सशस्त्र सेना झंडा दिवस 2023 महत्व उद्देश्य इतिहास । Armed Forces Flag Day 2021

सशस्त्र सेना झंडा दिवस  2023 महत्व उद्देश्य इतिहास 

सशस्त्र सेना झंडा दिवस  2021 महत्व उद्देश्य इतिहास



सशस्त्र सेना झंडा दिवस कब मनाया जाता है ?

  • 7 दिसंबर को भारत में सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है।


सशस्त्र सेना झंडा दिवस पहली बार कब मनाया गया था ?

  • पहली बार यह दिवस 7 दिसंबर, 1949 को मनाया गया था। 


सशस्त्र सेना झंडा दिवस क्यों मनाया जाता है ?

  • यह दिवस को भारतीय सैनिकों, जल सैनिकों तथा वायुसैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है। झंडा दिवस के अवसर पर सशस्त्र  बल कर्मियों के कल्या्ण के लिये लोगों से धन जुटाया जाता है तथा इस धन का उपयोग सेवारत सैन्यो कर्मियों और पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिये किया जाता है।

सशस्त्र सेना झंडा दिवस  2021 महत्व उद्देश्य इतिहास । Armed Forces Flag Day 2021


सशस्त्र सेना झंडा दिवस का इतिहास 

  • 1949 से, 7 दिसंबर को पूरे देश में सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि शहीदों और वर्दी में उन लोगों को सम्मानित किया जा सके जिन्होंने देश के सम्मान की रक्षा हेतु देश की सीमाओं पर बहादुरी से दुश्मनों का मुकाबला किया और अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है। सैनिक किसी भी देश की संपत्ति होते हैं। वे राष्ट्र के संरक्षक होते हैं तथा किसी भी कीमत पर नागरिकों की रक्षा करते हैं। अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए सैनिकों ने अपने जीवन में बहुत सी चीजों का बलिदान किया है। देश हमेशा इन वीर सपूतों के लिए ऋणी रहेगा जिन्होनें मातृभूमि की सेवा में अपने जीवन लगा दिया है।

 

  • हमारा कर्तव्य है कि हम न केवल शहीदों और सैनिकों की सराहना करें बल्कि उनके परिवार की भी प्रशंसा करें जो इस बलिदान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते है। केंद्र तथा राज्य स्तर पर सरकारी सहायता के अलावा यह हमारे देश के प्रत्येक नागरिक का सामूहिक कर्तव्य है कि वह इनकी देखभाल, सहायता, पुनर्वास और वित्तीय सहायता प्रदान करने की दिशा में स्वैच्छिक योगदान करें। झंडा दिवस देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों, दिव्यांग पूर्व सैनिकों, युद्ध विधवाओं, शहीदों के आश्रितों की देखभाल करने के लिए मदद सुनिश्चित करता है और उनके प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।


सशस्त्र सेना झंडा दिवस 2021 की शपथ लेने के लिए यहाँ क्लिक करें 

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ क्या होता है 

  • तीनों सेनाओं थल सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच बेहतर संबंध स्थापित करने के लिए इस पद का गठन किया गया है। सीडीएस देश के सशस्त्र बलों का सर्वोच्च रैंक (तीनों सेनाओं) वाला अधिकारी होगा।

  • दूसरे शब्दों में सीडीएस का तात्पर्य है, सरकार के लिये एक सूत्री सैन्य सलाहकार का होना, जो तीनों सेनाओं के दीर्घकालिक नियोजन, खरीद, प्रशिक्षण एवं लॉजिस्टिक्स का समन्वय करेगा। भविष्य के युद्ध छोटे, शीघ्रगामी और नेटवर्क केंद्रित हो रहे हैं। अतः देश की रक्षा प्रणाली को मजबूत करने हेतु तीनों सेनाओं में समन्वय अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • गौरतलब है कि सीडीएस के पास सैन्य सेवा का लंबा अनुभव और उपलब्धियाँ होनी चाहिए। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद की जिम्मेदारी थल सेना, नौसेना या वायु सेना प्रमुख को दी जा सकती है।

 

सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम: अफस्पा (AFSPA)

  • भारत में सबसे पहले अंग्रेज सरकार ने भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने के लिए 1942 में अफस्पा को एक अध्यादेश के जरिए लागू किया था। आज़ादी के बाद साल 1947 में तात्कालिक अशांत स्थितियों से निपटने के लिये इसी अध्यादेश के प्रावधानों के मुताबिक़ चार अलग-अलग अध्यादेश लाए गए थे। साल 1948 में केंद्र सरकार ने इन चारों अध्यादेशों को मिलाकर एक समग्र सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून बनाया। बाद में इस कानून को भारत सरकार ने 1957 में निरस्त कर दिया था और 1958 में AFSPA क़ानून लाया गया।


  • आज़ादी के बाद नागालैंड समेत देश के पूर्वोत्तर इलाक़े में उग्रवाद तेज़ी से पनप रहा था। उग्रवाद से निपटने के लिए सेना की ज़रूरत महसूस हुई। उग्रवाद के विरूद्ध इस कार्यवाही में सेना की मदद के लिए 11 सितंबर 1958 को केंद्र सरकार ने AFSPA क़ानून पारित किया। साल 1972 में इसमें कुछ संशोधन भी किया गया था।


  • इस क़ानून के तहत, केंद्र या राज्य सरकार के पास किसी भी भारतीय क्षेत्र को अशांतघोषित करने का अधिकार होता है। अफ्स्पा क़ानून की धारा (3) के तहत, अगर केंद्र सरकार की नज़र में कोई क्षेत्र अशांतहै तो इस पर वहां के राज्य सरकार की भी सहमति होनी चाहिए कि वो क्षेत्र अशांतहै या नहीं। लेकिन राज्य सरकारें केवल सुझाव दे सकती हैं। उनके सुझाव को मानने या न मानने की शक्ति राज्यपाल अथवा केंद्र के पास होती है।
  • AFSPA के तहत एक बार कोई क्षेत्र 'अशांत' घोषित हो जाता है तो कम से कम तीन महीने तक वहां सुरक्षा बलों की तैनाती रहती है।

 

Related Topic.....

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.