बजट एक आर्थिक व प्रशासनिक यन्त्र के रूप में |Budget as an Instrument of Economic & Administrative Development

 बजट एक आर्थिक व प्रशासनिक यन्त्र के रूप में 

(Budget as an Instrument of Economic & Administrative Development)

बजट एक आर्थिक व प्रशासनिक यन्त्र के रूप में |Budget as an Instrument of Economic & Administrative Development


 बजट एक आर्थिक व प्रशासनिक यन्त्र के रूप में 


बजट तथा प्रशासनिक विकास 

(Budget & Administrative Development)

 

सामाजिक, आर्थिक, प्रशासनिक विकास के लिए बजट का महत्व, किसी भी सरकार का प्रभावशाली होना इस बात पर निर्भर करता है कि इसके पास कितनी प्रभावशाली प्रशासनिक प्रणाली है। क्योंकि प्रशासनिक मशीनरी ही कार्यपालिका द्वारा निर्धारित की गई नीतियों को लागू करती हैं।

 

1. इसके अलावा प्रशासकीय प्रक्रिया एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा आम जनता की आवश्यकताओं का मूल्यांकन व संचालन करके सरकार तक पहुंचाया जा सकता है। इसलिए एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था का होना जरूरी है। क्योंकि यह देश के आर्थिक, राजनैतिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है लेकिन यह सब तभी संभव है जब एक ठोस आर्थिक आधार हमारे पास होगा और इस आधार को मूलरुप देने के लिए 'बजट' का सहारा लिया जाता है, क्योंकि आर्थिक विकास जनसंख्या में परिवर्तन, लोगों की आवश्यकताओं में लगातार बढ़ोत्तरी तथा समस्यायें तथा शिक्षा, यातायात, मानव कल्याण आदि के क्षेत्र में बढ़ती हुई आवश्यकताएँ सरकार के लिए चुनौती का काम करती हैं। जिसके लिए सरकार को अतिरिक्त प्रशासनिक प्रक्रिया को introduce करना पड़ता है तथा इन प्रक्रियाओं को किस प्रकार कार्यक्रमों के अनुसार लागू करें और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि किस प्रकार Finance किया जाए।

 

2. प्रभावशाली वित्तीय योजनाओं के लिए तथा विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों को एकजुट करने के लिए 'Budget' ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा लोगों का सरकार के प्रति विश्वास समाज कल्याण और राष्ट्रीय उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफलता मिल सकती है जिससे प्रशासन में उच्च स्तर की कुशलता प्राप्त की जा सकती है। तथा आर्थिक उन्नति को भी वास्तविक रूप दिया जा सकता है। बजट का प्रयोग सभी आर्थिक फैसले लेते समय किया जाता है।

 

3. इस प्रकार बजट की योजना का एक महत्वपूर्ण माध्यम माना जा सकता है। क्योंकि किसी भी योजना के लिए वित्तीय संसाधनों का बँटवारा करना होता है। इसके लिए कब कितना और क्यों? पैसा दिया जाए ये बातें बजट द्वारा निर्धारित की जाती है।

 

4. सभी विकासशील देशों में वित्तीय संसाधनों की कमी है, परन्तु विकास प्रशासन भी उनका मुख्य उद्देश्य है। अर्थात् प्रशासन के प्रत्येक पहलू को विकसित करने के लिए वचनबद्ध है। क्योंकि इसके बिना वहाँ की जनता का सरकार में नीयत रखना सम्भव नहीं है। उपलिखित दोनों बातें तभी सम्भव हो सकती है। जब हमारे पास वित्तीय व मानवीय संसाधनों का उचित उपयोग हो। इनके कारण बजट का महत्व प्रकाश में आता है। क्योंकि ऐसा बजट के माध्यम से होता है। बजट के माध्यम से ही विकास की दशा प्रदान की जाती है। दूसरे शब्दों में बजट एक ऐसा प्रशासनिक यन्त्र है। जिसके माध्यम से आर्थिक विकास को प्राप्त किया जा सकता है।

 

5. बजट को मध्य नजर रखते हुये सरकार अपनी नीतियाँ निर्धारित करती है। तथा घोषणा करती हैं और प्रशासकीय प्रणाली का एक रूप देती है। यदि किसी भी नीति में परिवर्तन करना है तो बजट में निर्धारित प्रावधानों को Examine करना पड़ता है।

 

6. बजट के माध्यम से ही किसी प्रशासकीय संस्था का संगठन प्रक्रिया निर्धारित की जाती है अर्थात् विभिन्न संगठनों में कितना स्टाफ होगा, कुशलता की दृष्टि से भर्ती की क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी क्योंकि कई बार वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण संगठनों में मौलिक परिवर्तन करने पड़ते हैं। इसलिए प्रशासन सुचारु रूप से चलता रहे यह बात वित्तीय संसाधनों की उपलब्धि पर निर्भर करती है। तथा उपलब्ध संसाधनों के उचित व अधिकतम उपयोग पर ।

 

7. योजना और बजट को लेकर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि इन देशों में Co-ordination होगा तो योजना बहुत ही प्रभावशाली होगी अर्थात् प्रशासन की कुशलता इन दोनों के बुद्धिमतापूर्ण मेल पर निर्भर करती है। क्योंकि बजट को substative आधार माना जाता है। इसके बिना योजना केवल व्यर्थ का अभ्यास होगा। कोई व्यवहारिक उपयोगिता नहीं होगी।

 

8. सरकारी प्रशासनों में सार्वजनिक कार्य सार्वजनिक उपयोगिताएँ, कल्याणकारी कार्यक्रम सामाजिक सेवाएँ, सार्वजनिक उत्पादन, उपकरण आदि शामिल किए गए हैं। इन सभी कार्यक्रमों पर वित्तीय दृष्टि से नियंत्रण रखना बहुत आवश्यक है। अर्थात् किस प्रकार विभिन्न प्रतियोगी विभागों को पैसा दिया जाए तथा किस प्रकार बड़ी Projects को प्रतिबन्धित किया जाए जो कि एक बड़ी समस्या है। बजट' ही एक ऐसा साधन है। जिसके द्वारा इनको नियंत्रित किया जा सकता है। अब प्रत्येक प्रशासकीय विभाग के कार्यक्रमों को कार्यक्रम. कार्य गतिविधियों आदि में बाँट दिया जाता है। अब ज्यादा ध्यान Functional classification पर दिया जाता है ।

 

9. बजट द्वारा यह सम्भव है कि विभिन्न Projects और क्रियाओं में चुनाव प्रबन्धकीय नियंत्रण व मूल्यांकन को लागू किया जाता है। और इनके खर्चे में कुशलता और आर्थिकता द्वारा एक सदुपयोग की प्रक्रिया को प्राप्त किया जा सकता है। वास्तव में बजट एक Execialive Agency का कार्य करता है। क्योंकि इन Projects के management में इसी का महत्वपूर्ण Role रहता है।

 

10. जब कोई भी विभाग अपनी योजनाएँ तैयार करता है, सम्मिलित करता है नियंत्रण एवं मूल्यांकन करने के बाद Report तथा पुनर्निरीक्षण आदि में कार्य करता है तो इन सभी का एक जगह मूल्यांकन बजट के माध्यम से किया जाता है।


अतः सारी प्रशासकीय प्रक्रिया में बजट का महत्वपूर्ण रोल रहता है। जैसे :-

 

(i) सभी प्रशासकीय विभागों को वित्त प्रदान करना। 

(ii) वित्तीय संसाधनों को संचालित करना और प्रशासनिक दृष्टि से कुशलता एवं मूल्यांकन की दृष्टि से सरकार के निर्धारित मूल्यों को प्राप्त करना शामिल है। लेखांकन की प्रक्रिया में जो व्यय के साथ-साथ Record की जाती है। मैं इस बात की समीक्षा 'बजट' के माध्यम से की जाती है कि किसी प्रशासनिक विभाग के लिए क्या काम था तथा उसकी क्या Performance रही। इनके माध्यम से बजट एक प्रशासकीय प्रक्रिया को एक व्यवहारिक रूप देता है। 

(iii) प्रबन्धकीय फैसले लेते समय क्मबपेपवद उामत को Guidance देता है। 

(iv) फैसलों को लागू करते समय क्या Procedure अपनाना है। निर्देशन देता है। 

(vi) It is a communication media.

 

बजट एक आर्थिक विकास के यन्त्र के रूप में 

(Budget as an Instrument of Economic Development)

 

पुराने समय में जबकि राज्य के कार्य बहुत सीमित थे तो बजट को एक यन्त्र के रूप में माना जाता था जिसके माध्यम से वित्तीय मामलों में क्रमबद्धता लाई जा सके और मुख्य Focus इस बात पर था कि किस प्रकार खर्चे में मितव्यता और लोगों पर कम से कम कर का भार पड़े। ये दो मुख्य उद्देश्य बजट के थे लेकिन आजकल बजट का कार्यक्षेत्र काफी बढ़ गया है और विभिन्न विभागों के बीच प्रतियोगिता को मध्य नजर रखते हुए बजट का कार्य समृद्धता और कल्याण को बढ़ावा देना है। अर्थात् बजट अब आर्थिक नीति का माध्यम बन गया है।

 

अब बजट का सम्बन्ध

 

(1) यह पैदावार बढ़ाता है। 

(2) आय तथा व्यय के बँटवारे में असमानता को धीरे-धीरे खत्म करना । 

(3) कीमतों में वृद्धि पर नियंत्रण करना जो किसी संकट या युद्ध के समय पैदा हुई हो। 

  • (i) आम जनता के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध कराना । 
  • (ii) बजट उत्पादन की प्रक्रिया में सहायक इस प्रकार हो सकता है कि ये उद्योग एवं कृषि की पूर्ण सुरक्षा दे तथा Subsidy (छूट) प्रदान करे। 


(2) आय तथा व्यय में असमानता दूर करने के लिए कर प्रणाली में आवश्यक सुधारों का सुझाव दिया जाए। तथा विभिन्न करों से प्राप्त पैसे को गरीब वर्ग की शिक्षा, आवास तथा कल्याण योजनाओं पर खर्च किया जा सके। 

(iii) कीमतों में तेजी को रोकने के लिए जो युद्ध या संकट के द्वारा अतिरिक्त संचालित किया जाता है उसे वापिस ले लिया जाए। 

(iv) जनता को रोजगार के मामले में बजट सार्वजनिक व विकासशील स्कीमों में ज्यादा पैसा खर्च करके दे सकता है या निजी रोजगार के लिए Loan Provide कर सकता है।

 

सामान्यतः बजट को आर्थिक क्षेत्र में तीन मुख्य कार्य करने पड़ते हैं-

 

(1) पैसा निर्धारित करना (Asa Tool of Allocation of Money) 

(2) आर्थिक नीति का संचालन (As a Tool of Fiscal Policy) (वित्त सम्बन्धी ) 

(3) मुद्रण नीति का संचालन ( As a Tool of Monetary Policy) (मुद्रा संबंधी)

 

(1) पैसा निर्धारित करना: (As a Tool of Allocation of Money)

 

किसी भी आर्थिक व्यवस्था में सर्वांगीण आर्थिक विकास के लिए बजट को धन वितरण का संचालन करना पड़ता है। कि हमारे पास कितने वित्तीय संसाधन है और विकास को लेकर प्राथमिकता का क्रम क्या है। साधारणतया बजट के माध्यम से वितरण की प्रक्रिया को अन्तिम रूप दिया जाता है।

 

(i) इसके अतिरिक्त बजट को "As a tool of control of public expenditure (खर्च)  

(ii) As a tool of finance management. 

(iii) As a tool of economic planning. 

(iv) As a tool of evolution of various development schemes & plans.

 

(i) जहाँ पर वित्तीय प्रक्रिया में व्यय पर नियन्त्रण की बात है। इसके लिए बजट बनाते समय एक निश्चित प्रक्रिया का रूप दिया जाता है। जिस पर बजट लागू होने के बाद व्यवहारिक रूप से अमल किया जाता है। अर्थात् वित्तीय अधिनियम व उपनियमों के तहत एक निश्चित प्रक्रिया को रखा गया है। जिसके माध्यम से खर्चे की प्रक्रिया पर सामयिक लागत तथा नतीजों को ध्यान में रखकर समीक्षा की जाती है।

 

(ii) Financial management के लिए बजट इसलिए सहायक है कि जब वित्तीय फैसले किए जाते हैं तो बजट उनके Guide के रूप में कार्य करता है और अधिक विकास के उद्देश्य को भी प्राप्त करता है तो फैसले की प्रक्रिया मे बजट के निर्देशन को स्वीकार करना पड़ेगा। 

(iii) इसी प्रकार योजना बनाते समय बजट को ध्यान में रखते हुए यह तय करने का फैसला किया जाता है कि विभिन्न प्रशासकीय क्षेत्रों वित्तीय संसाधनों के उचित उपयोग को ध्यान में रखकर योजनाएँ बनाई गयी है। 

(iv) मूल्यांकन के लिए बजट किसी भी विभाग के कार्यों का निरीक्षण कर सकता है। इसके लिए इसके पास पर्याप्त मशीनरी है। प्रत्येक विभाग की कार्यशैली के लिए वित्तीय संदर्भ में कुछ निश्चित मापदण्ड स्थापित किए हैं जिनकी परिधि में विभाग को अपना काम करना पड़ता है।

 

(2) आर्थिक नीति का संचालन : 

(Budget as a Tool of Fiscal Policy) 


किसी देश की वित्तीय नीति बजट में Reflected (प्रतिबिम्बित) होती है। सार्वजनिक व्यय व आय का स्पष्ट रूप दर्शाने वाले दस्तावेज का नाम Fiscal policy है। आर्थिक विकास के लिए वित्तीय नीति एक ठोस संगठन के तौर पर कार्य करती है अर्थात् आर्थिक नीति में :

 

(i) (कर व्यवस्था) Taxation system 

(ii) (निवेश नीति) Investment policy 

(iii) ( प्रशासन की आय तथा व्यय) Revenue & expenditure of administration 


(i) कर व्यवस्था बजट का सरकार की कर नीति पर क्या प्रभाव पड़ा अर्थात् आने वाले वर्ष में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों का क्या अनुपात होगा तथा किस प्रकार से वे कर ज्यादा अर्थपूर्ण हैं तथा किन- कि Tax को छोड़ देना चाहिए। ये सब बातें वित्तीय नीति में तय की जाती है, जिसकी सलाह बजट द्वारा की जाती है। कर प्रणाली की प्रकृति बजट द्वारा तय की जाती है।

 

(ii) निवेश नीति : किसी देश की आर्थिक नीति का निवेश नीति पर भी प्रभाव पड़ता है। यह बात अलग है कि निवेश नीति का निर्धारण बजट द्वारा किया जाता है अर्थात् कितना निवेश करना है। किस Sector में करना है, कब करना हैं, प्रकृति क्या होगी आदि बातें बजट द्वारा निर्धारित की जाती है। इसके अलावा Private sector में भी बजट 'कर नीति' द्वारा इसे नियंत्रित करता है। इस प्रकार निवेश नीति के माध्यम से बजट का आर्थिक विकास में बहुत महत्व है ।

 

(iii) प्रशासन की आय तथा व्यय रू बजट को सरकार की वित्तीय योजना का स्वामी कहा जा सकता है। यह ही सम्भावित आय तथा व्यय को सरकार के सामने पेश करता है। आय तथा व्यय की क्रियायें भी सुचित करता है। बजट preparation के समय देश की वित्तीय व्यवस्था का पूर्ण ब्यौरा दिया जाता है। 


(3) मुद्रण नीति का संचालन : (As a Tool of Monetary Policy)

 

Monetary Policy का अर्थ है कि मुद्रा बाजार में इसका क्या प्रभाव व लागत है किसी देश की आर्थिक व्यवस्था में मुद्रा के circulation का क्या प्रभाव है। कितनी मुद्रा संचालित की जाए यह बात बहुत ही महत्वपूर्ण है। किसी देश का आर्थिक विकास इसी बात पर निर्भर करता है। मुद्रा के संचालन पर विभिन्न आर्थिक विकास के पहलू होते हैं, अर्थात् मुद्रक नीति विभिन्न तरीकों से आर्थिक व्यवस्था को प्रभावित करती है।

 

(i) मुद्रा संचालित करके Currency Circulation. 

(ii) Currency Credit ( साख जमा ) 

(iii) Borrowing of Govt. (सरकार की उधार)

 

(i) Currency Circulation से देश के आर्थिक विकास को रूप दिया जाता है। इसी के माध्यम से विभिन्न वस्तुएँ व सेवाएँ विनिमय की जाती हैं, उत्पादन की प्रक्रिया में पैसा तेल का कार्य करता है। पैसे की कुल उत्पादन से ज्यादा circulate किया या कम। इस बात का निर्धारण बजट द्वारा किया जाता है। यदि देश के आर्थिक विकास में कोई रुकावट आती है तो कुल उत्पादन के मूल्य से ज्यादा पैसा circulate किया जा सकता है।

 

(ii) इसी प्रकार सरकार की साख नीति भी आर्थिक विकास को प्रभावित करती है। विभिन्न सुझाव प्रस्तुत किए जा सकते हैं क्योंकि इसके द्वारा नियत किया जाता है कि सरकार को कितना पैसा credit (जमा) में है, ताकि आर्थिक व्यवस्था ठीक रहे, क्योंकि आर्थिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक सरकार की साख नीति पर निर्भर करता है।

 

(iii) इसके इलावा सरकार की उधार नीति का निर्धारण व नियंत्रण भी बजट के माध्यम से किया जाता है कि कितना किस योजना के लिए उधार लिया जाए तथा उधार के क्या माध्यम होंगे (राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय उधार) का निर्धारण बजट द्वारा किया जाता है। विकासशील देशों में जहाँ पूँजी निवेश को लेकर काफी समस्या है, वहाँ बजट का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इन देशों के सार्वजनिक निवेश के माध्यम से ही तीन व संतुलित आर्थिक विकास को लाने की योजना बनाई गई है। इन देशों में पूंजी निवेश की दर में लगातार वृद्धि हो रही है। इस बढ़ते हुए खर्च का प्रबन्ध के लिए क्या किया जाए यह एक व्यापक समस्या है। इसलिए इन बातों की जिम्मेवारी बजट पर आ गई है। बजट के प्रभाव दूरगामी होते हैं जिसका प्रभाव अपने देश के अतिरिक्त दूसरे देशों पर भी पड़ता है। इसलिए सार्वजनिक खर्च की मात्रा, प्रक्रिया का निर्धारण-सूझबूझ से तथा सामंजस्य से करना चाहिए। Govt. के पास इसका खर्चा होना चाहिए। Demands for Grant के पास होने के बाद Appropriation bill पर voting होती है? जब राज्य सभा सारे माँग अनुदानों पर मतदान करके पास कर देती है। तो इन सब पास की गई माँग अनुदानों को एक बिल का रूप दे दिया जाता है। इस विनियोग बिल को नये सिरे से लोक सभा में पेश किया जाता है। व्यवहारिक रूप से इस बिल का ज्यादा महत्व है केवल मांग अनुदानों में निर्धारित राशि को वैधता प्रदान करने के लिए ऐसा किया जाता है। ताकि मन्त्रालयों को अपने-अपने खातों से पैसा निकलवाने की Authority मिल जाए ।

 

1. भारतीय संविधान में Art. 166 (1) के अन्तर्गत यह प्रावधान है कि भारतीय संचित निधि से एक भी पैसा नहीं निकाला जा सकता जब तक विनियोग बिल पास न हो जाए। विनियोग बिल के पास होने की प्रक्रिया वही है जो सामान्य बिल पर लागू होती है।

 

2. विनियोग बिल पेश करने के बाद किसी तरह का संशोधन Allowed नहीं है। क्योंकि माँग अनुदान की राशि पहले ही संसद पास कर चुकी है। विनियोग बिल पर बहस के समय charged item 42 मतदान नहीं होता लेकिन इन पर बहस की जा सकती है। विनियोग बिल पर बहस करते समय - विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार की कार्य प्रणाली से संबंधित कुछ सुझाव व टिप्पणियाँ दी जा सकती हैं। इसके अलावा जिन मुद्दों के लिए प्रस्तावित खर्चा रखा गया है उसमें भी विभिन्न सुझाव प्रस्तुत किए जा सकते हैं। विनियोग बिल के माध्यम से हम सामान्य बजट तथा रेल बजट को कानूनी रूप प्रदान कर सकते हैं।

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