मराठों की न्याय व्यवस्था The judicial system of the Marathas

मराठों की  न्याय व्यवस्था The judicial system of the Marathas

मराठों की  न्याय व्यवस्था The judicial system of the Marathas


 

  • पेशवाओं के काल में कोई विधि-सम्मत न्याय व्यवस्था नहीं थी। 
  • फ़ौजदारी तथा दीवानी मामलों में परम्रारानुसार तथा न्यायकर्ता के विवेक पर न्याय किया जाता था। 
  • दण्ड-व्यवस्था में प्राणदण्ड नहीं था किन्तु देशद्रोह जैसे अपराधों के लिए अंग-भंग की व्यवस्था थी।

 

मराठों की पुलिस 

 

  • बड़े नगरों में कोतवालप्रान्तों में मामलतदारजिलों में कामविष्कार तथा गांवों में पाटिल पुलिस का काम देखते थे।

 

मराठों का सैन्य प्रशासन

 

  • शिवाजी की सेना पर केन्द्रीय सत्ता का नियन्त्रण था किन्तु पेशवाओं के काल में विभिन्न सरदारों की अपनी-अपनी निजी सेनाए होती थीं जिनका कि रख-रखाव सरदार अपनी-अपनी जागीरों से करते थे। 
  • पेशवा काल में सैनिकों के प्रशिक्षण हेतु विशेष प्रयास नहीं किए गए थे किन्तु महादजी सिंन्धिया जैसे प्रगतिशील सरदारों ने अपने सैनिकों को फ्रांसीसी सैन्य विशेषज्ञों से प्रशिक्षि कराया था। मराठों की सेना में विदेशी सैनिकों की भर्ती भी की जाने लगी थी।
  • मराठा सैनिक अभियानों में पिण्डारी लुटेरे भी लूट करने के लिए उनके साथ जाते थे। पेशवाकाल में सैनिक अनुशास में कमी आई थी। सेनानायकों तथा सैनिकों का जुझारूपन समाप्त हो गया था और वो विलासी हो गए थे। 
  • सैनिक अभियानों में प्रायः महिलाओं को भी ले जाया जाने लगा था। पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की पराजय का एक बड़ा कारण सैनिक खेमे में महिलाओं की उपस्थिति थी। 
  • सैनिकों के पास हथियारों की कमी होने लगी थी और उनकी आत्मरक्षा के समुचित साधन नहीं थे। अभियानों के लिए रसद की व्यवस्था अक्षम थी। 
  • पेशवाओं के काल में नौ-सेना के संगठन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इस कारण समुद्री शक्ति में बेजोड़ अंग्रेज़ों का मुकाबला करने में उन्हें असफलता मिली। 
  • पेशवा माधवराव प्रथम के बाद मराठा सेना का पतन प्रारम्भ हो गया फिर भी दीर्घ काल तक मराठे भारत की प्रमुख सैनिक एवं राजनीतिक शक्ति बने रहे।

 

पेशवाकालीन प्रशासन का आकलन Assessment of Peshwa administration

 

  • मराठों की छवि लुटेरों की थी न कि कुशल प्रशासकों की। 
  • मराठों का राज्य क्रीग स्टैट (युद्ध द्वारा अर्जित आय पर आधारित राज्य) था। इस काल में प्रशासनिक सुव्यवस्था का अभाव था। 
  • पेशवा माधराव प्रथम की मृत्यु के बाद प्रशासन में अराजकता व्याप्त हो गई थी और अनाचार बहुत बढ़ गया था। 
  • पेशवाकालीन सैन्य प्रशासन दोषपूर्ण था। पेशवाओं के शासनकाल में न तो शान्ति और व्यवस्था थी और न ही प्रजा सुखी थी।

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