राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2023 : इतिहास महत्व उद्देश्य थीम (विषय)। National Consumer Day 2023 History Aim Importance

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस  2021 : इतिहास महत्व उद्देश्य  

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस  2021 : इतिहास महत्व उद्देश्य । National Consumer Day 2021 History Aim Importance



राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस कब मनाया जाता है ?

  •  24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 24 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है ?
  • वर्ष 1986 में इसी दिन राष्ट्रपति ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को मंज़ूरी दी थी।


विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है ?

  • विश्व उपभोक्ता  अधिकार दिवस प्रतिवर्ष 15 मार्च को पूरी दुनिया में उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिये मनाया जाता है।


राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस इतिहास महत्व उद्देश्य 

  • देश में उपभोक्ताओं के महत्त्व, उनके अधिकारों और दायित्त्वों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है। भारत की एक बड़ी आबादी अशिक्षित है, जो अपने अधिकारों एवं कर्त्तव्यों के प्रति अनभिज्ञ है, लेकिन उपभोक्ता अधिकारों के मामले में शिक्षित लोग भी अपने अधिकारों के प्रति उदासीन नज़र आते हैं। इसी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये प्रतिवर्ष इस दिवस का आयोजन किया जाता है। 
  • वर्ष 1986 में इसी दिन राष्ट्रपति ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को मंज़ूरी दी थी। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के शोषण जैसे दोषयुक्त सामान, असंतोषजनक सेवाओं और अनुचित व्यापार प्रथाओं के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करना है। 


राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का विषय (थीम) 


  • वर्ष 2020 के लिये इस दिवस का थीम सतत् उपभोक्ताहै। यह थीम वैश्विक स्वास्थ्य संकट, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान आदि से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है। 


विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस

  • विश्व उपभोक्ता  अधिकार दिवस प्रतिवर्ष 15 मार्च को पूरी दुनिया में उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिये मनाया जाता है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिये आवाज़ उठाना भी है। वैश्वीकरण और आर्थिक उदारीकरण के दौर में कारोबार के बदलते तरीक़ों के बीच उपभोक्ता संरक्षण का मुद्दा और भी अहम हो गया है। उपभोक्ता सभी आर्थिक गतिविधियों के लिये वास्तषविक निर्णायक कारक है।

 

उपभोक्ता का अर्थ क्या है 

  • उपभोक्ता संरक्षण कानून अधिनियम 1986 की धारा 2 की उपधारा के अनुसार वस्तुओं, पदार्थों या सेवाओं का उपभोग करने वाला और इनका मूल्य चुकाने वाला या चु्काने का वादा करने वाला उपभोक्ता कहलाता है। उपभोक्ता वह है, जो उपभोग के लिये वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय करता है। सेवाओं को भाड़े पर लेने वाला या इस्तेमाल करने वाला भी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है, बशर्ते इनका वाणिज्यिक इस्तेमाल न किया जाए।
  • यदि कोई फुटकर व्यापारी किसी थोक विक्रेता से वस्तुएँ खरीदता है, तो वह उपभोक्ता नहीं है क्योंकि वह तो वस्तुओं को बेचने के लिये खरीदता है। कोई व्यक्ति, जो वस्तुओं एवं सेवाओं का चयन करता है, उन्हें प्राप्त करने के लिये पैसा खर्च करता है तथा अपनी आवश्यकता की पूर्ति हेतु उनका उपयोग करता है, उपभोक्ता कहलाता है।
  • इस लेन-देन में विक्रेता की ईमानदारी सबसे अहम है, क्योंकि इसी पर उपभोक्ता का विश्वास टिका होता है। लेकिन कई बार विक्रेता ऐसा काम कर देता है कि उपभोक्ता का विश्वास टूट जाता है; और यह बात ऑनलाइन मार्केटिंग करने वाले ई-उपभोक्ताओं पर भी लागू होती है।


केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority-CCPA):

  • उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने, उनका संरक्षण करने और लागू करने के लिये CCPA का गठन किया जाएगा। CCPA अनुचित व्यापार प्रथाओं, भ्रामक विज्ञापनों तथा उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों का विनियमन करेगा। इसके लिये यह विधेयक CCPA को पर्याप्त रूप से सशक्त करता है। मुख्य आयुक्त की अध्यक्षता वाले CCPA के आदेश के विरुद्ध कोई भी अपील राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के समक्ष ही की जा सकेगी।
  • भ्रामक विज्ञापनों के लिये जुर्माना: CCPA झूठे और भ्रामक विज्ञापनों के लिये विनिर्माता या उत्पाद को एन्डोर्स करने वाली सेलेब्रिटी पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है और दोबारा अपराध की स्थिति में इसे 50 लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। विनिर्माता को दो वर्ष तक की कैद और दुबारा अपराध पर पाँच साल की कैद हो सकती है।
  • यह विधेयक किसी उत्पाद या सेवा का विज्ञापन करने से पहले उसके द्वारा किये जा रहे दावे की जाँच का दायित्व उस सेलेब्रिटी पर डालता है जो इसे एन्डोर्स कर रहा है।  यदि कोई विज्ञापन भ्रामक पाया जाता है तो CCPA उस विशेष उत्पाद या सेवा को एक वर्ष तक एन्डोर्स करने से प्रतिबंधित कर सकता है। एक से ज़्यादा बार अपराध करने पर प्रतिबंध की अवधि को तीन वर्ष तक बढाया जा सकता है।


उपभोक्ता फोरम क्या है 

  • उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (Consumer Disputes Redressal Commissions-CDRC): सुई से लेकर हवाई जहाज तक, होटल से लेकर हॉस्पिटल तक, गलत विज्ञापन या जनता को भ्रमित करने वाले विज्ञापन, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण और इंश्योरेंस सेक्टर सहित तमाम क्षेत्र उपभोक्ता फोरम की परिधि में आते हैं। कोई भी व्यक्ति जिसके साथ गलत हुआ है उपभोक्त फोरम में शिकायत कर सकता है। इस नए विधेयक में उपभोक्ताओं की शिकायतों का निवारण करने के लिये ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर CDRC स्थापित किये जाएँगे। कोई भी उपभोक्ता अनुचित और प्रतिबंधित तरीके के व्यापार, त्रुटिपूर्ण वस्तु या सेवा, अधिक या गलत तरीके से कीमत वसूले जाने और जीवन या सुरक्षा के लिये खतरनाक वस्तु या सेवा के विरुद्ध इसमे शिकायत कर सकेगा। ज़िला CDRC के आदेश के खिलाफ राज्य CDRC के समक्ष और राज्य CDRC के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय CDRC के समक्ष सुनवाई की जा सकेगी। अंतिम अपील सर्वोच्च  न्यायालय के समक्ष ही की जा सकेगी।

CDRC का क्षेत्राधिकार: 

  • शिकायत कहाँ की जाए, यह बात सामान, सेवाओं की लागत अथवा मांगी गई क्षतिपूर्ति पर निर्भर करती है। ज़िला CDRC 1 करोड़ रुपए तक के मामलों की, राज्य CDRC 1 करोड़ से अधिक लेकिन 10 करोड़ रुपए से कम वाले मामलों की और राष्ट्रीय CDRC 10 करोड़ रुपए से अधिक के मामलों की सुनवाई करेंगे। वर्तमान में यदि राशि 20 लाख रुपए से कम है तो ज़िला फोरम में, राशि 20 लाख से अधिक लेकिन एक करोड़ से कम है तो राज्य आयोग के समक्ष और यदि एक करोड़ रुपए से अधिक है तो राष्ट्रीय आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराने का प्रावधान है।
  • अनुचित अनुबंध के खिलाफ शिकायत केवल राष्ट्रीय और राज्य CDRC में ही की जा सकेगी। अनुचित अनुबंध में उपभोक्ता से अधिक डिपाज़िट की मांग करना, किसी अनुबंध को एकतरफा समाप्त कर देना आदि शामिल हो सकते हैं।
  • संस्थागत व्यवस्था: यदि ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय आयोग को लगता है कि किसी मामले को मध्यस्थता के द्वारा सुलझाया जा सकता है तो वे इसके लिये एक मध्यस्थता सेल की स्थापना कर उसे मामला सौंप सकते हैं।
  • इसके अलावा प्रोडक्ट लायबिलिटी की व्यवस्था की गई है, अर्थात् उत्पाद के विनिर्माता अथवा सेवा प्रदाता की ज़िम्मेदारी। इन्हें किसी खराब वस्तु या दोषपूर्ण सेवा के कारण होने वाले नुकसान या चोट के लिये उपभोक्ता को मुआवज़ा देना होगा।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.