सेवाओं में व्यापार |Business in services in Hindi

सेवाओं में व्यापार

सेवाओं में व्यापार |Business in services in Hindi


 

सेवाओं में व्यापार

  • परंपरागत रूप में व्यापार का अर्थ वस्तुओं में व्यापार से होता है किंतु विनिर्माण में देखे गए कार्यों के उसी विभाजन ने सेवाओं में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को विकसित करने की अपनी भूमिका निभाई है। वास्तव में कुछ सेवाएँ उपभोक्ता को मौके पर ही दी जा सकती हैं। सफाई या खाना पकाना या बाल काटने की सेवाएँ केवल निर्धारित स्थान पर ही दी जा सकती हैं अर्थात् उन सेवाओं का व्यापार नहीं होता है। किंतु अनेक सेवाएँ विदेशी श्रमिकों द्वारा या विदेशी विनियोग द्वारा कुछ दूरी पर प्रदान की जा सकती हैं।

 

  • डब्ल्यू.टी.ओ. के अंतर्गत सेवाओं में व्यापार पर सामान्य सहमति (जी.ए.टी.एस.) सेवाओं में तीन प्रकार के व्यापार को स्वीकार करता है। एक प्रकार विदेशी कंपनियों द्वारा किसी ऐसे देश में विनियोग करना जिसमें सेवाएँ प्रदान की जानी होती हैं। दूसराप्रकार किसी विदेशी स्थान पर सेवा को समुद्र पार प्रदान करना होता है। इसका एक अच्छा उदाहरण कॉल सेंटर है जो भारत के कई शहरों में उभर कर आए हैं तथा उपभोक्ताओं की पूछताछ एवं उनसे आर्डर लेने की सेवाएँ प्रदान करते हैं। तीसरे प्रकार की सेवा वह गमन है जिसे कानूनी शब्दावली में प्राकृतिक व्यक्ति कहा है जो प्रवास का अन्य शब्द है।

 

  • भारतीय फर्मों ने सेवाओं में विश्व व्यापार में मजबूत उपस्थिति बना ली है। भारतीय फर्मे अनेक प्रकार के समुद्र पार के कार्य करती हैं वे सरल उपभोक्ता सेवा केंद्र से लेकर लेखांकन सेवाएँ एवं विभिन्न व्यावसायिक कार्य करती हैं जिन्हें व्यवसाय प्रक्रिया बहिस्रतीकरण (बी.पी.ओ.) सेवा के नाम से जाना जाता है। इन्हें आई.टी. सक्षमकृत सेवा (आई.टी.ई.) भी कहा जाता है क्योंकि वे आई.टी. एवं संचार तकनीक पर महत्त्वपूर्ण रूप से निर्भर करते हैं।

 

  • वास्तव में TCS एवं Infosys जैसी बड़ी भारतीय IT कंपनियां IT सेवाओं के वैश्विक पूर्ति के समुद्रपारीय मॉडल (of shoring model ) में अग्रणी बन गयीं। उन्होंने IT सेवाओं को उन संघटनों में विभाजित किया जो इन विभिन्न स्थानों पर किये जा सकें तथा उसके बाद उन्हें ग्राहकों को पूर्ति करने के लिए समन्वित किया जा सकें। इस प्रकार उन्होंने भली-भाँति निपुण एवं सस्ते भारतीय पेशेवरों का उपयोग लागत लाभ प्राप्त करने के लिए किया। जैसे-जैसे भारतीय फर्मों ने IT सेवाओं में अंश प्राप्त करना प्रारंभ किया, IBM एवं Accenture जैसी बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने भारतीय कंपनियों के लागत लाभ को समाप्त करने के लिए अपनी इकाइयाँ स्थापित करके विरोध किया।

 

  • जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है कि भारतीय फर्मों का II एवं IBM सेवाओं में विश्व व्यापार का पर्याप्त अंश है। इसके भारतीय निर्यातों एवं GDP में योगदान में गति से वृद्धि हो रही है। इन निर्यात सेवाओं में अत्यधिक योग्य पेशेवरों एवं न्यूनतम अंग्रेजी का ज्ञान रखने वाले स्नातकों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त है। रोजगार की कुल मात्रा भी बहुत सीमित है जो कुल मिलाकर 5 मिलियन से अधिक नहीं है। किंतु यह IT सेवाओं की पूर्ति में भारतीय फर्मों की सफलता ही है जिन्होंने भारत को विश्व मानचित्र पर एक बढ़ती हुई शक्ति के रूप से स्थापित कर दिया है।

 

  • IT सेवाओं के व्यापार में भारत की सफलता में व्यापार नीति ने कितना योगदान कियाप्रारंभ में 1980 के दशक में भारत की व्यापार नीति ने वास्तव में इस विकास में अवरोध उत्पन्न किया क्योंकि आवश्यक कंप्यूटरों का आयात दुर्वहनीय एवं महँगा दोनों ही था। किन्तु 1991 में इन आयात प्रतिबंधों को दूर कर देने से अत्यधिक अंतर उत्पन्न हो गया तथा उन्होंने वास्तव में सेवाओं के निर्यातों में तीव्र गति से वृद्धि की।

 

  • भारत का सेवाओं में व्यापार IT एवं ITES सेवाओं तक ही सीमित नहीं है। प्रवास के माध्यम से भी पर्याप्त योगदान हुआ हैं। प्रवास दो धाराओं में हुआ है। एक तो पेशेवर लोगों का विकसित देशों की ओर हुआ है तथा दूसरा निपुण श्रमिकों का मुख्य रूप से पश्चिम एशिया की ओर हुआ है। पहले का प्रायः प्रचार होता है। किंतु दूसरा भी श्रमिकों द्वारा धनराशि प्रेषण के रूप में महत्त्वपूर्ण होता है। वास्तव मेंभारत विश्व में धनराशि प्रेषण से सर्वाधिक लाभान्वित होने वाले देशों में से एक है। लगभग $10 बिलियन प्रति वर्ष धनराशि प्रेषण ने भारत के ऋणात्मक व्यापार संतुलन को पूरा करने में सहायता की है। ऋणात्मक व्यापार संतुलन का अर्थ वस्तुओं का निर्यात वस्तुओं के आयातों की अपेक्षा कम होने से होता है।

 

  • पर्यटन एक पुरातन प्रकार का सेवा निर्यात हैं जिसमें विदेशी पर्यटक भारत में अपनी मुद्रा व्यय करते हैं। इसमें पिछले दशक से बहुत तीव्र गति से वृद्धि होती रही है जिसमें विकसित देशों में वित्तीय संकट होने से थोड़े समय के लिए कमी आयी है। भारत एवं विकसित देशों में प्रदान की जाने वाली समान सेवाओं की बहुत भिन्न कीमतों के प्रत्युत्तर में मौके पर सेवा प्रदान करने के नये रूप उत्पन्न हो रहे हैं। सर्वोच्च स्थान पर उच्च गुणवत्तायुक्त अस्पतालों एवं सुशिक्षित चिकित्सकों के होने से भारत चिकित्सा संबंधी पर्यटन का एक नया स्थान बन गया है।

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