पुनर्जागरण का जन्मस्थल : इटली |इटली में ही पुनर्जागरण की शुरूआत क्यों |Why did the Renaissance start in Italy?

पुनर्जागरण का जन्मस्थल : इटली

पुनर्जागरण का जन्मस्थल : इटली |इटली में ही पुनर्जागरण की शुरूआत क्यों |Why did the Renaissance start in Italy?



पुनर्जागरण का जन्मस्थल : इटली

पहले पहल पुनर्जागरण की अरूणिमा इटली में फैली फिर वहां कैसे उसका प्रकाश इंग्लैण्डफ्रांस आदि अन्य यूरोपीय राष्ट्रों में विस्तारित हुआ। 


इटली में ही पुनर्जागरण की शुरूआत क्यों

 

इटली में ही पुनर्जागरण की शुरूआत के कारण 

  • इटली एक समृद्ध देश था समृद्धि का कारण था विदेशी व्यापार भूमध्यसागरीय देशों में सबसे अनुकूल स्थिति इटली की ही थी जिससे मध्यकाल के अरब व्यापारियों द्वारा देशों से लाया गया सामान अधिकांशतः इटली में ही बिकता था। यही से एशियाइ वस्तुएं अन्य यूरोपीय जाती थी। 


  • व्यापारिक गतिविधियों के कारण मिलाननेपल्सफ्लोरसवेनिस आदि नगरों की स्थापना हुई। इटली के अन्य नगरों के व्यापारी बाल्कान प्रायद्वीप पश्चिमी एशिया तथा मिश्र की यात्रा करते रहते थे । अरब तथा इरानी व्यापारी इन देशों में आते रहते थे।

 

  • इटली की समृद्धि से व्यापारिक मध्यम उदय हुआ वहां का व्यापारी वर्ग इतना प्रभावशाली हो गया कि उसने सामंतो एवं पोप की परवाह करना द कर दिया। इस वर्ग ने काफी हद तक मध्यकालीन मान्यताओं का उल्लंघन किया। इससे इटली में पुनज की भावना को बल मिला।

 

  • व्यापार एवं उद्योग के कारण इटली यूरोप का एक घनी एवं समृद्ध देश बन गया था। यहां के व्यापारियों के प्रसाद एवं रहन-सहन का दर्जा के किसी सम्राट की अपेक्षा अधिक वैभवशाली था समृद्धि उस चमर बिन्दु पर पहुंच गई थी जहां व्यापारी धिकाधिक खर्च करके भी उस सम्पत्ति का उपयोग नहीं कर पा रहे थे। ऐसी स्थिति में इस विचार रा को सहायता मिली कि उन्हें राजा महाराजाओं की भांति साहित्यकारों एवं कलाकारों को प्रश्रय एवं उत्साह प्रदान का उपयोग करना चाहिए।

 

  • इटली में पुनर्जागरण का एक कारण यह भी था कि यह प्राचीन रोमन सभ्यता का जन्म स्थल रहा था। इतावली नगरों प्राचीन रोमन सभ्यता के बहुत से स्मारक अब भी लोगों को उसकी याद दिलाते है। प्राचीन रोम जैसी महा एवं अपने देश को गौरवशाली बनाने का विचार उनके दिलों दिमाग पर छाया हुआ था। यह ज्ञातव्य है कि प्राचीन रोमन संस्कृति पुनर्जागरण के लिए प्रेरणा का केन्द्र रही। सर्वप्रथम दाते की रचनाओं में इस प्रेरणा के चिन्ह दिखाई देते है।

 

  • रोम, जहां पोप निवास करता थाअब भी सम्पूर्ण पश्चिमी यूरोपीय ईसाई जगत का केन्द्र बना हुआ था। कुछ पोप पुनर्जागरण की भावना से अनुप्राणित हो बड़े विद्वानो और कलावन्तो को रोम लाए और उनसे यूनानी पांडुलिपियो का लैटिन भाषा में अनुवाद कराया। उनमें से एक पोप निकालस पंचम ने वैटिकन पुस्तकालय की स्थापना की और संत पीटर गिरजे को बनाया। उसके अधीन लगभग समूचा रोम निर्मित हुआ। पोप के इन कार्यों का प्रभाव अन्यत्र भी हुआ।

 

  • राजनीतिक दृष्टि से इटली पुनर्जागरण के लिए उपयुक्त क्षेत्र था। पवित्र रोमन साम्राज्य समाप्त हो चला था और उत्तरी इटली में अनेक स्वतन्त्र नगर राज्यों का विकास हो गया था। इसके अलावा इटली में सामंत प्रथा दृढ़ नहीं थी। इननगर राज्यों में स्वतन्त्र एवं स्वच्छन्दता का वातावरण था जिसमें वहां के नागरिकों में उत्साह एवं आवेग था।


  • मध्ययुगीन यूरोप में शिक्षा धर्म से विशेष प्रभावित एवं केन्द्रित थी किन्तु इटली में व्यापार के विकास के साथ एक नये प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता हुई जिसमें व्यावसायिक ज्ञानभौगोलिक ज्ञानआदि को समुचित स्थान दिया। 

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