पुनर्जागरण के कारण |Renaissance Reason in Hindi

पुनर्जागरण के कारण Renaissance Reason in Hindi

पुनर्जागरण के कारण |Renaissance Reason in Hindi
 

पुनर्जागरण के कारण

1. प्राचीन साहित्य का अध्ययन

 

  • लगभग 13वीं सदी से ही प्राचीन साहित्य के अध्ययन के प्रति लोगों में रूचि जागृत हो गई थी। और रोम की प्राचीन संस्कृति को सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा। यूनानी भाषा के पुन अध्ययन से लोगों की - वर्ग को एक नई संस्कृति नए विचार और जीवन की नई पद्धति का ज्ञान हुआ। उनके हृदय मे जिज्ञासा -प्रवृत्ति विकसित स्वतन्त्र दृष्टिकोण पनपने लगामस्तिष्क में उदारता का संचार हुआ और वे चर्च तथा सत्ता की आज्ञाओं को तर्क की तराजू तोलने पर बोलने लगे। प्राचीन साहित्य के अनुशीलन ने मस्तिष्क के महत्व में वृद्धि की।

 

2. धर्म युद्ध

 

  • पुनर्जागरण का एक प्रमुख कारण वे धर्म युद्ध थे जो यूरोप के मध्य एशिया के तुर्की के बीचईसाइयों के तीर्थ स्थान जेरूसलम आदि के अधिकार के लिए लड़े गये। इन युद्धों में के लोग विभिन्न प्रेरणावश शामिल हुए। यद्यपि इस्लाम के विजय अभियान को नहीं रोका जा सकातथापि ईसाइयों इन युद्धों के फलस्वरूप कई नवीन बातों का पता चला। इन युद्धों ने यूरोप के हजारो व्यक्तियों को नए विचारों और अजन के सम्पर्क में ला दिया और वे जब अपने देशों को वापस लौटे तो उन्होने अपने अनुभव की चर्चा की। इसके फलस्वरूप के निवासियों में नया दृष्टिकोण उत्पन्न हुआउनका सुप्त शौर्य जाग उठा और उन्होंने प्रगति की तरफ कदम बढाने कर लिया।

 

3. व्यापारिक यात्राएं और विदेशों

 

  • धर्म युद्धों से यूरोपीय व्यापार को कसान पहुंचा क्योंकि इससे मुस्लिम व्यापारियों का माल आना बन्द हो गया। अतः यूरोपियो ने भूध्यसागर की लहरों को चीर ने व्यापार की खोज में दूर-दूर के देशों की यात्रा शुरू की। येनिस और मिलनलूका और फ्लोरेस व्यापार के महत्वपूर्ण केन्द्र गए। बाहर की दुनिया से सम्पर्क होने से यूरोप के लोगों में एक नए दृष्टिकोण का संचार हुआ और उन्होंने पूर्व की प्रगतिशील सभ्यता से बहुत कुछ सीखा। उनके बौद्धिक जीवन पर धर्म का नियन्त्रण कुछ ढीला हुआपुराने विचारों की जंजीरे टूटने राजनीतिक तथा सामाजिक चेतना का उदय हुआ।

 

4. सामन्तों का सहयोग

 

  • वाणिज्य व्यापार के विकास से व्यापारियों का प्रभाव बढ़ने लगा और वे शासन के क्षेत्र में अग्रसर हुए लेकिन सामन्तों ने उनकी बढती शक्ति का चुनौती दी और चर्च ने भी उन्हीं को सहयोग दिया। परिणाम यह हुआ कि व्यापारी और उनसे सम्बन्धित जन साधारण चर्च को शका की दृष्टि से देखने लगे। वे लोग चर्च की सभी बातों पर विश्वास करते थेकिन्तु अब वे विश्वासों को तर्क की कसौटी पर कसने लगे जिससे उन सिद्धान्तों का खोखलापन प्रकट होने लगा और सम्पूर्ण यूरोप में ज्ञान-विज्ञान की लहर फैली।

 

5. साहित्यकारों और विद्वानों का योग

 

  • अनेक साहित्यकारों और विद्वानों ने अपनी प्रखर लेखनी से नव-जागरण का प्रसार किया। उदाहरणार्थतेरहवीं शताब्दी में ब्रिटेन के बैकन नामक विचारक ने तर्क और प्रयोग पर बहुत बल देते हुए विज्ञान की उन्नति में अपना विश्वास प्रकट किया। उसके ज्ञान से जगमगाते लेखों का प्रभाव लोगों के विचारों में परिवर्तन लाता गया। इस्लामी आक्रमणों के फलस्वरूप यूनानी विद्वान् पश्चिम में आकर बसने लगे। उनके द्वारा गौरवपूर्ण प्राचीन यूनान के सिद्धान्तों का प्रचार हुआ।

 

6 छापेखाने का आविष्कार

 

  • पुनर्जागरण के विकास में छापेखाने के आविष्कार ने भारी योग दिया। साहित्य प्रकाशन न केवल सस्ताहोगया बल्कि पुस्तकें भारी संख्या में छपने लगी और सर्वसाधारण को सुलभ हो गई। अब शिक्षा केवल धर्माधिकारियों तक ही सीमित नहीं रहीअपितु जन-साधारण ने धर्म के महत्व को समझा और उसकी बुराइयों को दूर करने की चेष्टा की। लेटिन के स्थान पर स्थानीय भाषाओं में पुस्तकें लिखी जाने लगी जिससे लोगों के विचारों में तेजी से परिवर्तन आने लगा।

मानववाद का प्रचार 

  • मानववाद शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द 'ह्यूमनिटीजसे हुईजिसका अर्थ है विकसित ज्ञान | इस विचारधारा के अनुयायी धर्म की सकुचित विचारखारा को नहीं मानते थे उनका दृष्टिकोण अत्यन्त व्यापक था। पेट्रार्क और उसके अनु मानववाद का प्रसार किया प्रारम्भ में तो धर्माधिकारियों ने इसका विरोध कियापरन्तु धीरे-धीरे यह विकसित हो गईजिसके धार्मिक आडम्बारों की समाप्ति हुई और स्वतन्त्र चिन्तन का प्रसार हुआ।

 

1.38 कुस्तुनतुनिया पर तुर्कों का अधिकार :

 

1453 ई. मे तुकों ने पूर्वी रोमन साम्राज्य की राजधानी कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया। इससे पूर्वी रोमन साम्राज्य का सदैव के लिए पतन हो गया किन्तु इसके फलस्वरूप पश्चिमी यूरोप मे जो ज्ञानोदय हुआ प्रभाव एवं प्रसार ने नवयुग के आगमन की सूचना दी तुकों के कुस्तुनतुनिया पर अधिकार उनके अत्याचारों और पूर्वी रोमन साम्राज्य के अवशेषों को खत्म कर देने से कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए-

 

  • 1. कुस्तुनतुनिया पर तुकों का अधिकार हो जाने से यूरोप से पूर्वी को जाने वाले स्थल मार्ग पर अब तुर्की का अधिकार हो गया। चूंकि तुर्क लोग व्यापारियों को लूट लिया करते थेअतः पूर्वी देशों के साथ व्यापार बन्द हो गया। यूरोप में पूर्वी देशों की विलासिता की सामग्री तथा गर्म मसालों की जबरदस्त । अतः पश्चिम दक्षिण यूरोप के लोग किसी नए व्यापार मार्गसम्भवत जल मार्गखोज निकालने के लिए व्यग्र हो उठे। ग्रता नेही अमेरिका की खोज की भारत एवं पूर्वी द्वीपों का जल मार्ग ढूंढ निकाला।

 

  • 2. कुस्तुनतुनिया पिछले दो सौ वर्षों से दर्शन तथा कला का महान् केन्द्र था । इस्लाम में नव दीक्षित तथा बगैर तुर्की के लिए इनकी न कोई उपयोगिता थी और न । फलतः यहां से आजीविका की खोज में हजारों युनानी विद्वानदार्शनिक एवं कलाकार इटलीफ्रांसजर्मनीइंग्लैण्ड देशों में चले गए। वे जाते समय प्राचीन रोम एवं यूनान का ज्ञान-विज्ञान तथा नयी चिन्तन पद्धति अपने साथ ले गये कार्डिनल बेसारिओन 800 पांडुलिपियों के साथ इटली पहुंचा था। 


9 शिक्षा का विकास

 

  • मध्य युग के अन्त की बहुत अधिक उन्नति हुई। इस समय यूरोप के बड़े-बड़े नगरों में विश्वविद्यालय स्थापित हुए । ये धार्मिक नियन्त्रण से थे। इनमें विद्यार्थी किसी भी विषय का अध्ययन करने के लिए स्वतन्त्र थे । शिक्षा की उन्नति के कारण मनुष्य प्राचीन ज्ञान तर्क की कसौटी पर कसने लगेजिससे अन्ध विश्वास की समाप्ति हुई और मनुष्य प्रत्येक विषय पर स्वतन्त्रतापूर्वक विचार एवं मनन करने लगा।

 

10 स्कालिष्टि विचारधारा

 

  • मध्य युग यूरोप के दर्शन में एक नई विचाराधारा चल पड़ी थीजो स्कालिष्टिक विचारखारा के नाम से प्रसिद्ध है। इस विचार सारा का आधार अरस्तु का तर्क शास्त्र और सेन्ट आगस्टाइन का तत्वज्ञान था। इसमें तर्क तथा धर्म दोनों का समन्वय था। तेरहवी शताब्दी में इस विचारधारा का बहुत अधिक प्रचार हुआ। इसी समय माहन विचारक रोजर बेकन ने इस विचारधारा का विरोध करते हुए वैज्ञानिक प्रयोगों पर जोर दिया। वह मशीन से चलने वाली ट्रेनबस और हवाई जहाज की कल्पना करता था। इस वैज्ञानिक चिन्तन ने यूरोपवासियों की तर्क शक्ति को जाग्रत कर दियाजिससे लोगों की स्वतंत्र चिन्तन शक्ति का विकास हुआ। इस घटना ने पुनर्जागरण में बड़ा महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

 

11 नगरों में वृद्धि

 

  • व्यापार का विकास तथा सामन्तवाद के कारण यूरोप में अनेक बड़े-बड़े नगर स्थापित हुए। व्यापार के विकसित होने के कारण व्यापारी वर्ग धनवान बनता चला गया। यह वर्ग नगरों में निवास करने लगा। धन की प्रचुरता के कारण यह वर्ग विलासिता की और उन्मुख होने लगा। अतः इसने कठोर नियमों का उल्लंघन कर स्वतंत्र रूप से विचार करना प्रारम्भ कर दिया। इसके अतिरिक व्यापारियों ने अपने रहने के प्रासादों को सुन्दर चित्रों एवं मूर्तियों से अलंकृत करवाया। इस प्रकार नगरों के विकास ने नवीन कला के सृजन में योग दिया।

 

  • इसके अतिरिक्त सामन्तो के नेतृत्व में जिन नगरों का विकास हुआ थाउनका स्वरूप यूनान के नगर राज्यों के जैसा बन चुका था। इन नगरों में सामंत ही प्रधान थेइसलिएयहां सांस्कृतिक विकास भी स्वतंत्र रूप से होता रहा ये पूर्णरूपेण स्वतंत्र थे । इटली के फ्लोरंश नामक नगर में सांस्कृतिक विकास स्वतंत्र रूप से हो रहा था। इस र नगरों के विकास के कारण पुनर्जागरण की स्थिति उत्पन्न हुई।

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