शिवाजी का उत्थान | Rise of Shivaji

शिवाजी का उत्थान | Rise of Shivaji

शिवाजी का उत्थान | Rise of Shivaji    बीजापुर से संघर्ष Bijapur Sangarsh


 

बीजापुर से संघर्ष Bijapur Sangarsh

 

  • आपसी फूट से त्रस्त और मुगलों से अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए निरन्तर संघर्षरत बीजापुर राज्य की अपने दूरस्थ क्षेत्रों पर पकड़ बहुत कमज़ोर हो गई थी।
  • शाहजी भोंसले के पुत्र शिवाजी ने अपने पिता की पूना की जागीर में रहकर अपने साथियों के साथ अपने साहसिक अभियान का प्रारम्भ बीजापुर राज्य के दूरस्थ तथा असुरक्षित किलों को जीतकर प्रारम्भ किया। 
  • शिवाजी ने समर्थ गुरु रामदास को अपना मार्गदर्शक माना। महाराष्ट्र धर्म में दीक्षित होकर उनकी प्रेरणा से शिवाजी ने हिन्द स्वराज्यके स्वप्न को साकार करने का बीड़ा उठाया था। 
  • शिवाजी की साहसिक सैनिक टुकड़ी छापामार युद्ध में निष्णात थी। असावधान शत्रु पर अचानक हमला करना और शत्रु को प्रबल देखकर स्वयं मैदान छोड़कर किसी सुरक्षित स्थान पर जा छुपने की कला शिवाजी के उत्थान में सहायक सिद्ध हुई।
  • शिवाजी को अपने अभियान में घोरपदेमोरेमनेससावन्त तथा अन्य मराठा सरदारों का कोई सहयोग नहीं मिला परन्तु उन्होने मोरे पिंगलेअन्नाजी दत्तानीराजी पन्तदत्ताजी गोपीनाथ रासोजी सोमनाथरघुनाथ पन्तनेताजी पाल्कर और तानाजी मल्सूरे प्रमुख को साथ लेकर अपना विजय अभियान शुरू किया। 
  • सन् 1646 की वर्षा ऋतु में उन्होंने तोरना का किला जीत लिया। इस किले में प्राप्त खजाने की मदद से उन्होंने अपनी सैनिक शक्ति में वृद्धि की। कुछ समय बाद उन्होंने कोण्डाना तथा पुरन्दरलौहगढ़राजमाचीराइवी तथा अन्य छह बीजापुरी किलों पर भी अधिकार कर लिया। 
  • शिवाजी की गतिविधियों से क्रुद्ध बीजापुर के सुल्तान ने उनके पिता शाहजी को कैद कर लिया किन्तु शिवाजी ने मुगलों की सहायता से उन्हें मुक्त करा लिया। 
  • शिवाजी ने सन् 1655 में जावली पर अधिकार कर लिया। 
  • मुगल बीजापुर संघर्ष फिर से प्रारम्भ होने का लाभ उठाकर उन्होंने जन्जीरा तथा प्रतापगढ़ पर अधिकार कर लिया।
  • सन् 1659 में उन्होंने बीजापुर के विख्यात सेनानायक तथा वाई के सूबेदार अफ़ज़ल खाँ को नाटकीय ढंग से मार डाला। 
  • सन् 1662 तक उन्होंने मन्धोलपन्हाला तथा सावन्तवादी पर अधिकार कर लिया।

 

शिवाजी और मुगलों संघर्ष 

 

  • कल्याण पर मुगल अधिकार हो जाने के बाद शिवाजी और मुगलों संघर्ष प्रारम्भ हो गया। 
  • मुगल दक्षिण के सूबेदार शायिस्ता खाँ ने सन् 1663 में शिवाजी से और पूना किन्तु शिवाजी ने अप्रैल, 1663 में उस पर रात में अचानक हमला कर उसे भारी नुक्सान पहुंचाया। 
  • सन् 1664 में उन्होंने प्रसिद्ध मुगल व्यापारिक केन्द्र सूरत को लूटा । परन्तु मिर्ज़ा राजा जयसिंह ने शिवाजी को पराजित कर सन् 1665 में मुगलों से पुरन्दर की अपमानजनक सन्धि करने के लिए विवश किया। 
  • अपने आधे से अधिक किलों को सौंपने के साथ मुगलों की आधीनता स्वी करने और स्वयं बादशाह के दरबार में उपस्थित होने के लिए शिवाजी को तैयार होना पड़ा।
  • सन् 1666 में शिवाजी का दिल्ली दरबार में औरंगज़ेब के सामने उपस्थित होनादरबार में मान-सम्मान न पाने के कारण कुपित होकर दरबार से चले जानाउनकी गिरफ़्तारीफिर उनको आगरा के किले में की जेल में रखा जाना और फिर वहां से उनका निकल भागकर अपने राज्य लौट जाना इतिहास के सबसे रोमांचक प्रसंगों में गिना जाता है।
  • शिवाजी ने दकिन लौटकर वहां के मुगल सूबेदार शहज़ादा मुअज्ज़म के साथ सुलह कर अपनी शक्ति को पुनर्संगठित करने में कुछ वर्ष व्यतीत किए। परन्तु बरार पर सन् 1670 में किए गए मु आक्रमण से मुगल-मराठा सम्बन्ध फिर बिगड़ गए।
  • शिवाजी ने सन् 1670 में सूरत को दुबारा लूटा। उन्होंने पुरन्दर की सन्धि में जो किले मुगलों को सौंपे थे उन्हें उनसे फिर वापस जीत लिया।

 

शिवाजी का राज्याभिषेक Shivaji Ka Rajya Abhishekh

 

  • मार्च, 1674 में शिवाजी ने पूर्ण सम्प्रभुता प्राप्त छत्रपति के रूप में वैदिक रीति से अपना राज्याभिषेक करवा कर 'हिन्द स्वराज्यकी स्थापना के अपने तथा अपने मार्गदर्शक समर्थगुरु रामदास के स्वप्न को साकार किया। 
  • शिवाजी के साम्राज्य का क्षेत्रफल बहुत अधिक नहीं था और न ही चारों ओर मुगलबीजापुरजन्जीरा के सिद्दियों और तंजावुर स्थित अपने ही भाई व्यंकोजी जैसे शत्रुओं से घिरे होने के कारण वह सुरक्षित था किन्तु जिन प्रतिकूल परिस्थितियों में यह राज्याभिषेक हुआ उसके बल पर शिवाजी ने मराठों को ही नहीं अपितु समस्त हिन्दू जाति को गौरवान्वित किया।

 

शिवाजी का कर्नाटक अभियान

 

  • सन् 1677 में शिवाजी ने गोलकुण्डा राज्य के मन्त्रियों मदन्ना तथा अकन्ना के माध्यम से गोलकुण्डा के सुल्तान से सन्धि कर बीजापुर राज्य पर अधिकार कर उसे आपस में बांटने हेतु अपना कर्नाटक अभियान प्रारम्भ किया। 
  • शिवाजी ने जिन्जीमदुराईवेल्लूर और तिरुवाड़ी सहित कर्नाटक व तमिलनाडु के लगभग 100 किलों पर अधिकार कर लिया। उन्होंने समुद्र तटीय क्षेत्र तक साम्राज्य विस्तार करने के लिए गोआ के पुर्तगालियों से भी संघर्ष किया और सिद्दियों से जन्जीरा का टापू छीन लिया।

 

शिवाजी के उत्थान के कारण Shivaji ke Uthan Ke Karan

  • 1. 12 अप्रैल, 1680 में अपनी मृत्यु के समय तक शिवाजी एक महान साम्राज्य निर्माता के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे। एक जागीरदार के उपेक्षित पुत्र के रूप में अपने राजनीतिक एवं सैनिक जीवन का प्रारम्भ करने वाला एक किशोर तीन दशकों में छत्रपति के रूप में एक महान साम्राज्य निर्माता बन बैठा। इस सफलता के पीछे शिवाजी का अपनी साहसिक प्रवृत्तिवीरताचतुरतातत्परताअवसरवादिता व महत्वाकांक्षा तो थी ही साथ ही साथ उन्हें उनके वफ़ादार साथियों का पूर्ण सहयोग भी लक्ष्य प्राप्ति में उनका सहायक रहा था।

 

  • 2. शिवाजी औरंगज़ेब की धार्मिक उत्पीड़न की नीति का प्रबल विरोध कर स्वयं को हिन्दुओं के रक्षक के रूप में प्रस्तुत करने में सफल रहे। उन्होंने 'हिन्द स्वराज्यकी स्थापना का सपना दिखाकर समस्त देश के हिन्दुओं की सद्भावनाएं प्राप्त कर ली थीं। भूषण जैसे कवि अपने काव्य के माध्यम से उन्हें हिन्दुओं के पुनरोद्धारक के रूप में प्रस्तुत करते रहे। अपनी इस छवि के कारण उन्हें मुगलों के विरुद्ध अप्रत्यक्ष रूप से राजपूतों का भी सहयोग मिला। आगरा के किले से भाग निकलने में उन्हें मिर्ज़ा राजा जयसिंह के पुत्र रामसिंह का सहयोग प्राप्त हुआ था।

 

  • 3. अपने सीमित संसाधनों को ध्यान में रखकर शिवाजी ने कभी भी आमने-सामने युद्ध करने की रणनीति नहीं अपनाई दुर्गम मार्गजंगली पहाड़ियों से घिरा असुरक्षित क्षेत्र असावधान शत्रु पर अचानक हमला करने के लिए सबसे अनुकल स्थान था। शिवाजी की गुरिल्ला रणनीति ने उनको सफलता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सहयाद्रि की चट्टानों में प्रबल शत्रु से अपनी रक्षा करने में वहां के किलों और जंगलों ने भी शरण-स्थल के रूप में उनकी सहायता की।

 

  • 4. शिवाजी का उत्थान दक्षिण भारत की अराजकतापूर्ण स्थिति के कारण सम्भव हुआ था। विघटित होते हुए बीजापुर राज्य की दुर्बलताओं का लाभ उठाकर उन्होंने अपनी शक्ति बढ़ाई और फिर दकिन में मुगलों की आपसी फूट तथा इस क्षेत्र से उनकी अनभिज्ञता का लाभ उठाकर अपना साम्राज्य स्थापित किया।

 

  • 5. शिवाजी ने अपनी नौ-सेना का विकास कर पुर्तगालियों तथा सिद्दियों का मुकाबला किया और अपना साम्राज्य समुद्र तट तक विस्तृत करने में सफलता प्राप्त की।

  • 6. शिवाजी ने अपने प्रभाव क्षेत्र में चौथ वसूल कर अपने संसाधनों में वृद्धि की। उनकी सेना बरसात का मौसम छोड़कर शेष समय अभियानों में व्यस्त रहती थी। मुख्यतया लूट में प्राप्त धन से ही शिवाजी के राज्य का खर्चा चलता था।

 

  • 7. छत्रपति के रूप में शिवाजी ने उदार धार्मिक नीति अपनाकर सभी धर्मावलम्बियों को अपने-अपने धर्म का पालन करने की स्वतन्त्रता प्रदान की। उन्होंने निष्पक्ष न्याय व्यवस्था स्थापित करने का प्रयास किया। प्राचीन हिन्दू शासकों तथा मुगल शासकों के प्रशासन से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपना प्रशासन स्थापित किया। उन्होंने व्यापारवाणिज्य और कृषि विकास को महत्व देकर राज्य के संसाधनों में वृद्धि करने में सफलता प्राप्त की। औरंगज़ेब की नज़र में एक दकिनी पहाड़ी चूहा अपने बल कब पर एक महान साम्राज्य निर्माता बन बैठायह कौतूहल भरा प्रश्न इतिहास के विद्यार्थियों को आज भी अचंभित करता है।

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