उपभोक्ता संरक्षण का अर्थ । उपभोक्ताओं की समस्यों का स्वरूप। Consumer Protection Meaning

उपभोक्ता संरक्षण का अर्थ,  उपभोक्ताओं की समस्यों का स्वरूप

 Consumer Protection Meaning 

उपभोक्ता संरक्षण का अर्थ । उपभोक्ताओं की समस्यों का स्वरूप। Consumer Protection Meaning


उपभोक्ता संरक्षण का अर्थ Meaning of consumer protection

 

  • आप इस तथ्य से परिचित हैं कि उपभोक्ताओं को कुछ मूलभूत अधिकार प्राप्त हैं, जैसे सुरक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, चुनाव का अधिकार और उनकी बात सुने जाने का अधिकार। लेकिन क्या हम खरीददारी करते समय इन अधिकारों को हमेशा याद रखते हैं? शायद नहीं। 
  • लेकिन अगर हम इन अधिकारों से परिचित हैं, तो भी विक्रेता प्रायः हमारी स्थिति का लाभ उठाकर हमें ऐसी वस्तुओं की आपूर्ति करते हैं, जो दोषपूर्ण, हानिकारक और असुरक्षित हैं और जिनसे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है।
  • मान लीजिए आप किसी दुकान पर खाना पकाने का तेल खरीदने गये। दुकानदार आपसे कहता है कि तेल बंद टीन या डिब्बे में उपलब्ध है। आप आश्वस्त होना चाहते हैं कि तेल मिलावटी तो नहीं है, अर्थात् उसमें कोई घटिया हानिकारक तेल तो नहीं मिलाया गया। अब दुकानदार आपको लेबल पर उत्पाद का नाम दिखायेगा और कहेगा कि यह जानी-मानी कम्पनी है, जो कभी भी अशुद्ध और घटिया चीजों की आपूर्ति नहीं करती। आप उस तेल का प्रयोग करते हैं और उसे खाकर बीमार पड़ जाते हैं। अब क्या आप दुकानदार के पास जाकर तेल को लौटा सकते हैं? नहीं, अब वह खुले टिन में थोड़ा बहुत इस्तेमाल हो चुका तेल वापस नहीं लेगा। शायद वह आपसे यह भी कहे कि आपकी बीमारी किसी और वजह से हुई होगी। तो अब आप यही कर सकते हैं कि आगे उस लेबल का तेल इस्तेमाल करना बंद कर दें। लेकिन इस बात की क्या गारंटी है कि दूसरे ब्रांड के तेलों के साथ फिर यही समस्या आपके सामने नहीं आएगी?

 

उपभोक्ताओं की समस्यों का स्वरूप

 

अनैतिक और बेईमान व्यापारी कई प्रकार से उपभोक्ताओं को धोखा दे सकते हैं। इनमें व्यापारी, डीलर, उत्पादक, निर्माता और सेवा प्रदाता सभी आते हैं। इनमें से कुछ अनुचित गतिविधियों से कभी न कभी आप भी अवश्य प्रभावित हुए होंगें।

 

मिलावट : 

  • अर्थात् बेची जा रही वस्तु में उससे घटिया क्वालिटी की चीज मिला देना। इस तरह की मिलावट अनाज, मसालों, चाय की पत्ती, खाद्य तेलों और पेट्रोल में की जाती है। उदाहरण के लिए सरसों के तेल में रेप सीड या आर्जिमोन तेल की मिलावट, काली मिर्च में पपीते के सूखे बीज, और घी या मक्खन में वनस्पति की मिलावट की जा सकती है। कई बार तो मिलायी गयी घटिया क्वालिटी की चीज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकती है।

 

नकली चीजों की बिक्री : 

  • यानि असली उत्पाद के बदले उपभोक्ताओं को ऐसी चीज की बिक्री करना जिसकी कोई खास कीमत नहीं है। ऐसा अक्सर दवाओं और स्वास्थ्य रक्षक उत्पादों के साथ होता है। ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें इंजेक्शन में सिर्फ पानी मिला पाया गया या ग्लूकोज के पानी की बोतल में आसुत (डिस्टिल्ड) जल पाया गया है।

 

नाप तोल के गलत पैमानों का इस्तेमाल

  • व्यापारियों द्वारा अपनाया जाने वाला एक और अनुचित तरीका है। तोल कर बिकने वाली चीजें जैसे सब्जी, अनाज, चीनी और दालें, या नाप कर बेची जाने वाली चीजें जैसे कपड़े, या सूट पीस वगैरह कभी-कभी वास्तविक तोल या नाप से कम पाई जाती है। जाली भारक ( जैसे एक किलोग्राम, 500 ग्राम या 250 ग्राम के वजन) या गलत निशानों वाले गज या टेप अकसर खरीददार को धोखा देने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। कभी-कभी पैक किया हुआ सामान या सीलबंद डिब्बों में उनके लेबल पर दर्शाये गये वजन से, कम वजन का सामान होता है। इसकी पुष्टि भी आसानी से की जा सकती है। मिठाइयां अकसर डिब्बे के साथ ही तोल दी जाती हैं, जो 50 से 100 ग्राम तक का होता है और आपको इसके लिए भी मिठाई की दर से ही भुगतान करना पड़ता है।

 

जाली माल की बिक्री 

  • यानि चीजों पर जिस बेहतर क्वालिटी का निशान दिया गया है, वास्तव में सामान का उसके अनुरूप न होना। या जैसे स्थानीय तौर पर बनायी गयी चीजों को भी विदेशों से आयातित बताकर, ऊंचे दाम पर बेचना, आयातित चीजें अक्सर बेहतर समझी जाती है। कुछ उत्पाद जैसे धुलाई का साबुन या पाउडर, ट्यूब लाइट, जैम, खाने का तेल और दवाओं पर जाने-माने ब्रांड का लेबल लगा होता है। हालांकि ये दूसरी कंपनियों द्वारा बनायी जाती हैं।

 

जमाखोरी व कालाबजारी 

  • जब कोई आवश्यक वस्तु खुले बाजार में उपलब्ध नहीं करायी जाती है और जानबूझकर व्यापारी इसे गायब कर देते हैं तो इसे जमाखोरी कहा जाता है। इसका उद्देश्य होता है उस चीज का कृत्रिम अभाव पैदा कर देना ताकि इसकी कीमत में उछाल लाया जाये। इस तरह से जमा किये गये सामान को चोरी-छिपे, ऊंची कीमत पर बेचना कालाबाजारी कहलाता है। कभी-कभी जब किसी उत्पाद की आपूर्ति कम होती है तो इस तरह के अनुचित तरीके अपना जाते हैं। कुछ समय पहले आपने समाचार पत्रों में कुछ राज्यों में प्याज की कमी के बारे में पढ़ा होगा और जिन व्यापारियों के पास प्याज का स्टॉक था, उन्होंने अधिक दाम वसूले।

टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद करने वालों को कभी-कभी बिक्री की पूर्व शर्त

  • टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद करने वालों को कभी-कभी बिक्री की पूर्व शर्तों : के रूप में कुछ अन्य वस्तुएं भी खरीदनी पड़ती हैं या उनसे इस वर्ष का बिक्री के बाद सेवा शुल्क का अग्रिम भुगतान करने को कहा जा सकता है। आपने नये गैस कनेक्शन के साथ गैस स्टोव की बिक्री की शर्त सुनी होगी। इसी तरह टेलीविजन सेट भी कभी-कभी इस शर्त के साथ बेचे जाते हैं कि उपभोक्ताओं को एक वर्ष का सेवा शुल्क अग्रिम भुगतान करना होगा।

 

बिना कोई अतिरिक्त मूल्य लिये उपहार

  • बिना कोई अतिरिक्त मूल्य लिये या कुछ चीजों की अगली खरीद पर उपहार प्राप्त करने के लिए कूपन देना आदि कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे उपभोक्ताओं को उत्पाद खरीदने के लिए लुभाया जाता है। अक्सर बेची जा रही वस्तु का मूल्य बढ़ाकर ही उपहार दिये जाते हैं। कई बार डीलर उपभोक्ताओं के बीच प्रतियोगिता या लॉटरी की भी घोषणा करता है, जबकि उसकी नीयत कोई ईनाम देने की कभी नहीं होती है ।

 

भ्रमात्मक विज्ञापन 

  • भ्रमात्मक विज्ञापनों के जरिये भी उपभोक्ताओं को छला जाता है। ऐसे विज्ञापन किसी उत्पाद या सेवा की गुणवत्ता अच्छी होने का दावा करते हैं। और इस उत्पाद या सेवा की उपयोगिता का झूठा आश्वासन देते हैं। एक दवा कम्पनी ने विज्ञापन दिया कि उसके पैरासिटामॉल टेबलेट का एस्परीन की तरह कोई गलत प्रभाव नहीं होता, लेकिन इसने विशेषज्ञों की वह रिपोर्ट दबा दी कि पैरासिटामॉल के इस्तेमाल से यकृत पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसी तरह एक और कम्पनी ने घोषणा की कि वह एक विदेशी कम्पनी के तकनीकी सहयोग से 150 सी. सी. स्कूटर का निर्माण कर रही है, हालांकि वास्तव में ऐसा कोई सहयोग नहीं किया गया था। एक अन्य मामले में एक कम्पनी ने अपने विज्ञापन में जानी-मानी कंपनी 'फिलिप्स' का ट्रेड मार्क इस्तेमाल किया। इसने अपने टेलीविजन सेट पर भी फिलिप्स के ट्रेडमार्क का उपयोग किया। जांच के बाद पाया गया कि उस कम्पनी ने अपने टेलीविजन सेट पर 'फिलिप्स' का ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने की अनुमति फिलिप्स से नहीं ली थी। हालांकि कंपनी के पास केवल अपने ऑडियो उत्पादों पर फिलिप्स ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने की अनुमति थी ।

 

हल्के स्तर के उत्पादों की बिक्री

  • यानि ऐसी वस्तुएं बेचना जो गुणवत्ता : के घोषित स्तर या मानक स्तर, विशेषकर सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं होती हैं। ऐसे उत्पादों में प्रेशर कुकर, स्टोव, बिजली के हीटर या टोस्टर, रसोई गैस सिलेण्डर आदि हैं।

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