नव पाषाण काल की सभ्यता |दुनिया के उलझाव |Implication for the World in Hindi
दुनिया के उलझाव (Implication for the World)
दुनिया के उलझाव कि प्रस्तावना (Introduction)
- अमरीकी महाद्वीपों अर्थात् नई दुनिया की नव पाषाण काल की सभ्यताओं के अन्तर्गत कई सभ्यताएँ मिली हैं। नई दुनिया में तीन मुख्य सभ्यताएँ मिली हैं- माया, अजटेक तथा इन्का । अमरीका की सभी प्राचीन सभ्यताओं में पुजारियों की शक्ति बढ़ी हुई थी। उनके बनाये नियम और शकुनों का पालन सब लोग करते थे। इन पुजारियों ने पंचांग निर्माण में तथा उससे सम्बन्धित ज्योतिष में बड़ी उन्नति की थी। वे देवताओं को प्रसन्न करने के लिए नर-नारियों का बलिदान भी करते थे। कृषि सम्बन्धी नर बलि की प्रथा को इन सभ्यताओं में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था।
नव पाषाण काल की सभ्यता
माया सभ्यता ( Maya Civilization)
- माया सभ्यता का विकास यूकेटन प्रायद्वीप में हुआ था। माया सभ्यता के पुरोहितों ने एक अत्यन्त व्यवस्थित और सुन्दर पंचांग बनाया जिसे वे क्रमशः उन्नति करते-करते उसे सर्वोत्तम पंचांग का रूप दे सके। यह पंचांग इतना चतुराईपूर्ण है कि सैकड़ों वर्षों तक के दिनों का पता लगा सकते हैं। वर्ष में 365 दिन होते थे तथा 20 वर्षों का एक युग होता था । कदाचित् ये लोग शून्य का प्रयोग जानते थे। पंचांग का प्रयोग कृषि की ऋतुओं, त्योहारों एवं पवित्र दिनों को जानने के लिये किया जाता था। इन अवसरों पर नर बलि दी जाती थी। माया जाति ने कोई चित्रलिपि भी निकाली थी जिसका अधिकतर प्रयोग पंचाँग लिखने में होता था। उनकी लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है। माया सभ्यता की कला भी अपने ढंग की तथा विचित्र थी। मूर्ति - कला और पाषाण में खुदाई के काम विचित्र, सुन्दर एवं कलापूर्ण हैं। पत्थरों पर बनी बेलों एवं गुच्छकों में सर्प तथा पंखों की आकृतियाँ गुँथी हुई मिलती हैं। कुछ हद तक ये पाषाण-चित्रक भारत के अत्यन्त प्राचीन शिला-चित्रकों से मिलते हैं। उन्होंने जो मूर्तियाँ बनाईं वे उनके देवताओं की हैं, जिनकी आकृति अर्द्ध पशु एवं अर्द्ध-मानवों की सी हैं। सूर्य देवता की मूर्तियाँ बहुत हैं।
अजटेक सभ्यता (Aztek Civilization )
- अजटेक सभ्यता की वास्तुकला इतनी सुघड़ एवं उन्नतिशील थी कि इनके मन्दिरों को देखकर तो यही कहना पड़ेगा कि ये लोग बड़े सभ्य थे। माया एवं अजटेक मन्दिर ऊँची कुर्सियों पर बनाये जाते थे और पाषाण की मूर्तियों और बेलों आदि की खुदाई से युक्त होते थे। इनके प्रसिद्ध भवन 'सैनिकों का मन्दिर' तथा 'सूर्य का पिरामिड' हैं। पुजारियों, सामन्तों और राजाओं के भवन भी बड़े विशाल और सुन्दर होते थे। देश के बीच में बसी राजधानी सुन्दर तालाबों से घिरी हुई थी जिनमें होकर प्रवेश मार्ग बने हुये थे। स्वर्ण-जड़ित मन्दिरों और महलों से यह नगर भरपूर था। फिर भी साधारण लोग बाँस के बने घरों में रहते थे।
- हर वर्ष मन्दिरों में सहस्रों मानवों की बलि दी जाती थी। बड़े पुरोहित या अहकिन भाई' का यह कार्य था कि वह बलि दिये हुये मानव का जीवित और फड़कता हुआ हृदय निकाल कर देवता को समर्पित करता था। फसल बोने के समय भी नर बलि दी जाती थी। उस समय नर बलि विशाल संख्या में दी जाती थी। इनके पुजारियों ने पंचांग की उन्नति करके अलग-अलग देवताओं की पूजा तथा उनकी प्रसन्नता के लिए नर बलि की तिथियाँ, ऋतु आदि निश्चित कर डाले थे। पृथ्वी माता, सूर्य, पितृ रूपी आकाश सिंह, वर्षा देव आदि इनके मुख्य देवता थे।
इन्का सभ्यता ( Inka Civilization)
- दक्षिणी अमरीका की इन्का सभ्यता का विकास पीरू, बोलिविया तथा इक्वेडोर में हुआ था उन्नति करने पर टीटीकाका झील का प्रदेश इस सभ्यता का बड़ा केन्द्र बन गया था। यहाँ भी पुरोहितों का बोलबाला था।
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