मुहम्मद शाह गोरी और मध्यप्रदेश (1435 ई. 1436 ई.) | Muhmmad Shah Gauri Aur MP

 मुहम्मद शाह गोरी और मध्यपदेश (1435 ई. 1436 ई.)

 

मुहम्मद शाह गोरी और मध्यप्रदेश (1435 ई. 1436 ई.) | Muhmmad Shah Gauri Aur MP

 मुहम्मद शाह गोरी और मध्यपदेश (1435 ई. 1436 ई.)

  • सुल्तान होशंगशाह की मृत्यु के दो दिन बाद 8 जुलाई 1435 ई. में गजनी खाँसुल्तान मुहम्मदशाह गोरी के नाम से गद्दी पर बैठा। अनेक अमीर गजनी खाँ के राज्यारोहण से प्रसन्न नहीं थे। वे होशंगशाह के दूसरे पुत्र को गद्दी पर बैठाना चाहते थे क्योंकि गजनी खाँ अयोग्य था । परन्तु मलिक मुगीथ और महमूद खाँ के प्रभाव के कारण अपनी इच्छा के विरुद्ध उसे सुल्तान स्वीकार कर लिया। 
  • प्रारंभ में मुहम्मदशाह गोरी ने अपना शासन बहुत सफलता के साथ प्रारंभ किया और ऐसा प्रतीत में होने लगा कि वह अपने पिता के पदचिह्नों पर चल कर मालवा के गौरव को और अधिक बढ़ायेगा किन्तु शीघ्र ही वह निरंकुश और स्वेच्छाचारी बन गया। वह अपने भाइयों और उन अमीरों को दृष्टि से देखने लगा जिन्होंने उसके राज्यारोहण का विरोध किया था उसने अनेक अमीरों की सन्देह के आधार पर हत्या करवा दी। उसने अपने भाइयों भतीजों और निजाम खाँ को कटवा दिया। उसके इन कृत्यों से पूरे राज्य में विद्रोह फैल गया। जनता उससे घृणा करने लगी और अल्प समय में ही राज्य उसके वंश से निकल गया। उसने राज्य की सारी सत्ता महमूद खाँ को सौंप दी और दिन रात शराब और एशोआराम में डूबा रहने लगा। 
  • परिणामस्वरूप महमूद खाँ बहुत शक्तिशाली हो गया और राज्य को हड़पने का विचार करने लगा। सुल्तान मुहम्मदशाह को जब इस योजना के बारे में उसके कुछ मित्रों ने बताया तो उसने महमूद खाँ को अपने हरम में बुलवाया और अपनी पत्नी जो महमूद खाँ की बहिन थी के सामने उसे शपथ दिलवाई की वह उसके प्रति स्वामी भक्त रहेगा। किन्तु शीघ्र ही उसने एक दिन उसके शराब के प्याले में जहर मिलवाकर उसकी हत्या करवा दी। अमीरों ने मृत सुल्तान के पुत्र मसूद खाँ को गद्दी पर बैठायाजो केवल तेरह वर्ष का था। महमूद खाँ ने स्थिति को तत्परता से सम्भाल लिया। उसने अमीरों को कैद कर लिया। मसूद खाँ भयभीत होकर अपने भाई के साथ गुजरात भाग गया। अब महमूद खाँ ने अपने पिता मलिक मुगीथ को राजगद्दी पर बैठने का आग्रह किया । किन्तु उसने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। परिणामस्वरूप महमूद खाँ ने स्वयं गद्दी पर बैठने का निश्चय किया  इस प्रकार गोरी राजवंश के हाथ से सत्ता खिलजियों के पास चली गई।

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