सुभाष चन्द्र बोस का आरम्भिक जीवन। Subhas Chandra Bose Early Life

 सुभाष चन्द्र बोस और आज़ाद हिन्द फ़ौज (Subhas Chandra Bose Early Life)

 

सुभाष चन्द्र बोस और आज़ाद हिन्द फ़ौज (Subhas Chandra Bose Early Life)

सुभाष चन्द्र बोस का आरम्भिक जीवन

  • सुभाष चन्द्र बोस, जिन्हें प्रायः नेताजी के नाम से स्मरण किया जाता है, एक मध्य प्रतिष्ठित कुल में 23 जनवरी, 1897 में जन्मे। उनके पिता जानकी नाथ बोस, कटक (अब उड़ीसा में) में एक जाने माने व्यक्ति थे। वह नगर पालिका के प्रधान, सरकारी वकील और फिर सरकारी अभियोक्ता Public prosecutor) रहे। 1912 में वह बंगाल विधान परिषद (Bengal Legislative Council) के सदस्य बन गए तथा उन्हें सरकार की ओर से राय बहादुर की उपाधि भी मिली।

 

  • सुभाष बाबू ने 1919 में कलकत्ता विश्व विद्यालय से दर्शन शास्त्र की स्नातक परीक्षा में प्रथम श्रेणी में नयम स्थान प्राप्त किया। उसी वर्ष उनके पिता ने उन्हें इंग्लैण्ड भेज दिया ताकि वह वहां भारतीय जानपद सेवा Indian Civil Service) की प्रतियोगिता में बैठ सके। उन्होंने इस प्रतियोगिता में चौथा स्थान प्राप्त किया। परन्तु उन्होंने परीक्षा अवधि (Probationary period) पूरी नहीं की जो कि प्रत्येक सफल प्रत्याशी को पूरी करनी होती ।

  • भारत में घटनाचक्र बहुत तेजी से बदला। जलियांवाला बाग त्रासदी (13 अप्रैल 1919 ), रोलट एक्ट Rowlet Act) का पारित होना, तथा कांग्रेस का दुःखी होकर असहयोग आंदोलन चलाना इत्यादि ऐसी घटनाएँ जिन्होंने उस वीर की आत्मा को झंझोर कर रख दिया तथा उन्होंने बहुललायित भारतीय जानपद सेवा में त्याग पत्र दे दिया। 


उन्होंने अपने त्यागपत्र में लिखा-

 

"मैं नहीं समझता कि कोई व्यक्ति अंग्रेजी राज के प्रति निष्ठावान (Loyal) भी रहे तथा अपने देश की आत्मा तथा ईमानदारी से सेवा भी करे, ऐसा सम्भव नहीं।"

 

  • भारत लौट कर वह तन, मन और धन से स्वतंत्रता आन्दोलन में लग गए। 1925 में जब स्वराज दल को कलकत्ता नगर पालिका में बहुमत मिला तो वह नगर पालिका के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी नियुक्त किए गए। इस भूमिका में उन्होंने बहुत काम किया।

 

  • 1928 में कलकत्ता अधिवेशन में भारत के लिए डोमिनियन स्टेटस (Dominion Status) अर्थात स्वशासी राज्य पद की मांग का मुख्य प्रस्ताव महात्मा गांधी ने प्रस्तुत किया। सुभाष बाबू ने एक संशोधन प्रस्तुत किया जिसमें पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई थी। गांधी जी बहुत खिन्न हुए और उन्होंने धमकी दी कि यदि संशोधन पारित किया गया तो वह सभा से बाहर चले जाएंगे। 
  • गांधी जी के समर्थकों ने इसे गांधी जी की प्रतिष्ठा का मन बना लिया। फिर भी संशोधन 973 मतों के विरुद्ध 1350 मतों से ही गिरा।

 

  • 1929 में सुभाष बोस अखिल भारतीय व्यापार संघ कांग्रेस (All India Trade Union Congress) के अध्यक्ष चुने गए। और वह 1931 तक इस पद पर बने रहे। वास्तव में बोस इस समय तक कांग्रेस में वामपंथी के प्रभावशाली नेता के रूप में उभर चुके थे। उन्होंने राष्ट्रीय पैमाने पर युवकों को एक गतिशील नेतृत्व प्रदान किया। इसी प्रकार उन्होंने औद्योगिक श्रमिकों का समर्थन प्राप्त कर व्यापार संघ (Trade Union) कार्यक्रम को मजबूत नींव प्रदान की।

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