सार्वजनिक वित्त पर वित्त मंत्रालय का नियन्त्रण | वित्त मंत्रालय विभाग का संगठन- आर्थिक कार्य विभाग | Finance Mistery GK in Hindi

 सार्वजनिक वित्त पर वित्त मंत्रालय का नियन्त्रण 

(Finance Ministry's Control Over Public Finance)

सार्वजनिक वित्त पर वित्त मंत्रालय का नियन्त्रण | वित्त मंत्रालय विभाग का संगठन- आर्थिक कार्य विभाग | Finance Mistery GK in Hindi


सार्वजनिक वित्त पर वित्त मंत्रालय का नियन्त्रण 

वित्त मन्त्रालय कार्यपालिका का वह प्रभावशाली यन्त्र है जिसके द्वारा सरकारी व्यय पर नियन्त्रण रखा जाता है। इस विभाग का कार्य व्यय करने वाले विभिन्न विभागों (Spending Departments) पर नियन्त्रण रखना है और उनमें समन्वय तथा सामंजस्य बनाए रखना है। इसी विभाग की सहायता से सरकार के आय और व्यय के अनुमान तैयार किये जाते हैं और आर्थिक व वित्तीय नीतियों तथा कार्यक्रमों का आयोजन होता है। वित्त मन्त्रालय का महत्व इस तथ्य से प्रकट होता है कि कोई मन्त्रालय जब कोई नई योजना चलाना चाहता है है तो इसे वित्त मन्त्रालय से राय लेनी पड़ती है और इसकी काम चलाऊ' (Tentative) स्वीकृति मिल जाने के बाद ही उक्त विभाग अग्रसर हो सकता है। इस प्रकार की नीतियाँ और योजनायें जब संसद द्वारा स्वीकृत हो जाती हैं तो उसी विभाग पर बजट को कार्यान्वित करने और तदर्थ नियन्त्रण तथा जाँच पडताल करते रहने का उत्तरदायित्व होता है।

 

वित्त मंत्रालय के बजट संबंधी कार्य 

(Budgetary Functions of Ministry of Finance)

 

इस प्रकार के नियंत्रण के अतिरिक्त वित्त मंत्रालय निम्नांकित बजट संबंधी कार्य सम्पादित करता है :

 

1. यह देखना कि प्रशासकीय विभाग वित्तीय वर्ष में आवश्यकता से अधिक रकम नहीं पा जाते हैं और जो कुछ वे खर्च नहीं कर सके उस बची रकम को वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पूर्व लौटा देते हैं।

 

2. समय-समय पर विभागों से रिपोर्ट मांगकर यह देखते रहना कि व्यय की क्या प्रगति है और जहाँ कहीं आवश्यक प्रतीत हो उन्हें चेतावनी देते रहना ।

 

3. केन्द्रीय राजस्व आयोग के द्वारा संग्रहित होने वाले राजस्व पर दृष्टि रखना। यह आयोग केन्द्र के कुछ मुख्य करों, यथा- कस्टम आय कर आदि की उगाही करता है।

 

4. नियन्त्रक अफसरों की मर्यादा के बाहर पुनः विनियोजनों (Reappropriations) को स्वीकृति प्रदान करना।

 

5. सामान्यतः प्रशासनिक मन्त्रालयों को वित्तीय सलाह देना और मार्गदर्शन करना। वित्त मंत्रालय का दायित्व केन्द्रीय सरकार का वित्त प्रबन्ध करने और सारे देश पर प्रभाव डालने वाले सभी वित्तीय मामलों को निपटाने का है। यह मन्त्रालय विकास और अन्य सार्वजनिक वित्त पर वित्त मंत्रालय का नियन्त्रण आवश्यकताओं के लिए देश-विदेशों से साधन जुटाने की व्यवस्था करता है और सरकार की कर लगाने तथा ऋण लेने की नीतियों का नियमन करता है। यह अन्य सम्बद्ध मन्त्रालयों के सहयोग से राज्यों और सरकारी क्षेत्रों के उपक्रमों के लिए किये जाने वाले अन्तरणों सहित भारत सरकार के सम्पूर्ण व्यय का नियन्त्रण करता है, चाहे वह देश में किया जाता हो या विदेश में यह मंत्रालय बैंक कारोबार, बीमा मुद्रा, सिक्का ढलाई और विदेशी मुद्रा से संबंधित मामले भी निपटाता है।

 

वित्त मंत्रालय विभाग का संगठन 

(Organisation of Finance Ministry)

 

वित्त मन्त्रालय भारत सरकार के सभी विभागों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण विभाग है। यह मन्त्रालय इस समय आर्थिक मामलों के विभाग, राजस्व विभाग ( Revenue Department) तथा व्यय विभाग (Expenditure Department) में विभक्त है। प्रत्येक विभाग का अध्यक्ष एक सचिव है और विभागों में समन्वय स्थापित करने के लिए प्रधान सचिव (Principal Finance Secretary) होता था परन्तु अब इसे समाप्त कर दिया गया है। इस मन्त्रालय का मन्त्री कैबिनेट स्तर का एक वरिष्ठ मंत्री होता है। उसकी सहायता के लिए राज्यमंत्री और उपमंत्री होते हैं। वित्त मंत्रालय का प्रादुर्भाव सन् 1810 में 'वित्त विभाग के रूप में हुआ था। सन् 1947 में वित्त विभाग का नाम वित्त मन्त्रालय किया गया। केन्द्रीय वित्त मन्त्रालय की रिपोर्ट वर्ष 1974-75 के अनुसार वित्त मन्त्रालय के चार विभाग थे राजस्व और बीमा विभाग, व्यय विभाग, आर्थिक कार्य विभाग और बँकिंग विभाग। लेकिन 1975-76 के प्रतिवेदन से प्रकट हुआ कि मन्त्रालय को पुनर्गठित कर तीन भागों में बाँट दिया गया है (1) व्यय विभाग, (2) आर्थिक कार्य विभाग, तथा (3) राजरव और बैंकिंग विभाग मन्त्रालय की 1977-78 की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में भी इसके तीन विभाग हैं, किन्तु इतना और परिवर्तन कर दिया गया है कि भूतपूर्व राजस्व और बैंकिंग विभाग की बैंकिंग प्रशाखा को जुलाई 1977 से आर्थिक कार्य विभाग में मिला दिया गया है।

 

वर्तमान में इस मन्त्रालय के तीन विभाग हैं : 

1. आर्थिक कार्य विभाग (Department of Economic Affairs) 

2. व्यय विभाग और (Departinent of Expenditure, and ) 

3. राजस्व विभाग (Department of Revenue)

 

अब हम इन विभागों का वर्णन विस्तारपूर्वक करेंगे:

 

1. आर्थिक कार्य विभाग (Department of Economic Affairs) : 

यह विभाग अन्य बातों के साथ-साथ मौजूदा आर्थिक प्रवृत्तियों का परिवीक्षण करता है और आन्तरिक तथा बाह्य प्रबन्ध को प्रभावित करने वाले सभी मामलों के सम्बन्ध में सरकार को सलाह देता है जिसमें वाणिज्यिक बैंकों तथा सर्वाधिक ऋणदाता संस्थाओं का कार्य चालन, पूँजी निवेश का विनियमन, विदेशी सहायता आदि शामिल हैं। भारत संघ तथा उन राज्य सरकारों और विधान मण्डल वाले संघ राज्य क्षेत्रों के जब वे राष्ट्रपति शासन के अन्तर्गत हों, बजट तैयार करने और उन्हें संसद में पेश करने की जिम्मेदारी भी इस विभाग की है। आर्थिक कार्य विभाग के सात प्रमुख प्रभाग निम्नलिखित हैं :

 

(i) आर्थिक प्रभाग (Economic Division ) 

(ii) बीमा प्रभाग ( Insurance Division) 

(iii) बजट प्रभाग ( Budget Division ) 

(iv) बैंकिंग प्रभाग ( Bank Division ) 

(v) निवेश प्रभाग ( Investment Division) 

(vi) मुद्रा और सिक्का प्रभाग (Currency and Coinage Division) 

(vii) विदेशी वित्त प्रभाग (External Finance Division); और 

(viii) प्रशासन प्रभाग (Administration Division)

 

(i) आर्थिक प्रभाग (Economic Division ) : 

आर्थिक कार्य विभाग का आर्थिक प्रभाग वित्त मन्त्रालय का एक प्रमुख स्कन्ध है जो आर्थिक नीति संबंधी मामलों में सरकार की सहायता के लिए जिम्मेदार है। प्राथमिक रूप में इसकी भूमिका सलाहकार की है। इस प्रभाग का कार्य देश और विदेशों की वार्षिक प्रवृतियों और घटनाओं का और इन प्रवृत्तियों और घटनाओं से आर्थिक नीतियों पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन और विश्लेषण करना है ताकि मंत्रालय को इनकी जानकारी और आर्थिक सलाह दी जा सके। यह प्रभाग सरकार की सम्पूर्ण मूल्य नीति से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित हैं। इस प्रभाग को पांच मुख्य एककों में संगठित किया गया है- (i) मूल्य, उत्पादन और वेतन नीति, (ii) सरकारी वित्त, मुद्रा बैंकिग और ऋण नीति, (iii) राजकोषीय नीति, (iv) भुगतान संतुलन व विदेशी व्यापार और (v) आर्थिक सूचना। यह प्रभाग भारतीय रिजर्व बैंक योजना आयोग, केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन और अन्य मन्त्रालयों के आर्थिक और सांख्यिकी विभागों के निकट सहयोग से काम करता है। आर्थिक समीक्षा (दी इकानामिक सर्वे) नामक दस्तावेज इसी प्रभाग द्वारा तैयार की जाती है। यह प्रभाग सरकारी उपयोग के लिए वित्त, विदेशी व्यापार और भुगतान संतुलन के संबंध में सांख्यिकी संकलन और सामान्य आर्थिक निर्देश भी तैयार करता है। यह संभाग कराधान, सरकारी वित्त, मुद्रा और बैंकिंग मूल्य और वेतन नीति, विदेशी व्यापार भुगतान संतुलन, विदेशी सहायता, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्त संबंधी प्रश्नों और समस्याओं के सम्बन्ध में समय-समय पर तकनीकी विश्लेषण करके विभाग के अन्य प्रभागों को सहायता प्रदान करता है। अर्थ प्रभाग मन्त्रिमण्डल के लिए आर्थिक स्थिति का तिमाही प्रतिवेदन भी तैयार करता है। यह प्रतिवेदन हमारे विदेश स्थित दूतावासों को भी भेजा जाता है। यह प्रभाग सरकार की सम्पूर्ण मूल्य नीति के लिए प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार है और अर्थ व्यवस्था में मूल्य वृद्धिकारी दबाओं को रोकने, प्राथमिकता वाली आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ाने और साधनों के आवश्यक निर्धारण में प्रशासनिक मन्त्रालयों के प्रयत्नों में समन्वय स्थापित करने के काम में उत्तरोत्तर अधिक भाग ले रहा है। इस प्रभाग का कई तकनीकी समितियों और कार्यकारी दलों, जैसे आयोजनों के लिए वित्तीय साधन विषयक कार्यकारी दलों के कार्य से भी निकट संबंध है। यह प्रभाग संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद्, अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक, भारत सहायता संघ, एशिया और प्रशान्त महासागरीय प्रदेशों के लिए आर्थिक तथा सामाजिक परिषद्, एशियाई विकास बैंक, व्यापार और टैरिफ संबंधी सामान्य करार, संयुक्त राष्ट्र संघीय व्यापार और विकास सम्मेलन, राष्ट्र-मण्डलीय वित्तमन्त्रीय सम्मेलन, राष्ट्र-मण्डल के राष्ट्राध्यक्षों के सम्मेलन, गुट निरपेक्ष राष्ट्रों के सम्मेलन आदि जैसी विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं में भाग लेने वाले भारतीय प्रतिनिधि मण्डलों के उपयोग के लिए आर्थिक विषयों पर संक्षिप्त विवरण और ज्ञापन तैयार करता है। यह प्रभाग अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ किए जाने वाले विचार-विमर्श के सिलसिले में आँकड़े एकत्र करने, उनका संकलन, समन्वय और विश्लेषण करके सामग्री प्रस्तुत करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है और ऐसे विचार-विमर्श के लिए सूचना-सामग्री और आधार सामग्री भी तैयार करता है।

 

(ii) बीमा प्रभाग ( Insurance Division ) : 

बीमा प्रभाग डाक तार विभाग, जो डाकघर जीवन बीमा निधि के नाम से एक योजना चला रहा है, सहित विभिन्न मन्त्रालयों तथा विभागों को बीमांकिक परामर्श प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त बीमा प्रभाग, जीवन तथा साधारण दोनों किस्म के बीमा उद्योग से सम्बन्धित सभी मामलों का पर्यवेक्षण करता है। इस प्रभाग पर राष्ट्रीयकृत बीमा उपक्रमों अर्थात भारतीय जीवन बीमा निगम तथा भारतीय साधारण बीमा निगम एवं उनकी कम्पनियों के कार्य चालन के प्रशासन सहित नीति तैयार करने और बीमा संबंधी कानूनों के प्रशासन का भी दायित्व है।

 

बीमा - प्रभाग निम्नलिखित अधिनियमों का प्रशासन देखता है- 

बीमा अधिनियम, 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956, आपात जोखिम (माल) बीमा अधिनियम, 1962, आपात जोखिम (कारखाना) बीमा अधिनियम 1962 समुद्री बीमा अधिनियम 1963 साधारण बीमा (आपात व्यवस्था अधिनियम 1971 आपात जोखिम (माल) बीमा अधिनियम 1971, आपात जोखिम (उपक्रम) अधिनियम, 1971, साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम 1972 और युद्ध जोखिम (समुद्री जहाज) बीमा योजना इसके अलावा इस पक्ष पर विस्थापित व्यक्ति ऋण समायोजन अधिनियम, 1951 के अन्तर्गत स्थापित बीमा दावा बोर्ड के प्रशासन का दायित्व भी है। बीमा नियंत्रक शिमला का कार्यालय और आपात् जोखिम बीमा योजना निदेशालय, बीमा पक्ष के अधीन क्रमशः सम्बद्ध और अधीनस्थ कार्यालय हैं। जीवन बीमा और विविध बीमा, दोनों का राष्ट्रीयकरण होने से बीमा नियन्त्रक कर्त्तव्यों में कमी आई है।

 

(iii) बजट प्रभाग ( Budget Division ) : 

इस प्रकार का काम रेलवे बजट से अलग केन्द्रीय सरकार का बजट, अनुदानों की अनुपूरक माँगे और अतिरिक्त अनुदानों की माँगें तैयार कर उन्हें प्रस्तुत करना है। राष्ट्रपति शासन के अन्तर्गत आने वाले राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के बजटों और उनकी अनपरक माँगों को तैयार करने का काम भी इसी प्रभाग में होता है। इसके अलावा यह प्रभाग सरकारी ऋण केन्द्र और राज्यों के बाजार उधार और राष्ट्रीय बचत संगठन से सम्बन्धित सभी मामलों की देख-रेख करता है। केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार और राज्य सरकारों की अर्थोपाय सम्बन्धी स्थिति की निगरानी और भारत की आकस्मिक निधि का प्रबन्ध बजट प्रभाग की जिम्मेदारी है। भारत के नियन्त्रक महालेखा परीक्षक के कर्तव्यों और शक्तियों व लेखापरीक्षक और लेखाओं के बारे में सभी प्रश्नों, वित्त आयोग से सम्बन्धित सभी विषयों, केन्द्रीय सरकार द्वारा दिए जाने ऋण के व्याज की दरें निर्धारित करने सम्बन्धी प्रश्नों और समय-समय पर उनकी समीक्षा करने, केन्द्रीय राजकोष के नियमों के प्रशासन और नियन्त्रण महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदनों को संसद के दोनों सदनों में पेश करने का काम भी यही प्रभाग करता है।

 

(iv) बैंकिंग प्रभाग ( Banking Division) : 

आर्थिक कार्य विभाग का बैंकिंग प्रभाग बैंकिंग प्रणाली से सम्बन्धित सभी मामलों के लिए उत्तरदायी है और सरकारी क्षेत्रों के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का प्रशासनिक प्रभारी भी है। सरकारी क्षेत्र के कुल 28 बैंकों, अर्थात् भारतीय स्टेट बैंक, इसके 7 अनुषंगी बैंक और 20 राष्ट्रीयकृत बैंक है। देश में 196 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक जो 380 जिलों में फैले हुए हैं। बैंकिंग प्रभाग के नियंत्रण के अन्तर्गत आने वाली विभिन्न वित्तीय संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं:

 

1. भारतीय औद्योगिक विकास बैंक 

2. भारतीय औद्योगिक वित्त निगम 

3. भारतीय औद्योगिक वित्त तथा निवेश निगम 

4. भारतीय औद्योगिक पुननिर्माण बैंक जिसे औद्योगिक एककों की पुर्नस्थापना के लिए गठित किया गया है। 

5. भारतीय निर्यात-आयात बैंक 

6. कृषि और ग्रामीण विकास योजनाओं को पुनर्वित सहायता प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक। 

7 आवास वित्त पोषण के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक 

8. पर्यटन के निधिकरण और अन्य सम्बन्धित मामलों के लिए भारतीय पर्यटन वित्त निगम 

9. लघु औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए लघु उद्योग विकास बैंक । आर्थिक कार्य विभाग का बैंकिंग प्रभाग जीवन बीमा निगम और यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया को छोड़कर वाणिज्यिक बैंकों तथा दीर्घकालीन वित्तीय संस्थाओं के कार्य-भालन पर प्रभाव डालने वाली सरकारी नीतियों के निर्माण और उनके कार्यान्वयन से सम्बन्धित है। यह प्रभाग भारतीय रिजर्व बैंक से सम्बन्धित कार्य करता है तथा वाणिज्यिक बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं का परिचालन शासित करने वाली संविधियों, नियमों और विनियमों आदि के कार्यान्वयन प्रशासन का पर्यवेक्षण करता है।

 

बँकिंग प्रभाग के निम्नलिखित कार्यकारी उप प्रभाग हैं-

(क) बैंकिंग परिचालन तथा प्रशासन प्रभाग

(ख) औद्योगिक वित्त प्रभाग 

(ग) विकास तथा समन्वय प्रभाग तथा

(घ) औद्योगिक सम्बन्ध तथा सतर्कता प्रभाग । 


(v) निवेश प्रभाग ( Investment Division ) : 

निवेश प्रभाग निम्नलिखित विषयों से सम्मानित कार्य करता है - (1) पूँजी निर्गम नियन्त्रण, (2) विदेशी निवेश नीति, (3) विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम ( 4 ) संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में बहुराष्ट्रीय निगमों की आचार संहिता (5) भारतीय निवेश केन्द्र (6) अनिवासी भारतीयों को भारत में निवेश के लिए सुविधाएँ (7) शेयर बाजार और (8) भारतीय यूनिट ट्रस्ट ।

 

(vi) मुद्रा और सिक्का प्रभाग (Currency and Coinage Division ) : 

यह प्रभाग मुद्रा और सिक्का निर्माण, जिसमें टकसालों और उनके धातु परीक्षण कार्यालयों का प्रशासन शामिल हैं, सिक्योरिटी पेपर मिल, इण्डिया सिक्योरिटी प्रेस, बैंक नोट प्रेस और सिल्वर रिफाइनरी से सम्बन्धित सभी विषयों की देख-रेख करता है। यह सिक्यूरिटीज कंट्रेक्ट्स (रेग्यूलेशन) एक्ट 1956 का प्रबन्ध करने तथा देश में काम कर रहे शेयर बाजारों पर नियन्त्रण रखने का काम भी करता है। बम्बई, कलकत्ता और हैदराबाद की टकसालें इसी प्रभाग से सम्बन्धित हैं।

 

(vii) विदेशी वित्त प्रभाग (External Finance Division) : 

विदेशी वित्त प्रभाग भारत को विदेशों से मिलने वाली सहायता, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय विकास संघ, एशियाई विकास बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय कृषि विकास निधि, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम कम तथा राष्ट्रमण्डल तकनीकी सहयोग निधि के साथ भारत के सम्बन्धों, भारत द्वारा दूसरे देशों को दी जाने वाली सहायता, विदेशी मुद्रा नियन्त्रण और विदेशी मुद्रा बजट तैयार करने से सम्बन्धित कार्य करता है। विदेशों के साथ व्यापार और अदायगियों के करारों के सभी प्रस्तावों और विदेशी व्यापार से सम्बन्धित नीति के सामान्य पहलुओं की जाँच का काम भी इसी प्रभाग के जिम्मे है।

 

(viii) प्रशासन प्रभाग (Administration Division ) 

प्रशासन प्रभाग, आर्थिक कार्य सम्बन्धी विभाग तथा उससे सम्बद्ध एवं अधीनस्थ कार्यालयों के प्रशासनिक मामलों और सतर्कता एवं संगठन तथा कार्य प्रणाली सम्बन्धी विषयों का कार्य करता है। इस विभाग में हाल ही में स्थापित आन्तरिक कार्य अध्ययन व संगठन और कार्य प्रणाली एकक अपने सामान्य संगठन और कार्यप्रणाली संबंधी कार्यों के अलावा मुख्य समस्याओं का पता लगाने में सहायता करते हैं। और कार्य भार का अनुमान लगाने, संगठन और कार्य प्रणाली तथा अन्य संबंधित अध्ययनों का काम करते हैं। भारत सरकार के मन्त्रालयों संबंधी सचिवालय के विभिन्न निर्देशों के कार्यान्वयन का काम भी इसी एकक को सौंपा गया है। प्रशासन प्रभाग आर्थिक कार्य विभाग के मुख्य सचिवालय और इस विभाग से सम्बद्ध तथा अधीनस्थ संगठनों में संशोधित राजभाषा अधिनियम 1963 के अन्तर्गत गृह मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी किए गये निर्देशों के कार्यान्वयन की प्रगति की देखरेख के लिए जिम्मेदार है।

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