उदायिन | मगध वंश के इतिहास में उदायिन | Udayin GK in hindi

 उदायिन | मगध वंश के इतिहास में उदायिन 

उदायिन | मगध वंश के इतिहास में उदायिन  | Udayin Magadh Vansh



  • पुराणों से जानकारी मिलती है कि अजातशत्रु के बाद दर्शक ने शासन कियाकिन्तु इस तथ्य की पुष्टि बौद्ध साहित्य से नहीं होती है। बौद्ध साहित्य में अजातशत्रु के उत्तराधिकारी का नाम उदायिभट्ट मिलता है। इसका समर्थन सैंहल ग्रंथों से भी होता है। दीपवंश में कहा गया है कि अपने पिता के बाद वह गद्दी पर आसीन हुआ। जैन ग्रंथ कथाकोषपरिशिष्टपर्वनसमन्तपासादिकासुमंगविलासिनी में 'उदय', उदायिन नाम मिलते हैं। पौराणिक साक्ष्यों को अधिक महत्त्व नहीं दिया जा सकता। परिशिष्टपर्वन में कहा गया है कि वह कुणिक की रानी पद्मावती का पुत्र था।

 

  • महावंश के अनुसार उदायिन ने अपने पिता की हत्या करके सिंहासन प्राप्त किया था। परन्तु डॉ. जायसवाल इस कथन को सत्य नहीं मानते हैं क्योंकि गार्गी संहिता में उसे धर्मात्मा कहा गया है। अतः वह पितृघाती नहीं हो सकता है। राय चौधरी के अनुसार गद्दी पर बैठने के पूर्व अजातशत्रु का पुत्र उदायिन या उदायिभट्ट अपने पिता की ओर से चम्पा का वायसराय (उपराजा) था।

 

  • गार्गी संहितावायुपुराण एवं जैन ग्रंथ परिशिष्टपर्वन से ज्ञात होता है कि उदायिन ने गंगा के तट पर कुसुमपुर ( पाटलिपुत्र ) नगर की स्थापना की। यह नगर गंगा एवं सोन नदी के संगम पर बसाया गया। स्थविरावलीचरित में वर्णन आया है कि उदायिन ने एक पड़ोसी राज्य पर आक्रमण किया एवं राजा की हत्या कर दीउस राजा के पुत्र ने अवन्ति की राजधानी उज्जैनी में शरण ली तथा साधुवेश से कपट से उदायिन की भी हत्या कर दी गई। परिशिष्टपर्वन में उल्लेख मिलता है कि अवन्ति का राजा 'पालक' (चण्डप्रद्योत का पुत्र) उदायिन का शत्रु था।

 

  • पुराणों में उदायिन का उत्तराधिकारी नन्दिवर्द्धन या महानन्दिन कहा गया है। सैंहल ग्रंथों में उसके उत्तराधिकारी क्रमशः अनुरुद्धमुण्ड एवं भागदासक बताये गये हैं। दिव्यावदान तथा अंगुत्तर निकाय में भी मुण्ड का उल्लेख आया है। 

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