पी. आनन्द चालू (पनम्बक्कम आनन्द चार्लू) ऐतिहासिक व्यक्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी | P Aanand Charlu GK Fact in Hindi

पी. आनन्द चार्लू) ऐतिहासिक व्यक्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी 
P Aanand Charlu GK Fact in Hindi
पी. आनन्द चालू (पनम्बक्कम आनन्द चार्लू) ऐतिहासिक व्यक्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी | P Aanand Charlu GK Fact in Hindi


पी. आनन्द चार्लू) ऐतिहासिक व्यक्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी 

पी. आनन्द चार्लू) का जन्म अगस्त 1843 को मद्रास प्रेजिडेंसी में आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में कादामंची गाँव के एक रूढ़िवादी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वह पेशे से मशहूर वकील थे. पी. आनन्द चालू ने अपनी मैट्रिक की शिक्षा के बाद अध्यापन का कार्य करते हुए कानून की शिक्षा पूरी की थी और इसके बाद मद्रास में वकालत करने लगे. इसके साथ ही उन्होंने सार्वजनिक कार्यों में भी रुचि लेना आरम्भ किया.

 

पनम्बक्कम आनन्द चार्लू) प्रमुख तथ्य

 

  • पनम्बक्कम आनन्द चार्लू भारतीय राजनीतिज्ञअधिवक्तास्वतन्त्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे. 
  • सन् 1895 में उन्हें केन्द्रीय असेम्बली का सदस्य बना दिया गया था और ब्रिटिश सरकार ने उन्हें राय बहादुरकी पदवी दी. 
  • अपने विचारों के कारण पी. आनन्द चार्लू) नरम दल के राजनीतिज्ञ थे. 
  • 1960 की सूरत कांग्रेस में भी उन्होंने नरम दल का साथ दिया था. 
  • 1857 के संग्राम के बाद देश के विभिन्न अंचलों में धीरे-धीरे नए संगठन बनने लगे थे. 
  • आनंद चालू ने 'मद्रास महाजन सभानाम के एक राजनीतिक संगठन की स्थापना की थी. 
  • उन्होंने 1884 में ट्रिप्लिकेन लिटरेरी सोसाइटी (जिसके वे अध्यक्ष चुने गए थे) की स्थापना की. 
  • सन् 1885 में कांग्रेस की स्थापना के प्रथम मुम्बई अधिवेशन में देशभर के कुल 72 प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया थाउनमें से एक पी. आनन्द चालू भी थे. 
  • कुशल वक्ता और संगठनकर्ता के रूप में शीघ्र ही उनकी ख्याति देश के शिक्षित वर्ग में होने लगी थी. 
  • वह कांग्रेस के प्रत्येक अधिवेशन में सक्रिय भाग लेते थे. 1891 में कांग्रेस ने अपने नागपुर अधिवेशन का अध्यक्ष उनको ही चुना था. 
  • उन्होंने नेटिव पब्लिक ओपिनियन और मद्रासी जैसी पत्रिकाओं में नियमित रूप से योगदान दिया. 1878 मेंउन्होंने द हिन्दू को शुरू करने में जी. सुब्रह्मण्यम अय्यर और सी. वीरराघवाचार्य की मदद की और इसमें लगातार योगदान दिया..
  • 1906 में जब कांग्रेस का विभाजन हुआतो वह नरमपंथियों के पक्ष में थे. हालांकिविभाजन के तुरंत बाद उनकी मृत्यु हो गई. 

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