पंडित जवाहरलाल नेहरू के लोकतांत्रिक समाजवाद के सम्बन्धित विचार | Nehru Ke Lok Tantrik Samajvaad Ke Vichar

 पंडित जवाहरलाल नेहरू के लोकतांत्रिक समाजवाद के सम्बन्धित विचार

पंडित जवाहरलाल नेहरू के लोकतांत्रिक समाजवाद के सम्बन्धित विचार | Nehru Ke Lok Tantrik Samajvaad Ke Vichar


 

  • मनुष्य अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए अनेक प्रकार के नियम और मान्यताएँ बनाता आया हैजिनका उसके साथ अटूट सम्बन्ध होता है ठीक उसी प्रकार राजनीति शास्त्र में राजव्यवस्था के संचालन हेतु अनेक विचारधाराएं प्रतिपादित की गई हैजिनका प्रमुख उद्देश्य राज्य के उद्देश्य को साकार रूप प्रदान करना है। इन विचाराधाराओं का अपना एक विशेष महत्व होता है। 


  • राजनीति शास्त्र का इतिहास बताता है कि कोई भी विचारधारा एक लम्बे अरसे तक अपना "वजूद" कायम नहीं रख पाई है। 
  • नेहरू ने भारत की सामाजिकराजनैतिकआर्थिक असमानताशोषण अन्याय आदि उपहार स्वरूप मिले ये समस्याएं नव स्वतंत्र भारत के लिए घातककारी थी। जन इच्छाओं और आंकाक्षाओं को ध्यान में रखकर लोकतंत्र की स्थापना की गई। लेकिन लोकतंत्र की सफलता के लिए प्रथम इन आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पाना था अतः नागरिकों के राजनीतिक अधिकारों एवं स्वतंत्रता के साथ-साथ आर्थिक स्वतंत्रता एवं समानता को सुनिश्चित करना था।


 नेहरू के लोकतांत्रिक समाजवाद के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए ?
नेहरु के अनुसार लोकतांत्रिक समाजवाद का अर्थ एवं प्रकृति


लोकतांत्रिक समाजवाद का अर्थ एवं प्रकृति

लोकतांत्रिक समाजवाद दो शब्दों से मिलकर बना है। लोकतंत्र और समाजवादलोकतंत्र स्वतंत्रता व समानता पर आधारित होता है। लेकिन देश की अधिकांश जनसंख्या गरीब व पिछड़ी होने के कारण वे अपने राजनीतिक अधिकारों का उचित प्रयोग नहीं कर सकते। परिणामस्वरूप आर्थिक स्वतंत्रता समानताबन्धुत्व एवं सुरक्षा के अभाव में राजनीतिक अधिकार निरर्थक सिद्ध होते है। समाजवादआर्थिक समानता और न्याय पर आधारित होता है।

 

नेहरू के लोकतांत्रिक समाजवाद के प्रमुख सिद्धान्त

 

1 लोकतंत्र तथा समाजवाद की पास्परिकता

  • पं. जवाहरलाल नेहरू एक राजनीतिक व्यवस्था स्थापित करना चाहते थे जिसमें नागरिकों को राजनीतिक स्वतंत्रता एवं अधिकार मिलेसाथ ही समाजवादी के माध्यम से वे आर्थिक समानता तथा न्याय की अवधारणा स्थापित करना चाहते थे। इन दोनों अवधारणाओं को लागू करने के लिए लोकतंत्र तथा समाजवाद के समन्वय पर बल दिया। इस प्रकार लोकतांत्रिक समाजवाद को अपनाने से जनता के राजनीतिक अधिकारों की मान्यताआर्थिक तथा सामाजिक न्यायसंसाधनों का न्याय पूर्ण वितरण तथा उत्पादन व वितरण की न्याय संगत प्रणाली को सुनिश्चित किये जाने पर एकता बल दिया।

 

2 समस्याओं का समाधान

भारत को आजादी के साथ अनेक समस्याएँ मिली थी जिनका समाधान करना करना राष्ट्रीय विकास के लिए बहुत जरूरी था। गरीबीबेरोजगारीपिछड़ापनविषमतादोषपूर्ण सामाजिक ढांचा इत्यादि मुँह लगाए खड़ी थी। इन सबको ध्यान में रखते हुए पं. नेहरू के समाधान करके राष्ट्र का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।

  • लोकतंत्र की सफलता सुनिश्चित हो सकती है। 
  • समतावादी समाज की स्थापना सम्भव है। 
  •  विकास के समान अवसर सुलभ हो सकते है। 
  • बुनियादी समस्याओं का समाधान सम्भव हो सकता है। 
  • आर्थिक क्षेत्र के विकेन्द्रीकरण को प्रोत्साहन । 
  • भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक बनने का गौरव दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका लोकतांत्रिक समाजवाद की ही रही है।

 

3 समाजवाद के गतिशील स्वरूप का समर्थन

  • नेहरू ने अपने इन्दौर भाषण में कहा था कि मै समाजवाद को एक उन्नतशीलगतिशील अवधारणा के रूप में देखता हूंमैं इसे कठोर अवधारणा के रूप में नहीं देखता। मैं इसे एक ऐसी अवधारणा के रूप में देखता हूं जिसे प्रत्येक देश में मानव जीवन की परिस्थितियों के अनुकूल होना चाहिए। मेरा विश्वास है कि समाजवाद की अनेक किस्में हो सकती हैं। मैं नहीं समझता हूं कि मुझे समाजवाद को संक्षिप्तकठोर शब्दों में परिभाषित करने के लिए क्यों कहा जाना चाहिएमैं चाहता हूं कि भारत में भी सभी व्यक्तियों को अपनी क्षमताओं के अनुसार कार्य के समान अवसर मिलने चाहिए- लोकतांत्रिक ढंग से समाजवाद को लाने में समय तो लगेगा ही।

 

4 संवैधानिक साधन

  • पं. नेहरू का लोकतांत्रिक साधनों में अटूट विश्वास था इसीलिए उनका मानना था कि लोकतांत्रिक समाजवाद की स्थापना साम्यवादियों की भांति हिंसा या क्रांति के द्वारा न होकर शांति पूर्ण तरीकों से होगी। उनका मत था कि केवल संवैधानिक साधन ही वे स्त्रोत है जिनको अपनाकर जिस व्यवस्था को अपनाया जाता है। वह व्यवस्था सर्वमान्य व सर्वप्रिय भी होती है और उसके परिणाम भी सार्थक भी प्राप्त होते हैं।

 

5 समतावादी समाज

  • समतावादी समाज वह होता है जिसमें समाज के तमाम लोगों को बिना किसी भेद-भाव के समान अवसर प्रदान किये जाते हैं और इसमें समाज में व्याप्त गरीब-अमीर की बीच की खाई को पाटने का काम किया जाता है। इनकी आवश्यकता भारत को थी। इसी को मद्देनजर रखते हुए पं. नेहरू ने लोकतांत्रिक समाजवाद की अवधारणा को अपनाया।

 

6 लोक कल्याणकारी राज्य

  • लोकतांत्रिक समाजवाद लोक कल्याणकारी राज्य के औचित्य को स्वीकार करता है। जिसमें मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक सम्पन्न होने वाली तमाम जन उपयोगी क्रियाओं का संचालन तत्परता के साथ किया जाता है। इस स्वरूप पर आधारित राज्य में मनुष्य से संबंधित सभी पहलू होते है। जो लोकतांत्रिक समाजवाद के मूल उद्देश्य आर्थिक एवं राजनीतिक स्वतन्त्रता तथा समानता को प्राप्त करने में सहायक होता है।

 

7 आर्थिक विकास में जनता की भागीदारी पर बल

  • पं. नेहरू का मानना था कि कोई भी राज्य अपनी आर्थिक उन्नति जनता की सहभागिता के बिना नहीं कर सकता। अतः जनता की स्वतन्त्र तथा सार्थक भूमिका सुनिश्चित की जाए। आर्थिक योजनाओं का मूलभूत उद्देश्य किसी वर्ग विशेष के हितों को प्रोत्साहन देना नहीं अपितु सारी जनता के कल्याण व जीवन स्तर में उन्नति को सुनिश्चित करना हो ।

 

8 लोकतांत्रिक मूल्यों में दृढ़ विश्वास

  • नेहरू का लोकतंत्र के मूल्य या मूल आधार "स्वतन्त्रतासमानता एवं विश्व बन्धुतव में दृढ़ आस्था थी। इसीलिए उनका मत था कि बहुत का समर्थन प्राप्त करके ही समाजवाद लाया जा सकता है। नेहरू समाज का अर्थ किसी को हानि पहुँचाना या किसी चीज को नष्ट करना नहीं। नेहरू ने अपने सभी कार्यों एवं विचारधारा को लागू करने के लिए लोकतांत्रिक ढंग से कानून द्वारा शांतिमय साधनों से सम्पन्न करने की कोशिश की।

 

9 मिश्रित अर्थव्यवस्था

  • पं. नेहरू लोकतांत्रिक समाजवाद में अर्थव्यवस्था का स्वरूप मिश्रित अपनाया गया। जिसमें एक ऐसा आर्थिक ढांचा कायम किया जाता है जो पूंजीवाद तथा समाजवाद दोनों के गुणों पर आधारित होता है। उनका मत था कि भारत की तत्कालीन परिस्थितियों हमें ऐसा करने को प्रेरित करती है। क्योंकि केवल पूंजीवाद या समाजवाद को अपनाकर भारत का विकास नहीं कर सकता।

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