गांधी जयंती 2021 विशेष | महात्मा गाँधी की 152वीं जयंती |गांधी जयंती 2021 पर निबंध | Gandhi Jyanti 2021

 गांधी जयंती 2021 विशेष 
महात्मा गाँधी की 152वीं जयंती

गांधी जयंती 2021 विशेष | महात्मा गाँधी की 152वीं जयंती |गांधी जयंती 2021 पर निबंध | Gandhi Jyanti 2021



  • अहिंसा को अपना धर्म मानने वाले मोहनदास कर्मचंद गांधी स्वाधीनता संग्राम के राजनैतिक और आध्यात्मिक नेता थे। सत्याग्रह, अहिंसा और सादगी को ही एक सफल मनुष्य जीवन का मूल मंत्र मानने वाले गांधी जी के इन्हीं आदर्शों से प्रभावित होने के बाद रबिंद्रनाथ टैगोर ने पहली बार उन्हें महात्मा अर्थात महान आत्मा का दर्जा दिया था। गांधी जी ने अपना जीवन सत्य की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया था। अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने स्वयं अपनी गलतियों पर प्रयोग करना प्रांरभ किया। 
  • अपने अनुभवों को उन्होंने अपनी आत्मकथा माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथमें संकलित किया था। अंग्रेजी शासनकाल में गांधी जी के नेतृत्व में देशभर में महिलाओं के अधिकारों और धार्मिक एवं जातीय एकता को बढ़ावा देने के लिए कई आंदोलन चलाए गए। उन्होंने अस्पृश्यता को जड़ से समाप्त करने के लिए भी कई यात्राएं की। लेकिन विदेशी शासन से मुक्ति दिला भारत की जनता को आजाद कराना ही महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का सबसे प्रमुख लक्ष्य था। 
  • गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाए गए नमक कर के विरोध में 1930 में दांडी मार्च और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भारतीय स्वतंत्रा सेनानियों का नेतृत्व कर प्रसिद्धि प्राप्त की।


गांधी जयंती 2021 पर निबंध

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का जीवन परिचय

  • महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के नाम से लोकप्रिय मोहनदास कर्मचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर गुजरात में हुआ था। पोरबंदर उस समय ब्रिटिश शासन के अंतर्गत बंबई प्रेसिडेंसी का एक भाग था। उनके पैतृक घर को आज कीर्ति मंदिर के नाम से जाना जाता है। 


  • महात्मा गांधी के पिता कर्मचंद गांधी पोरबंदर राज्य के दीवान थे। उस समय समाज में बाल विवाह का प्रचलन था। इसी प्रथा का अनुसरण करते हुए बाल्यावस्था में ही महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा गांधी से संपन्न हुआ था। 


  • कस्तूरबा गांधी को महात्मा गांधी के अनुयायी और जनता बाके नाम से पुकारती थी। जब महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) पंद्रह वर्ष के थे तब उनकी पहली संतान का जन्म हुआ। लेकिन कुछ ही दिनों में उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना के एक वर्ष के भीतर ही मोहनदास कर्मचंद के पिता का भी निधन हो गया था। इसके बाद कस्तूरबा गांधी और महात्मा गांधी के चार पुत्र हुए।


महात्मा गांधी का विद्यार्थी जीवन 

  • एक औसत विद्यार्थी के तौर पर महात्मा गांधी ने पोरबंदर से प्राथमिक और राजकोट से हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। मोहनदास कर्मचंद का परिवार उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहता था। लेकिन वह पढ़ाई में ज्यादा रुचि नहीं रखते थे। इसीलिए कई परेशानियों के बाद उन्होंने भावनगर स्थित सामलदास कॉलेज से मैट्रिक की परीक्षा पास की। 4 सितंबर, 1888 को गांधी जी लंदन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर की ट्रेनिंग लेने के लिए इंगलैंड चले गए। 
  • लंदन में रहने के दौरान महात्मा गांधी ने अपने पहनावे और बोलचाल में विदेशी संस्कृति को ग्रहण कर लिया था लेकिन खान-पान के मामले में वह शुद्ध शाकाहारी ही थे। किंतु जल्द ही उन्हें अपनी माता के गुजर जाने का समाचार प्राप्त हुआ। उन्हें वापस भारत आना पड़ा।


महात्मा गांधी और दक्षिण अफ्रीका में नागरिक अधिकार आंदोलन (1893-1914)

  • वर्ष 1893 में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने दक्षिण अफ्रीका के औपनिवेशिक क्षेत्र नटाल स्थित एक भारतीय फर्म, दादा अब्दुल्ला एंड कंपनी में काम करने का एक वर्ष का करार किया। दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी भी भारतीयों के साथ होते भेदभाव के शिकार हुए। उन्हें ट्रेन का फर्स्ट क्लास टिकट होने के बावजूद थर्ड क्लास में यात्रा करने को कहा गया और ऐसा ना करने पर उन्हें चलती ट्रेन से धक्का दे दिया गया। दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए महात्मा गांधी ने रंग भेद की नीति के खिलाफ भी कई आंदोलन किए।


महात्मा गांधी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (1915-1945)

  • वर्ष 1915 में भारत लौटने के पश्चात महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) प्रतिष्ठित कांग्रेसी नेता गोपाल कृष्ण गोखले के संपर्क में आए। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में आम जनता के हितों को लेकर अपनी आवाज उठाते थे। 
  • वर्ष 1917 और 1918 में गांधी जी ने खाद्य वस्तुओं की अपेक्षा नील और गैर खाद्य वस्तुओं की खेती के विरोध में चंपारन और खेड़ा सत्याग्रह किया। इसके बाद गांधी जी ने अपने अनुयायियों समेत देशभर के लोगों को एकत्र कर अहिंसा पर बल देते हुए असहयोग आंदोलन की शुरूआत की। उन्होंने भारतीय नागरिकों को विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने और स्वदेशी चीजों को अपनाने पर जोर दिया। 
  • 1920 के दशक में गांधी जी की लोकप्रियता चरम पर थी। वर्ष 1930 में उन्होंने अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नमक कानून को तोड़ने के लिए डांडी यात्रा भी की। उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भारतीय स्वतंत्रा सेनानियों का नेतृत्व कर प्रसिद्धि प्राप्त की।


भारत विभाजन

  • जब कांग्रेस अंग्रेजी सरकार को भारत छोड़कर जाने के लिए विवश कर रही थी, तब मुसलमानों ने अपने लिए एक अलग राष्ट्र की मांग रख दी। 14 अगस्त की रात्रि को पाकिस्तान का निर्माण हुआ और 15 अगस्त की मध्य रात्रि को भारतीय स्वाधीनता की घोषणा हुई।


गांधी जी की हत्या

  • आजादी के एक वर्ष के भीतर ही 30 जनवरी, 1948 को प्रार्थना सभा के दौरान नाथू राम गोड्से नाम के एक हिंदू राष्ट्रवादी ने गोली मारकर महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की हत्या कर दी।

गांधी जी एक लेखक के रूप में

  • जन-मानस को अहिंसा का रास्ता दिखाने वाले गांधी जी एक अच्छे लेखक भी थे। कई दशकों तक महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) हरिजन नामक समाचार पत्र का गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में संपादन करते रहे। अपनी आत्मकथा माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ के अलावा महात्मा गांधी ने कई किताबें लिखी हैं। गांधी जी के समूचे साहित्यिक कार्य को भारतीय सरकार द्वारा द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी के अंतर्गत प्रकाशित किया गया है। प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को उनके जन्म दिवस को गांधी जयंती और अहिंसा दिवस के रूप में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।


महात्मा गाँधी के विचार

  • महात्मा गाँधी 20वीं सदी के एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने नैतिक मूल्यों के दम पर न केवल भारत बल्कि विश्व की कई समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया। इन्होनें अहिंसा, सत्य, प्रेम, शुचिता और ईमानदारी का प्रयोग कर भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाया। तत्कालीन समय के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने उनके मृत्यु पर कहा था कि आने वाली पीढ़ियां इस बात का मुश्किल से यकीन कर पाएंगी कि हाड़ मांस का कोई ऐसा व्यक्ति भी था जिसने अहिंसा का प्रयोग कर भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाया।


  • महात्मा गांधी ने अपनी किताब हिन्द स्वराज में बढ़ते हुए मशीनीकरण और वैश्वीकरण के खतरों के प्रति विश्व को आगाह किया था। आज जब भारत साम्प्रदायिकता, वैश्वीकरण,भीडतंत्र के कई दुष्प्रभावों को झेल रही है ऐसे में उनकी विचरधारा ही हमें राह दिखा सकती है महात्मा गांधी का जन्म भारत में, उनकी उच्च शिक्षा दिक्षा इंग्लैंड में और आजादी का संघर्ष दक्षिण अफ्रीका में हुआ।


  • कालान्तर में महात्मा गांधी से प्रेरणा लेते हुए नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग ने रंग भेद के खिलाफ विरोध की आवाज को बुलंद किया जो मानव इतिहास और सभ्यता में मिल का पत्थर साबित हुई महात्मा का जीवन किसी नदी की तरह था जिसमें अनगिनत धाराएं थीं शायद ही ऐसी कोई बात हो जिनपर उनका ध्यान ना गया हो और जिनके लिए उन्होंने कोई समाधान प्रस्तुत ना किया हो उनका मानना था कि भारत को सच्ची आजादी केवल अंग्रेजों से मुक्त होकर नहीं मिलेगी बल्कि अपने भीतर और अपने देश की समस्याओं को सुलझाकर ही सच्ची आजादी प्राप्त होगी।


  • इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए छुआछूत उन्मूलन,हिन्दू मुस्लिम एकता,चरखा, खादी को बढ़ावा,ग्राम स्वराज का प्रसार,प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा और चिक्तसिय ज्ञान के उपयोग सहित दूसरे उद्देश्यों पर भी काम करना जारी रखा उन्होंने अफ़्रीका में किए गए आजादी के संघर्ष से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन तक सत्याग्रह और अहिंसा को अपना मुख्य हथियार बनाया। सत्याग्रह का मकसद विरोधी में सकारात्मक परिवर्तन लाकर उसे सुलह के मार्ग पर अग्रसर करना था इसके लिए सहनशीलता, अनशन, निष्क्रिय प्रतिरोध, प्रदर्शन,धरना इत्यादि शामिल थे दरअसल गांधीवादी विचाधारा विरोधी या शत्रु से घृणा करना नहीं बल्कि उसके बुराइयों से घृणा करने की बात करता है।


  • समाज के अंतिम व्यक्ति की फ़िक्र करने वाले महात्मा गांधी ने ये बात जोर देकर कहीं थी की हम जैसा सोचते है वैसे ही बन जाते है इसलिए हमें अपनी इंसानी कमजोरियों से ऊपर उठना चाहिए ताकि हम एक स्वाबलंबी समाज की स्थापना कर सकें। एक दार्शनिक दृष्टि के महात्मा बुद्ध और उनके सिद्धांतों से बेहद प्रभावित थे बौद्ध धर्म के सत्य,अहिंसा और करुणा को उन्होंने सनातन माना उनके लिए राजनीति भी एक धर्म था जिसके लिए आदर्शो का होना आवश्यक था।


  • राम राज्य शब्द को लेकर हमेशा से ही एक विवाद बना रहा है कुछ विद्वान इसके प्रयोग को लेकर बचते रहे है लेकिन खुद महात्मा गांधी इसे लेकर हमेशा स्पष्ट और मुखर बने रहे। दांडी मार्च समय ऐसी ही भ्रांतियों के निवारण के लिए उन्हें 20 मार्च, 1930 को हिन्दी पत्रिका नवजीवनमें स्वराज्य और रामराज्यशीर्षक से एक लेख लिखना पड़ा था।


  • जिसमें गांधीजी ने कहा था- स्वराज्य के कितने ही अर्थ क्यों न किए जाएं, तो भी मेरे नजदीक तो उसका त्रिकाल सत्य एक ही अर्थ है, और वह है रामराज्य। यदि किसी को रामराज्य शब्द बुरा लगे तो मैं उसे धर्मराज्य कहूंगा। गांधी जी के लिए रामराज्य का अर्थ उस शासन वयवस्था से था जिसमें गरीबों की संपूर्ण रक्षा होगी, सब कार्य धर्मपूर्वक किए जाएंगे और लोकमत का हमेशा आदर किया जाएगा।


  • वर्तमान समय में व्याप्त विभिन्न समस्याओं का समाधान गंधिवाद के मूल में है चाहे वो जातिवाद हो,चाहे वो स्वच्छता हो,चाहे वो परमाणु अप्रसार इत्यादि हो,गांधी की इसी प्रासंगिकता को देखते हुए वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्म दिवस 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस घोषित किया।।लेकिन गांधी और गांधीवाद एक ऐसी प्रेरणात्मक शक्ति है जिसे है जीकर समझा जा सकता है।शायद इसीलिए गांधी जी ने कहा था कि मेरा जीवन ही संदेश है।

 

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