मानवीय सम्बन्ध सिद्धांत अर्थ परिभाषायें मुख्य तत्व |मानवीय संबंध सिद्धांत और जार्ज इल्टन मेयो | Human Relations Theory

मानवीय सम्बन्ध सिद्धांत अर्थ  परिभाषायें मुख्य तत्व

मानवीय सम्बन्ध सिद्धांत अर्थ  परिभाषायें मुख्य तत्व |मानवीय संबंध सिद्धांत और जार्ज इल्टन मेयो | Human Relations Theory


मानवीय सम्बन्ध सिद्धांत: ( Human Relations Theory) 

मानवीय सम्बन्ध से आशय किसी संगठन में कार्यरत कर्मचारियों के साथ अच्छे सम्बन्ध स्थापित करने तथा उनके हितों को सामान्य हितों के साथ एकीकृत करने से है । यह विचारधारा मानव को सिर्फ उत्पादन का साधन न मानकर उनके साथ मानवीय आधार पर व्यवहार करने पर बल देती है। प्रशासन सम्बन्धी विश्लेषण का यह दृष्टिकोण इस तथ्य पर आधारित है कि किसी प्रशासक का प्रमुख कार्य लोगों के साथ तथा उनके द्वारा काम करना है । अतः किसी संगठन में परस्पर वैयक्तिक संबंधों का केन्द्रीय स्थान होना चाहिए।

 

मानवीय सम्बन्ध सिद्धांत परिभाषायें (Definitions):

 

मेयरः मानवीय संबंध व्यक्तियों के साथ व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से व्यवहार करना है।

 

जोसेफ एल मेसी: मानवीय संबंध अभिप्रेरण की प्रक्रिया है जो उद्देश्यों में संतुलन स्थापित करती है तथा जिसका लक्ष्य अधिकतम मानवीय संतुष्टि प्राप्त करना तथा संगठन के उद्देश्यों की पूर्ति में सहयोग करना होता है।

 

रोबेर्ट साल्टन स्टाल: कार्यरत व्यक्तियों का अध्ययन ही मानवीय संबंध है।

 

उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि मानवीय संबंध किसी संगठन में कार्य करने वाले व्यक्तियों का अध्ययन करता है । इसका उद्देश्य व्यक्तियों के व्यवहार को समझना, मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति द्वारा संतुष्टि प्रदान करना है ताकि वे संगठन को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहयोग दें सकें।

 

मानवीय संबंध सिद्धांत और जार्ज इल्टन मेयो

(Human Relation Theory and George Elton Mayo)

 

इस विचारधारा के जन्मदाता जार्ज एल्टन मेयो रहे हैं। उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर मानवीय संबंधों की दिशा में अनेक प्रयोग किये हैं। ये प्रयोग वेस्टर्न इलेक्ट्रिक कंपनी के शिकागो स्थित हव्थोर्न संयंत्र में श्रमिकों पर 1924-1933 तक किये गये । अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से ये प्रयोग चार भागों में विभक्त किये जा सकते हैं:

 

प्रकाश प्रयोग (Illumination Experiment) : 

ये परीक्षण महिला कर्मचारियों पर किये गये तथा इनका मूल उद्देश्य यह पता लगना था कि प्रकाश का श्रमिकों की कार्यक्षमता एवं उत्पादकता पर क्या प्रभाव पडता है। परीक्षण के अंतर्गत श्रमिकों को दो समूहों में विभक्त दिया गया, एक समूह के श्रमिकों को ऐसे स्थान पर रखा गया जहाँ प्रकाश की अच्छी व्यवस्था तथा दूसरे समूह के कार्यस्थल में प्रकाश की मात्रा में समय-समय पर परिवर्तन किया जाता रहा। इस प्रयोग में यह पाया गया कि दोनों समूहों की उत्पादकता बढ़ी है। इस प्रयोग से यह स्पष्ट हो गया कि श्रमिकों कि कार्य क्षमता और उत्पादकता- दोनों पर ही प्रकाश का प्रभाव नगण्य है । इसलिये शोधकर्ताओ ने यह निष्कर्ष निकला कि प्रकाश के अतिरिक्त भी कोई तत्व है जो उत्पादन को प्रभावित करता है और वह घटक है " मानवीय संबंध "|

 

प्रसारण संयोजन जाँच कक्ष प्रयोग (Relay Assembly Test Room Experiments): 

यह प्रयोग पूर्व की विसंगतियों को दूर करने के लिये किया गया था। इसका उद्देश्य उत्पादन पर थकान के प्रभाव का माप करना था । इन परीक्षणों के लिये 6-6 लड़कियों के दो-दो समूह बनाये गये तथा उन्हें पृथक कक्षों में टेलीफोन उपकरण जोड़ने का का सौंपा गया। ये लड़कियां कार्य कुशलता एवं अनुभव में औसत श्रेणी की थीं। उनके कार्य की देख भाल के लिये एक सुपरवाइजर भी नियुक्त किया गया जो काम के निरीक्षण के साथ साथ कार्य वातावरण को सौहार्दपूर्ण भी बनाता था। चार से बारह सप्ताह की प्रयोग अवधि में विभिन्न परिवर्तन करते हुये प्रयोग प्रारंभ किये गये । प्राप्त परिणामों के आधार पर यह निष्कर्ष निकला गया कि कार्य के भौतिक वातावरण का उत्पादन पर किसी तरह का प्रभाव पड़ना अनिश्चित है । दूसरे शब्दों में, फिर भी उत्पादन कम या अधिक हो सकता है। उत्पादकता एवं कार्य दशाओं में किसी प्रकार का कोई सहसम्बन्ध नहीं किया जा सकता है । उत्पादन वृद्धि का प्रमुख कारण प्रबंधकों सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार एवं कार्य के दौरान कर्मचारियों को दी गयी स्वायतत्ता तथा उच्च कर्मचारी मनोबल है ।

 

बैंक कर्मचारी अवलोकन कक्ष प्रयोग (Bank Wiring Observation Room Experiment): 

इस परीक्षण का उद्देश्य अनौपचारिक कार्यसमूहों का अवलोकनात्मक विश्लेषण करना था इस प्रयोग के लिये 14 कर्मचारियों का एक समूह बनाकर उन्हें एक पृथक कक्ष में काम करने को कहा गया। कार्य दशाओं को अपरिवर्तित रखा गया तथा कार्य की देखभाल के लिये पर्यवेक्षक रखे गये थे। इस प्रयोग का यह निष्कर्ष निकला कि अनौपचारिक समूह का मुख्य कार्य अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित एवं नियमित करना होता है। इ प्रयोग ने यह भी स्पष्ट किया किया कि वित्तीय अभिप्रेरणा तथा कार्य सुरक्षा के स्थान पर कर्मचारियों के साथ अनौपचारिक सामाजिक संबंध करने से अच्छे मानवीय संबंध की स्थापना होती है

 

साक्षात्कार कार्यक्रम ( Interviewing Programme): 

इस कार्यक्रम के अंतर्गत 1600 कर्मचारियों के 20,000 साक्षात्कार लिये गये थे जिनका उद्देश्य कंपनी की नीतियों, कार्य दशाओं, कार्य पद्धतियों, पर्यवेक्षण कार्य, वातावरण आदि के संबंध में कर्मचारी की रुचियों को जानना था। इस अध्ययन के ये निष्कर्ष निकले कि कर्मचारियों कि आजादी से अपने विचार प्रकट करने का अवसर देने से उनके मनोबल में वृद्धि होती है। कर्मचारी की मांगों पर संस्था के भीतर और बाहर दोनों प्रकार की पर्यावरणीय अनुभव का प्रभाव पड़ता है।

 

मानवीय सम्बन्ध सिद्धांत के मुख्य तत्व 

(Main Elements of Human Relation Theory):

 

थोर्न प्रयोगों से प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर मेयो ने जिन सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया वे मानवीय संबंधों के मुख्य तत्वों के रूप में विकसित हुये । ये तत्व निम्नांकित हैं।

 

1) मानवीय तत्व पर बल (Emphasis on Human Element): 

किसी भी उपक्रम के सदस्य केवल आर्थिक शक्ति नहीं है जिसका उद्देश्य मौद्रिक लाभ या प्रतिफल के लिये कार्य करना है। जबकि वे इच्छाओं, भावनाओं, आवश्यकताओं आदि से परिपूर्ण एक चेतनायुक्त प्राणी होते हैं।

 

II) अनौपचारिक समूहों का महत्व (Importance of Informal Groups ): 

कार्य स्थल पर एक साथ कार्य करते-करते आपसी अंतः क्रियाओं एवं मेलजोल के कारण सदस्यों के बीच छोटे छोटे अनौपचारिक समूह बन जाते हैं जो कि उनकी क्रियाओं, दृष्टिकोणों एवं व्यवहारओं पर सामाजिक नियंत्रण रखते हैं इन अनौपचारिक समूहों के स्वयं के कार्य मानदंड, कार्य प्रारूप, नियम, सिद्धांत व मान्यतायें बन जाती हैं जो समस्त कार्य वातावरण को प्रभावित करती हैं।

 

III) कार्यक्षमता पर मानवीय एवं सामाजिक तत्वों का प्रभाव (Effect of Human and Social Elements on Working Capacity): 

किसी उपक्रम के सदस्यों की कार्यक्षमतापर न केवल भौतिक वातावरण सम्बन्धी घटकों का प्रभाव परता है बल्कि मानवीय व्यवहार सम्बन्धी तत्व जैसे- मनोबल, अभिवृति, आपसी संबंध, सामाजिक संतुष्टि आदि का भी प्रभाव पड़ता है।

 

IV) सामाजिक व्यक्ति की अवधारणा (Concept of Social man): 

इस विचारधारा के अनुसार सामाजिक व्यक्ति की मान्यतायें निम्नांकित हैं:

 

व्यक्ति मूल रूप से अपनी सामाजिक आवश्यकताओं से प्रेरित होता है तथा समूह संबंधों के द्वारा अपने व्यक्तित्व एवं पहचान के बीच बोध को विकसित करता है। 

वह कार्य में सामाजिक संबंधों पर बल देता है। 

वह अपने समकक्ष समूह की सामाजिक शक्तियों के प्रति अधिक अनुक्रियाशील होता है।

 

V) मान्यता, आत्मविकास व मनोबल पर बल (Emphasis on Recognition, Self- Actualization and Morale): 

मान्यता, आत्मविकास व मनोबल ये तीनों ही किसी उपक्रम के - सदस्यों की उच्च मनोवैज्ञानिक आवश्यकतायें होती है जिनकी संतुष्टि उचित अवसरों को प्रदान करके की जानी चाहिये

 

VI) मानव सहयोग (Human Collaboration) : 

किसी उपक्रम में श्रेष्ठ कार्य संस्कृति बनाने हेतु तकनीकी कौशल के स्थान पर मानव सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये ।

 

VII) शिकायतें संकेत मात्र हैं (Complaints are only symptoms): 

किसी उपक्रम के सदस्यों की शिकायतें केवल तथ्यों का विवरण ही नहीं होती, वरन् वे उनके अंदर छुपे हुये दुखों एवं असंतोष का द्योतक होती हैं।

 

VIII) उदार पर्यवेक्षण प्रणाली (Liberal Supervisory Style): 

स्वतंत्र, उदार और सहानुभूति पूर्ण पर्यवेक्षण प्रणाली सदस्यों को आर्थिक कार्य करने के लिये प्रेरित करती है। जब सदस्यों को स्वतन्त्रतापूर्वक विचार विमर्श करने, कार्य की विधि एवं आवश्यक पहलूओं का निर्धारण करने तथा कार्य एवं वातावरण पर नियंत्रण रखने की स्वतंत्रता होती है तो वे अधिक लगन तथा उत्साह से कार्य करते हैं।

 

IX) कार्य एक सामूहिक क्रिया है (Work is a group activity):

किसी संगठन में कार्य वैयक्तिक क्रिया नहीं है वरन यह एक सामूहिक क्रिया है। सामूहिक रूप से कार्य करते हुये सदस्य न केवल संगठनात्मक बल्कि वैयक्तिक लक्ष्यों को भी सरलता से प्राप्त कर सकते हैं।

 

X) भाग लेने योग्य प्रबंध व्यवस्था (Participative Management): 

कोई भी संगठन सामाजिक संबंधों से निर्मित एक सामाजिक इकाई होती है। अतः किसी भी संगठन में निर्णयन प्रक्रिया में केवल प्रशासक ही नहीं वरन उसमें काम करने वाले कर्मचारीगण भी होते हैं।

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