मौर्य कौन थे | मौर्यों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में सिद्धांत | Maurya Kaun The

मौर्य कौन थे | मौर्यों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में सिद्धांत

मौर्य कौन थे | मौर्यों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में सिद्धांत | Maurya Kaun The



 मौर्यों का परिचय

  • चन्द्रगुप्त मौर्यवंश का संस्थापक था। इस प्रतिभाशाली और महान् सम्राट् की वंश परम्परा के सम्बन्ध में विद्वानों में बहुत अधिक मतभेद हैं। 
  • मौर्यों के ऐतिहासिक परिचय के लिए बृहत्कथा और मुद्राराक्षस से जो विवरण प्राप्त होते हैंउनसे यह स्पष्ट होता है कि इस राजवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य का सम्बन्ध एक तुच्छ कुल और सम्भवतः नन्दवंश से ही था। 
  • 'मुद्राराक्षसएक साहित्यिक कृति है और 'बृहत्कथापर आधारित है। इन ग्रन्थों के विपरीत एक अन्य प्रमाण्य ग्रंथ के अनुसार चन्द्रगुप्त क्षत्रियों के वंश में उत्पन्न हुआ था।
  • पुराण ग्रंथ भी यही व्यक्त करते हैं कि नन्द राजवंश के अविर्भाव के समय शूद्र राजाओं का प्रभाव न थाकिन्तु ये ग्रंथ यह उल्लेख कभी भी नहीं करते कि इन्हीं शूद्र राजाओं की सूची में मौर्योों को सम्मिलित किया जाना तर्कसंगत है। पुराणों में मौर्यो को शूद्र नहीं माना गया है अपितु इसे एक नवीन राजवंश ही स्वीकार किया गया है। अतएव स्पष्ट है कि मौर्य लोग क्षत्रिय थे। इस प्रकार मौर्योों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में कई तरह के सिद्धांत प्रचलित हैं।

 

चंद्रगुप्त मौर्य किस वंश के थे

चन्द्रगुप्त मौर्य की वंश परम्परा


मौर्यों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में सिद्धांत

  • यूनानी लेखक जस्टिन एवं कुछ प्राचीन हिन्दू ग्रंथकारों के मतानुसार चंद्रगुप्त नन्दवंश का युवराज था। 'मुद्राराक्षसमें तो चंद्रगुप्त को न केवल मौर्य पुत्र वरन् नन्द वंश का भी कहा गया है। इस ग्रंथ में यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि मौर्य राजा चन्द्रगुप्त वंशतः वृषल (शूद्र) तथा 'कुलहीनथा। 


  • विष्णुपुराण के टीकाकार ने व्यक्त किया है कि चंद्रगुप्तनन्दराज की एक पत्नी 'मुरासे उत्पन्न हुआ थाअस्तु उसके वंश का नाम 'मौर्यप्रसिद्ध हुआ। 


  • 'मुद्राराक्षसके टीकाकार 'दुन्दिराजने लिखा है कि चन्द्रगुप्त मौर्य नामक नन्दराज का पुत्र था जो उपर्युक्त नन्द राजा महापद्मनन्द की उस पत्नी 'मुराके गर्भ से उत्पन्न हुआ था जो स्वयं एक शूद्र कन्या थी।

 

  • लेकिन मौर्य लोगों के विषय में कतिपय आधुनिक अनुसंधानों ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि वे शूद्र नहीं थे। सम्भवतः यह एक प्रगतिशील राजवंश था. इस कारण इस वंश के लोग प्राचीन परम्पराओं और रूढ़ियों को आंख मूंदकर विश्वास नहीं करते थे। दूसरी बात यह है कि मौर्यों ने बौद्ध धर्म भी स्वीकार कर लिया था। मौर्यों के बौद्ध धर्म में दीक्षा ले लेने के कारण कट्टर परम्परावादी हिन्दू ग्रंथकार ने मौर्यों को 'व्रात्य' (वैदिक धर्म से पतित)वृषल (शूद्र) तथा कुलहीन की संज्ञा दे दी है। 


  • इस सम्बन्ध में यह कथन पर्याप्त होगा कि कुछ विद्वानों ने तो यह सिद्ध किया कि वृषल का तात्पर्य वृष अर्थात् राजाओं में प्रमुख एवं कुलहीन का तात्पर्य इस राजवंश की सामान्य स्थिति से ही है क्योंकि इस वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त स्वयं एक अत्यन्त साधारण स्थिति से ही राजपद को पहुंचा था। उपर्युक्त विष्णुपुराण के टीकाकार ने जो लिखा है कि चन्द्रगुप्त 'मुरानामक उस निम्न वंशी स्त्री से उत्पन्न हुआ था जो राजा नन्द की पत्नी थी इस कारण यह तर्कसंगत नहीं प्रतीत होता है कि 'मुरासे व्याकरण के नियमानुकूल 'मौर्येयशब्द की उत्पत्ति होती है न कि मौर्य की


  • मौर्य शब्द तो पाणिनी के ग्रन्थ 'गणपथमें उल्लिखित 'मुरनामक विशिष्ट गोत्र का परिचायक प्रतीत होता है। अन्त मेंयूनानी लेखकों का यह कथन कि चन्द्रगुप्त साधारण कुल में उत्पन्न हुआ था. राज्यारोहण पूर्व की उसकी साधारण स्थिति की ओर संकेत करता है न कि उसके किसी शूद्र वंश में उत्पन्न होने की ओर। इस रूप में यह स्पष्ट हो जाता है कि मौर्य शूद्र अथवा निम्न वंश के नहीं थे।

 

  • बौद्ध धर्म के ग्रंथ महावंश के अनुसार चन्द्रगुप्त मौरियावंश का क्षत्रिय था। इस ग्रंथ में मोरियों को 'पिप्पलिबनके गणराज्य का शासक बताया गया। 'मोरियाको सुसंस्कृत भाषा में 'मौर्यकी संज्ञा दी जाती है। 'महापरिनिब्बाणसुत्तमें भी मौर्य को क्षत्रिय कहा गया है। एक अन्य बौद्ध ग्रंथ 'दिव्यावदानमें चन्द्रगुप्त के उत्तराधिकारी बिंदुसार तथा अशोक को भी क्षत्रिय राजकुमार माना गया है। 

  • महावंश में तो यहां तक स्पष्ट किया गया है कि मौर्य लोग अपने को आदित्य अर्थात् सूर्यवंशी क्षत्रिय कहते थे। मध्यकालीन लेखों की अनेकानेक अनुश्रुतियों से सिद्ध हुआ है कि जिस मौर्य वंश में चन्द्रगुप्त उत्पन्न हुआ था वह सूर्यवंशी था। महावंश के अनुसार 'मानधात्रीनामक सूर्यवंशी राजकुमार से ही मौर्य वंश की उत्पत्ति बतायी जाती है।


  • डॉ. हेमचन्द्र राय चौधरी ने लिखा है- "छठी शताब्दी ई. पू. में मोरिय लोग पिप्पलिबन के छोटे से प्रजातंत्रराज्य में शासन कर रहे थे। यह राज्य नेपाल की तराई में रूम्मिनदेई तथा गोरखपुर जिले में कसिया के बीच में स्थित था। अतः भारत के अन्य पूर्वी राज्यों के साथ वह भी मगध राज्य में सम्मिलित हो गया होगा।” अनुश्रुतियों से पता चलता है कि चौथी शताब्दी ई. पू. में ये लोग बड़े संकट में थे और यहीं पर विन्ध्य वन के 'मयूरपोषकोंग्वालों तथा शिकारियों के बीच में युवक चन्द्रगुप्त बड़ा हुआ चाणक्य ने भी अप्रत्यक्ष रूप में मौर्यों को उच्च वंश का ही स्वीकार किया है। इस समय भी राजपूतों में मौरिवंश का अस्तित्व पाया जाता है। राजपूताना गजेटियर में मौर्यों को राजपूत (अर्थात् क्षत्रिय) जाति का बतलाया गया और पाश्चात्य विद्वान टॉड ने भी इसी प्रकार का मत प्रस्तुत किया है।

 

  • बौद्ध अनुश्रुतियों ने मौर्यवंश के साथ मयूरों के सम्बन्ध की पुष्टि की है और जैन मतावलम्बियों के प्रसिद्ध ग्रंथ कल्प सूत्र ने भी एक मौर्य पुत्र को कश्यप गोत्र का बतलाया हैजिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि मौर्य लोग उच्च वंश के ही थे। 


  • परिशिष्टपर्वण में उल्लिखित जैन अनुश्रुति के अनुसार मौर्यवंश का वास्तविक संस्थापक चन्द्रगुप्त ऐसे गांव के प्रधान की पुत्री से उत्पन्न हुआ थाजिसमें मयूर पोषकों का निवास था और यही कारण है कि चन्द्रगुप्त तथा उसके वंशज 'मौर्यके नाम से प्रसिद्ध हुए। सम्भवतः इसीलिएजैसा कि सर जॉन मार्शल का कथन है सांची के पूर्वी फाटकों पर मयूरचित्रों को अंकित किया गया था। एरियन का कथन है कि पाटलिपुत्र में राजप्रसाद के पार्कों में पालतू मोर रखे जाते थे। 


  • महावंश की टीका के अनुसार मौर्य लोग क्षत्रियों के प्रसिद्ध शाक्य राजवंश की शाखा थे किन्तु जिस समय कौशल के राजकुमार निरूधक ने उस पर आक्रमण किया. ये लोग भाग कर ऐसे स्थान पर आ बसे जहां मोर पक्षी बड़ी संख्या में पाये जाते थे। सम्भवतः इस समय से ये लोग मौर्य कहे जाने लगे। इसी समय उत्तर भारत में जब नन्द की शक्ति बढ़ रही थी और नन्दराज ने अन्य राज्यों के साथ-साथ मौयों का दमन किया। इसी समय चन्द्रगुप्त के अज्ञातनामा पिता का अत्याचारी नन्द राजा द्वारा वध कर दिया गया और उसकी पत्नी ( चन्द्रगुप्त की माता) अपने कुछ सम्बन्धियों को साथ लेकर अपने गर्भस्थ पुत्र चन्द्रगुप्त के साथ भाग गई। अब वह पाटलिपुत्र में ही गुप्त रूप से अर्थात् मयूरपालक मौयों के संरक्षण में रहने लगी। जिस समय चन्द्रगुप्त का जन्म हुआ उस समय मौर्यवंश पर घोर संकट के बादल मण्डरा रहे थे। इसी से लेखक जस्टिन ने चन्द्रगुप्त को साधारण वंश में उत्पन्न हुआ बतलाया।


Also Read....








No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.