डोंगरिया कोंध जनजाति महत्वपूर्ण तथ्य | Dongria Kondh Tribe Fact

डोंगरिया कोंध जनजाति महत्वपूर्ण तथ्य  

(Dongria Kondh Tribe Fact )

डोंगरिया कोंध जनजाति महत्वपूर्ण तथ्य | Dongria Kondh Tribe Fact



डोंगरिया कोंध जनजाति महत्वपूर्ण तथ्य

  • ओडिशा के नियामगिरि पहाड़ियों में निवासरत डोंगरिया कोंध एक विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) हैं, जो प्रकृति के साथ अपने आध्यात्मिक बंधन और विशिष्ट संस्कृति के लिये जाने जाते हैं। 
  • डोंगरिया कोंध जनजाति के लोग  पहाड़ियों के देवता नियम राजा की पूजा करते हैं और पोडु (स्थानांतरित) खेती जैसी परंपराओं का पालन करते हैं।
  • डोंगरिया कोंध जनजाति के लोग कुई नामक एक प्राचीन द्रविड़ भाषा बोलते हैं और पीढ़ियों से गीतों और नृत्य की मौखिक परंपराओं के माध्यम से अपने पूर्वजों का ज्ञान संजोते हैं (इस भाषा की कोई लिपि नहीं है)।
  • डोंगरिया कोंध जनजाति जनजाति की कई उप-जनजातियाँ हैं, जैसे कोवी, कुट्टिया, लंगुली, पेंगा, और झर्निया (झरनों की रक्षक)।

डोंगरिया कोंध जनजाति द्वारा किए गए विरोध 

  • भूमि पर अधिकार: वर्ष 2000 के दशक में इस जनजाति ने वेदांता कंपनी की अपनी भूमि पर खनन परियोजनाओं का दृढ़ता से विरोध किया।
  • यह विरोध वर्ष 2013 में एक ऐतिहासिक सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में परिणत हुआ, जिसमें ग्राम सभा को अपनी भूमि पर खनन परियोजनाओं को अस्वीकार करने का संवैधानिक अधिकार दिया गया।

डोंगरिया कोंध जनजाति PVTG: 

  • यह अनुसूचित जनजातियों की एक उप-श्रेणी है, जिन्हें सामान्य अनुसूचित जनजातियों की तुलना में अधिक संवेदनशील माना जाता है।
  • भारत में कुल 75 PVTGs हैं, जिनमें सबसे अधिक (13) ओडिशा में हैं, इसके बाद आंध्र प्रदेश में 12 हैं।
  • नियमगिरि पर्वत शृंखला: यह ओडिशा के कालाहांडी और रायगढ़ ज़िलों में स्थित है, इसकी सीमा उत्तर-पश्चिम में करलापट वन्यजीव अभयारण्य और उत्तर-पूर्व में कोटगढ़ वन्यजीव अभयारण्य से लगती है।

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