के पास एक ही विकल्प है, जिसमें अधिक समय लगता है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के माध्यम से विधेयक में त्वरित न्याय की व्यवस्था की गई है।
  • भ्रामक विज्ञापनों के कारण उपभोक्ताओं में भ्रम की स्थिति बनी रहती है तथा उत्पादों में मिलावट के कारण उनके स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भ्रामक विज्ञापन और मिलावट के लिये कठोर सजा का प्रावधान है ताकि इस तरह के मामलों में कमी आए।
  • दोषपूर्ण उत्पादों या सेवाओं को रोकने के लिये निर्माताओं और सेवा प्रदाताओं की जिम्मेदारी का प्रावधान होने से उपभोक्ताओं को छानबीन करने में अधिक समय बर्बाद करने की ज़रुरत नहीं होगी।
  • उपभोक्ता आयोग से संपर्क करने में आसानी और प्रक्रिया का सरलीकरण।
  • वर्तमान उपभोक्ता बाजार के मुद्दों- ई कॉमर्स और सीधी बिक्री के लिये नियमों का प्रावधान है।


उपभोक्ता अधिकार

उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिये कानून द्वारा दिये गए अधिकार

 

       सुरक्षा का अधिकार

       सूचना का अधिकार

       चयन का अधिकार

       क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार

       उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार

 

उपभोक्ताओं के शोषण का कारण:

 

       सीमित सूचना

       सीमित आपूर्ति

       सीमित प्रतिस्पर्द्धा

       साक्षरता की कमी

 

उपभोक्ता निवारण प्रक्रिया की सीमाएँ

 

       उपभोक्ता निवारण प्रक्रिया जटिल, खर्चीली और समय साध्य साबित हो रही है।

       कई बार उपभोक्ताओं को वकीलों का सहारा लेना पड़ता है। ये मुकदमे अदालती         कार्यवाहियों में शामिल होने और आगे बढ़ने में काफी समय लेते है।

       अधिकांश खरीदारी के समय रसीद नहीं मिलने से प्रमाण जुटाना कठिन हो जाता       है।

       बाजार में अधिकांश खरीदारी छोटे फुटकर दुकानों से होती है।

       बाजारों के कार्य करने के लिये नियमों और विनियमों का प्राय: पालन नहीं होता      है। 


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