गैर चुनावी राजनीति में जाति की भूमिका |Role of Caste in Non-Electoral Politics

गैर चुनावी राजनीति में जाति की भूमिका |Role of Caste in Non-Electoral Politics


गैर चुनावी राजनीति में जाति की भूमिका 

  • जाति व्यवस्था बदली परिस्थितियों में अपनी भूमिका को नये सिरे से व्यवस्थित करने का प्रयास कर रही है। 
  • औद्यौगीकरणशहरीकरणसामाजिक धार्मिक सुधारव्यावसायिक गतिशीलताबाजारी अर्थव्यवस्था में वृद्धि का जाति व्यवस्था पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। इन कारकों के प्रभाव के कारण हमें जाति में आये परिवर्तन को भी समझना पड़ेगा। जैसा कि हम चर्चा कर चुके हैंजाति ने देश की राजनीति में जबरदस्त भूमिका निभाई हैतथा यह भी सत्य है कि जाति ने गैर-चुनावी क्षेत्र में भूमिका निभाई है।
 
  • यह अपेक्षा की जाती है कि शिक्षा के प्रसार से लोग उदारतर्कशील एवं विस्तृत सोच के बनेंगे। इसी प्रकार भारत में साक्षरता दर में वृद्धि ने लोगों की सोच में परिवर्तन आएगा। इसके कारण जातिवाद एवं जाति की मानसिकता में भी परिवर्तन आएगा। 
  • लेकिन साक्षरता में वृद्धि से जातियों में चेतना का भी विकास हुआ है। इससे सभी जातियाँ अपने हितों की रक्षा करना चाहती है। इसी के आधार पर जातियाँ संगठित हो रही है एवं संघ एवं दबाव समूह बना रही है। ये समूह मुख्य रूप से शिक्षा के मुद्देस्वास्थ्य एवं धार्मिक मुद्दों को उठाते हैं। ये संगठन हॉस्टल एवं हास्पीटलस्कूल एवं कॉलेजधर्मशाला और मंदिर भी चलाते है। 
  • ये जातिवादी संगठन अपने सदस्यों को नेतृत्व दिलाने के लिए भी प्रयत्न करते हैं और उन्हें अपनी जाति का प्रवक्ता भी बनाते हैं। 
  • जाति संगठन अपने सदस्यों के प्रति वफादारी निभाते हैं और उनकी जातिगत पहचान को मजबूत बनाते यद्यपिजाति पंचायतों की भूमिका में कमी हो रही हैं परन्तु जाति संगठन बढ़ रहे हैं। इनमें से कुछ संगठनों का अपना लिखित संविधान भी है तथा प्रबंध समिति भी है जिससे वे जाति के विषय एवं प्रथा को बनाये रखते है। 
  • कुछ जाति संगठनों के अपने अखबारसमाचार बुलेटिनपत्रिकाऐंइत्यादि भी होते हैंजिनके माध्यम से अपने सदस्यों को संगठन की गतिविधियों एवं कार्यक्रमों की जानकारी देते हैं। जातियों के बीच एकता या एकीकरण करने के कई प्रयास किये गये हैं इनमें जाति आधारित ट्रस्टों की स्थापना या इकाई भी शामिल है। 
  • ये ट्रस्ट वार्षिक सम्मेलनमिलन समारोहवार्षिक डिनरया त्यौहारों का भी आयोजन करते हैं। ये गरीब बच्चों को छात्रवृत्तियों भी प्रदान कराते हैं। इनमें कुछ ट्रस्ट अपने स्कूलकॉलेजहॉस्टलइत्यादि भी चलाते हैं। 
  • ये संगठन अपने सदस्यों की आर्थिक स्थिति सुधार के लिए सामूहिक क्रेडिट सोसाइटी एवं औद्यौगिक सोसाइटी भी स्थापित करते हैं।

विषय सूची 

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