मध्यप्रदेश में नगरीय स्थानीय स्वशासन | Urban Local Self Government in Madhya Pradesh

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मध्यप्रदेश में नगरीय स्थानीय स्वशासन

  • मध्य प्रदेश के पुनर्गठन के पश्चात् प्रथम नगर पालिका अधिनियम 1956 लागू किया गया और नगर निगमों का गठन किया गया ।
  • वर्ष 1957 में नगर निगम संरचना को सुदृढ़ बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित समिति द्वारा वर्ष 1958  में प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 पारित किया गया।
  • 74 वें संविधान संशोधन 1992 के द्वारा नगरीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। मध्यप्रदेश इस अधिनियम का पालन करने वाला प्रथम राज्य है।
  • 74 वें संविधान संशोधन के क्रियान्वयन हेतु मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1994 पारित किया गया। इस अधिनियम के अंतर्गत मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय नगरीय निकाय की व्यवस्था की गई।

नगर निगम

  • एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों में नगर निगम स्थापित किये जाते हैं। जिसमें सदस्यों की संख्या 40 से 70 होती है। एवं इसके अतिरिक्त राज्य सरकार 6 विशेषज्ञ सदस्यों को मनोनीत किया जाता है और उस क्षेत्र के विधायक तथा सांसद नगर निगम के पदेन सदस्य होते हैं।
  • नगर निगम के अध्यक्ष महापौर एवं सदस्यों (पार्षदों) को जनता द्वारा प्रत्यक्षतः एवं स्पीकर को अप्रत्यक्ष रूप से पार्षदों द्वारा निर्वाचित किया जाता है। नगर निगम का मुख्य कार्यकारी अधिकारी नगर निगम आयुकत होता है। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 16 नगर निगम हैं।

मध्य प्रदेश में नगर निगम


क्रमांक नगर निगम 
01 इंदौर
02 भोपाल
03 जबलपुर
04 ग्वालियर
05 सागर
06 रीवा
07 उज्जैन
08 खंडवा
09 बुरहानपुर
10 रतलाम
11 देवास
12 सिंगरौली
13 कटनी
14 सतना
15 छिंदवाड़ा
16 मुरैना
17 भिण्ड प्रस्तावित
18 दतिया प्रस्तावित

नगर पालिका

  • 50 से अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में नगर पालिका स्थापित की जाती है। जिसकी सदस्य संख्या 15से 40 होती है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा मनोनीत 4 विशेषज्ञ सदस्यों एवं उस क्षेत्र के सांसद व विधायक नगर पालिका के पदेन सदस्य होते हैं।
  • नगर पालिका अध्यक्ष एवं पार्षद प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा एवं उपाध्यक्ष पार्षदों द्वारा निर्वाचित होता है। मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिका का मुख्य कार्यपालन अधिकारी होता है। वर्तमान में मध्य प्रदेश में 98 नगर पालिकाएं हैं।

नगर परिषद

  • 20 हजार से अधिक जनसंख्या वाले ऐसे क्षेत्र में जो गांव से नगर में परिवर्तित हो रहे हैं, उनमें नगर परिषद गठित की जाती है। इसकी सदस्य संख्या 15 से 40 होती है। तथा राज्य सरकार द्वारा दो विशेषज्ञ सदस्य मनोनीत किए जाते हैं एवं संबंधित क्षेत्र के विधायक नगर परिषद के पदेन सदसय होते हैं।
  • इसके अध्यक्ष तथा पार्षद प्रत्यक्षतः जनता द्वारा जबकि उपाध्यक्ष पार्षदों द्वारा निर्वाचित होते हैं। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 264 नगर परिषदें हैं।

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