पुनर्जागरण का अर्थ |पुनर्जागरण की विशेषताएं |Renaissance Meaning Definition in Hindi

 पुनर्जागरण का अर्थ ,  पुनर्जागरण की विशेषताएं

पुनर्जागरण का अर्थ |पुनर्जागरण की विशेषताएं |Renaissance Meaning Definition in Hindi


यूरोप के में कुछ विशेष घटनाचक्र और आन्दोलन ऐसे है जो उसके प्राचीन युग, मध्य युग और आधुनिक युग को एक-दूसरे से पृथक् करते है । प्रायः 15वीं शताब्दी के साथ यूरोप के मध्य युग का अन्त और 16वीं शताब्दी से नवीन, अर्थात् आधुनिक युग का सूत्रपात समझा जाता है। इस युग के पहले और इस काल में अनेक ऐसी महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुई जिन्हे नवीन युग की प्रगति का सन्देशवाहक माना जाता है। इसमें से कुछ प्रमुख है- पुनर्जागरण, भौगोलिक अनुसन्धान, धर्म सुधार आन्दोलन, औद्योगिक क्रान्ति आदि। यहां हमारा मन्तव्य पुनर्जागरण को समझाना है।

 

पुनर्जागरण का अर्थ :

 

  • जेमस एडगर स्वेन ने लिखा है कि "पुनर्जागरण से ऐसे सामूहिक शब्द का बोध होता है जिसमे मध्यकाल की समाप्ति और आधुनिक काल के प्रारम्भ तक के बौद्धिक परिवर्तन का समावेश हो।" 


  • साहित्यिक दृष्टि से पुनर्जागरण का अर्थ है 'नूतन जन्म किन्तु व्यावहारिक दृष्टि से यह वह आन्दोलन था जिसने यूरोप के जीवन और उसकी विचारधारा में महान् परिवर्तन ला दिए। पर यह कोई राजनीतिक अथवा धार्मिक आन्दोलन नहीं था। यह तो मानव मस्तिष्क की एक अनोखी जिज्ञासापूर्ण स्थिति थी जिसके फलस्वरूप मध्यकालीन अन्धविश्वासपूर्ण विचारों के प्रति अश्रद्धा उत्पन्न हुई और अधिकांशतः उन सभी बातों का बीजारोपण हुआ जिनकी झलक हमें आधुनिक युग में दिखलाई पड़ती है।

 

  • पुनर्जागरण कोई ऐसी सीमा रेखा नहीं थी जिसने मध्यकाल और आधुनिककाल का विभाजन कर दिया हो। पुनर्जागरण की स्थिति किसी एक व्यक्ति एक स्थान अथवा एक विचारधारा के कारण भी नहीं आई। यह तो वास्तव में उन सब महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और बौद्धिक परिवर्तनों का सामूहिक संकेत है जो 1300 ई. के बाद से 1800 ई. तक यूरोप में जारी रहे। इस आन्दोलन को प्रायः शिक्षा की चेतना कहा जाता है। मुख्यतः इटली में 1300 ई. के बाद बौद्धिक और सांस्कृतिक पुनर्जागृति हुई और 1000 ई. तक वह यूरोप के अन्य भागों में फैल गई। इन शताब्दियों में धीरे-धीरे वे सभी बाते जिनका सम्बन्ध मध्यकाल से था, मिटती चली गई तथा वे सभी बातें जो आधुनिक काल से सम्बद्ध थी, अंकुरित और विकसित होती गई। महान् बौद्धिक जागृति ने लोगों में अन्येषणात्मक प्रवृत्ति पैदा की लोग प्रचलित विश्वासों और प्रथाओं को तर्क की कसौटी पर कसने लगे। 
  • जीवन के बारे में लोगों के दृष्टिकोण में परिवर्तन आया और उनमें इतना साहस पैदा हो गया कि वे तत्कालीन संस्थाओं को चुनौती देने लगे। इन शताब्दियों में सामन्तवाद का प्रभाव धीमा पड़ कर समाप्त हो गया। कुलीन वर्ग की प्रतिष्ठा घटते-घटते नष्ट । संघ व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गई, धर्म का प्रभाव क्षीण हो गया और जिज्ञासा, खोज, आविष्कार आलोचना तथा सत्यान्चेषण की जागृत हुई। ये सभी परिवर्तन धीरे-धीरे हुए और उन सबका परिणाम यह हुआ कि इतिहास के एक युग का अन्त होकर दूसरे का सूत्रपात हुआ।

 

विभिन्न इतिहासकारों की दृष्टि में पुनर्जागरण

 

लाई एक्टन के अनुसार पुनर्जागरण का अर्थ  

  • नई दुनिया के प्रकाश में आने के उपरान्त प्राचीन सभ्यता की पुन खोज मध्य युग के इतिहास को अन्त करने वाली तथा आधुनिक युग के आरम्भ को सूचित करने वाली दूसरी सीमा की प्रतीक है। पुनर्जागरण यूनानी साहित्य के पुनः अध ययन एवं उससे उत्पन्न परिणामों को सूचित करता है।" 

 

सीमोण्ड के अनुसार पुनर्जागरण का अर्थ 

  • रेनेसा एक ऐसा आन्दोलन है जिसके वरूप पश्चिम के राष्ट्र मध्य युग से निकलकर वर्तमान युग के विचार तथा जीवन की पद्धतियों को ग्रहण करने लगे।


चैनलून के अनुसार पुनर्जागरण का अर्थ 

  • "रेनेसा (पुनर्जागरण) राजनीतिक (धार्मिक आन्दोलन न होकर मानस की एक विशिष्ट स्थिति को उजागर करता है।"

 

डेविस के अनुसार पुनर्जागरण का अर्थ 

  • "पुनर्जागरण शब्द मानव स्वातन्त्र्य प्रिय साहसी विचारों को, जो मध्य युग मे धार्माधिकारियों द्वारा जकड़े य बन्दी बना दिए गये थे, व्यक्त करता। उपर्युक्त तथ्यों व इसके से यह स्पष्ट है कि पुनर्जागरण एक आकस्मिक घटना नहीं वरन यह एक वह आन्दोलन था जिसकी प्रक्रिया चौदहवीं से सोलहवीं सदी के अन्तिम वर्षों तक चलती रही।

 

पुनर्जागरण की विशेषताएं:

 

  • पुनर्जागरण की मुख्य विशेषता स्वतन्त्र चिन्तन है। मध्य युग में व्यक्ति के चिन्तन एवं मनन पर धर्म का कठोर अंकुश लगा हुआ था। 
  • पुनर्जागरण 'को नई गति एवं विचारधारा को नवीन निडरता प्रदान की। 
  • पुनरुत्थान का लक्ष्य परम्परागत विचारधाराओं को स्वतन्त्र आलोचना की कसौटी पर कसना था। वैज्ञानिक ढंग से किसी बात की व्याख्या करना था। 
  • पुनर्जागरण की दूसरी विशेषता मनुष्य को अन्धविश्वास, रूढ़ियों तथा चर्च के बन्धनो से मुक्त करा कर उसके व्यक्तित्व का स्वतन्त्र रूप से विकास करना था। 
  • पुनर्जागरण की तीसरी विशेषता मानववादी विचारधारा थी। मध्ययुग में चर्च ने लोगों को बतलाया था कि इस दुनिया में जन्म लेना  घोर पाप है। 
  • अर्थात् मध्ययुग ने मनुष्य को इस जीवन का आनन्द उठाने से मना किया और परलोक को सुधारने पर बल दिया। इसके विपरीत पुनर्जागरण ने मनुष्य को इस जीवन का पूरा-पूरा आनन्द उठाने को कहा। मानव जीवन को सार्थक बनाने की शिक्षा दी। धर्म और मोक्ष के स्थान पर मानवता के उद्धार का सन्देश दिया।
  • पुनर्जागरण ने मनुष्य को इस पृथ्वी का श्रेष्ठ अभिमत माना और मानव जीवन को और अधिक सुखी सुन्दर तथा आनन्दमय बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। 
  • वस्तुतः पुनर्जागरण ने कशमकश करती हुई मानव जाति का यथार्थवादी संसार की समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित किया यही उसकी सबसे बड़ी विशेषता थी।
  • पुनर्जागरण की एक अन्य विशेषता देशज भाषाओं का विकास थी। अब तक केवल यूनानी तथा लेटिन भाषाओं में लखे गये ग्रन्थ को ही महत्वपूर्ण समझा जाता था। पुनर्जागरण ने लोगों की बोलचाल की भाषाओ को गरिमा एवं सम्मान दिया। क्योकि इन भाषाओं के माध् यम से सामान्य लोग बहुत जल्दी ज्ञानार्जन कर सकते थे। अपनी व्यक्तित्व का विकास कर सकते थे। अपने विचारों को सुगमता के साथ अभिव्यक्त कर सकते थे। 
  • देशज भाषा का प्रयोग रेनेसा का एक मुख्य लक्षण था। चित्रकला के क्षेत्र में पुनर्जागरण की विशेषता थी यथार्थ का चित्रण वास्तविक सौन्दर्य का अंकन विज्ञान के क्षेत्र में पुनर्जागरण की विशेषता थी- निरीक्षण, अन्वेषण जांच और परीक्षण,  इस वैज्ञानिक भावना ने मध्ययुगीन अन्य विश्वासों और मिथ्या विश्वासों को अस्वीकार कर दिया।

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