मध्य प्रदेश में प्रमुख उद्योग संयंत्र। MP ke Pramukh Udyog

 मध्य प्रदेश में प्रमुख उद्योग (MP ke Pramukh Udyog)

मध्य प्रदेश में प्रमुख उद्योग संयंत्र। MP ke Pramukh Udyog



मध्य प्रदेश में प्रमुख उद्योग

 

A- मध्य प्रदेश के  कृषि पर आधारित उद्योग

 

( 1 )  मध्य प्रदेश के  चीनी उद्योग

 

प्रदेश में गन्ने की फसल, नकदी फसलों में प्रमुख है। फलतः यहां कई चीनी (शक्कर) कारखाने हैं। 

इसमें प्रमुख हैं- 

  • भोपाल शुगर मिल्स (सीहोर)
  • डबरा शुगर मिल्स लिमिटेड, डबरा (ग्वालियर)
  • जीवाजी राव शुगर कंपनी लिमिटेड
  • दालौदा (जिला मंदसौर)
  • सेठ गोविन्दराम शुगर मिल महिदपुर रोड ( जिला उज्जैन)
  • जावरा (जिला रतलाम)
  • मालवा एस. एस. के. लि. दिशा सहकारी शक्कर कारखाना लि. (उज्जैन), करेली शुगर मिल (करेली),
  •  शक्ति शुगर मिल (कोडिया), मंडल सहकारी शक्कर कारखाना (मोरेना) इत्यादि ।

 

( 2 ) मध्यप्रदेश के सूती कपड़ा उद्योग

 

  • सूती कपड़ा उत्पादन की दृष्टि से प्रदेश का स्थान महाराष्ट्र व गुजरात के बाद तीसरा है। 
  • इंदौर राज्य का सबसे बड़ा कपड़ा उत्पादक केंद्र है। 
  • मध्य प्रदेश की वर्धा व पूर्णा नदियों की घाटियों में कपास की खेती की जाती है। बरोरा की खानों से कोयला व चम्बल योजना से रियायती दामों पर विद्युत व सस्ते श्रम की उपलब्धता प्रदेश में उद्योग के विकास के सहायक घटक रहे हैं। इन सूती कारखानों का संकेंद्रण पश्चिमी मध्य प्रदेश में हैं, जिनमें इंदौर, ग्वालियर व उज्जैन प्रमुख हैं।

 

( 3 )मध्यप्रदेश के रेशम उद्योग

 

  • प्राकृतिक रेशम के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 1984 में रेशम संचालनालय की स्थापना की गई है। वर्ष 1998-99 में 3.20 लाख किलोग्राम मलबरी कोया एवं 880 लाख नग टसर कोया का उत्पादन हुआ। हितग्राहियों को रेशम कृषि पालन, धागाकरण एवं बुनाई कार्य का प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से दो मिनी आई.टी.आई. ( गुना) एवं बारासिवनी (बालाघाट) में स्थापित किए गए हैं।

 

  • कृषि वानिकी पर आधारित रेशम उद्योग का मुख्य उद्देश्य ग्राम में ही ग्रामीणों को रोजगार के लाभदायक साधन उपलब्ध कराना है। रेशम योजना मुख्य रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए क्रियान्वित की जा रही है। वर्तमान में मध्य प्रदेश में लगभग 24 जिलों में रेशम उद्योग की गतिविधियां क्रियान्वित हैं।

 

(4) मध्यप्रदेश के सोयाबीन तेल उद्योग

 

  • प्रदेश सोयाबीन के उत्पादन की दृष्टि से देश में अग्रणी है। मध्य प्रदेश 'सोया प्रदेश' भी कहा जाता है। राज्य में सोयाबीन से तेल निकालने के लिए सालवेन्ट एक्स्ट्रेक्ट प्लांट लगाए गए हैं। इस हेतु केंद्रीय पूंजी से उज्जैन तथा बरवाह में सहकारिता के आधार पर एक-एक कारखाना खोला गया है।

 

( 5 ) वनस्पति घी उद्योग 

 

  • प्रदेश में वनस्पति घी के कारखाने प्रमुख रूप से जबलपुरखंडवा, ग्वालियर, गंजबासौदा (जिला विदिशा) आदि में स्थित हैं। इन कारखानों की संख्या 10 है।

 

( 6 ) मध्यप्रदेश में कृत्रिम रेशे के कपड़े का उद्योग

 

  • नागदा में एक कृत्रिम रेशे का कारखाना है। साथ ही कृत्रिम रेशे से कपड़ा बनाने के कारखाने इंदौर, ग्वालियर, नागदा, उज्जैन व देवास में भी हैं।

 

मध्यप्रदेश में कृषि आधारित संयंत्र

 

( 1 ) जीवाणु खाद संयंत्र, भोपाल 

  • निगम द्वारा जीवाणु तैयार करने हेतु एक बायोफर्टिलाइजर संयंत्र की स्थापना की गयी है। कम मूल्य में उपलब्ध यह खाद गेहूं, ज्वार, चावल, मक्का, बाजरा आदि फसलों के उत्पादन में वृद्धि कर सकेगी।

 

( 2 ) दानेदार मिश्रित खाद संयंत्र, होशंगाबाद 

  • होशंगाबाद के रेसलपुर ग्राम में एम. पी. एग्रो मोरारजी फर्टिलाइजर कारखाने की स्थापना संयुक्त क्षेत्र में की गयी है। उन्नत खाद का निर्माण करने वाले इस कारखाने की उत्पादन क्षमता 60 हजार टन है। 

( 3 ) कीटनाशक संयंत्र, बीना 

  • सागर जिले के बीना नामक स्थान पर अवस्थित इस संयंत्र में 10 हजार टन पाउडर एवं 1 लाख लीटर तरल कीटनाशक औषधियों का निर्माण किया जाता है। सम्प्रति यह संयंत्र 10 प्रतिशत बी. एच.सी., 5 प्रतिशत डी.डी.टी. एवं 10 प्रतिशत एवं 50 प्रतिशत डब्ल्यू डी.पी. लाथियन, 50 प्रतिशत ई.सी. का उत्पादन करता है।

 

( 4 ) ऑयल मिल, मुरैना 

  • मुरैना में सरसों का तेल निकालने का एक कारखाना स्थापित किया गया है, जिसकी उत्पादन क्षमता 25 लाख टन सरसों प्रतिदिन पिराई की है।

 

( 5 ) फल एवं सब्जी संरक्षण और प्रक्रिया इकाई, भोपाल

 

  • भोपाल स्थित इस फ्रूट प्रोसेसिंग इकाई में 100 टन फलों का संरक्षण किया जा सकता है। इस इकाई में 'गेम्फा' के नाम से मैंगो, नेक्टर मैंगो जैम, टमाटो कैचप, ऑरेन्ज एवं लैमन स्क्वैश आदि तैयार किए जाते हैं।

 

B मध्य प्रदेश के खनिज पर आधारित उद्योग

 

1.मध्य प्रदेश के प्रमुख सीमेन्ट उद्योग

 

प्रदेश में चूना पत्थर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। सीमेंट उद्योग के लिए इस राज्य में अनुकूल दशाएं हैं। यहां सीमेन्ट के कई कारखाने हैं, जो इस प्रकार हैं:

 

(i) बानमोर फैक्ट्री: 

  • यह फैक्ट्री सन् 1922 में मुरैना जिले के बानमोर नामक स्थान पर एसोसिएटेड सीमेंट कम्पनी के स्वामित्व में गठित की गयी थी। 
  • यह कारखाना आई प्रौद्योगिक विधि के द्वारा साधारण पोर्टलैण्ड सीमेंट का उत्पादन करता है। 
  • इसकी उत्पादन क्षमता 60000 मीट्रिक टन से अधिक है तथा वहां 800 से अधिक मजदूरों को रोजगार प्राप्त है।

 

(ii) कैमूर फैक्ट्री 

  • एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी के स्वामित्व में 1923 में कटनी के समीप कैमूर में आई विधि से पोर्टलैंड सीमेंट बनाने का कारखाना स्थापित किया गया। 
  • यहां एस्बेस्टस तथा सीमेन्ट की चादरें बनाने का कारखाना भी है। 8 लाख मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता वाले इस कारखाने में 2600 श्रमिक कार्यरत हैं।

 

(iii) सतना सीमेंट वर्क्स

  • यह पोर्टलैण्ड सीमेंट का कारखाना है। इसकी स्थापना बिड़ला जूट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने 1959 में की थी। 
  • इसकी उत्पादन क्षमता 6 लाख मीट्रिक टन है तथा यहां लगभग 1100 लोग कार्यरत हैं।

 

(iv) मैहर फैक्ट्री: 

  • यह फैक्ट्री 1980-81 में सतना जिले में स्थापित हुई थी। इसकी उत्पादन क्षमता 75000 लाख मीट्रिक टन सीमेंट है और यहां लगभग 1500 श्रमिक कार्यरत हैं।

 

(v) नीमच फैक्ट्री: 

  • यह फैक्ट्री 1980-81 में मंदसौर जिले में स्थापित की गयी थी। इसकी उत्पादन क्षमता 4 लाख मीट्रिक टन सीमेंट है और यहां 900 श्रमिक कार्यरत हैं।

 

2  मध्य प्रदेश के भारी विद्युत उपकरण

 

  • भोपाल में सन् 1960 में ब्रिटेन के एक कारखाने की मदद से सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली का भारी सामान बनाने का कारखाना स्थापित किया गया। भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स के नाम से प्रसिद्ध यह इकाई वाष्प एवं जल टरबाईन, जनरेटर, ट्रांसफॉर्मर, स्विच गियर, रेक्टीफायर, विद्युत मोटर तथा रेलवे ट्रेक्शन हेतु विद्युत प्रणालियों आदि के निर्माण एवं आपूर्ति के क्षेत्र में निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर है।

 

3  मध्य प्रदेश के चीनी मिट्टी उद्योग

 

  • चीनी मिट्टी एवं फायर क्ले की उपलब्धता के आधार पर मध्य प्रदेश में यह उद्योग स्थापित हुआ है। ग्वालियर, जबलपुर तथा रतलाम में चीनी मिट्टी के बर्तन बनाए जाते हैं। 
  • जबलपुर एवं कटनी में फायर क्ले से ईंटें आदि बनाई जाती हैं। प्याले, तश्तरी तथा अचार पॉट जबलपुर में तथा चाय, दूध आदि के बर्तन ग्वालियर में बनाए जाते हैं। जबलपुर तथा कटनी में मिलने वाले क्ले से पाइप तथा बेसिन इत्यादि बनते हैं।

 

मध्य प्रदेश के वनों पर आधारित उद्योग-धन्धे

 

(1) मध्यप्रदेश में कागज उद्योग : 

  • 1948-49 में 'नेशनल न्यूज प्रिंट एण्ड पेपर मिल नेपानगर (खंडवा) तथा ओरियंट पेपर मिल (शहडोल) की स्थापना के बाद प्रदेश के कागज उद्योग को एक नई दिशा मिली है। इसके अलावा भोपाल, रतलाम तथा ग्वालियर में भी कागज बनाया जाता है। इंदौर में महीन कागज तथा होशंगाबाद में नोट छापने का कागज बनाया जाता है। करेंसी छापाखाना देवास में स्थित है। नेशनल न्यूज प्रिंट एण्ड पेपर मिल, नेपानगर की वार्षिक स्थापित क्षमता 88 हजार मीट्रिक टन है। नेपा लिमिटेड की स्थापना के बाद अब अखबारी कागज विदेशों से आयात नहीं करना पड़ता।

 

  • बिड़ला द्वारा स्थापित इमलाई का कागज कारखाना शहडोल से कुछ दूर कटनी-बिलासपुर रेलवे मार्ग पर स्थित है। इस कारखाने को रीवा, सीधी, मंडला, बालाघाट तथा अब छत्तीसगढ़ में स्थित बिलासपुर तथा रायगढ़ से बांस प्राप्त होता है। इस कारखाने को बुढ़ार खदान ( सोहागपुर कोयला क्षेत्र) से कोयला दिया जाता है। इस कारखाने में 90% पुस्तक छापने योग्य व लिखाई योग्य कागज बनता है। कागज उद्योग ने प्रदेश के वनों के उत्पादन का समुचित उपयोग किया है, जिससे न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को सहारा मिला है, बल्कि रोजगार में भी बढ़ोतरी हुई है।

 

(2) मध्य प्रदेश में बीड़ी उद्योग : 

  • प्रदेश में तेंदूपत्ता प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह तेंदूपत्ता कई परिवारों के जीविकोपार्जन का साधन है। तेंदूपत्तों को संगृहीत कर बीड़ियां बनाना प्रदेश के उन श्रमिकों का प्रमुख धंधा है, जो अवकाश मजदूरी करते हैं तथा कभी भी फैक्ट्रियों से निकाल दिए जाते हैं। इस व्यवसाय में न केवल पुरुष, बल्कि बूढ़े, महिलाएं व बच्चे भी संलग्न हैं। इस उद्योग का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र जबलपुर

 

(3) लकड़ी चीरने का उद्योग : 

  • प्रदेश में लकड़ी चीरने का व्यवसाय भी काफी प्रचलित है। यहां पर इमारती लकड़ी के बड़े-बड़े लट्ठे लाए जाते हैं और उन्हें उपयुक्त आकार में चीरा जाता है। इसका मुख्य केंद्र जबलपुर है।

 

 

मध्य प्रदेश हथकरघा उद्योग

 

  • राज्य शासन द्वारा हथकरघा उद्योग के विकास हेतु संचालित समस्त योजनाओं एवं कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य हथकरघा के वस्त्र उत्पादन में यथासंभव वृद्धि के साथ-साथ सहकारिता के आधार पर बुनकरों को रोजगार उपलब्ध कराना है ताकि उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके। चंदेरी और माहेश्वरी पारंपरिक हस्तशिल्प और हथकरघे से बने कपड़ों के लिए प्रसिद्ध है।

 

मध्य प्रदेश  पावरलूम उद्योग

 

  • कपड़ा मिलों के लगातार बंद होने पर उसका स्थान पॉवरलूम उद्योग ले रहा है। पावरलूम उद्योग के विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिनमें सहकारी समितियों एवं पावरलूम बुनकरों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए ब्याज अनुदान, अंश पूंजी ऋण अनुदान, मार्जिन मनी, शासकीय धनवेष्ठन, बुनकरों के प्रशिक्षण, नए पावरलूम के क्रय हेतु सहायता समूह पावरलूम कर्मशाला भवन, आवास गृह में पावरलूम लगाने हेतु सहायता तथा बुनकरों की बीमा योजनाएं प्रमुख हैं।

 

मध्य प्रदेश के कुटीर उद्योग

 

  • मध्य प्रदेश की जनता का बड़ा भाग कुटीर उद्योगों से अपना जीवकोपार्जन चला रहा है। यहां के प्रमुख कुटीर उद्योग हैं बीड़ी, सिगार व तम्बाकू का निर्माण, हथकरघा कपड़े का उद्योग, जिसमें चन्देरी की साड़ियां विश्वविख्यात हैं। जूट, बटुआ व सिल्क का काम शीशे, मोती, लाख के जेवरात, हीरा तराशना व उन पर पॉलिश करना, खजूर के पत्तों का सामान बनाना, कपड़ों की छपाई, खाद्य पदार्थों में बेकरी, अचार, चटनी आदि बनाना, शरबत, सोडा व अन्य पेय, लकड़ी के खिलौने, फर्नीचर, कागज का निर्माण, छपाई व प्रकाशन का कार्य, चमड़े से बनी वस्तुएं, टायर ट्यूब व रबर से बनी वस्तुएं, मधुमक्खी पालन आदि प्रमुख हैं।

MP-PSC Study Materials 
MP PSC Pre
MP GK in Hindi
MP One Liner GK
One Liner GK 
MP PSC Main Paper 01
MP PSC Mains Paper 02
MP GK Question Answer
MP PSC Old Question Paper

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.