रीवा का इतिहास वर्तमान पर्यटन स्थल एवं महत्वपूर्ण जानकारी । Rewa History Present Tourism Sport and Fact

 रीवा जिले का इतिहास वर्तमान पर्यटन स्थल एवं महत्वपूर्ण जानकारी 

रीवा जिले का इतिहास वर्तमान पर्यटन स्थल एवं महत्वपूर्ण जानकारी । Rewa History Present Tourism Sport and Fact

रीवा जिले का इतिहास

  • करीब तीन सौ साल पहले गुजरात से आए बघेलों  ने यहाँ पर अपना राज्य स्थापित किया था।
  • मानव विकास के लगभग शुरुआती दौर के चिह्न इस क्षेत्र में मिले हैं। 
  • ग्रामीण आबादी की बहुलता वाले इस जिले के गाँव-गाँव में बघेली साहित्य संस्कृति और कला के दर्शन होते हैं। 
  • बीहड़ एवं बिछिया नदी के आंचल मेें बसा हुआ रीवा शहर बघेल वंश के शासकों की राजधानी के साथ-साथ विंध्य प्रदेश की भी राजधानी रही है। 
  • ऐतिहासिक प्रदेश रीवा विश्व जगत में सफेद शेरों की धरती के रूप में भी जाना जाता रहा है। 
  • पुरातन काल से ही यह एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग रहा है। जो कि कौशाबीप्रयागबनारसपाटलिपुत्रइत्यादि को पश्चिमी और दक्षिणी भारत को जोड़ता रहा है। 
  • बघेल वंश के पहले अन्य शासकों के शासनकाल जैसे गुप्तकाल कल्चुरि वंशचन्देल एवं प्रतिहार का भी नाम संजोये है।
  • भूतपूर्व सेवा रियासत की स्थापना लगभग 1400 ई. में बधेल राजपूतों द्वारा की गई। 
  • अकबर द्वारा बांधवगढ़ नगर को ध्वस्त किए जाने के बाद रीवा महत्वपूर्ण बन गया और 1597 ई. में इसे भूतपूर्व रीवा रियासत की राजधानी के रूप में चुना गया। 
  • सन् 1812 ई में यहाँ के स्थानीय शासक ने ब्रिटिश सत्ता से समझौता कर अपनी सम्प्रभुता अंग्रेजों को सौंप दी। यह शहर ब्रिटिश बघेलखण्ड एजेंसी की राजधानी भी रहा है। 
  • रीवा सफेद शेरों की भूमि के नाम से जाना जाता है और इसे तानसेन की धरती भी कहा जाता है। यही के राजा रामचंद के दरबार में तानसेन थे। 
  • 1956 के पूर्व यहाँ विध्य प्रदेश की राजधानी थी। इसका पूर्व में नाम भथा था।

 

रीवा शहर का नाम

  • रीवा शहर का नाम रेवा नदी के नाम पर पड़ा जो कि नर्मदा नदी का पौराणिक नाम कहलाता है। 

 

वर्तमान में रीवा जिला : 

  • विंध्याचल पर्वत श्रेणी की गोद में फैले रीवा जिले की पहचान सफेद शेरों (बायाँ) को जन्म स्थली के रूप में है। 
  • रीवा जिला एक और प्रदेश के सतना और सीधी जिलों से जुड़ा है, वहीं दूसरी और उत्तरप्रदेश के बांदा, इलाहाबाद और मिर्जापुर जिलों से उसकी सीमाएँ मिलती हैं। 
  • रीवा जिले की पूर्व-पश्चिम लम्बाई 105 कि. मी. और उत्तर-दक्षिण लम्बाई 65 कि. मी. है। 
  • रीवा जिले का कुल क्षेत्रफल 6,287 वर्ग किलोमीटर है। 
  • वर्तमान मे रीवा शहर में कुल 45 वार्ड हैजिसमे वार्ड अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित हैजिसमें वार्ड क्रमांक एवं 43 अनुसूचित जनजाति के लिये तथा वार्ड क्रमांक 28, 38, 39, 40 अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित है।
  • रीवा शहर का नाम रेवा के नाम पर पड़ा जो नर्मदा नदी का पौराणिक नाम है। 
  • जिले का अधिकांश भाग पहाड़ी और पठारी है। 
  • दक्षिण की ओर कैमूर पहाड़ और उत्तर पूर्व में विन्ध्य पर्वत शृंखला फैली हुई है। इन दोनों पर्वत श्रृंखलाओं के बीच रीवा का पठार फैला हुआ है। जिले में अनेक छोटी-बड़ी नदियाँ प्रवाहित होती हैं। इनमें टॉस, बीहर, बिछिया तथा महाना आदि प्रमुख हैं। 
  • रीवा जिले में वन उत्तर में कैमोर पहाड़ी क्षेत्र में फैले हैं। दूसरा उप भाग सागौन के वनों का है, जो गोविन्दगढ़ और उसके आसपास फैले हुए हैं। जंगलों में सागौन, साल, बाँस, तेन्द्र, खैर, महुआ, अंजन, शीशम आदि वृक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं। 
  • रीवा जिले के गोविन्दगढ़ क्षेत्र के आसपास पैदा होने वाली 'सुन्दरजा आम' अपने मिठास के लिए पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है।
  • रीवा जिले मेंविभिन्न धार्मिक त्यौहार एवं पर्वो पर मेले लगते हैं। इन मेलों में शिवरात्रि के अवसर पर देवतालाब के शिव मंदिर और क्योटी जल प्रपात के समीप मकर संक्रांति पर लगने वाला मेला बहुत प्रसिद्ध है। 
  • चचाई जल प्रपात, विलौही जल प्रपात तथा क्योटी जल प्रपात रीवा जिले के नैसर्गिक मनोरम स्थल हैं तो दूसरी पुरातात्विक दृष्टिकोण से गोदमी एक दर्शनीय प्राचीन स्थल है। 
  • गोविन्दगढ़ और क्योटी का किला अपनी भव्यता का स्वयं परिचय देकर पर्यटकों को लुभा लेता है। 
  • धार्मिक दृष्टि से देव तालाब, बैजनाथ, आल्हाघाट और गुढ़ में स्थित प्राचीन मंदिर भी इस जिले की धरोहर है। 
  • रीवा राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से देश के विभिन्न भागों से जुड़ा है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक सात, शहर के बीचों-बीच से गुजरता है जो बनारस से कन्या कुमारी तक जाता है। इसके अलावा झांसी-सतना-रीवा सरगुजा-गुमला राजमार्ग भी यहां से गुजरता है। 
  • रीवा जिला मुख्यालय रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। रीवा जिले में कई बड़े उद्योग स्थापित हैं। इनमें जे. पी. सीमेंट फैक्ट्री, विन्ध्य टेली आदि प्रमुख हैं। 
  • रीवा जिला प्रदेश के कम वर्षा वाले जिलों में गिना जाता है। यहाँ पर वर्षा का औसत 1,235 मि.मी. है।
  • रीवा जिले के निवासियों का मुख्य धंधा कृषि है। फसल में सिंचाई के लिए अपर्याप्तता को देखते हुए कृषकों को सिंचाई हेतु कुआं, नलकूप, तालाब और नहर आदि पर निर्भर रहना पड़ता है। 
  • रीवा जिले की जलवायु समशीतोष्ण है, गर्मियों में अधिकतम गर्मी और सर्दियों में अधिकत्तम सर्दी पड़ती है। पिछले कुछ दशकों में बन विनाश के कारण यहाँ की जलवायु में बदलाव आया है।

 रीवा जिले की जनसंख्या

  • जनसंख्या वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार रीवा जिले की जनसंख्या 23,65,106 है।
  • इसमें महिलाओं की आबादी 11,40,006 है। 
  • रीवा जिले में प्रति एक हजार पुरुषों पर स्त्रियों का अनुपात 930 है। 
  • 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में साक्षरता का प्रतिशत 71.6 है। इसमें महिलाओं की साक्षरता 61.1 और पुरुष साक्षरता 81.3 है।
  • नगरीय क्षेत्रों में साक्षरता का प्रतिशत 72.0 और ग्रामीण क्षेत्रों में 69.5. प्रतिशत है । 

रीवा जिले की प्रशासनिक व्यवस्था 

रीवा जिले में तहसीलों की संख्या 

  • प्रशासनिक व्यवस्था प्रशासनिक दृष्टि से रीवा जिला 11 तहसीलों हुजूर, रायपुर (कर्चुलियान)मऊगंज, हनुमना, गुढ़, त्योंथर, सिरमौर मनगवां, सेमरिया, जवा, नईगढ़ी और हुजूर नगर में बंटा है। 

रीवा जिले में विकासखंड की संख्या 

  • रीवा जिले में 9 विकासखंड रीवा, रायपुर (कर्चुलियान), मऊगंज, हनुमना, नईगढ़ी, त्योंथर, जवा, सिरमौर व गांगेव है।


रीवा जिले के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी (Rewa District Important Fact) 

  • मप्र का सबसे ऊँचा जल प्रपात चचाई जलप्रपात (130 मीटर ऊँचा) यहीं पर बीहड़ नदी पर स्थित है। बहुटी और केवटी जल प्रपात भी है। 
  • मप्र का एकमात्र सैनिक स्कूल रीवा में स्थित है। म अनुसन्धान केन्द्र गोविन्दगढ़ में स्थित है। 
  • रीवा में सुपाड़ी के खिलौने बनाये जाते हैं। 
  • रीवा में महामृत्युंजय मेला आयोजित किया जाता है। 
  • विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में आता है। 
  • पुलिस मोटर वर्कशॉप है। 
  • मप्र पुलिस वाहन प्रशिक्षण शाला गोविन्दगढ़ में हैं। 
  • गोविन्दगढ़ सफेद शेरों के लिए विख्यात है। 
  • पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय 1956 में बनाया गया। 
  • यहां पर वन विभाग का फोरस्ट गार्ड ट्रेनिंग स्कूल है। 
  • यहां पर कोरडमचूना-पत्थरडोलोमाइटगेरूबॉक्साइडजिप्सम आदि पाये जाते हैं। 
  • यहां पर कृषि महाविद्यालय भी है। 
  • सिरमौर में टॉस जलविद्युत केंन्द्र है। 
  • रीवा में त्यौथर में पुरातात्विक स्थल है। 
  • पैलेस संग्रहालय गोविन्दपुरा रीवा में स्थित है। 
  • सोन नदी पर स्थित बाणसागर परियोजना का मुख्यालय रीवा में स्थित है।
  • रीवा जिले की जनसंख्या : 23,65,106 (2011) 
  • रीवा जिले का लिंगानुपात : 931 
  • रीवा जिले का क्षेत्रफल : 6,314 वर्ग कि.मी. 
  • सफेद बाघों की भूमि व पूर्व विंध्याचल प्रदेश की राजधानी। 
  • मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात चचाईबीहड़ नदी पर स्थित है।  
  • प्रदेश का एकमात्र सैनिक स्कूल रीवा जिले में स्थित है। 
  • अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा में है। 
  • आम अनुसंधान केंद्र गोविन्दगढ़ में है। 
  • रीवा में सुपारी के खिलौने बनते हैं। 
  • चचाई थर्मल पावर स्टेशन रीवा में स्थित है। 

रीवा सुपारी के खिलौने (सुपारी आर्ट)

  • मध्यप्रदेश का रीवा शहर अपने सुपारी आर्ट के लिए जाना जाता है. यहां सुपारी से कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं 
  • सुपारी सदियों से पूजा सामग्री और खाने के काम आती रही है। लेकिन सुपारी के खिलौने की बात सुनकर आश्चर्य-सा होता है। 
  • मध्य प्रदेश के रीवाँ शहर में कुंदेर परिवार के कुछ लोग सुपारियों के तरह तरह के खिलौने की कला में दक्षता हासिल किए हुए हैं। 
  • सुपारियों से बने सुंदर और मनमोहक खिलौने देखकर देशी विदेशी पर्यटक सभी आश्चर्य चकित हो जाते हैं। 
  • छोटी सी सुपारी को छील छील कर अगर एक टेबललैंप या ताजमहल बनाकर खड़ाकर दिया जाए तो वाकई दाँतों तले उँगली दबाने की बात ही होगी। 
  • सुपारी की यह हस्तकला कुंदेर परिवार में पुश्त दर पुश्त विकसित की गई है जो इनके कठिन श्रम और निरंतर अनुसंधान का फल है। 
  • पहले इन परिवारों में लकड़ी के खिलौने बनाने का काम होता था। बाद में सुपारी पर प्रयोग करते करते ये लोग सुपारी के खिलौने तैयार करने लगे।   

 
रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर

  • रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर मध्य प्रदेश के रीवा जिले की गुढ़ तहसील में 1,590 एकड़ (6.4 वर्ग किलोमीटर) के क्षेत्र में फैला एक परिचालन सौर पार्क है। परियोजना को जुलाई 2018 में 750 मेगावाट क्षमता के साथ चालू किया गया था। 
  • परियोजना की कार्यान्वयन एजेंसी रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेडमध्य प्रदेश उर्जा विकास निगम लिमिटेड और सौर ऊर्जा निगम के बीच एक संयुक्त उद्यम है।

 

परियोजना के विशिष्ट बिंदु 

  • सौर परियोजनाओं हेतु तत्समय की न्यूनतम टैरिफ रीवा सौर परियोजना से प्राप्त :प्रथम वर्ष हेतु 2.97 प्रति यूनिट (बिना Viability Gap Funding)
  • परियोजना हेतु आबंटित राजस्व भूमि : 1255.68 हेक्टेयर 
  • प्रदेश सरकार की आपसी सहमति नीति’ अंतर्गत क्रय की गयी निजी भूमि: 300 हेक्टेयर
  • विकासकों से रजिस्ट्रेशन के रूप में राज्य को प्राप्त राशि : रू 7.5 करोड़

  • 1) 20 अंतर्राष्टीय व राष्ट्रीय कंपनियों द्वारा पारदर्शी निविदा प्रक्रिया में सहभागिता
  • 2) राज्य ROMS के बिना व्यय के 220/400 kV सब-स्टेशन का निर्माण
  • 3) राष्ट्रीय स्तर पर परियोजना अनुबंधों को एक मॉडल के रूप में नवीन एवम नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयभारत सरकार द्वारा मान्यता
  • 4) परियोजना से सालाना 15.4 लाख टन की Co, रुकावटजो 2.6 करोड़ पेड़ों के रोपण के बराबर
  • 5) रीवा सौर परियोजना प्रधान मंत्री की बुक ऑफ इनोवेशन के लिए नामकित
  • 6)विश्व बैंक और सीटीएफ ऋण के साथ प्रथम परियोजना Transaction संरचना के लिए विश्व बैंक से प्रेजिडेंट पुरस्कार” प्राप्त


रीवा जिले के पर्यटन स्थल 

पियावन घिनौची धाम,

  • घिनौची धामजिसे पियावन के नाम से जाना जाता है। यह अतुलनीय ऐतिहासिकप्राकृतिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल मध्य प्रदेश के रीवा जिले से 42 किलोमीटर दूर सिरमौर की बरदहा घाटी में है। प्रकृति की अनुपम छटा के बीच यह धाम धरती से 200 फीट नीचे और लगभग 800 फीट चौड़ी प्रकृति की सुरम्य वादियों से घिरा हुआ है। यहां प्राकृतिक झरने का श्वेत जल भगवान भोलेनाथ का 12 महीने निरंतर जलाभिषेक करता है। जिसे देखना रोमांचकारी है।
  • यहां की खास बात जो इसे विशेष बनाती है वो है धरती से 200 फीट नीचे दो अद्भुत जल प्रपातों का संगम। जिसका आनंद जुलाई से सितंबर माह के मध्य लिया जा सकता है। साथ ही अति प्राचीन शिवलिंग और यहां पहाडिय़ों में उकेरे प्राचीन शैल चित्र भी हैं। चट्टानों में उकेरे गए प्रागैतिहासिक शैल चित्रजो इस क्षेत्र की गौरव गाथा भी बताते हैं। दो अद्भुत सर्पिलाकार चट्टानें अपने आप में अद्भुत हैं। इसके आलावा मां पार्वती की साक्षात दिव्य प्रतिमा भी मौजूद है।

 

पुरबा जलप्रपात

  • पुरबा जलप्रपात 200 फीट ऊंचे (लगभग 67 मीटर) हैं और एक खूबसूरत दृश्य की झलक पेश करता हैं। जलप्रपात तीव्र हैं और पानी की भारी मात्रा हर सेकंड गिरती है। रीवा पठार की चट्टानों से उतरते हुए फॉल्स रिवर टौंस पर हैं। जब बारिश पूरी तरह से होती है तो यात्रा करना सबसे अच्छा होता है।  

सफेद बाघ की सफारी

  • सफेद बाघ को महाराजा मार्तंड सिंह ने 27 मई, 1951 को सीधी जिले के बरगाड़ी के लिए क्षेत्र से पकड़ा था और बाद में जानवर को रीवा के गोविंदगढ़ पैलेस में लाया गयाजहाँ से वह अगले दिन भाग निकला और फिर रीवा से लगभग 27 किमी दूर मुकुंदपुर क्षेत्र में पाया गया। तब मोहन दो दशकों तक इस क्षेत्र में रहा और इसकी संतानें धीरे-धीरे दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गईं|

 

बहुती जलप्रपात

  • बहूटी मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा झरना है। 
  • यह सेलर नदी पर है क्योंकि यह मौहगंज की घाटी के किनारे से निकलकर बिहड़ नदी में मिलती हैजो तमसा या टोंस नदी की सहायक नदी है। 
  • यह चचाई जलप्रपात के पास है। इसकी ऊंचाई 198 मीटर (650 फीट) है।
  • बाहुति जलप्रपात कायाकल्प के कारण निकित बिंदु का एक उदाहरण है। नाइक पॉइंटजिसे निक पॉइंट या केवल निक कहा जाता हैकायाकल्प के कारण एक नदी के अनुदैर्ध्य प्रोफ़ाइल में ढलानों में टूट का प्रतिनिधित्व करता है। चैनल ग्रेडिएंट का ब्रेक पानी को एक झरने के लिए लंबवत रूप से गिरने की अनुमति देता है।

रानी तालाब

  • रानी तालाब रीवा के सबसे पुराने पानी के कुओं में से है। रानी तालाब शहर के दक्षिणी भाग में स्थित है और इसे पवित्र माना जाता है। कुएं के पानी का उपयोग कई उद्देश्यों जैसे कि खेतीसिंचाई और मत्स्य पालन के लिए किया जाता है। झील के पश्चिम में देवी काली का एक मंदिर भी स्थित है

देउर कोठार

  • यह पुरातात्विक स्थल प्राचीन बौद्ध स्तूपों के साथ बताने के लिए एक महान इतिहास है जो आपको यहां मिलेगा। 
  • वर्ष 1982 में खोजे गए ये स्तूप लगभग दो हजार साल पुराने और अशोक के शासनकाल से संबंधित बताए जाते हैं। आपको मिट्टी की ईंटों से बने तीन बड़े स्तूप और 46 विभिन्न पत्थरों में से कई छोटे स्तूप मिलेंगे।
  • देउर कोठार में पाँच हज़ार साल पुरानी चट्टानी गुफाएँ भी हैं जो निश्चित रूप से अपनी उपस्थिति में बहुत पेचीदा हैं। 
  • अशोक के काल में विंध्य क्षेत्र में बौद्ध धर्म के प्रसार के प्रयास के रूप मेंभगवान बुद्ध के अवशेषों को इन स्तूपों को बनाने के लिए वितरित किया गया था। देउर कोठार एक प्रतिष्ठित रीवा पर्यटन स्थलों में से एक पुरातात्विक स्थल है जहाँ बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने इस स्थल के पाए जाने के बाद स्तूप का निर्माण किया है।

चचाई जलप्रपात

  • चचाई जलप्रपात रीवामध्य प्रदेश के पास बिहड़ नदी पर 130 मीटर से अधिक ऊँचाई पर स्थित हैंयह झरना मध्य प्रदेश के दूसरे सबसे ऊंचे झरनो में से हैं और भारत में सबसे अधिक एकल-बूंद वाले झरनों में गिना जाता हैं। 
  • इस नदी में एक निर्माण किया गया हैजो बिहड़ नदी के पानी को दो हिस्सों में बांटता हैएक तोना पनबिजली संयंत्र में विद्युत उत्पादन के लिए और दूसरा आधा पास के गांवों में सिंचाई के लिए।

क्योटी जलप्रपात

  • केओटी फॉल्स रीवा के केंद्र से लगभग 37 किमी दूर मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड के माध्यम से स्थित है। 


रीवा का किला

  • यह रीवा में मुख्य पर्यटक आकर्षण हैं। इसके पीछे दो नदियाँ हैं जो किले को प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करती हैं। किले का मुख्य द्वार भारतीय वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण है। यह पर्यटकों को आवास प्रदान करता है। इसमें एक रेस्तरां और एक संग्रहालय भी है। यहां घूमने के लिए मुख्य स्थल हैंकैननशाही चांदी का सिंहासनसंग्रहालय हॉल का झूमरहथियार गैलरी और सफेद बाघ गैलरी।


गोविन्दगढ़ पैलेस और तालाब 

  • महाराजा रीवा की ग्रीष्मकालीन राजधानी गोविंदगढ़मध्य प्रदेशभारत में रीवा से लगभग 18 किमी दूर है। रीवालगभग 13,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र के साथबागेलखंड एजेंसी में सबसे बड़ी रियासत थी और मध्य भारत एजेंसी में दूसरी सबसे बड़ी थी। बघेलखंड के लिए ब्रिटिश राजनीतिक एजेंट पूर्व भारतीय रेलवे के सतना में रहते थे। बघेलखंड एजेंसी को 1933 में भंग कर दिया गया और रीवा को इंदौर रेजीडेंसी के अधिकार में रखा गया।
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