भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन (गणना) | National Income History in Hindi

भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन (गणना) 
Estimation (Calculation) of National Income in India

भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन (गणना) | National Income History in Hindi


 भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन

  • हमारे देश में राष्ट्रीय आय आकलन उत्पादनआय तथा विधियों के मिले-जुले प्रयोग के माध्यम से किया जाता है। अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रकों में उपलब्ध आँकड़ों के आधार पर उनके लिए उपयुक्त विधि का चयन होता है। 


  • कृषि तथा विनिर्माण जैसे क्षेत्र को जहाँ भौतिक पदार्थों का उत्पादन होता हैउत्पाद विधि का प्रयोग करना सहज रहता है क्योंकि उत्पादन के आँकड़े आसानी से मिल जाते हैं।


  • दूसरी ओरसरकारी क्षेत्र से आय के आँकड़े सहज सुलभ होते हैं। अतः वहाँ आय विधि का प्रयोग होता है। 


  • पर निर्माण क्षेत्र में उसके प्रकल्पों पर होने वाले व्यय के आँकड़ों का ही सहारा लेकर राष्ट्रीय आय में उसके योगदान का अनुमान किया जाता है।

 

भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि

 

स्वतंत्रता से पूर्व राष्ट्रीय आय का अनुमान

 

  • भारत की आज़ादी से पूर्व राष्ट्रीय आय के अनुमान कुछ प्रमुख अर्थशास्त्रियों के व्यक्तिगत प्रयासों के परिणाम ही थे। 
  • सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय का अनुमान दादाभाई नौरोजी ने लगाया था। उन्होंने सन् 1867-68 में भारत की राष्ट्रीय आय 340 करोड़ रुपये आँकी थी और प्रतिव्यक्ति आय का अनुमान मात्र 20 रुपये था। 
  • बाद में विलियम डिग्नी ने सन् 1897 98 में राष्ट्रीय आय 390 करोड़ रुपये आँकी पर इस बीच प्रतिव्यक्ति आय घटकर मात्र 17 रुपये रह गयी। 
  • फिंडले शिर्राज ने 1911 में कुल आय 1942 करोड़ तथा प्रति व्यक्ति आय 80 रुपये बताई.
  • जाने माने विशेषज्ञ डॉ. बी.के. आर. वी. राव ने 1925-29 की अवधि में (औसत) राष्ट्रीय आय 2301 करोड़ आँकी तथा उनका अनुमान था कि इस अवधि में प्रति व्यक्ति आय 78 रुपये रही। 
  • आर. सी. देसाई ने इन्हें 1930-31 में क्रमश: 2809 करोड़ तथा 72 रुपये आँका ये सभी अनुमान बहुत महत्त्वपूर्ण तो थे पर इनमें अनेक त्रुटियाँ भी थी। एक तो ये बहुत सीमित आँकड़ों पर आधारित थेदूसरे इनकी विधियाँ तथा आकलन के आधार क्षेत्र भी तुलनीय नहीं थे। किन्तु इन त्रुटियों के बाद भी ये अनुमान स्वतंत्रता पूर्व भारत की गरीबी तथा आर्थिक पिछड़े की झलक तो दिखा ही देते हैं।

 

स्वतंत्रता पश्चात् राष्ट्रीय आय का प्राक्कलन

 

  • सन् 1947 में आज़ादी के बाद से ही सरकारी तौर पर राष्ट्रीय आय के प्राक्कलन का क्रम आरम्भ हुआ। 
  • 4 अगस्त 1949 को प्रो. पी. सी. महलनवीस की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आय प्राक्कलन समिति (National Income Committee) का गठन हुआ। 
  • प्रो. वी.के.आर.बी. राव तथा प्रो. डी. आर. गाडगिल इसके सदस्य थे। समिति की पहली रिर्पोट 1951 में तथा अंतिम रिर्पोट 1954 में आई। 
  • पहली रिर्पोट में समिति ने राष्ट्रीय आय के आकलन की अवधारण पृष्ठभूमि के निरूपण के साथ-साथ 1948-1949 के लिए राष्ट्रीय आय के अनुमान भी प्रस्तुत किए अंतिम रिपोर्ट में उन्होंने 1948-49 व 1950-51 के चालू बाजार भावों व स्थिर (1948 49) भावों पर राष्ट्रीय आय के ताजा अनुमान भी प्रस्तुत किए। समिति ने राष्ट्रीय आय के आकलन के लिए विधियों के सुझाव भी दिए । 
  • सन् 1950 में इस समिति की सिफारिश के आधार पर ही राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (National Sample Sarvey) की स्थापना की गई थी। इसे ही राष्ट्रीय आय के अनुमान के लिए नियमित आधार पर आँकड़े संग्रह करने का कार्य सौंपा गया था।

 

केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (C.S.O.)

 

  • वर्ष 1954 में केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन की स्थापना पर इसे राष्ट्रीय आय का संगठन सौंप दिया गया। इसने 1956 में अपना पहला श्वेत पत्र जारी किया तथा उसके बाद से हर वर्ष यह राष्ट्रीय लेखा अनुमानों के नाम से राष्ट्रीय आय के वार्षिक अधिकृत आँकड़े प्रस्तुतः करता आ रहा है। 


  • यह संगठन भारत सरकार के योजना मंत्रालय में सांख्यिकी विभाग के अंतर्गत कार्य करता है। राष्ट्रीय आय के अनुमान चालू व स्थिर भावों पर अन्यान्य समष्टिगत् आँकड़ों के साथ तैयार किए जाते हैं। 


  • राष्ट्रीय आय की विस्तृत विधि बताने के लिए यह संगठन समय-समय पर राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी स्रोत एवं विधियाँ (National Income Statistics Sources and Methods) भी प्रकाशित करता रहा है। इसका अंतिम संस्करण फरवरी 1988 में छपा और इसके बाद अभी तक कोई संस्करण नहीं छपा। 

 

  • अपनी स्थापना के बाद से केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन ने अभी तक वर्ष 1948-49 1960-61, 1970-71 तथा 1980-81 की स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय के अनुमान प्रस्तुत किए हैं। 


  • हाल ही में आधार वर्ष 1993-94 हो गया है। इन्हीं के अनुरूप पर राष्ट्रीय आय के अनुमान प्रस्तुत किए हैं। इन्हीं के अनुरूप चार राष्ट्रीय आय अनुमान श्रृंखलाएँ तैयार हुई हैं। ये हैं: (क) परंपरित श्रृंखला, (ख) संशोधित श्रृंखला, (ग) नई श्रृंखला तथा (घ) परंपरागत लेखा अनुमानों की नई श्रृंखला।

 

1 भारतीय अर्थव्यवस्था के उपक्षेत्रक

 

केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन में भारतीय अर्थव्यवस्था को 13 उपक्षेत्रकों में विभाजित किया है। इनके अलावा एक चौदहवाँ क्षेत्रक भी है- बाह्य लेन-देन ये क्षेत्रक इस प्रकार हैं:

 

1) कृषि वानिकी तथा मत्स्यन

  • (क) कृषि (ख) वानिकी एवं लट्ठा कटाई, (ग) मत्स्यन 

2) खनन एवं उत्खनन् 

3) विनिर्माण 

  • (क) पंजीकृत, (ख) अपंजीकृत 

4) विद्युतगैस एवं जल आपूर्ति 

5) निर्माण 

6) व्यापारहोटल एवं जलपानगश्ह 

  • (क) व्यापार (ख) होटल तथा जलपानगृह 

7) परिवहन भण्डारण एवं संचार 

  • (क) रेलवे (ख) अन्य परिवहन, (ग) भण्डारण, (घ) संचार 

8) वित्तीयन बीमास्थावर संपदा एवं व्यावसायिक सेवाएँ 

  • (क) बैंकिंग तथा बीमा 
  • (ख) स्थावर सम्पदा आवासों का स्वामित्व एवं व्यवसायिक सेवाएँ 

9) सामुदायिक सामाजिक एवं वैयक्तिक सेवाएँ 

  • (क) सार्वनिक प्रशासन एवं प्रतिरक्षा (ख) अन्य सेवाएँ । 

विषय सूची 


राष्ट्रीय आय की गणना (मापन)

राष्ट्रीय आय की गणना (मापन) की आय विधि

राष्ट्रीय आय की गणना (मापन) की व्यय विधि

भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन (गणना)

भारत में राष्ट्रीय आय के आकलन के लिए प्रयुक्त विधियाँ ,राष्ट्रीय आय के आकलन में कठिनाइयाँ

राष्ट्रीय आय की संरचना 






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