बघेलखण्ड के जंगल जलवायु(इतिहास की दृष्टि से) | Baghelkhand Forest and Climate

बघेलखण्ड के जंगल (इतिहास की दृष्टि से)

बघेलखण्ड के जंगल जलवायु(इतिहास की दृष्टि से) | Baghelkhand Forest and Climate

 

 

बघेलखण्ड के जंगल (इतिहास की दृष्टि से) 

  • बघेलखण्ड का अधिकांश भू-भाग जंगलों से आच्छादित हैजो लगभग 4600 वर्गमील में फैला है। कैमोर पर्वत के दक्षिण में घनघोर जंगल था। यहाँ के प्रमुख वृक्षों में सागौनसाल (सरई)तुनतेंदू विजरहाविजयसारखैर इत्यादि हैंजिनसे इमारती और जलाऊ लकड़ी प्राप्त होती थी। साथ ही जंगलों से लाखआँवलाहर्राबहेराचित्रकचिरोंजीतीखुरबैचाँदीवंशलोचनमहुआ तथा अन्य जंगली फल प्राप्त होते थे। बाँसबगई यहाँ बहुतायत में पाया जाता रहा हैजिनके कारण ही वर्तमान में अमलई (शहडोल) में ओरिएन्ट पेपर मिल का कारखाना स्थापित किया गया है।

 

  • जंगलों से इमारती लकड़ियोंजड़ी बूटियोंकन्दमूलफलों के अतिरिक्त जंगली जानवरों से भी राज्य को लाभ होता था। जंगली जानवरों में बाघचीताभालूसुअरहिरणसाँभरबारहसिंगाचीतललोमड़ीबाइसन (गौर) इत्यादि थे। यहाँ के जंगल में सफेद शेर पाया जाता थाजिसके लिए बघेलखण्ड सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध है। यहाँ के घने जंगलों में जंगली हाथी उन्मुक्त विचरण किया करते थे।

 

बघेलखण्ड की जलवायु 

  • बघेलखण्ड की जलवायु सामान्यतः शुष्क है। यहाँ की जलवायु परिवर्तनशील होने के कारण ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्मी और शरद ऋतु में अधिक ठंड होती है। यहाँ की औसत वर्षा 42.33 इंच हैं। लेकिन कभी-कभी अतिवृष्टि और कभी अल्पवृष्टि भी होती है। भौगोलिक दृश्य से यह क्षेत्र इतना सुरक्षित है कि यहाँ पर कभी भी भूकम्प और बड़े तूफानों का प्रकोप नहीं हुआ।

 

बघेलखण्ड में खनिज 

  • बघेलखण्ड खनिज पदार्थों से सर्वथा सम्पन्न था। इस क्षेत्र का वर्तमान शहडोल सम्भाग और सीधी सिंगरोली जिले में कोयलें की अनेक खदानें हैं। इसके अतिरिक्त चूने का पत्थरअन्य रंगीन पत्थरकुरन्द-लोहा इत्यादि यहाँ पाये जाते हैं। बांधवगढ़ के पास बिलासपुर नामक ग्राम में अभ्रकअमरकंटक में बाक्साइट और त्योंथरकोटरसोहावल में रेहू पाया जाता हैजिससे काँच बनाया जाता है। डभौरा-पनवार (जिला-रीवा) में शीशा बनाने का बालूदार पत्थर मिलता है।

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